थैंक्यू दीपिका पादुकोण, 'लक्ष्मी' बनने के लिए साहस चाहिए
फिल्म Chhapaak (छपाक) का पहला लुक सामने आ गया है. इस फिल्म में दीपिका अपनी जिंदगी का सबसे मुश्किल रोल निभाने जा रही हैं. एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की जिंदगी को पर्दे पर जीना आसान काम नहीं हैं.
-
Total Shares
हिंदुस्तान में खुद को गर्मी, धूप और प्रदूषण से बचाने के लिए कई लड़कियां अपना चेहरा ढकती हैं, मुंह पर दुपट्टा बांधती हैं. ऐसी ही एक लड़की जिसका चेहरा पूरी तरह से ढका हुआ है वो एक दुकान में जाकर एसिड मांगती है. दुकान वाला 10 रुपए में एसिड उस लड़की को दे देता है. वो लड़की फिर सवाल करती है, 'क्या मैं ये एसिड तुम्हारे चेहरे पर डाल दूं?' दुकान वाला चौंक कर लड़की को बुरा-भला कहता है. तब लड़की अपना चेहरा खोलती है और कहती है देखो तुमने 10 रुपए में किसी के लिए मौत बेच दी. वो लड़की एक एसिड अटैक सर्वाइवर है जिसका चेहरा ऐसी ही किसी बोतल में बंद मौत ने बिगाड़ दिया है.
ये कहानी किसी बुरे सपने की तरह लगती है, लेकिन ये किसी की जिंदगी का हिस्सा भी तो है. एक एसिड अटैक सर्वाइवर की जिंदगी कितनी मुश्किलों भरी हो सकती है इसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता. इस बात को जानकर बहुत अच्छा लगा कि एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी पर अब एक फिल्म बनने जा रही है Chhapaak (छपाक). इस फिल्म में Deepika Padukone एक ऐसी लड़की मालती का किरदार निभाने जा रही हैं जिसका चेहरा ऐसे ही किसी हमले में बिगाड़ दिया गया है. ये कहानी है एसिड अटैक सर्वाइवर Laxmi Agrawal की जिसे शायद आपने टीवी, वीडियो, खबरों में देखा होगा. ये वो लक्ष्मी हैं जिन्हें मिशेल ओबामा से अवॉर्ड भी मिल चुका है.
पर इस लक्ष्मी की जिंदगी में सिर्फ एक एसिड अटैक ही मुश्किल भरा दौर नहीं था. एक एसिड अटैक सर्वाइवर जिंदगी भर हमारे समाज में एक बोझ बनकर ही रह जाती है. आज जब Chhapaak First Look आया है तब दीपिका का चेहरा देखकर उन सभी लड़कियों की बात याद आती है जो अनेकों सपने लिए अपनी जिंदगी जीना चाहती थीं, लेकिन कुछ सिरफिरों ने उन्हें ऐसी सज़ा दी जिसकी वो हकदार ही नहीं थीं. और समाज तो फिर लक्ष्मी जैसी बहादुर लड़कियों को ही सज़ा देता है.
फिल्म में दीपिका का लुक बिलकुल लक्ष्मी अग्रवाल के लुक जैसा ही है
हमारे देश में खूबसूरती के अलग ही पैमाने हैं जिन लड़कियों को खूबसूरत समझा जाता है उन्हें सिर आंखों पर बैठाया जाता है. पर एक खूबसूरत लड़की किसी दरिंदे के जुर्म के कारण ऐसी हो जाती है. उन लड़कियों के चेहरे देखकर लोग अपना चेहरा फेर लेते हैं.
इस किरदार को निभाने के लिए दीपिका को बधाई देनी चाहिए. हमारे देश में फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाली महिलाओं को बेहद आकर्षक माना जाता है. दीपिका पदुकोण भी सुंदरता के मामले में किसी से कम नहीं हैं. कोई सुंदर लड़की जब इस तरह का रोल निभाती है तो वो ये बता सकता है कि जिन लड़कियों के चेहरे बिगाड़ दिए गए वो असल में कितनी सुंदर रही होंगी. उनकी जिंदगी किस तरह से बेइंतिहा खूबसूरती और हिम्मत से भरी होगी क्योंकि वो तो अभी भी इतनी सुंदर हैं, वो एसिड अटैक सर्वाइवर्स तो अपनी मौजूदगी से दुनिया को एक अच्छी जगह बना रही हैं.
