Mirzapur 2 Boycott: सोशल मीडिया पर लंका क्यों लगी, जानिए 5 कारण
अमेजन प्राइम वीडियो पर मिर्ज़ापुर सीजन 2 (Mirzapur 2) की डिमांड बेसब्री से हो रही थी. अब कुछ लोग इस वेब सीरीज के विरोध में गए हैं. पड़ताल करने पर मिल रहा है कि ऐसी तमाम माकूल वजहें हैं जो बता रही हैं कि फैंस का बॉयकॉट मिर्ज़ापुर 2 (Boycott Mirzapur 2) की मांग कान धरने लायक है.
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साल 2018 में अमेज़न प्राइम (Amazon Prime Videos) पर आई मिर्जापुर वेबसीरीज (Mirzapur web series) सबसे कामयाब वेबसीरीज में सेे एक है. शो की थीम ऐसी जो यूपी के मिर्जापुर और जौनपुर में दो गुटों त्रिपाठी- शुक्ला के वर्चस्व, उनके बाहुबल को दर्शाती. पूरे देश ने इस वेब सीरीज को ढेर सारा प्यार दिया और कालीन भइया, मुन्ना त्रिपाठी, डॉक्टर, गुड्डू पंडित, बबलू पंडित का नाम बच्चे बच्चे की जुबान पर आ गया. क्योंकि पहले सीजन को ट्विस्ट देकर इसे आगे के लिए छोड़ दिया गया था इसलिये दर्शक भी डिमांड कर रहे थे कि इस वेब सीरीज (Web Series) का पार्ट टू (Mirzapur Season 2) जल्द से जल्द आए ताकि पता चले कि मुन्ना भइया और गुड्डू भइया का क्या हुआ? वो कौन है जिसके हाथ में पूर्वांचल और कालीन भइया कि सत्ता आई. मिर्जापुर का पार्ट 2 अक्टूबर (Mirzapur 2 Releasing in October) में आ रहा है मगर वो जनता जो अब तक दीवानों की तरह शो के दूसरे पार्ट की डिमांड कर रही थी उसने शो के निर्माता निर्देशक को हैरत में डालते हुए शो के बॉयकॉट (Boycott Mirzapur 2) की मांग तेज कर दी है.
रिलीज से पहले बॉयकॉट की बातों ने मिर्ज़ापुर 2 के कास्ट एंड क्रू के होश फाख्ता कर दिए हैं
तो आइए उन 5 कारणों पर नजर डालें जिनके बाद हमें इस बात का अंदाजा लग जाएगा कि आखिर क्यों पहले सीजन में इस शो को इतना प्यार देने वाली जनता दूसरे सीजन में बगावत पर उतर आई है और शो का पूर्ण बहिष्कार करने की मांग कर रही है.
अली फ़ज़ल
चाहे पहले सीजन के एंडिंग स्लॉट तक का समय रहा हो या फिर दूसरे सीजन की बिगनिंग इस बात में कोई शक नहीं है कि शो में अली फ़ज़ल एक निर्णायक भूमिका में हैं. दिलचस्प बात ये भी है कि अगर आज शो के बहिष्कार की मांग चल रही है तो उसकी भी एक अहम वजह अली फ़ज़ल हैं. सवाल होगा कि शो की लंका लगाने में अली फ़ज़ल का क्या रोल है? तो इस सवाल के जवाब के लिए हमें 2019 के दिसंबर माह में जाना होगा और उस दौर को समझना होगा जब एन्टी सीएए देश की एक बड़ी आबादी विशेषकर मुसलमान सड़कों पर थे.
सीएए और एनआरसी विरोधियों ने इसे आज़ादी की दूसरी लड़ाई बताया और इसे लेकर खूब तमाशा किया. अली फ़ज़ल ने भी एन्टी सीएए प्रोटेस्ट को अपना समर्थन दिया और न केवल उन्होंने इसे लेकर बेहूदा ट्वीट किया बल्कि विदेश में आयोजित ऐसे ही एक प्रोटेस्ट में अपनी उपस्थिति भी दर्ज करवाई.
