Dear Ishq Web series Review: नफरत से भरी इस प्रेम कहानी को देखना समय की बर्बादी है
Dear Ishq Web series Review in Hindi: ओटीटी प्लेटफॉर्म सोनी लिव पर रोमांटिक ड्रामा वेब सीरीज 'डियर इश्क' स्ट्रीम की जा रही है. नियति फटनानी, सहबान आजमी और किश्वर मर्चेंट स्टारर इस वेब सीरीज की स्थिति टीवी के किसी डेली सोप से भी खराब है. बासी कहानी, ओवरएक्टिंग और गैर जरूरी संवाद निराश करते हैं.
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सिनेमा 'प्यार' की पहली 'पाठशाला' है. यहां इश्क, रोमांस, जोश, जुनून और जज्बात का पाठ बखूबी पढ़ाया, दिखाया, समझाया और सिखाया जाता है. मोहब्बत और नफरत तो 'आदिम' हैं. सृष्टि के उद्भव से इंसान के अंदर हैं. लेकिन प्यार के साकार रूप का दर्शन सिनेमा के जरिए होता है. प्यार, मोहब्बत और रोमांस सिनेमा का पसंदीदा विषय रहा है. अधिकतर हिंदी फिल्मों में हीरो और हीरोइन के बीच प्यार और रोमांस को दिखाया जाता रहा है. रिश्तों के ताने-बाने में उलझी जिंदगी का असली अनुभव फिल्मों से बेहतर और कहां मिल सकता है. तभी तो इंसान महज कुछ घंटों की फिल्म में रूपहले पर्दे पर दिखाए जा रहे जीवन को आत्मसात करके उसे जीने लगता है. किसी न किसी कलाकार में अपनी छवि दिखने लगता है. अपनी भावनाओं को जोड़ लेता है. फिल्मों की तरह ओटीटी के विस्तार के साथ वेब सीरीज में भी रोमांस को खूब दिखाया गया है.
नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो, जी5, एमएक्स प्लेयर, अल्टबालाजी और सोनी लिव जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर बड़ी संख्या में रोमांटिक ड्रामा वेब सीरीज को स्ट्रीम किया जा रहा है. इन सीरीज में रची बसी मोहब्बत की भीनी खुशबू दिल खुश कर देती है. किसी में मोहब्बत और म्यूजिक के बीच इश्क की एक अलहदा प्रेम कहानी देखने को मिलती है, तो किसी में एक ऐसे प्रेमी जोड़े की दास्तान दिखाई जाती है, जो एक-दूसरे से नफरत करते हैं, लेकिन नफरत के बीच मोहब्बत कब पैदा हो जाती है, ये उन्हें भी पता नहीं चलता है. इसी तरह की एक वेब सीरीज 'डियर इश्क' ओटीटी प्लेटफॉर्म सोनी लिव पर स्ट्रीम की जा रही है. नियति फटनानी, सहबान आजमी, पुनीत तेजवानी और किश्वर मर्चेंट स्टारर इस वेब सीरीज की स्थिति टीवी के किसी डेली सोप से भी खराब है. बासी कहानी और ओवरएक्टिंग के बीच गैर जरूरी सीन और संवाद निराश करते हैं.
रोमांटिक ड्रामा वेब सीरीज 'डियर इश्क' ओटीटी प्लेटफॉर्म सोनी लिव पर स्ट्रीम की जा रही है.
वेब सीरीज 'डियर इश्क' की कहानी रविंदर सिंह की किताब 'राइट मी अ लव स्टोरी' पर आधारित है. इसमें दो ऐसे लोगों की प्रेम कहानी दिखाई गई है, जो कि पहले एक-दूसरे को नापसंद करते हैं. उनकी पहली ही मुलाकात किसी बुरे सपने की तरह होती है, जो लंबे समय तक उनका पीछा करती है. इसमें इगो और एटीट्यूड दोनों हैं. इसके बावजूद दोनों के बीच प्रेम पनपता है. फिल्म की कहानी के केंद्र में नियति फटनानी की किरदार अस्मिता रॉय और सहबान आजमी का किरदार अभिमन्यु राजदान है. अभिमन्यु को 'द सुपरस्टार राइटर' का तमगा मिला हुआ है. उसकी लिखी हुई प्रेम कहानियों के लोग दीवाने हैं. उसके रोमांटिक नॉवेल की लाखों प्रतियां बिकती हैं. इसलिए उसे सेलिब्रिटी राइटर कहा जाता है. जैसे कि आज के समय में चेतन भगत और अमीश त्रिपाठी हैं. एक नामी लेकिन डूबते पब्लिशिंग हाउस पेपरइंक पब्लिकेशन को एक सहारे की जरूरत है.
ऐसा सहारा जो उनकी डूबती हुई नाव को पार लगा सके. इसलिए पेपरइंक पब्लिकेशन के फाउंडर माया कोस्टा (किश्वर मर्चेंट) और पीटर कोस्टा (पुनीत तेजवानी) चाहते हैं कि अभिमन्यु राजदान उनके लिए काम करे. उसकी किताबें उनके पब्लिकेशन हाऊस से पब्लिश हो सके. इसके लिए वो राजदान को मीटिंग के लिए अपने ऑफिस बुलाते हैं. उसके लिए बहुत खास तरीके से तैयारियां की जाती हैं. राजदान से बातचीत के लिए फिक्शन एडिटर शालिनी को बुलाया जाता है, लेकिन उसके पैर में फ्रैक्चर होने की वजह से वो अपनी जगह लिटरेचर एडिटर अस्मिता रॉय (नियति फटनानी) को भेजती है. अस्मिता और अभिमन्यु पब्लिकेशन हाऊस के पार्किंग में मिलते हैं. दोनों एक-दूसरे को पहचनाते नहीं है. इस वजह से पार्किंग को लेकर दोनों में खूब झगड़ा होता है. इसके बाद दोनों की मुलाकात पब्लिकेशन हाऊस के अंदर होती है, तो दोनों हैरान रह जाते हैं.
