26 Years Of DDLJ: 5 दिलचस्प बातें, जो फिल्म की कहानी से भी ज्यादा रोचक हैं!
फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' (Dilwale Dulhania Le Jayenge) 21 अक्टूबर 1995 को रिलीज हुई थी. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कई सारे रिकॉर्ड तोड़े थे. मुंबई के मराठा मंदिर में ये फिल्म आज भी दिखाई जाती है. इस फिल्म ने प्यार की एक नई परिभाषा गढ़ी थी.
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'किंग ऑफ रोमांस' शाहरुख खान और चुलबुली काजोल स्टारर फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' को रिलीज हुए आज 26 साल हो गए हैं. यह फिल्म 21 अक्टूबर 1995 को रिलीज हुई थी. भारतीय सिने इतिहास में एक अलग स्थान रखने वाली इस फिल्म ने बॉलीवुड को पूरी दुनिया में एक नई पहचान दी थी. राज और सिमरन की इस सच्ची प्रेम कहानी ने प्यार की एक नई परिभाषा गढ़ी थी. हीर-रांझा और लैला-मजनू की इश्क की दास्तान के बीच सिमरन-राज की मुहब्बत भी अमर हो गई.
इस फिल्म के हर कलाकार ने अपने किरदार में जान डाल दी थी. तभी तो शाहरूख खान से लेकर अमरीश पुरी तक जैसे कलाकारों के किरदारों के बारे में आज भी बात की जाती है. इस फिल्म ने प्यार ही नहीं कई रिश्तों को भी नए सिरे से पारिभाषित किया. वरना बाप-बेटी और बाप-बेटे के बीच कड़क संबंध ही जाते थे. इस फिल्म की कहानी जितनी दिचस्प है, उससे ज्यादा रोचक इसकी शूटिंग से जुड़े किस्से हैं. इस खास मौके पर आइए जानते हैं फिल्म से जुड़ी 10 खास बातों के बारे में...
फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' शाहरुख खान 'राज' और काजोल 'सिमरन' के किरदार में हैं.
1. फिल्म के लिए पहली पसंद नहीं थे शाहरूख
फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' के सबसे बड़े और लीड रोल के लिए शाहरुख खान पहली पसंद नहीं थे. डायरेक्टर आदित्य चोपड़ा इस फिल्म में टॉम क्रूज को बतौर लीड कास्ट करना चाहते थे. उस वक्त तक फिल्म का नाम भी 'द ब्रेवहर्ट विल टेक द ब्राइड' रखा गया था. लेकिन आदित्य के पिता यश चोपड़ा के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था. चूंकि फिल्म रोमांटिक थी और भारतीय दर्शकों के लिए बनाई जानी थी, इसलिए वो चाहते थे कि टॉम की जगह शाहरुख को कास्ट किया जाए. काफी समझाने के बाद आदित्य पिता की बात मान गए. लेकिन जब ये रोल शाहरुख को ऑफर किया गया, तो उन्होंने भी इतनी आसानी इसे स्वीकार नहीं किया. इसके लिए आदित्य चोपड़ा को शाहरुख के साथ चार बार मीटिंग करनी पड़ी, तब जाकर उन्होंने फिल्म साइन किया. वैसे यदि शाहरुख नहीं मानते तो आदित्य की अगली पसंद सैफ अली खान थे. लेकिन शायद किस्मत इसी को कहते हैं, इस फिल्म के जरिए ही शाहरुख खान को किंग ऑफ रोमांस का खिताब मिलना था.
2. फिल्म का फाइनल टाइटल किरण खेर ने दिया
फिल्म का नाम पहले 'द ब्रेवहर्ट विल टेक द ब्राइड' रखा गया था. लेकिन अपने जमाने की मशहूर अदाकार किरण खेर को ये नाम सही नहीं लग रहा था. उन्होंने आदित्य चोपड़ा से इसे बदलने की बात कही, तो उन्होंने सुझाव मांग दिया. इसके बाद फिल्म का टाइटल 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' किरण खेर ने सजेस्ट किया था. इस बात का जिक्र यशराज फिल्म्स द्वारा पब्लिश की गई बुक 'आदित्य चोपड़ा रिलिव्स...दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' में आदित्य चोपड़ा ने खुद किया है. उन्होंने लिखा है, ''किरण जी को यह आइडिया 1974 में आई फिल्म 'चोर मचाए शोर' के गाने ले जाएंगे..ले जाएंगे...दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे सुनकर आया था. जब मैंने उनसे यह आइडिया सुना तो मुझे काफी पसंद आया और यह टाइटल फाइनल हो गया.'' वैसे टाइटल काफी लंबा था, लेकिन दर्शकों को ये फिल्म इतनी पसंद आई कि लोगों ने इसको शॉर्ट में DDLJ कहना भी शुरू कर दिया. खासकर उस वक्त के युवाओं में 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' की जगह DDLJ कहने का ही चलन था.
