ठीक से जल ना सकी 'ट्यूबलाइट'
जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, चेहरे की मुस्कान फीकी पड़ने लगती है, इंटरवल आते वक्त हाल ये हो जाता है कि दिमाग कहता गुरू आगे क्या होगा और दिल कहता है, हो सकता है अब ट्यूबलाइट काबू में आ जाएगी.
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बहुत अच्छी फिल्म और बहुत बुरी फिल्म देखने के बाद अक्सर एक बात समान होती है, दोनों ही में आप निशब्द हो जाते हैं. लेकिन ट्यूबलाइट देखने के बाद मैं इस असमंजस में पड़ गया कि ट्यूबलाइट एक फिल्म है या एक पैकेज..
'टाइगर' और 'बजरंगी भाइजान' के बाद ये सलमान खान और कबीर खान की तीसरी फिल्म है
तो पहले बात करते हैं ट्यूबलाइट को देखने की कौन कौन सी हैं वजह.
1. सुपर स्टार सलमान खान की फिल्म.
2. सलमान खान और कबीर खान की हिट जोड़ी.
3. एक था टाइगर और बजरंगी भाइजान के बाद ये इस जोड़ी की तीसरी फिल्म है.
4. बजरंगी भाइजान में पाकिस्तान का विषय था तो ट्यूबलाइट में चाइना का.
5. कबीर-सलमान की पिछली फिल्म में चाइल्ड एक्ट्रेस हरशाली मल्होत्रा थीं तो इस बार प्यारे से चाइल्ड एक्टर माटिन रे तांगू हैं.
6. सलमान-कबीर जोड़ी की पहली फिल्म "एक था टाइगर "में हीरोइन कटरीना कैफ़ थीं, दूसरी में करीना कपूर और इस बार छलांग लंबी लगाई और चाइना की बड़ी हीरोइन 'ज़ू ज़ू' हैं.
फिल्म में सलमान खान का भोलापन ज्यादा बढ़ गया है
7. मेहमान भूमिका में शाहरुख खान भी हैं.
8. प्रीतम का संगीत.
9. रियल लाइफ सगे भाई सलमान खान और सोहेल खान रील लाइफ में भी बने भाई.
10. भोले-भाले और बुद्धू से किरदार में सलमान खान, बजरंगी में उनके भोलेपन की तारीफ हो चुकी थी, तो इस बार एक डिग्री ज्यादा.
11. हॉलीवुड की फिल्म लिटिल बॉय का ऑफिशियल रीमेक.
उत्सुकता पैदा करने के लिये वजह कई हैं. ये तो थीं वो बातें जिनके कारण खरीदा जायेगा टिकट. अब पहुंचते हैं सिनेमा हॉल के अंदर.
फिल्म शुरू होती है, सलमान खान की एंट्री पर चेहरे पर मुस्कुराहट आती है, हलके-फुल्के अदांज में दोनों भाइयों की एकता का बखान करते हुए, जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, चेहरे की मुस्कान फीकी पड़ने लगती है, इंटरवल आते वक्त हाल ये हो जाता है कि दिमाग कहता गुरू आगे क्या होगा और दिल कहता है, हो सकता है अब ट्यूबलाइट काबू में आ जाएगी. लेकिन जनाब रोने धोने, जुदाई, प्यार, मोहब्बत, यक़ीन, इबादत, राष्ट्रीय एकता, अंतराष्ट्रीय एकता, दुश्मन को दोस्त बना लो, गांधी जी की बातों से सबक हासिल करो, हर इमोशनल डोज़ दे डाला, लेकिन ट्यूबलाइट ना जली.
