AR Rahman के साथ बॉलीवुड भेदभाव कर सकता है तो सुशांत क्या चीज हैं
सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की आखिरी फ़िल्म दिल बेचारा (Dil Bechara) के म्यूजिक कंपोजर एआर रहमान (AR Rahman) ने कहा है कि बॉलीवुड गैंग (Bollywood Gang) के कारण उन्हें हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में काम नहीं मिल रहा है. एआर रहमान के इस खुलासे से लोग सोचने पर मजबूर हो गए हैं.
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बॉलीवुड में आउटसाइडर्स के साथ भेदभाव की इतनी खबरें अब सामने आने लगी हैं और ऐसे-ऐसे स्टार बॉलीवुड की काली सच्चाई को उजागर करने लगे हैं कि अब लोगों को इसपर ध्यान देने की जरूरत महसूस होने लगी है. अब लोगों की लगने लगा है कि फिल्म इंडस्ट्री की कड़वी हकीकत को सुनने का समय आ गया है. बीते महीने सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी के बाद हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री जिस तरह बंट गई और नेपोटिज्म के साथ ही आउटसाइडर-इनसाइडर की बहस शुरू हुई, उसमें बड़े-बड़े डायरेक्टर्स और एक्टर्स ने कई अहम बातें कहीं और खुद के अनुभव दुनिया के सामने रखे. इसी कड़ी में भारत से सबसे चहेते म्यूजिक डायरेक्टर और संगीत के क्षेत्र में दुनिया के सभी प्रतिष्ठित अवॉर्ड जीत चुके म्यूजिक मेस्ट्रो एआर रहमान ने भी चौंकाने वाले खुलासे किए हैं.
सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म दिल बेचारा में म्यूजिक देने वाले एआर रहमान ने कहा है कि बॉलीवुड गैंग मेरे खिलाफ काम कर रहा है और इस वजह से मुझे अब हिंदी फ़िल्मों में म्यूजिक देने के अवसर नहीं मिल रहे. एआर रहमान जैसी शख्सियत के मुंह से ऐसी बात सुनने के बाद वाकई यकीन हो चला है कि हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री कुछ बड़े माफियाओं के चंगुल में है, जो अपने अनुसार सभी चीजें चलाना चाहते हैं कि कौन किस फ़िल्म में काम करेगा और किसे मौका देना चाहिए या नहीं देना चाहिए. एआर रहमान बीते कुछ वर्षों के दौरान इक्के-दुक्के हिंदी फ़िल्म में दिखे हैं.
बॉलीवुड गैंग के कारण मुझे काम नहीं मिल रहा: एआर रहमान
एआर रहमान ने अपनी फिल्म दिल बेचारा के डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा का हवाला देते हुए कहा कि जब मुकेश मेरे पास आए तो उन्होंने कहा कि सर मुझे कई लोगों ने कहा कि तुम एआर रहमान के पास मत जाओ, तुम किसी और म्यूजिक डायरेक्टर से काम करवा लो. रहमान ने कहा कि मैं पहले भी जानता था कि फिल्म इंडस्ट्री में इस तरह की बातें होती हैं, लेकिन जब ऐसा मेरे साथ हुआ तो लगा कि मुझे जाने बिना हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में ऐसी बातें हो रही हैं और बॉलीवुड गैंग की वजह से मुझे मौके नहीं मिल रहे हैं. यहां एक बात पर एआर रहमान ने विशेष रूप से जोर दिया कि मैं लोगों से बोलता हूं कि आप मेरे पास अच्छी फिल्म लेकर आइए तो मैं आपके साथ जरूर काम करूंगा और मुकेश छाबड़ा जब मेरे पास फ़िल्म लेकर आए तो मैंने 2 दिन के अंदर 4 गाने तैयार करके उन्हें दे दिए. इसलिए ऐसी बातें फैलाना कि मैं लोगों को आसानी से ना बोल देता हूं और काम करने से इनकार कर देता हूं, ये सही नहीं है. एआर रहमान ने साफ-साफ कहा कि आजकल मुझे हिंदी फिल्मों के ऑफर बेहद कम आ रहे हैं.
