दिलीप साहब तो दिल में रहेंगे, आइये सायरा की मोहब्बत पर बात करें...
जब जब दिलीप कुमार का जिक्र होगा तब तब सायरा बनो को याद किया जाएगा. हां उस बेपनाह मोहब्बत को महसूस करने वाला, खुशनसीब शख़्स चला गया. सायरा के दिल पर जिसका राज था, वो राजकुमार चला गया. इश्क़ में सराबोर एक सपने ने आज आखिरी सांस ले, आंखें मूंद ली हैं. विदा, दिलीप साब! आप तक हमारी मोहब्बत पहुंचे.
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दिलीप साब नहीं रहे! लाखों दिलों पर राज करने वाला एक महान अभिनेता चला गया. देश भर की आंखें आज नम हैं. इस वक़्त जबकि उनसे जुड़ी यादों का कारवां सबकी आंखों में तैर रहा होगा. ऐसे में सायरा बानो का ख्याल मुझे बेचैन कर रहा है. उस सायरा के दिल पर क्या बीत रही होगी जिसकी मोहब्बत आज उससे जुदा हो गई. 'उड़ें जब-जब जुल्फें तेरी...' को देख न जाने कितनी कुंवारियों के दिल मचले होंगे. लेकिन उनमें वो शिद्दत न थी जो सायरा के मन में थी. वो चाहत न थी जिसमें प्रेमिका, अपने प्रेमी को पूजने लगती है. वो दीवानगी न थी जहां महबूब के सिवाय और कुछ सूझता ही नहीं.
कहते हैं किशोरी सायरा शुरू से ही दिलीप कुमार की दीवानी थीं. उनकी फ़िल्में देख सायरा का दिल भी वैसे ही धड़कता था जैसे किसी भी प्रशंसक का अपने प्रिय कलाकार के लिए धड़कता है. लेकिन सायरा ने तो जैसे ये जीवन ही उनके नाम लिख दिया था. क़िस्मत की मेहरबानी समझिए या उस लड़की की खुशनसीबी कि एक दिन उसे, उसके इस महबूब का दीदार भी हो गया. उसने भी उसी दुनिया में अपना घर बना लिया, जहां उसकी मोहब्बत वर्षों से राज कर रही थी.
दिलीप कुमार और सायरा बनो की जोड़ी की खासियत ही यही थी कि जैसे दोनों एक दूसरे के लिए बने हैं
मैं सोचती हूं उन पलों को, जब इस लड़की ने दिल में पल रही मोहब्बत को अपनी आंखों के सामने पहली बार देखा होगा. दिल में बसी एक तस्वीर को हाड़ मांस के बने इंसान के रूप में जीवंत होते देख वो न जाने कितनी बार लजाई होंगी. गुलाबी गाल लिए उस चेहरे ने शर्म से पलकें भी झुका ली होंगी.
वो पल भी कितना सुंदर होगा, जब एक दीवानी को पता चला होगा कि आज वो अपने सपनों के राजकुमार की महबूबा बन उसके साथ मोहब्बत के मीठे नगमे गुनगुनाएगी. उस रात उसे नींद ही न आई होगी, जब पहली बार दिलीप साब ने उसका हाथ थामा होगा. यक़ीनन वो सिहरन और धड़कनों में बढ़ती रवानी,जो उसने उन पलों में महसूस की, वो किसी पटकथा का हिस्सा नहीं थी. चेहरे का वो दमकता नूर किसी मेकअप का मोहताज़ नहीं रहा होगा. ये लड़की प्रेमिका का अभिनय कहां कर रही थी, जो कुछ भी हो रहा था वो तो उसका ताबीर-ए-ख़्वाब था.
सपनों के सच होने के मायने क्या होते हैं, इसे सायरा ही समझती हैं. सायरा ने जो प्यार किया वो अपने महबूब की आखिरी सांस तक निभाया. सदा उसका हाथ थामे रहीं, वो कहीं भी गए सायरा की प्यार भरी नज़र की छत्रछाया साथ बनी रही. मोहब्बत कैसे की जाती है, ये बताने वाले तो बहुत मिल जाएंगे. लेकिन मोहब्ब्त कैसे जी जाती है, ये दिलीप की दीवानी, इस लड़की से पूछो.
सायरा ने उस समय भी दिलीप कुमार पर भरोसा किया, जब उनके प्यार को ठेस लगी थी. कहते हैं 1981 में दिलीप कुमार ने हैदराबाद की आसमां रहमान से गुपचुप शादी कर ली थी. जब इस बात का खुलासा हुआ तो बवाल मचा. दो साल में ही दिलीप कुमार ने उस शादी से किनारा कर लिया. सायरा ने एक इंटरव्यू में इतना ही कहा कि दिलीप साहब ने उस बारे में कुरान की कसम देकर मुझे भरोसा दिलाया है. और मुझे उनकी बात पर भरोसा है. दिलीप साहब ने भी अपनी आत्मकथा में आसमां से रिश्ते को अपनी 'बड़ी भूल' कहा है.
ये सायरा की मोहब्बत ही है, जिसके चुंबक ने उसके मेहबूब को दूर नहीं जाने दिया. कहते हैं, ये उनका सदक़ा भी करती थीं कि किसी की नज़र न लगे. विज्ञान कुछ भी कहे पर इस अहसास की खूबसूरती से मुक़ाबला नहीं कर सकता! दिल कह रहा है कि सायरा की मोहब्बत चली गई. फिर सोचती हूं तो लगता है कि मोहब्बत तो अजर अमर है. वो कहीं नहीं जाती!
हां उस बेपनाह मोहब्बत को महसूस करने वाला, खुशनसीब शख़्स चला गया. सायरा के दिल पर जिसका राज था, वो राजकुमार चला गया. इश्क़ में सराबोर एक सपने ने आज आखिरी सांस ले, आंखें मूंद ली हैं.
विदा, दिलीप साब! आप तक हमारी मोहब्बत पहुंचे.
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