दीपिका की जिंदगी में 'माल्ती' (Chhapaak) का किरदार एक बेहद संजीदा रोल होगा जो शायद उनकी जिंदगी में सबसे मुश्किल रोल भी होगा. इसके लिए एक खूबसूरत लड़की को अपने चेहरे के परे देखना होगा. दीपिका को उस रोल के लिए जाना जाएगा जिसमें उनकी खूबसूरती ऊपरी तौर पर नहीं दिखेगी बल्कि उनकी अदाकारी से निखरेगी. दीपिका के लिए इस किरदार को खूबसूरती से निभाने के लिए उस किरदार को जीना होगा. वो किरदार जो किसी के लिए असल जिंदगी है और उसी जिंदगी को वो लड़की रोज़ जी रही है. दीपिका को भी एक ऐसी लड़की का किरदार निभाना होगा जिसपर खौलता हुआ एसिड फेंक दिया गया था. अपनी त्वचा जलने का अहसास हुआ था, कान, नाक, होठ पूरा चेहरा जब पिघला होगा तो बेहिसाब दर्द हुआ होगा और वो दर्द दीपिका को भी अपनी फिल्म में अपनी हंसी के साथ-साथ दिखाना होगा.
मेरे ख्याल में इस रोल को दीपिका से अच्छा शायद कोई कर भी नहीं सकता था. वो अदाकारा जिसे अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है और उसका नाम भारत की सबसे खूबसूरत महिलाओं में लिया जाता है उस हिरोइन ने ये फिल्म चुनी. इस फिल्म में चेहरे की खूबसूरती का कोई काम ही नहीं है. शायद दीपिका का इस रोल को निभाना लोगों को ये बता पाए कि जिन लड़कियों की जिंदगी एसिड अटैक से बर्बाद की जाती है वो असल में कितनी खूबसूरत होती हैं. वो असल में अपनी जिंदगी किस तरह से जीती हैं. किसी भी हिरोइन के लिए ये किरदार बेहद मुश्किल होगा और इस तरह का किरदार निभाने के लिए जो हिम्मत चाहिए वो दीपिका ने दिखाई.
Chhapaak फिल्म में दीपिका पादुकोण के साथ विक्रांत मेसी भी अहम किरदार में हैं. लक्ष्मी की कहानी पर्दे पर लाना उन सभी महिलाओं को आवाज़ देने जैसा है जिन्हें इस घिनौने काम के बाद समाज की बदसूरती झेलनी पड़ती है.
चलते-चलते लक्ष्मी की कहानी भी जान लीजिए क्योंकि ये कहानी बतानी यहां बेहद जरूरी है...
लक्ष्मी का चेहरा नहीं, समाज का चेहरा बदसूरत निकला...
साल 2005, स्कूल जाती 15 साल की एक लड़की को एक 32 साल के लड़के ने प्रपोज किया. लड़का लक्ष्मी की दोस्त का बड़ा भाई थी. उसे तो लगता था कि दोस्त का भाई मतलब मेरा भी भाई. लक्ष्मी को मनाने की बहुत कोशिश की उसने. उस लड़के ने कहा कि वो लक्ष्मी से शादी करेगा. पर लक्ष्मी को शादी नहीं करनी थी उसे तो अपनी जिंदगी जीनी थी कुछ बनना था. 10 महीने तक वो लड़का लक्ष्मी को परेशान करता रहा. किसी न किसी तरह से लक्ष्मी को चोट पहुंचाने की कोशिश करता. लक्ष्मी ने अपने घर वालों को किसी तरह मना कर एक बुक स्टोर में नौकरी करना शुरू कर दिया था. उसे तो सिंगिंग और डांसिंग का शौख था और वो यही करना चाहती थी.
लक्ष्मी अभी अपने सपनों को साकार करने का रास्ता देख ही रही थी कि उसके सपने तोड़ दिए गए. लक्ष्मी एक दिन अपने काम से निकली और बस स्टैंड पर भीड़ के बीच उस लड़की पर एसिड डाल दिया गया. लोग चारों तरफ घेरा बनाकर खड़े हो गए, लेकिन किसी ने उसकी मदद के बारे में नहीं सोचा. बड़ी मुश्किल से एक आदमी सामने आया और उसके चेहरे पर पानी डाला. पीसीआर को भी फोन किया. जब तक उसके घर वाले उस तक पहुंचे थे तब तक लक्ष्मी पर 20 बाल्टी पानी डाला जा चुका था, लेकिन चेहरा अभी तक जल रहा था. पिता ने गले लगाया तो उनकी शर्ट तक जलने लगी. इतना बुरा था एसिड. 2.5 महीने तक लक्ष्मी अस्पताल में रही, सर्जरी चलती रही और जब वापस आई तो घर वालों को लोगों ने सलाह दी कि लक्ष्मी को इंजेक्शन लगाकर मार डालो वो बोझ बन गई है.
