Bhuj: जब भारतीय वायुसेना ने 300 महिलाओं के साथ मिल पाकिस्तान को सिखाया सबक
भुज फिल्म (Bhuj the Pride of India) में अजय देवगन के अलावा संजय दत्त, सोनाक्षी सिन्हा, नोरा फतेही, शरद केलकर, एमी विर्क, प्रणिता सुभाष, महेश शेट्टी और जय पटेल ने अहम भूमिकाएं निभाई हैं. अजय स्क्वैड्रन लीडर विजय कुमार कार्णिक की भूमिका में हैं. जबकि संजय दत्त ने भारतीय सेना के पागी रणछोड़ दास की भूमिका निभाई है.
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भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की एक और भव्य कहानी 'भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया' बनकर तैयार है. फिल्म का टीजर आ चुका है. एक दिन बाद ट्रेलर जारी किया जाएगा. गुजरात का भुज साल 1971 में भारतीय वायुसेना और स्थानीय नागरिकों के पराक्रम और शहादत का गवाह बना था. 71 की जंग में भारत ने पाकिस्तान के साथ सभी सीमाओं पर मोर्चा लिया था. देश ने ना सिर्फ पाकिस्तान बल्कि समूची दुनिया को अपनी ताकत से रू-ब-रू करवाया था. फिल्म का टीजर बहुत ही जबरदस्त है. ये फिल्म कोरोना की वजह से काफी प्रभावित हुई. इसे 13 अगस्त को ओटीटी प्लेटफॉर्म डिजनी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज किया जाएगा.
फिल्म का टीजर यहां नीचे देख सकते हैं:-
भुज के टीजर में क्या है?
टीजर में इंडियन एयरबेस पर पाकिस्तानी एयरफ़ोर्स का हमला और तबाही दिखती है. इसके साथ ही फिल्म के अहम कलाकारों की झलक दिखाई गई है. अजय देवगन एयर फ़ोर्स की वर्दी में जख्मी नजर आते हैं. बैकग्राउंड में उनकी आवाज में एक संवाद है- "मेरे मरने का मातम मत करना. मैंने खुद ही शहादत चुनी है. मैं जीता हूं मरने के लिए मेरा नाम है सिपाही." फिल्म से जुडी स्टारकास्ट ने सोशल मीडिया पर टीजर साझा किया है. इसे खूब पसंद किया जा रहा है.
भुज की स्टार कास्ट क्या है?
भुज में अजय देवगन के अलावा संजय दत्त, सोनाक्षी सिन्हा, नोरा फतेही, शरद केलकर, एमी विर्क, प्रणिता सुभाष, महेश शेट्टी और जय पटेल ने अहम भूमिकाएं निभाई हैं. अजय स्क्वैड्रन लीडर विजय कुमार कार्णिक की भूमिका में हैं. जबकि संजय दत्त ने भारतीय सेना के पागी रणछोड़ दास की भूमिका निभाई है. पागी रेत पर मनुष्य और जानवरों के निशान की सटीक पहचान करके सेना के लिए उनके लोकेशन की जरूरी जानकारी मुहैया कराते हैं. नोरा फतेही जासूस की भूमिका में हैं. सोनाक्षी ने स्थानीय महिला सुंदरबेन की भूमिका निभाई है.
भुज का इतिहास क्या है?
अभिषेक दुधैया के निर्देशन में बनी फिल्म की कहानी वास्तविक है. इसे दुधैया के साथ रमण कुमार, रीतेश शाह और पूजा भावोरिया ने मिलकर लिखा है. दरअसल, 1971 की जंग में ना सिर्फ भारत की तीनों सेनाओं बल्कि नागरिकों (खासकर सीमावर्ती इलाकों में) का भी अहम योगदान था. जंग के दौरान पाकिस्तान ने पश्चिम-पूर्व कई सीमाओं पर मोर्चा खोल दिया था. पाकिस्तान ने भुज के एयरबेस पर अटैक कर उसे तबाह कर दिया था. उस वक्त स्क्वैड्रन लीडर विजय कुमार कार्णिक भुज बेस के प्रभारी थे. पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए एयरबेस का तैयार होना बेहद जरूरी था. कार्णिक और उनकी टीम ने स्थानीय 300 ग्रामीण महिलाओं के साथ मिलकर एयरबेस को फिर से तैयार करने का मुश्किल काम कर दिखाया था. इसके बाद जो हुआ वो इतिहास है जिसपर देश के हर नागरिक को गर्व है.
उस जंग में कच्छ के रेगिस्तान में रणछोड़दास पागी ने भी रेत पर बने निशानों की पहचान करके सेना को निर्णायक सामरिक जानकारियां दी थीं. भुज एयरबेस तैयार होने और तीनों सेनाओं के पराक्रम की वजह से पाकिस्तान की करारी हार हुई थी. भारत की सेना पाकिस्तान के अंदर तक दाखिल हो गई थी. बाद में पाकिस्तान को समझौते के लिए झुकना पड़ा. उसी जंग की वजह से पूर्वी पाकिस्तान सालों की गुलामी से आजाद हुआ था.
भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 की जंग को लेकर कई फ़िल्में बनी हैं. फिल्म के सब्जेक्ट से अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये दर्शकों का जबरदस्त मनोरंजन करने में कामयाब हो.
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