Coolie No 1 Review: गोविंदा-करिश्मा 'असली घी' थे तो वरुण धवन-सारा अली खान 'डालडा'
Coolie No 1 Review: नब्बे के दशक की सुपरहिट फिल्मों में शुमार गोविंदा (Govinda) और करिश्मा कपूर (Karishma Kapoor) की फिल्म कुली नंबर वन (Coolie No 1) को दोबारा बनाया गया है. नई फिल्म में वरुण धवन (Varun Dhawan) और सारा अली खान (Sara Ali Khan) हैं जिनकी एक्टिंग से केवल और केवल दर्शकों का समय बर्बाद हुआ है.
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Coolie No 1 Review : सिनेमा के क्रिटिक अपनी जगह हैं. मनोरंजन के नाम पर महीने दो महीने में एक बार टिकट लेकर फ़िल्म देखने वाला आम सा दर्शक भी ये परिभाषित कर देगा कि फिल्में सिर्फ दो तरह की होती हैं एक अच्छी और दूसरी घटिया. इसके बीच में भले ही लाखों तर्क पेश किए जाएं. लेकिन फिल्मों को मापने का पैमाना सिर्फ उसके अच्छे और बुरे होने में है. अब डेविड धवन की 25 साल पुरानी फ़िल्म कुली नंबर 1 को ही देख लीजिए. फ़िल्म में गोविंदा और करिश्मा कपूर थे. अच्छी भली कॉमेडी फ़िल्म थी घर परिवार के साथ देखने वाली लोगों ने भी एन्जॉय किया अब इसे पब्लिक डिमांड कहा जाए या प्रोड्यूसर डायरेक्टर की सनक 25 साल बाद फ़िल्म दोबारा बनी है और ऐसी बनी है कि एहसान तब होता जब इसे बनाया ही न जाता. नई वाली कुली नंबर 1 में वरुण धवन (Varun Dhawan) और सारा अली ख़ान (Sara Ali Khan) हैं जिन्होंने अपनी एक्टिंग के जरिये गोविंदा (Govinda) और करिश्मा कपूर (Karishma Kapoor) बनने की पुरजोर कोशिश की मगर बात वही है ओरिजिनल ओरिजिनल होता है और ओरिजिनल की फर्स्ट कॉपी, फर्स्ट कॉपी. कह सकते हैं कि वरुण को गोविंदा और सारा को करिश्मा बनाने की प्रोड्यूसर डायरेक्टर की कोशिश पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है. भविष्य में जब कभी भी 2020 की इस कुली नंबर 1 को याद किया जाएगा ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि लोग इसे एक घटिया, हद दर्जे की वाहियात और टोटल टाइम वेस्ट फ़िल्म कहेंगे.
नयी वाली कुली नंबर वन में वरुण धवन और सारा अली खान
कुली नंबर वन की कहानी 25 साल पुरानी उसी फ़िल्म से इंस्पायर है. अगर कुछ बदला है तो वो या तो लोकेशन और एक्टर एक्ट्रेस हैं या फिर संगीत. फ़िल्म में स्टेशन है. स्टेशन पर मुसाफिरों का सामान इधर उधर करने वाला कुली राजू है. शादी का एजेंट है. अमीरजादी है, उसका बाप है. राजू की बेइज्जती है. प्यार है. रोमांस है. गाना है डांस है बस अगर कुछ नहीं है तो वो पुरानी वाली फिल्म जैसी बात. 2020 में आई इस कुली नंबर वन में माहौल बनाने की कोशिश तो पूरी हुई लेकिन किसी भी एक्टर के लिए गोविंदा बन गोविंदा जैसी एक्टिंग कर पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.
