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Updated: 22 जून, 2020 10:45 PM
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नेटफ्लिक्स (Nexflix) पर एक फिल्म रिलीज हुई है चमन बहार (Chaman Bahar review). शुभ मंगल ज्यादा सावधान जैसी फिल्म और पंचायत जैसी फेमस वेब सीरीज में लीड रोल निभा चुके जितेंद्र कुमार इस नेटफ्लिक्स ओरिजिनल फिल्म में प्रमुख भूमिका में हैं. जीतेंद्र के साथ ही रितिका बडियानी, भुवन अरोड़ा, योगेंद्र टिक्कू और आलम खान भी चमन बहार में अहम रोल निभा रहे हैं. चमन बहार की कहानी एक सिरफिरे पनवारी बिल्लू की है, जो एक खूबसूरत लड़की रिंकू से प्यार कर बैठता है और इम्प्रेस करने में नाकाम रहने पर उसे शहर भर में बदनाम कर देता है. ‘रिंकू ननोरिया बेवफा है’ के चर्चे शहर भर के मजनूओं की जुबां पर होते हैं. चमन बहार की स्टोरी पर अब विवाद खड़ा हो रहा है. लोग कबीर सिंह की तर्ज पर बिल्लू यानी जितेंद्र कुमार को कोसने लगे हैं. चमन बहार को समाज में गलत संदेश देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. लेकिन क्या चमन बहार की स्टोरी समाज की हकीकत नहीं है, जहां किसी खूबसूरत लड़की के पीछे पूरे गांव, कस्बे, शहर के मजनू छाप लड़कों का पड़ जाना तथाकथित पुरुषार्थ की परिभाषा मानी जाती है.

साल 2016 का वो किस्सा याद है, जिसमें ‘सोनम गुप्ता की बेवफाई’ की चर्चा हर तरफ छाई हुई थी. बच्चे से बुजुर्ग तक अपने 10-20 से लेकर 2000 तक के नोटों में इस सवाल और जवाब की आस लगाए बैठे रहते थे. यह गुत्थी कभी नहीं सुलझ पाई और अंत में यही निष्कर्ष निकला कि किसी छिछोरे ने मजनूगिरी की खाल ओढ़कर सोनम गुप्ता की बेवफाई को जगजाहिर कर दिया. लेकिन इस मजनूगिरी के चक्कर में देशभर की हजारों सोनम गुप्ता परेशान रहीं. सोनम गुप्ता नाम की लड़कियां इस वाकये से काफी हतोत्साहित हुई थीं. समय बदला, लोग यह भूल गए. लेकिन अब नेटफ्लिक्स पर रिलीज चमन बहार फिल्म ने आशिकों की ओछी आशिकी और प्यार का सही अंजाम न होने पर किसी लड़की को पल भर में बदनाम करने की प्रवृति का कच्चा चिट्ठा खोल दिया है, जिसमें इस बार सोनम गुप्ता की जगह रिंकू ननोरिया बेवफा साबित कर दी गई.

पान दुकान पर गुटखा-सिगरेट खाते-पीते आशिकों की भीड़ समाज की ऐसी हकीकत है, जिसने अपना करियर और समय दोनों इस तरह से बर्बाद किया है कि बाद में उन्हें दोषारोपन के लिए किसी काल्पनिक या वास्तविक प्रेम कहानी का सहारा लेना पड़ता है, ताकि वे कह सकें कि हम तो भई इस लड़की की वजह से बर्बाद हो गए. इस तरह के वाकये में कोई पक्ष पूरी तरह से सही साबित नहीं होता. लेकिन यह ऐसी हकीकत है, जिसने समाज को लाखों मजनू दिए, जो आए दिन सड़कों पर लड़कियों को परेशान करते, लड़की के घर वालों या पुलिस से पीटते या लड़की के दूसरे आशिक से पीटते दिखते हैं.

चमन बहार की ये है कहानी

नेटफ्लिक्स फिल्म चमन बहार भी समाज की इसी तरह की मानसिकता को दिखाती है, जिसमें लड़के ऐसी लड़की के प्यार में पड़ते हैं, जो उन्हें जानती तक नहीं. या यूं कहें कि ऐसे लड़कों को वो देखती तक नहीं. लेकिन लड़कों की भीड़ उसकी एक झलक पाने, बात करने की कोशिश करते दिखने और उस लड़की के चक्कर में बाकियों से झगड़ने से बाज नहीं आती. चमन बहार ने ऐसे ही मजनूओं की पोल खोलकर रख दी है जो लड़की को इम्प्रेस करने के चक्कर में पुलिस से मार खाते हैं और लड़की के सामने पुलिस उन्हें मुर्गा बनाती है. इसके बाद एक लड़का मजनूगिरी में तरह-तरह से लड़की को परेशान करने की कोशिशें करने लगता है. और फिर शहर भर में लड़की के नाम के पोस्टर लग जाते हैं, करेंसी नोटों पर ‘रिंकू ननोरिया बेवफा है’ लिख दिया जाता है. एक मजनू के चक्कर में लड़की बदनाम हो जाती है. आखिर में जब लड़की वह शहर छोड़ देती है तो उस लड़के को एहसास होता है कि उसने क्या कर डाला. चमन बहार की कहानी भी ऐसे ही मजनू आशिक बिल्लू और एक खूबसूरत लड़की रिंकू के इर्द-गिर्द घूमती है.

