Chhorii Movie Review: न डराती है, न हंसाती है, लेकिन सोचने पर मजबूर कर जाती है 'छोरी'
ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर फिल्म 'छोरी' (Chhorii Movie Review in Hindi) स्ट्रीम हो रही है. विशाल भूरिया के निर्देशन में बनी इस फिल्म में नुसरत भरूचा (Nushrratt Bharuccha), मीता वशिष्ठ, राजेश जैस, सौरभ गोयल, पल्लवी अजय और यानीना भारद्वाज अहम भूमिकाओं में हैं.
-
Total Shares
कुछ लोगों को हॉरर फिल्में देखना बहुत पसंद है. ऐसे लोग दहशत में आनंद की अनुभूति करते हैं. यही आनंद उनका मनोरंजन करता है. हिंदी सिनेमा में हॉरर जॉनर की फिल्मों की शुरुआत 'साइलेंट एरा' से ही शुरू हो गई, लेकिन उस वक्त इसे पसंद करने वाले दर्शक की कमी की वजह से इस शैली की फिल्मों को फलने-फूलने का मौका नहीं मिला. उस दौर में हॉरर के नाम पर सिर्फ थ्रिलर फिल्में ही बनती थीं. बीते कुछ समय में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा उपेक्षित समझी जाने वाली हॉरर फिल्मों की स्क्रिप्ट्स को काफ़ी जगह दी जा रही है. कई बड़े सितारे अब हॉरर कॉमेडी जॉनर की फिल्मों में अपना हाथ आज़मा रहे हैं.
ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉट स्टार पर हालही में रिलीज हुई सैफ अली खान, अर्जुन कपूर और यामी गौतम की फिल्म 'भूत पुलिस' से लेकर तापसी पन्नू और विजय सेतुपति की फिल्म 'एनाबेल राठौर' तक कि फिल्में हॉरर जॉनर की हैं. इससे पहले एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा की फिल्म 'परी', अक्षय कुमार की फिल्म 'लक्ष्मी', राजकुमार की फिल्म 'स्त्री', विक्की कौशल की फिल्म 'भूत' और जान्हवी कपूर की फिल्म 'रूही' को भी दर्शकों ने बहुत पसंद किया था. इसी तर्ज पर बनी एक नई फिल्म 'छोरी' अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही है. इसमें नुसरत भरूचा, मीता वशिष्ठ, राजेश जैस, सौरभ गोयल और पल्लवी अजय जैसे कलाकार अहम भूमिकाओं में हैं.
'छोरी' सही मायने में एक्ट्रेस नुसरत भरूचा और डायरेक्टर विशाल भूरिया की फिल्म है.
मराठी फिल्म 'लपाछपी' की हिंदी रीमेक फिल्म 'छोरी' की कहानी विशाल फूरिया और विशाल कपूर ने लिखी है, जिसके निर्माता भूषण कुमार, विक्रम मल्होत्रा, जैक डेविस और शिखा शर्मा हैं, जबकि निर्देशन विशाल भूरिया ने किया है. मराठी मूल फिल्म में जो किरदा अभिनेत्री उषा नायक और पूजा सावंत ने निभाया है, उसे हिंदी रीमेक में में अभिनेत्री नुसरत भरूचा और मीता वशिष्ठ ने निभाया है. इस फिल्म के मराठी वर्जन की बहुत ज्यादा सराहना हुई थी. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर भी अच्छा कारोबार किया था. यही वजह है कि उत्साहित लेखक-निर्देशक विशाल भूरिया ने इसे बड़े स्तर पर, बड़े भाषा वर्ग के लिए बनाने का फैसला लिया, जो 'छोरी' के रूप में सामने हैं.
फिल्म 'छोरी' साल 2017 में रिलीज हुई मराठी फिल्म 'लपाछपी' की हिंदी रीमेक है, ऐसे में जाहिर सी बात है कि कहानी तो वैसी ही होगी, लेकिन पटकथा लेखकों ने इसे हिंदी भाषी दर्शकों के हिसाब से तैयार किया है. फिल्म 'लपाछपी' की कहानी का सार ये है कि इसमें एक गर्भवती महिला एक ऐसे परिवार के बीच फंस जाती है, जिसके अतीत की कहानियां दिल दहला देने वाली हैं. दो भाइयों के संयुक्त परिवार में कुछ ऐसे हादसे होते हैं कि अब उन्हें किसी ऐसी गर्भवती महिला का इंतजार अरसे से है जो उनके घर में आकर तीन रात सकुशल गुजार ले, तो उनके घर का श्राप खत्म हो जाएगा. एक गर्भवती महिला के उनके घर आ जाने के बाद इंतजार पूरा होता है.
इस फिल्म की कहानी शुरू होती है एक एनजीओ वर्कर साक्षी (नुसरत भरुचा) के साथ, जो गर्भवती होती है. उसको बच्चों से बहुत प्यार है. उसका पति हेमंत (सौरभ गोयल) उसे बहुत मानता है. हेमंत अपने बिजनेस के लिए एक दबंग चंदेल से पैसे उधार लेता है, लेकिन व्यापार में घाटा होने पर समय से वापस नहीं कर पाता. इस वजह से चंदेल के गुंडे हेमंत पर जानलेवा हमला कर देते हैं. गर्भवती पत्नी की सुरक्षा के लिए हेमंत अपने ड्राइवर कजला की सलाह पर शहर से 300 किलोमीटर दूर उसके गांव में छिपने के लिए तैयार हो जाता है, जहां तक चंदेल के गुंडे ना पहुंच सकें. ड्राइवर कजला जिस गांव में रहता है, वहां बस 5 घर हैं, जिसमें दो उसके ही हैं.