नई वाली कुली नंबर वन देखते हुए जो सबसे पहला सवाल या ये कहें कि ख्याल दर्शकों के दिमाग में आया वो ये था कि आखिर क्यों डेविड , वरुण से गोविंदा बनने को कह रहे थे? जैसा पोटेंशियल वरुण धवन का है यदि वो अपनी एक्टिंग के दायरे में रहते तो हम इस बात को दावे से कह सकते हैं कि इस फ़िल्म की हालत ऐसी तो हरगिज़ न होती. वहीं बात अगर सारा की हो तो उनके जरिये करिश्मा को दिखाया गया है. अब जिस जिसने करिश्मा का दौर देखा है वो इस बात से सहमत होंगे कि करिश्मा जहां चुलबुली हैं तो गंभीर एक्टिंग में भी उनका किसी से कोई मुकाबला नहीं है.
करिश्मा का डांस या कहें कि करिश्मा जैसा डांस करना आज भी तमाम एक्ट्रेस का सपना है. 2020 की इस कुली नंबर वन में सारा अली ख़ान को डालना अपने आप में किसी चीज को खराब करने की पराकाष्ठा है. जैसा काम फ़िल्म में सारा ने किया है वो एक आई कैंडी से ज्यादा और कुछ नहीं हैं.
सारा और वरुण के अलावा इस नई वाली कुली नंबर वन में होने को तो परेश रावल, जावेद जाफरी और राजपाल यादव भी हैं लेकिन चूंकि सारा और वरुण के रूप में प्रोड्यूसर डायरेक्टर से इतनी गड़बड़ हो चुकी थी कि किसी ने भी इनकी तरफ ध्यान नहीं दिया. या ये कहें कि इनका काम देखने की किसी में हिम्मत न हुई और कुल मिलाकर फ़िल्म एक मीम मटेरियल बन कर राह गयी.
बात एकदम सीधी और साफ है. हम फ़िल्म की बुराई नहीं कर रहे हैं बस हम इतना समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि असली घी असली ही होता है और डालडा को बड़े बुजुर्ग घी की केटेगरी में नहीं रखते. बाकी तो जनता समझदार है उसे पता है पिंक और बेबी पिंक में क्या अंतर है.
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फ़िल्म में कलाकारों की परफॉरमेंस कैसी है ऊपर हम इतना कुछ बता चुके हैं कि अब आगे वरुण या सारा की शान में कसीदे पढ़ने का हमारा मन इसलिए भी नहीं है कि इस फ़िल्म के जरिये 2 घंटे बर्बाद हुए हैं. परफॉरमेंस के बाद अगर हम गीत, संगीत नाच गाने पर आएं तो जैसा म्यूजिक और रीमिक्स का हाल है तकनीक के तड़के से तांबे को गोल्ड कहकर जनता को बेचा जा सकता है और क्यों कि जनता को भी कुछ देखना ही है इसलिए वो इसे देखकर काम चला लेगी.
2020 में कुली नंबर वन दोबारा बनी है और इस गुस्ताखी के लिए न तो हम वरुण से नाराज हैं न ही हम सारा को देखकर गुस्सा हैं. क्रिएटिविटी के नाम पर इस कोरोनाकाल में जो ब्लंडर निर्देशक डेविड धवन की तरफ से किया गया है इंसानियत और भाईचारे से हमारा विश्वास उठ गया है. इस फ़िल्म के जरिये जनता को सबसे बड़ा धोखा डेविड धवन ने दिया है और ये धोखा ऐसा है जिसकी भरपाई जीसस क्राइस्ट सलीब पर चढ़कर भी नहीं कर सकते.
अंत में बस इतना ही कि जिस तरह फैशन के दौर में गारंटी की इच्छा नहीं करते उसी तर्ज पर आप इस फ़िल्म को देखिए. ये फ़िल्म अच्छी बस इस लिहाज से है कि अगर आप थके हों और बावजूद ढेर सारी थकान के आपको नींद न आ रही हो तो इस फ़िल्म को देखकर सोया जा सकता है. बात बाकी ये है कि कोई भी चीज देखना या न देखना जनता का निजी फैसला है तो अब जब आप इस फ़िल्म को देखने का प्लान कर रहे हैं तो फैसला थोड़ा सोच समझकर कीजिये.
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