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Updated: 23 दिसम्बर, 2021 07:47 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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पति-पत्नी का रिश्ता हर रिश्तों में सबसे अलग होता है. इसमें भरपूर प्यार भी होता है और कभी-कभी तकरार भी होता है. माना जाता है कि इस रिश्ते सहजता इतनी अधिक होती है कि पति-पत्नी एक-दूसरे की भावनाएं बिना कहे समझ लेते हैं. यही वजह है कि समय के साथ ये रिश्ता मजबूत होता चला जाता है. लेकिन कई बार कुछ कपल्स के बीच प्यार कम तनाव ज्यादा होता है. उनके बीच बातचीत कम झगड़े ज्यादा होते हैं. यदि समय रहते इस स्थिति को संभाला न जाए तो ऐसे रिश्ते टूटने की कगार पर भी पहुंच जाते हैं. पति-पत्नी के बीच तलाक की नौबत तक आ जाती है. पति-पत्नी के रिश्ते की इसी पहेली पर नेटफ्लिक्स की नई वेब सीरीज 'डीकपल्ड' की कहानी आधारित है. इसमें जाने-माने अभिनेता आर माधवन और 'हेट स्टोरी' फेम एक्ट्रेस सुरवीन चावला लीड रोल में हैं.

हार्दिक मेहता के निर्देशन में बनी वेब सीरीज 'डीकपल्ड' में माधवन और सुरवीन के साथ अरिस्ता मेहता, असीम हट्टंगणी, अतुल कुमार, सोनिया राठी, आकाश खुराना और मुकेश भट्ट जैसे कलाकार अहम भूमिकाओं में हैं. सीरीज की कहानी इसके क्रिएटर मनु जोसफ और दिनेश ठाकुर ने लिखी है. मनु जोसफ ने इससे पहले रणदीप हुडा की फिल्म 'लव खिचड़ी' और नवाजुद्दीन सिद्दकी की फिल्म 'सीरियस मैन' की बेहतरीन कहानी लिखी थी. इस बार दिनेश ठाकुर के साथ मिलकर उन्होंने पति-पत्नी के जटिल रिश्ते की कहानी को बहुत सहजता और सरलता के साथ दर्शकों के सामने पेश किया है. इसमें निर्देशक हार्दिक मेहता ने भी बहुत मजबूती से उनका साथा दिया. लेकिन मेकर्स से एक चूक हो गई है, वो भी हिंदी के दर्शकों के लिहाज से, क्योंकि सीरीज में डबिंग बहुत ही खराब हुई है.

decoupled_122321052414.jpgवेब सीरीज 'डीकपल्ड' अभिनेता आर माधवन और अभिनेत्री सुरवीन चावला ने कमाल का काम किया है. यदि आपने कभी यूपीएससी (आईएएस और आईपीएस) की परीक्षा हिंदी माध्यम से दी होगी, तो आप इस वेब सीरीज की डबिंग वाली समस्या को आसानी से समझ कते हैं. इस परीक्षा में हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए हिंदी का ऐसा अनुवाद दिया गया होता है, जिसे समझने के लिए प्रतियोगियों को अंग्रेजी का सहारा लेना पड़ता है. ऐसे अनुवाद क्या फायदा? वैसे ही ऐसी हिंदी डबिंग का क्या फायदा? जो दर्शकों को समझ में ही न आए. ऐसा लगे कि सामने कोई डाक्यूमेंट्री चल रही है, जिसमें सीन और डायलॉग अलग-अलग चल रहे हैं. वेब सीरीज 'डीकपल्ड' अपनी कहानी, पटकथा, निर्देशन और अभिनय हर पैमाने पर खरी उतरती है, लेकिन यहीं मात खा जाती है. जैसे कि खाना चाहें जितना ही स्वादिष्ट बना हो, यदि खाने वाले को सही से परोसा न जाए, तो उसे उसका स्वाद कैसे पता चलेगा.

Decoupled Web Series की कहानी

वेब सीरीज 'डीकपल्ड' की कहानी तलाक के कगार पर पहुंच गए दिल्ली के एक कपल पर आधारित है. इसमें हास्य और व्यंग्य के बीच पति-पत्नी के रिश्ते की गंभीरता पर गंभीर चर्चा की गई है. आर्या अय्यर (माधवन), उसकी पत्नी श्रुति (सुरवीन चावला) अपनी 13 साल की बेटी के साथ दिल्ली में रहते हैं. आर्या लेखक चेतन भगत के बाद भारत में नंबर 2 बेस्ट सेलर राइटर है, जबकि सुरविन एक वेंचर कैपिटलिस्ट है. दोनों साथ रहते हुए भी एक-दूसरे बहुत दूर हैं. उनका रिश्ता टूटने के कगार पर है. केवल अपनी बच्ची की वजह से दोनों एक छत के नीचे रहते हैं. सुरवीन आर्या की हरकतों और आदतों से तंग आ चुकी है. हर बात में कमियां निकालना, हर चीज को आलोचनात्मक नजरिए से देखना, बिना किसी की परवाह किए हर मामले में अपनी राय रखना, लोगों से बहस करना, आर्या की आदत बन चुकी है.

