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Updated: 04 जुलाई, 2020 05:08 PM
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पिछले महीने पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान घाटी में भारत-चीन सीमा पर चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत और चीनियों का डटकर मुकाबला करने की घटना अब बड़े पर्दे पर दिखेगी. गलवान घाटी की शौर्य गाथा को बड़े पर्दे पर दिखाने का बीड़ा उठाया है अजय देवगन ने. बीते 15 जून तो गलवान घाटी में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने जब भारतीय सीमा में अतिक्रमण करने की कोशिश की तो कर्नल संतोष बाबू की अगुवाई में बिहार रेजिमेंट के जवानों ने चीनी सैनिकों का डटकर मुकाबला किया और उन्हें वापस जाने पर मजबूर कर दिया. हालांकि इस दौरान काफी हिंसक संघर्ष देखने को मिला. चीनी आर्मी ने कील लगे डंडों और पत्थरों से हमला कर 20 भारतीय जवानों की हत्या कर दी. वहीं भारतीय जवानों ने भी 43 चीनी सैनिकों को मार गिराया.

गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों की इसी वीर गाथा को अजय देवगन फिल्म के जरिये बड़े पर्दे पर दिखाएंगे. अजय देवगन अपने प्रोडक्शन हाउस Ajay Devgn FFilms और Select Media Holdings LLP के संयुक्त प्रयास से गलवान घाटी संघर्ष पर फिल्म बनाएंगे. हालांकि फिल्म का नाम, रिलीज डेट और स्टारकास्ट के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं दी गई है. माना जा रहा है कि खुद अजय देवगन इस फिल्म में कर्नल संतोष बाबू की भूमिका में दिख सकते हैं. भारत-चीन संघर्ष के बाद दोनों देशों के मध्य दूरियां काफी बढ़ गई हैं और यहां तक कि व्यापारित रिश्ते भी प्रभावित हुए हैं. आने वाले दिनों में भारत-चीन रिश्ता कहीं युद्ध की तरफ न मुड़ जाए, ऐसी आशंका से लोगों का दिल बैठा जा रहा है.

अब तक भारत-चीन युद्ध पर कई फिल्में बन चुकी हैं

भारत और चीन के बीच संघर्ष की लंबी दास्तां है और इसे समय-समय पर बड़े पर्दे पर फिल्मों के माध्यम से दिखाने की कोशिशें भी हुई हैं. वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध पर मशहूर डायरेक्टर चेतन आनंद ने वर्ष 1964 में हकीकत नाम से फिल्म बनाई थी. बलराज शाहनी, धर्मेंद्र, संजय खान समेत कई फेमस कलाकारों से सजी इस फिल्म को नैशनल अवॉर्ड मिला था. इसके बाद पिछले 2-3 वर्षों के दौरान 72 Hours: Martyr Who Never Died और Subedar Joginder Singh नाम से भी फिल्में बनीं, जो भारत-चीन के बाद 1962 के युद्ध में जान गंवाने वाले भारतीय जांबाजों की बहादुरी पर आधारित थी.

साल 2017 में कबीर खान ने सलमान खान स्टारर ट्यूबलाइट नामक फिल्म बनाई, जो भारत-चीन सीमा विवाद और युद्ध पर आधारित थी. इसके बाद साल 2018 में जेपी दत्ता ने पलटन नाम से फिल्म बनाई, जो कि मल्टीस्टारर थी. इस फिल्म में वर्ष 1967 के दौरान सिक्किम राज्य से सटी चीन सीमा पर नाथु ला और चो ला में भारतीय सैनिकों की चीन से हिंसक झड़प की कहानी दिखाई गई थी. हालांकि, यह फिल्म ऐसे समय में रिलीज हुई कि यह ज्यादा दर्शकों तक पहुंच ही नहीं पाई. 1962 को छोड़ दें तो उसके बाद भारत-चीन में जितने भी संघर्ष हुए हैं. भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया है और अपने साहस का परचम लहराया है.

