'संजू' बोले तो रणबीर कपूर !
संजू की स्क्रिप्ट में अच्छी बात ये है कि ये असल जिंदगी पर आधारित है इसिलये कई मौक़ों पर आप यक़ीन करेंगे जो दिखा रहे हैं वो सच में हुआ था, लेकिन निराश वो लोग हो सकते हैं जो बायोग्राफ़ी सोचकर देखने आयेंगे.
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फिल्म "संजू" का इंतज़ार सभी को बेसब्री से था और ज़हन में सवाल भी बहुत थे
1) संजय दत्त की जिंदगी पर फिल्म क्यों ?
2) रणबीर कपूर जैसा स्टार संजय दत्त का रोल निभा पायेगा?
3) निर्देशक राजू हीरानी ने पहली बार कोई ग़लती तो नहीं कर दी ?
4) फिल्म की कहानी में सच कितना होगा?
5) सब तो हम जानते हैं, संजू ड्रग्स लेता था, बहुत सारे अफेयर्स भी थे, जेल भी गया, फिर नया क्या होगा ?
सवाल कई थे और जिनकी वजह से फिल्म देखने के लिये उत्सुक्ता भी बढ़ गई, जो फिल्म के बिजनेस के लिये अच्छा है. लेकिन उत्सुक्ता के साथ फिल्म के प्रति उम्मीद भी बढ़ जाती है, जो एक तरह से अच्छा भी है और बुरा भी.
"संजू" रणबीर कपूर के करियर में ब्लॉकबस्टर फिल्म साबित होगी
राजू हीरानी और अभिजात जोशी की स्क्रिप्ट काफ़ी हद तक बांध कर रखती है, फिल्म का पहला हाफ संजय दत्त के उस वक्त का है जब वो नशे और ड्रग्स की लत में गये. और इंटरवल के बाद किस तरह संजय दत्त पे आतंकवादी का ठप्पा लगा, टाडा से रिहा होकर आर्मएक्ट में सज़ा काटने का पूरा सफर.
सरसरी तौर पर संजय दत्त की कहानी से सब वाक़िफ़ हैं, लेकिन फिल्म "संजू" को जो बात दिलचस्प बनाती है वो है सच में हुए किससे. कैसे संजय दत्त ने ड्रग्स की शुरूआत की और कैसे एक दोस्त ने पैसे लूटने के लिये उन्हें ड्रग्स की आदत डलवाई, या कैसे अपनी प्रेमिका के घर वो सिर्फ शराब की ख़ातिर पहुंचे, मां की मौत का ग़म, और हर बार ये मानना कि पिता सुनील दत्त ने मुझे कभी समझा ही नहीं और बाद में एहसास होने के बाद सुनील दत्त के गले लगकर रोना या पिता सुनील दत्त का अपने बेटे के ऊपर विश्वास कि उसका करियर खत्म नहीं हुआ, पिता पुत्र के जज़्बात और दोस्त का याराना, ऐसी तमाम बातें इस फिल्म को देखने लायक बनाती हैं.
रणबीर कपूर ने संजय दत्त के किरदार को बेहद शानदार तरीके से निभाया है
संजू की स्क्रिप्ट में अच्छी बात ये है कि ये असल जिंदगी पर आधारित है इसिलये कई मौक़ों पर आप यक़ीन करेंगे जो दिखा रहे हैं वो सच में हुआ था, लेकिन निराश वो लोग हो सकते हैं जो बायोग्राफ़ी सोचकर देखने आयेंगे, क्योंकि ये फिल्म पूरी जीवनी नहीं है लेकिन संजय दत्त की जिंदगी के महत्वपूर्ण क्षणों को कैद जरूर करती है. जैसे अनुष्का शर्मा जो फिल्म में संजू पर किताब लिखती हैं, वो एक फ़िक्शन किरदार है, कुछ ऐसे सीन्स भी हैं जो ओवर ड्रमाटिक लगते हैं मगर कुल मिलाकर एक एंटरटेनिंग फिल्म है.
अभिनय के डिपार्टमेंट में सबसे पहले बात रणबीर कपूर की, इसमें कोई शक नहीं है रणबीर आज की जेनरेशन के सबसे बेहतरीन एक्टर्स में से एक हैं. उनकी पिछली कुछ फिल्में नहीं चलीं लेकिन उनकी एक्टिंग की तारीफ हमेशा हुई. फिल्म "संजू" का किरदार इसलिये भी बहुत मुश्किल था क्योंकि रणबीर कपूर सिर्फ नाम से संजय दत्त नहीं बने बल्कि उन्होंने खुद को संजय दत्त में पूरी तरह से ढाल लिया था, चाहे गेटअप हो या चाल या फिर बात करने का अंदाज़.
संजय दत्त की जिंदगी के महत्वपूर्ण पलों को दिखाया गया है
शुरूआत में ख़ासतौर से फ्रेंचकट वाले गेटअप में रणबीर को संजय दत्त मानना थोड़ा अटपटा लगता है, लेकिन जब वो यंग संजय दत्त के तौर पर दिखते हैं, उसके बाद से लेकर आखिर तक लगता ही नहीं ये रणबीर कपूर हैं और यही बात उन्हें एक महान अभिनेता बनाती है. रणबीर अगर संजय दत्त नहीं लगते तो ये फिल्म मुंह के बल गिर जाती.
रणबीर के अलावा फिल्म में दो एहम किरदार हैं पिता सुनील दत्त जिसे निभाया है परेश रावल ने और दोस्त कमलेश जिसे निभाया है विक्की कौशल ने. परेश रावल ने जज़्बातों के जरिये साबित कर दिया कि वो सुनील दत्त हैं और विक्की कौशल का अबतक का ये बेस्ट रोल है या कहें अबतक की उनकी बेस्ट एक्टिंग.
पिता सुनील दत्त के दर्द को बखूबी बयां किया है परेश रावल ने और मां नरगिस की सादगी में मनीषा कोइराला बेहद जंच रही हैं
बाकी के सभी कलाकार अपने किरदारों के साथ इंसाफ़ करते हैं. सोनम कपूर, अनुष्का शर्मा और बोमन इरानी स्पेशल अपियरेंस में हैं. मनीषा कोइराला लेंजेंडेरी एक्ट्रेस नर्गिस दत्त का रोल पूरी इमानदारी से निभाती हैं. फिल्म में गानों का ज्यादा स्कोप नहीं है लेकिन गीत "कर हर मैदान फतेह" फिल्म के सुर के साथ जाता है.
रवि बर्मन की सिनेमेटोग्राफ़ी फिल्म के मूड के साथ है, एडिंटिंग भी सराहनीय है. कुलमिलाकर "संजू" रणबीर कपूर के करियर में ब्लॉकबस्टर फिल्म साबित होगी, लेकिन क्या ये राजू हीरानी की बेस्ट फिल्म है...तो जवाब होगा नहीं. लेकिन ये राजू हीरानी की एक अच्छी फिल्म ज़रूर है और ये भी दर्शाती है कि क्यों हीरानी हिंदी सिनेमा के नंबर वन डायरेक्टर हैं.
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