भारत का दुनिया में नाम रोशन करने वाले रहमान के साथ भी आउटसाइडर जैसा बर्ताव
बीते 30 वर्षों से हिंदी और तमिल फ़िल्म इंडस्ट्री में सक्रिय एआर रहमान फिल्म इंडस्ट्री के सबसे उम्दा और चहेते म्यूजिक डायरेक्टर हैं, जिन्होंने 6 बार नैशनल अवॉर्ड, 2 ऑस्कर अवॉर्ड, 2 Grammy अवॉर्ड, एक BAFTA अवॉर्ड, एक गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड, 15 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड और 7 बार साउथ फिल्मफेयर अवॉर्ड जीते हैं. इतने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीतने की लोग ख्वाहिश भी नहीं पाल पाते, जितने 53 वर्षीय एआर रहमान अब तक जीत चुके हैं. संगीत के जिस उस्ताद ने हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री को रोजा, रंगीला, दिल से, ताल, अर्थ, पुकार, लगान, साथिया, स्वदेश, रंग दे बसंती, गुरु, जोधा अकबर, स्लमडॉग मिलियनेयर, दिल्ली-6, रॉकस्टार, जब तक है जान, तमाशा, रांझना, हाइवे, दिल बेचारा जैसी फ़िल्मों से सैकड़ों कर्णप्रिय गाने दिए, आज उसी एआर रहमान को हिंदी फ़िल्में नहीं मिल रही है. रहमान ने ठीक ही कहा कि लोग उनके गाने सुनने के लिए इंतजार करते हैं, लेकिन आज हालात ये हैं कि उन्हें बॉलीवुड गैंग के कारण फ़िल्में नहीं मिल रही है. आज एआर रहमान के साथ आउटसाइडर्स जैसा व्यवहार किया जा रहा है. सोनू निगम ने बीते दिनों म्यूजिक इंडस्ट्री के माफियाओं का जिक्र किया था, आज उनकी बातें सच साबित हो रही हैं.
तापसी और जैकलीन ने सुनाई अपने संघर्ष की कहानी
एआर रहमान ही नहीं, हाल के दिनों में कई स्टार्स ने फिल्मों के ऑफर छिन जाने की जिक्र किया है. हाल ही में तापसी पन्नू ने कहा कि पति, पत्नी और वो फिल्म पहले मैं करने वाली थीं, लेकिन बाद में मुझे किसी और एक्ट्रेस ने रिप्लेस कर दिया. कंगना रनौत ने पिछले 2 महीने से नेपोटिज्म और बॉलीवुड माफियाओं के खिलाफ हल्ला बोल रखा है. यहीं नहीं, पिछले 10 साल से फ़िल्म इंडस्ट्री में सक्रिय जैकलीन फर्नांडिज से बॉलीवुड को एक खूबसूरत धोखा करार दिया है. उन्होंने इंडिया टूडे के एक कार्यक्रम में कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज्म भी है और फेवरेटिज्म भी है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि मैं नेपोटिज्म के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन अगर कोई बिना टैलेंट के किसी को फ़िल्म दिला रहा है और उससे टैलेंटेड लोगों के मौके छिन रहे हैं तो यह गलत है.
सोनू सूद ने नेपोटिज्म पर पते की बात कही है
सोनू सूद ने भी फ़िल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज्म और आउटसाइडर्स के साथ भेदभाव के मुद्दे पर बोला है. उन्होंने कहा कि फ़िल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज्म है और इसका फायदा स्टार किड्स को मिलता है, लेकिन किसी आउटसाइर के पास हिम्मत, जज्बा और टैलेंट है तो फ़िल्म इंडस्ट्री उसे रोक नहीं पाएगी. सोनू सूद ने कहा कि एक आउटसाइडर फ़िल्म इंडस्ट्री में हमेशा आउटसाइडर ही रहता है और उसे स्टार किड्स की अपेक्षा हमेशा कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. उन्होंने खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि जब मैं मुंबई आया तो 8-10 महीने में समझ आ गया कि यह संघर्ष लंबा खिंचेगा और मैं मेहनत करता गया. सोनू सूद ने फ़िल्म इंडस्ट्री में किस्मत आजमाने की ख्वाहिश रखने वाले आउटसाइडर्स को संदेश देते हुए कहा कि अगर हिम्मत और धैर्य हो तभी मुंबई आओ, क्योंकि यहां कोई चमत्कार नहीं होता कि आपको आते ही मौके मिल जाएंगे और आप स्टार बन जाएंगे.
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