फिल्म में भी दोनों भाई भाई ही हैं
ये तो थे जज़्बात कहानी के प्रति, अब बात करते हैं कहानी की. सलमान खान यानी लक्ष्मण सिंह को सब ट्यूबलाइट इसलिये कहते हैं क्योंकि उसे बचपन से ही हर बात देर से समझ में आती है. दिमाग़ी तौर पर वो थोड़ा कमजोर है, लेकिन लक्ष्मण के छोटे भाई भरत यानी सोहेल खान को उसपर पूरा भरोसा है. दोनों भाई एक दूसरे पर जान छिड़कते हैं, वक्त बदलता है, आज़ादी के बाद दोनों भाई जवानी की दहलीज़ पर कदम रखते हैं, ये दौर 1962 का है जब चीन के साथ भारत का युद्ध होनेवाला है. छोटा भाई यानी सोहेल, फौज में भर्ती होता है, दोनों भाई जुदा हो जाते हैं, छोटे भाई की मौत की खबर से बडा भाई और दुखी हो जाता है, लेकिन उसे यकीन है कि अगर वो अपने यकीन पर यकीन करेगा तो उसका भाई उसे जरूर मिलेगा. और आखिकार मिलेगा या नहीं ये है कहानी.
दोनों भाइयों की इमोशनल बॉन्डिंग
लेकिन यकीन मानिये फिल्म में यकीन लफ्ज का इस्तेमाल इतनी बार होता है कि, एक वक्त पर लगा कि कहीं फिल्म का नाम "यक़ीन" तो नहीं है. माटिन रे तांगू और चीन की बड़ी हीरोइन ज़ू ज़ू का ट्रैक सोहेल के जंग में जाने के बाद आता है. दोनों मां बेटे के किरदार में दर्शकों का दिल जीत लेते हैं, लेकिन उनका ट्रैक फिल्म का सब प्लॉट है और पूरी तरीके से दोनों का इस्तेमाल नहीं किया गया.
ट्यूबलाइट की स्टोरी लाइन फिर भी दिलचस्प लगती है लेकिन फिल्म की पटकथा बेहद खराब है. बहुत सारे जबरदस्ती में भावुक करने वाले सीन्स बोझिल हैं. हिंदी चीनी भाई-भाई से लेकर चीनी मूल की भार्तियों पर किस तरह से अत्याचार होता है वो इमोशनल डोज़ भी दिया है. लेकिन हर जज़्बात आधे अधूरे से हैं. कबीर खान की अब तक की ये सबसे कमजोर फिल्म है.
कबीर खान की अब तक की सबसे कमजोर फिल्म
हार्डकोर सलमान फैन तब थोड़ा दुखी हो सकते हैं जब उनके भाईजान फिल्म में पिटते हैं, या वो शर्ट नहीं उतारते, और कहीं से भी वो 25-26 साल के नहीं लगते, इस बार उम्र उनके चेहरे पर दिख रही है. लेकिन अभिनय कुछ सीन्स में उन्होंने अच्छा किया है और सलमान खान का स्टारडम फिल्म को बड़ी ओपनिंग दिला ही देगा. सोहेल खान, ज़ीशान, माटिन रे तांगू, ज़ू ज़ू और स्वर्गीय ओम पुरी जी ने अपने किरदार के साथ इंसाफ किया है.
गानों में सिर्फ "सजन रेडियो" ही चला, प्रीतम के संगीत में भी वो दम नहीं है.
अब सवाल है इस फिल्म को कितने स्टार दिये जायें ?
जवाब- हाल ही में सलमान खान ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था मेरी फिल्म को माइनस हंड्रेड भी दो तो भी मेरे फैन्स देखेंगे, ये तो उनका यकीन है और ज़ाहिर सी बात है, हो भी क्यों ना, बॉडीगार्ड, रेडी और कई खराब फिल्में उनकी सुपर हिट रहीं हैं. ट्यूबलाइट 200 करोड़ के ऊपर का कारोबार कर सकती है, लेकिन ये वैसा ही होगा जैसे कि कई बार अच्छी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो जाती है वैसी ही बुरी फिल्म कई बार हिट हो जाती है.
तो कुल मिलाकर सलमान खान और कबीर खान की फिल्म ट्यूबलाइट एक ज़बरदस्त पैकेज है लेकिन ज़बरदस्ती का इमोशनल ड्रामा भी है.
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