3. हॉलीवुड की फिल्म से प्रेरित था 'पलट सीन'
फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' में शाहरुख खान पर फिल्माया गया मशहूर 'पलट सीन' एक हॉलीवुड फिल्म से प्रेरित था. साल 1993 में रिलीज क्लिंट ईस्टवुड की अमेरिकन फिल्म 'इन द लाइन ऑफ फायर' के एक सीन से 'पलट सीन' इंस्पायर्ड था. फिल्म के निर्मात-निर्देशक आदित्य चोपड़ा ने जब यह फिल्म देखी तो ईस्टवुड का उन्हें वो सीन याद रह गया जिसमें जब एक्टर की गर्लफ्रेंड जा रही होती है और वह उसे टर्न होने के लिए कहते हैं. बाद में डीडीएलजे में उन्होंने इसी सीन से इंस्पायर होकर राज-सिमरन पर 'पलट सीन' क्रिएट कर दिया. बताया जाता है कि डीडीएलजे की स्क्रिप्ट लिखने में आदित्य चोपड़ा को केवल एक महीने का समय लगा था. इसके साथ ही भारतीय सिने इतिहास की यह पहली ऐसी फिल्म थी, जिसने अपनी मेकिंग को भी प्रोड्यूस किया था. तकनीकी तौर पर तब से उसे 'बिहाइंड द सीन' के नाम से जानते हैं. आदित्य चोपड़ा के छोटे भाई उदय चोपड़ा फिल्म में उनके असिस्टेंट थे जिन्हें मेकिंग रिकॉर्ड करने की जिम्मेदारी मिली थी.
4. शाहरुख खान के किरदार के नाम की कहानी
आदित्य चोपड़ा ने फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' में शाहरुख खान के किरदार का नाम 'राज' रखा है, जो कि बॉलीवुड के सबसे बड़े शोमैन राज कपूर से प्रेरित था. फिल्म में उनका पूरा नाम राजनाथ था, जो कि 1973 की फिल्म 'बॉबी' में ऋषि कपूर के नाम से प्रेरित था. फिल्म के एक सीन में अनुपम खेर शाहरुख खान को अपने दादा परदादा की पढ़ाई में नाकामयाबी के किस्से सुनाते हैं. वो दरअसल अनुपम खेर के सगे अंकल के नाम हैं जो कि वाकई पढ़ाई में कुछ खास अच्छे नहीं थे. यही वो पहली फिल्म थी जिससे मंदिरा बेदी ने बड़े पर्दे पर अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी. फिल्म में पहनी शाहरुख खान की फेमस लेदर जैकेट उदय चोपड़ा ने कैलिफोर्निया के बेकर्सफील्ड में हार्ले-डेविडसन के शोरूम से 400 डॉलर में खरीदी थी.
5. अरमान को ये फिल्म भी मिलते-मिलते रह गई
बिग बॉस फेम एक्टर अरमान कोहली को बॉलीवुड का सबसे दुर्भाग्यशाली अभिनेता माना जाता है. उन्होंने जितनी फिल्में की नहीं है, उससे कहीं ज्यादा ठुकराई हैं या मिलते-मिलते रह गई हैं. जैसे कि फिल्म दीवाना में शाहरूख खान का रोल उनको मिल रहा था, लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया. उसी तरह फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' में काजोल के किरदार सिमरन के मंगेतर कुलजीत के रोल के लिए भी पहले अरमान कोहली से बात की गई थी. लेकिन ऑडिशन वाले दिन परमीत सेठी बूट्स, जीन्स और वेस्टकोर्ट पहन कर आए, तो स्क्रीन टेस्ट में पास हो गए. इसके बाद अरमान की जगह परमीत को फिल्म में कास्ट कर लिया गया. 'मेहंदी लगा के रखना' गाने में काजोल के लिए मनीष मल्होत्रा ने हरे रंग का सूट डिजाइन किया. लेकिन आदित्य चोपड़ा ने कहा कि पंजाबी परिवारों में लड़कियां लाल, मरून या गुलाबी कपड़े पहती हैं. इसके बाद उनके सूट का रंग बदलना पड़ा. इस फिल्म का एक मशहूर गाना 'तुझे देखा तो ये जाना सनम' गुड़गांव में शूट किया गया था.
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