अभिमन्यु राजदान भले ही एक सेलिब्रिटी राइटर है, लेकिन उसके अंदर इगो कूट कूट कर भरा होता है. यहां तक कि वो पैसों के लिए पब्लिकेशन हाऊस को ब्लैकमेल भी करता है. उनके परेशान करता है. यही वजह है कि अस्मिता को वहां देखकर वो उसे सबक सिखाने की ठानता है. कॉन्ट्रैक्ट साइन करने से पहले पब्लिशिंग हाउस की मालिक माया (किश्वर मर्चेंट) के सामने एक शर्त रखता है. इसके तहत अभिमन्यु की किताब को अस्मिता को एडिट करने की बात कही जाती है. अस्मिता परेशान हो जाती है, क्योंकि वो तो लिटरेचर एडिटर है, उसे साहित्य में रुचि है. ऐसे में वो फिक्शन एडिट करने में असमर्थता जाहिर करती है. लेकिन माया उस पर दबाव बनाने लगती है. इसके बाद अस्मिता अभिमन्यु से मिलकर माफी मांगने की कोशिश करती है. लेकिन उसका ईगो है कि शांत होता ही नहीं. इस सीरीज की परिणति जानने के लिए इसे देखना होगा.
निर्देशक आतिफ खान के निर्देशन में बनी इस सीरीज की कहानी मनोज त्रिपाठी ने लिखी है. इसमें अभिमन्यु राजदान के किरदार में सहबान अजीम, अस्मिता रॉय के किरदार में नियति फतनानी, माया कोस्टा के किरदार में किश्वर मर्चेंट, पीटर कोस्टा के किरदार में पुनीत तेजवानी, रिजवान खान के किरदार में कुणाल वर्मा, शौविक सेन के किरदार में बनीत कपूर, शालिनी वत्स के किरदार में तान्या निशा शर्मा और रमन राजदान के किरदार में संजीव सेठ मौजूद हैं. सहबान अजीम को ज्यादातर टेलीविजन शो में अभिनय करते हुए देखा गया है. 2009 में 'दिल मिल गए' सीरियल से डेब्यू करने वाले सहबान ये है 'आशिकी', 'सिलसिला प्यार का', 'उड़ान' और 'तूझ से है राब्ता' जैसे सीरियल में नजर आ चुके हैं. इस सीरीज में भी वो सीरियल वाली एक्टिंग करते हुए नजर आ रहे हैं. केवल वही नहीं सीरीज की सारी स्टारकास्ट की एक्टिंग डेली सोप जैसी लग रही है.
सही मायने में कहा जाए तो किरदारों के अनुरूप कलाकारों का चयन नहीं हुआ है. निर्देशन भी बहुत खराब है. कई जगह बेवजह के संवाद और सीन दिखाए गए हैं. कुछ बातें ऐसी दिखाई गई हैं, जो कि हमज होने का नाम ही नहीं लेती हैं. जैसे कि पेपरइंक पब्लिशिंग हाऊस में अभिमन्यु राजदान जैसे लेखक के स्वागत की तैयारी हो रही है. उनके मनपसंद खाने की चीजें मंगाई गई हैं. तैयारी के लिए अलग-अलग टीम की अलग जिम्मेदारी दी गई है. लेकिन लेखक के आने के बाद कॉन्फ्रेंस रूप में उनके खाने के लिए केवल एक तरह का बिस्कुट नजर आता है, जिसकी एक बाइट खाने के बाद वो रख देता है. सवाल ये उठता है कि बाकी चीजें जैसे कि केक और स्नैक्स कौन खा गया.
यहां एक चीज और दिखाई जाती है कि राजदान कॉफी की मांग करता है. फिर अचानक खुद उठकर काफी बनाने चला जाता है. इतने सम्मानित लेखक के साथ कोई नहीं जाता. बेचारा अकेले जाकर कॉफी बनाता है. एक सेलिब्रिटी जिसके आने पर लोग पलट-पलट कर देखते हैं. उसके साथ सेल्फी लेते हैं, उसकी हालत बाद में ऐसे दिखाई जाती है. इस सीरीज में कई चीजें बे सिर पैर की दिखाई गई है. इतना ही नहीं सीरीज एक टिपिकल एपीसोडिक टीवी ड्रामा शो है जो प्रेम और उम्मीद से भरा होने का दावा करता है, लेकिन इसमें केवल और केवल नफरत ही दिखाई देती है. कई जगह रिपीट शॉट बेहद गैर जरुरी और बोरिंग लगते हैं. प्लॉट और पात्रों का वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं लगता, बल्कि फैब्रिकेटेड लगते हैं. म्युजिक और बैकग्राउंड स्कोर भी खास नहीं है. कुल मिलाकर, 'डियर इश्क' एक नीचले दर्जे की वेब सीरीज है. इसे देखना समय की बर्बादी है.
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