पान की दुकान पर भीड़ और पनवारी की प्रेम लीला

बीते 19 जून को नेटफ्लिक्स पर रिलीज चमन बहार में छोटे पर्दे के शाहरुख खान माने जाने वाले जितेंद्र कुमार उर्फ जीतू भैया बिल्लू के किरदार में हैं. बिल्लू छत्तीसगढ़ के एक छोटे शहर के बाहरी इलाके में पान की दुकान खोलता है. उसकी दुकान के सामने एक घर है जिसमें एक फैमिली रहने आती है. उस फैमिली में एक खूबसूरत लड़की है, जो स्कूटी से स्कूल जाती है, कुत्ते को घुमाती है. उसे स्कर्ट पहनना पसंद है. शहर के लड़कों को इस लड़की के बारे में पता चलता है तो बिल्लू की दुकान पर भीड़ लगने लगती है. आशिकों की फौज में शहर भर के फेमस लड़के शामिल होते हैं. बिल्लू जो कि खुद उस लड़की को मन ही मन प्यार करता है, शहर के बाकी लड़कों और दुकान के आसपास हर समय भीड़ देख चिढ़ने लगता है. बिल्लू लड़की को रिझाने के चक्कर में पुलिस से मार खाता है और लड़की के सामने उसकी काफी बेइज्जती होती है. बिल्लू से यह सब बर्दाश्त नहीं होता है और वह लड़की को शहर भर में बदनाम कर देता है. इसकी सजा भी उसे मिलती है और पुलिस उसे पीटने के साथ ही उसकी दुकान भी तोड़ देती है.

‘माया मिली न राम’ की हकीकत से दुनिया परेशान

अंत में बिल्लू की स्थिति ‘माया मिली न राम’ वाली हो जाती है और उसे एहसास हो जाता है कि उसने भावावेश में गलत कर दिया. यह कहानी आपने हर गांव-कस्बों से लेकर शहर और महानगरों में भी सुनी होगी. आए दिन मीडिया की सुर्खियों में मजनूगिरी की नई-नई इबारत गढ़ते लड़कों की करतूतों से दुनिया रूबरू होती है. चमन बहार में जो कुछ भी दिखाया गया है, वह काल्पनिक किरदारों से भले लबरेज हो, लेकिन यह समाज की हकीकत है. लोग चमन बहार की एक्ट्रेस के प्रति सहानुभूति जताते हुए इसमें लड़की के चरित्र चित्रण की आलोचना कर रहे हैं, लेकिन वे भूल गए हैं कि ‘सोनम गुप्ता बेवफा है’ की हकीकत भी इसी समाज से निकली है. दिल्ली-चेन्नई जैसे बड़े शहरों में मजनूगिरी में लड़कियों की सरेआम हत्या की खबरें आपको विचलित नहीं करतीं, लेकिच चमन बहार की हकीकत से आपका दिल दुख गया.

चमन बहार पर आखिर गुस्सा क्यों?

चमन बहार पर गुस्सा स्वाभाविक है, लेकिन यह तो समाज की एक बहुत सामान्य हकीकत है जो अलग-अलग रूपों में समय-समय पर सामने आती रहती है. जीतू भैया ने बिल्लू के रूप में ऐसी ही एक हकीकत को लोगों के सामने पेश किया है. इस समाज में बिल्लू भी है. रिंकू ननोरिया भी है. शिलादित्य तिवारी, सोमू, छोटू और आशु के साथ ही भदौरिया जैसे किरदार भी असली शक्ल में हैं. एक बेबस पिता भी है जो अपनी बेटी की बदनामी के बाद शहर छोड़ देता है. बिल्लू की पुलिस से पिटाई जैसी घटनाएं भी होती हैं और कुछ बिल्लू सुधरते भी दिखाई देते हैं. चमन बहार में ये खास बात रही कि डायरेक्टर अपूर्व धर बड़गैयां ने क्लाइमेक्स को पॉप्युलर हिंदी फिल्मों की तरह सुखांत (Happy Ending) नहीं रखा. अब आप पर है कि चमन बहार को आप किस नजरिये से देखते हैं. तकनीकी पक्षों और स्टोरी के साथ ही डायरेक्शन में कई खामियां हैं, लेकिन यह महज काल्पनिक किरदारों के साथ समाज की एक हकीकत को फिल्म का चोला पहनाकर लोगों के सामने पेश करने भर की कोशिश है.

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