कजला अपने मालिक हेमंत और साक्षी को लेकर अपने गांव पहुंच जाता है. वहां पहुंचने पर कजला की पत्नी भन्नो देवी हेमंत और साक्षी की जमकर देखभाल करती हैं. उसकी आवभगत से खुश होकर दोनों वहीं कुछ दिन रहने का फैसला करते हैं. इसी बीच हेमंत को पैसों के सिलसिले में शहर वापस लौटना पड़ता है. साक्षी गांव में ही भन्नों के साथ रहती है. उसी दौरान उसे कुछ अजीब सी अनुभूति होती है. उसे तीन बच्चे दिखने लगते हैं, जो दूर-दूर तक गन्ने से घिरे घर खेतों में खेलते रहते हैं और अचानक गायब हो जाते हैं. साक्षी इनके साथ खेलना चाहती है, लेकिन भन्नो देवी हिदायत देती है कि बच्चों से दूर रहे. साक्षी बात नहीं मानती तो वो गुस्सा करती है.
इसी बीच हेमंत शहर से वापस आ जाता है. साक्षी उसे वापस चलने के लिए कहती है. दोनों रात में निकलने वाले ही होते हैं कि कजला हेमंत को डंडे से मारकर बेहोश कर देता है. भन्नो साक्षी के हाथ-पांव बांधकर उसे कैद कर लेती है. इसके बाद भन्नो साक्षी के सामने अपने परिवार के रहस्य का खुलासा करती है, जो बेहद खौफनाक और दकियानूसी परम्पराओं को समेटे हुए है. कजला और भन्नों का घर श्रापित है. इस घर का श्राप तभी मिटेगा, जब कोई गर्भवती लड़की तीन दिनों तक वहां रुके और सही-सलमात रहे. श्राप क्या है? क्या साक्षी और हेमंत सही-सलामत वापस लौट पाते हैं? इन सवालों के जवाब के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.
#IFFI52 invites you for the world premier of the movie #Chhori, a @PrimeVideo production.The movie stars @Nushrratt, and will certainly keep you glued to your seats!Join the screening at Inox Screen-1 (Panji), 7.30PM onwards, Today, i.e., November 25.#IFFI #AmazonPrimeVideo pic.twitter.com/Skvxt1XpKT
— Directorate of Film Festivals, India (@official_dff) November 25, 2021
फिल्मी जॉनर में हॉरर के साथ थ्रिलर या कॉमेडी का तड़का देखने को तो अक्सर मिल जाता है, लेकिन हॉरर फिल्मों में सोशल इशूज को इतनी दमदारी से पेश होते बहुत कम देखा गया है. नुसरत भरूचा की फिल्म 'छोरी' ये काम बखूबी करती है. हालांकि, इसका विषय बहुत पुराना है. दशकों से कई फिल्मों में लैंगिक समानता, स्त्री सशक्तिकरण और भ्रूण हत्या जैसे विषयों पर तमाम फिल्में बनी हैं. 21वीं सदी में महिलाएं अधिकतर जगहों पर पुरूषों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है. ऐसे में इस विषय पर फिल्म बनाकर उसकी सफलता की उम्मीद करना बेमानी है, लेकिन इस फिल्म ने बेहरीन फिल्मांकन, निर्देशन और अभिनय से इसे झूठा साबित कर दिया है.
'औरत ही औरत की सबसे बड़ी दुश्मन है' फिल्म का ये डायलॉग कई बार सुना गया है. लेकिन कहते हैं कि डायलॉग की वैल्यू उसको डिलिवर करने वाले के हिसाब से घटती-बढ़ती है. फिल्म शोल में ही गब्बर सिंह ने तो बस इतना ही पूछा था कि 'कितने आदमी थे'. कहने और सुनने की बात है, वरना ये तो बहुत साधारण सी लाइन है, लेकिन ये डायलॉग इतना मशहूर हुआ कि आज भी लोगों की जुबान पर है. वैसे ही फिल्म छोरी की कहानी का विषय पुराना है, लेकिन उसका ट्रीटमेंट इतना बेहतरीन है कि आप एक पल के लिए नजर नहीं हटा पाते. इसमें नुसरत भरूचा और मीता वशिष्ठ के कमाल के अभिनय को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
करीब दो साल बाद फिल्मों में नजर आने वाली नुसरत भरूचा आखिरी बार फिल्म 'अजीब दास्तां' में नजर आई थीं. उनके अभिनय में उनका संघर्ष दिखता है. वरना 'संतोषी मां' जैसे धार्मिक सीरियल में अभिनय करने वाली नुसरत आज एक नायिका प्रधान फिल्म में काम करेंगी, कोई सोच भी नहीं सकता. लेकिन उन्होंने पहले फिल्म 'सोनू के टीटू की स्वीटी' और बाद में फिल्म 'ड्रीम गर्ल' में अपने दमदार अभिनय से ये साबित कर दिया कि उन पर दांव लगाया जा सकता है. फिल्म छोरी में मेकर्स के भरोसे को उन्होंने अपनी मेहनत की बदौलत बनाए रखा है. भन्नो देवी के किरदार में मीता वशिष्ठ ने भी अपनी अदाकारी गहरी छाप छोड़ी है. कुल मिलाकर, 'छोरी' मनोरंजन के लिहाज से एक रोमांचकारी फिल्म है. इसका विषय पुराना जरूर है. हॉरर भी उतना नहीं है, लेकिन मनोरंजन पूरा होता है.
आपकी राय