एक बार आर्या और सुरविन अपने रिश्तों को सुधारने की कोशिश में डिनर डेट पर जाते हैं. वहां पर एक लड़का अपनी गर्लफ्रेंड को शादी के लिए प्रपोज करने की प्लानिंग के साथ आया है. उसने अपने परिजनों के साथ पूरी तैयारी कर रखी है. बैंडबाजे से लेकर कैमरामैन तक को इस सरप्राइज मोमेंट की खातिर बुलाया है. वो लड़का जैसे ही अपनी गर्लफ्रेंड को प्रपोज करने वाला होता है, आर्या बीच में आ जाता है. तैयारियों को फिजुल खर्ची बताकर उस कपल का विरोध करता है. इस वजह से उसकी पत्नी के सामने ही जमकर पिटाई हो जाती है. इधर, उसका एक वीडियो भी वायरल हो जाता है, जिसमें वो एयरपोर्ट पर एक सिक्योरिटी वाले लड़ता हुआ दिखाई देता है. इन घटनाओं से सुरवीन और ज्यादा तंग आ हो जाती है. उसको लगता है कि वो अब आर्या के साथ जीवन नहीं बिता सकती. इसलिए तलाक का फैसला कर लेती है. इसके बाद कई ट्विस्ट एंड टर्न आते हैं. कई घटनाएं होती है. लेकिन अंत में क्या दोनों का तलाक होता है? ये जानने के लिए वेब सीरीज देखनी होगी.

Decoupled Web Series की समीक्षा

भारतीय बाजार में अपनी जबरदस्त पकड़ बनाने के लिए अमेरिकी ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स खूब कोशिश कर रहा है. इसके लिए कंटेंट से लेकर मार्केटिंग तक पर उसका जोर है. हालही में कंपनी ने सब्सक्रिप्शन फीस भी 500 से कम करके 200 प्रति महीने किया है. लेकिन इन तमाम प्रयासों के बावजूद अमेजन प्राइम वीडियो और डिज्जनी प्लस हॉटस्टार जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म भारत में उससे लगातार आगे निकल रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है भारतीय दर्शकों के हिसाब से कंटेंट का चुनाव, सिनेमा का निर्माण और प्रस्तुतिकरण. इस मामले में नेटफ्लिक्स से लगातार चूक हो रही है. अंग्रेजी में सोच रखते हुए आप हिंदी का सिनेमा नहीं बना सकते, ये बात कंपनी को समझनी होगी. जैसा कि वेब सीरीज 'डीकपल्ड' के साथ हुआ है. अंग्रेजी में बनी इस वेब सीरीज का हिंदी संस्करण बहुत ही बेकार लग रहा है.

यदि निर्देशन की बात करें तो हार्दिक मेहता ने बेहतर काम किया है. इससे पहले उन्होंने फिल्म रूही और कामयाब का निर्देशन किया था. इस बार भी उनकी मेहनत सफल दिखाई पड़ती है. शीतल दुग्गल का प्रोडक्शन डिजाइन शो के लुक में चार चांद लगाता है, जिसे पीयूष पीटी की सिनेमैटोग्राफी निखार देती है. वेब सीरीज को गुरुग्राम, दिल्ली, मुंबई और गोवा में कई खूबसूरत लोकेशन पर शूट किया गया है. रचिता अरोड़ा का बैकग्राउंड स्कोर कहानी के अनुसार फिट बैठा है. यदि परीक्षित झा ने एडिटिंग के दौरान अपनी कैंची तेज चलाई होती, तो इसे अधिक शार्प और कसा हुआ बनाया जा सकता था. कमाल के अभिनय के साथ आर माधवन और सुरवीन चावला के बीच की परफेक्ट केमेस्ट्री दिखाई पड़ती है. एक-दूसरे को नापंसद करने वाले पति-पत्नी के रोल में भी दोनों खूबसूरत लगे हैं. उन्हें एक साथ देखकर अच्छा लगा है.

माधवन ने एक लेखक की भूमिका में अद्भुत काम किया है, जो अपने मन की बात कहने में कोई कसर नहीं छोड़ता है. उनका किरदार आर्या बहुत ही सहज और सरल है, जो माधवन का नेचर भी है. इसके साथ ही वेब सीरीज में मयंक के किरदार में असीम हट्टंगणी, गणेश के किरदार में मुकेश भट्ट, ससुर सुरिंदर शर्मा के किरदार में आकाश खुराना और माशा के रोल में सोनिया राठी ने भी बेहतरीन काम किया है. माधवन के किरदार आर्या की एक्स गर्लफ्रेंड की भूमिका में दिखाई दे रही सोनिया राठी को इससे पहले 'ब्रोकन बट ब्यूटीफुल 3' जैसी बोल्ड वेब सीरीज में देखा गया था. मशहूर लेखक चेतन भगत खुद की भूमिका में हैं. वो जब माधवन के सामने आते हैं, उनसे कमतर कभी दिखाई नहीं देते.

कुल मिलाकर, वेब सीरीज 'डीकपल्ड' अच्छी वेब सीरीज है, लेकिन इसे देखने में अंग्रेजी भाषी दर्शकों को ज्यादा आनंद आएगा. खाटी हिंदी पट्टी के दर्शक इसे देखकर बोर हो जाएंगे, क्योंकि विजुअल के साथ डायलॉग का तालमेल कहीं नहीं दिखता है.

iChowk.in रेटिंग: 5 में से 2.5 स्टार

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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