One and only one reason why bhakts trends boycott mirzapur 2 pic.twitter.com/nLeY3mCnuD
— Mohammad Rizwan (@RizwanAlig3) August 25, 2020
इसी से लोग आहत हैं और मांग कर रहे हैं कि जिस अली फ़ज़ल को हिंदुस्तान ने इतना कुछ दिया यदि वो देश के ख़िलाफ़ जाता है तो हमें भी उससे जुड़ी हर चीज का बहिष्कार करना चाहिए और अब क्योंकि अली फ़ज़ल का मिर्ज़ापुर आ रहा है तो वो इसी कड़ी का एक अहम हिस्सा है.
नागरिकता संशोधन कानून
साल 2019 की सबसे चर्चित घटनाओं में शामिल 'नागरिकता संशोधन कानून' ही अली फ़ज़ल के गले की हड्डी बना है. बात अगर इस कानून की हो तो इस विधेयक में बांग्लादेश, अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से ताल्लुक़ रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है. मौजूदा क़ानून के मुताबिक़ किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है. इस विधेयक में पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए यह समयावधि 11 से घटाकर छह साल कर दी गई है.
अली फजल भी देश के तमाम लोगों की तरह इस कानून के खिलाफ हैं. अली का वो ट्वीट इंटरनेट पर खूब सुर्खियां बटोर रहा है जो उन्होंने मिर्ज़ापुर के एक डॉयलॉग की तर्ज पर किया है.
This is the reason, we should boycott mirjapur2 and if you want to watch this dont watch on amzone prime, watch on telegram#BoycottMirzapur2 pic.twitter.com/DxpMa0aMao
— Gopal Pandit (@BiharibabuBr26) August 25, 2020
कहा जा सकता है कि अली के इस ट्वीट ने आग में घी का काम किया है और अली को जवाब सेर के बदले सवा सेर देकर किया जा रहा है.
राष्ट्रवाद बनाम राष्ट्रविरोध
वो लोग जो मिर्जापुर के फैन थे अगर आज उनका इस शो से मोह भंग हुआ है तो इसे राष्ट्रवाद बनाम राष्ट्रविरोध की लड़ाई माना जा सकता है. यूं भी वर्तमान परिदृश्य में हमारा समाज दो वर्गों में विभाजित हुआ है जिसमें एक वर्ग वो है जो अपने को बुद्धिजीवी दिखाने सोशल मीडिया पर अपनी फैन फॉलोइंग के लिए राष्ट्र के विरुद्ध गतिविधियों को अंजाम दे रहा है तो वहीं दूसरा वर्ग वो है जिसके लिए देश ही सब कुछ है. वो देश के खिलाफ कुछ नहीं सुन सकता भले ही इसकी कितनी ही कीमत क्यों न उसे चुकानी पड़े.
वाम विचारधारा
बॉलीवुड का जो चेहरा अब तक हमने देखा या ये कहें कि अलग अलग मुद्दों पर जैसा रवैया बॉलीवुड का रहा एक बड़ा वर्ग है जो न तो वामपंथी है या फिर वाम विधारधारा का समर्थक है. बात मिर्जापुर के बहिष्कार और अली फ़ज़ल की चली है तो बता दें कि तमाम मौके ऐसे आए जब इस बात का एहसास हो गया कि अली भी कहीं न कहीं वाम विचारधारा के पुरोधा हैं और उन्हें सरकार की नीतियों में अच्छाइयां नहीं बल्कि केवल खामियां ही नजर आती हैं.
सिलेक्टिव अप्रोच
जाहिर सी बात है नागरिकता संशोधन कानून पर जो बातें अली फजल ने कहीं हैं वो दिग्भ्रमित करने वाली हैं और चीजों और मुद्दों के प्रति कहीं न कहीं उनका सिलेक्टिव अप्रोच दिखाती हैं. दुख इस बात का है कि जिस मुखरता के साथ अली ने नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर अपनी राय रखी काश वो देश और नागरिकों से जुड़े हर मुद्दों पर इसी तरह मुखरता से बोलते. चूंकि वो केवल अपने फायदे की चीजों पर बात कर रहे हैं इसलिए स्थिति जब ऐसी हो तो उनका विरोध जायज भी है.
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