लक्ष्मी ने बहुत हिम्मत कर 10वीं क्लास में पढ़ाई की. 2005 से 2009 तक 4 साल लक्ष्मी ने अपना चेहरा छुपाया. जब अपना चेहरा दिखाया तो दुनिया ने नकार दिया. ब्यूटीशियन का कोर्स करने के बाद भी किसी पार्लर में जॉब नहीं मिली क्योंकि लोगों ने कहा कि लक्ष्मी का चेहरा डरा देगा. यहां तक कि कॉल सेंटर वालों ने भी ये कहा कि कस्टमर डर जाएंगे जब्कि वहां तो फोन पर ही काम करना था.
15 साल की लक्ष्मी ने कैसे एसिड के उस दर्द को झेला होगा ये कल्पना करना भी बहुत मुश्किल है.
लक्ष्मी किसी तरह हिम्मत कर अपने पैरों पर खड़ी हुई. एसिड की खुलेआम बिक्री को रोकने के लिए मुहिम चलाई. #StopSaleAcid की मुहिम चलाई और 27,000 सिग्नेचर लिए. लंबी लड़ाई लड़ी. और तब जाकर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने एसिड बैन किया. लेकिन अभी भी एसिड खुले आम बिक रहा है. लक्ष्मी की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं. वो फेमस हो गईं, उन्हें कई अवॉर्ड शो में बुलाया जाने लगा, उन्हें रैंप वॉक भी करवाई गई, लेकिन ये सिर्फ एक सीमित समय के लिए. जब वो फेमस थीं तो उन्हें पैसे भी मिलने लगे, उनके पास एक प्यार करने वाला इंसान भी था. आलोक दीक्षिक जो खुद एसिड अटैक विक्टिम के लिए काम करते थे उन्हें लक्ष्मी से प्यार हुआ और लक्ष्मी के साथ उनकी एक बेटी भी है, लेकिन वक्त ने फिर करवट ली और लक्ष्मी का प्यार उन्हें छोड़कर चला गया. लक्ष्मी ने एसिड अटैक सर्वाइवर्स को कोई काम नहीं देता लक्ष्मी ने उनके लिए शिरोज कैफे की शुरुआत करवाई और अपने अपने हिसाब से इन्हें रोजगार दिया. लेकिन लक्ष्मी की जिंदगी देखिए इतनी हिम्मती लड़की को अपना खर्च चलाने के लिए भी दर-दर भटकना पड़ा. फिर भी लक्ष्मी ने हार नहीं मानी. उस उम्र में जिसमें लोग अपनी जिंदगी की छोटी बड़ी समस्याओं के लिए परेशान हो जाते हैं लक्ष्मी ने उस उम्र में दुनिया को एक नई सोच दी.
लक्ष्मी की कहानी बेहद मार्मिक है. समाज में एक चेहरा बन भी जाए तो भी उस बिगड़े हुए चेहरे के बारे में लोग सोचते रहते हैं. जिससे प्यार किया वो भी अकेले छोड़कर चला गया. जब नाम और शोहरत मिल रही थी तो लक्ष्मी के पास सब था, लेकिन जब ये गया तो समाज ने फिर एक बार अपना वो चेहरा दिखा दिया जो भयावह है. किस हक से समाज के लोग एसिड अटैक सर्वाइवर्स को ताना देते हैं, किस हक से उन्हें बदसूरत कहते हैं. जिस लड़के ने लक्ष्मी पर एसिड डाला था वो 1 महीने जेल में रहा और उसके बाद उसने शादी कर ली. उसकी जिंदगी आराम से कट रही है, लेकिन उस लड़के के जुर्म की सज़ा लक्ष्मी को मिली. अगर लक्ष्मी ने हिम्मत न दिखाई होती तो वो जिंदगी भर ये सज़ा काटती रहती, लेकिन नहीं. लक्ष्मी ने एक सोच को जन्म दिया. यही सोच जिंदगी बदल भी सकती है और खुद को साबिक करने की काबिलियत भी रखती है.
ये भी पढ़ें-
ऑस्कर पैडमैन को नहीं, पैड-वुमन को ही मिलना था
करण जौहर की गलती पर शाहरुख की सफाई दोस्ती नहीं तो और क्या है?
आपकी राय