चीन को भारत दे रहा मुंहतोड़ जवाब

भारत और चीन के बीच वर्ष 1962 और 1967 के बाद यह पहला मौका था, जब लद्दाख स्थित गलवान घाटी में संघर्ष की स्थिति बनीं और तनाव इतना गहरा गया कि युद्ध जैसे हालात बन गए. दरअसल, चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों को बढ़ावा देते हुए गलवान घाटी पर कब्जा जमाने की फिराक में है. लेकिन भारत किसी भी सूरत में ऐसा होने नहीं देगा. गलवान घाटी में भी जब चीनियों ने भारतीय इलाके में कैंप बनाए तो भारतीय सैनिकों ने चीनी मंसूबों को करारा जवाब देते हुए उनके कैंप उखाड़ फेंके. इसके बाद जब सैकड़ों चीनी सैनिक सीमा पर आ धमके तो कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू की अगुवाई में बिहार रेजिमेंट के जवानों ने उनका डटकर मुकाबला किया और सीमा रक्षा की खातिर अपनी जान न्योछावर करने से पहले सोचा तक नहीं. बिहार रेजिमेंट के इन्हीं जाबांजों की कहानी जब बड़े पर्दे पर दिखाई जाएगी तो लोगों को पता चलेगा कि सीमा पर कितने बुरे हालात होते हैं.

भारतीय सैनिकों की बहादुरी और धैर्य की दास्तां

चाहे पाकिस्तान की सीमा हो, चीन की या नेपाल की. सीमा पर हालात कब बिगड़ जाए, इसकी भनक भी नहीं लगती. सीमा पर तैनात जवान हमेशा अपनी जान मुश्किल में डाले देश की रक्षा को तत्पर रहते हैं. सबसे बुरा तब होता है, जब आपको पड़ोसी देश लगातार उकसाते रहते हैं और आप हथियार से लैस होकर भी तब तक जवाबी कार्रवाई करने से बचते हैं, जब तक हालात नियंत्रण में हों. आप समझ सकते हैं कि जवान ऐसी स्थिति का कैसे सामना करते होंगे. हाल के दिनों में तो चीन और पाकिस्तान की सीमा पर ऐसे हालात बन गए हैं कि कब स्थिति बिगड़ जाए, इसका कोई ठीक नहीं. जवानों के इसी धैर्य, साहस और समर्पण की दास्तां आने वाले दिनों में फिल्म के जरिये लोगों के सामने होगी.

भुज के बाद अब गलवान अजय की फेवरेट

अजय देवगन ने एक बार फिर अपने फेवरेट जोनर की फिल्मों यानी देशभक्ति के रंग में रंगी कहानियों को पर्दे पर दिखाने का मन बनाया है. इससे पहले आप उन्हें जमीन, तानाजी समेत कई अन्य फिल्मों में देख चुके हैं. अजय देवगन को आपने इससे पहले ब्लॉकबस्टर फिल्म तानाजी में देखा था. हाल ही में उनकी अपकमिंग फिल्म भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया की ओटीटी प्लैटफॉर्म डिज्नी हॉटस्टार पर रिलीज किए जाने की घोषणा की गई है. भुज भी देशभक्ति के रंग में ही रंगी फिल्म है, जिसमें अजय देवगन पायलट की भूमिका में दिखने वाले हैं. इसके बाद उनकी एक फिल्म आ रही हैं मैदान, जो कि अगले साल 13 अगस्त को रिलीज होगी. मैदान में अजय देवगन फुटबॉल कोच की भूमिका में हैं.

2021 Independence week. An untold story that will make every Indian proud. 13th August mark the date. #Maidaan2021@priyamani6 @raogajraj @BoneyKapoor @iAmitRSharma @freshlimefilms @SaiwynQ @ActorRudranil @writish @saregamaglobal @ZeeStudios_ @ZeeStudiosInt pic.twitter.com/we6JPgu2Ui

देशभक्ति और बायोपिक फिल्मों पर सटीक दांव

दरअसल, देशभक्ति और बायोपिक, दो ऐसा जोनर है, जिसपर बनीं फिल्मों की सफलता की संभावना ज्यादा होती है. अक्षय कुमार और जॉन अब्राहम के बाद अजय देवगन भी अब देशभक्ति, बायोपिक और सच्ची घटनाओं पर आधारित फिल्मों की दौड़ में अपना परचम लहरा रहे हैं. चूंकि गलवान घाटी एक ऐसा मुद्दा है, जो लंबे समय तक लोगों की जुबां पर रहने वाला है. 200 से ज्यादा चीनी सैनिकों से कुछ सौ भारतीय जवानों ने जिस तरह बहादुरी से मुकाबला किया, वह देशवासियों को दिखनी चाहिए. इसी साहस को अजय देवगन बड़े पर्दे पर दिखाने वाले हैं. पिछले साल आई फिल्म उरी की सफलता ने साबित कर दिया है कि अगर आप सच्ची घटनाओं, जो कि सैनिकों की देशभक्ति से जुड़ी हों, उन्हें इमानदारी से पर्दे पर दिखाएंगे तो लोगों की सराहना जरूर मिलेगी. साथ ही फिल्म की सफलता की संभावना भी बढ़ती है.

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