राजकुमार संतोषी को जान से मारने की धमकी देने वाले 'गांधीवादी' कैसे हो सकते हैं?
Gandhi Godse Ek Yudh फिल्म के निर्देशक राजकुमार संतोषी का कहना है कि उन्हें फिल्म की रिलीज रोकने के लिए बाध्य किया जा रहा है. ऐसा नहीं करने पर उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को जान से मारने की धमकी दी जा रही है. खुद को गांधी का पैरोकार बताने वाले कुछ लोग हिंसा करने की बात कर रहे हैं.
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बॉलीवुड फिल्मों पर विवाद होना एक चलन बन गया है. फिल्म चाहें जैसी हो, उसकी कहानी चाहे जैसी हो, लेकिन उस पर बवाल होना पहले से तय होता है. इस गणतंत्र दिवस पर रिलीज हो रही शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण स्टारर 'पठान' पर तो विवाद हो ही रहा था, लेकिन अब दिग्गज फिल्म मेकर राजकुमार संतोषी की फिल्म 'गांधी गोडसे एक युद्ध' का भी विरोध होने लगा है. फिल्म पर बैन लगाने की मांग की जा रही है. आरोप लगाया जा रहा है कि फिल्म में महात्मा गांधी को नाथूराम गोडसे के आगे नीचा दिखाया गया है. उनके हत्यारे गोडसे का महिमामंडन किया गया है. यही नहीं राजकुमार संतोषी को जान से मारने की धमकी भी दी जा रही है. फिल्म के लिए आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेस में कुछ लोगों ने 'गांधी ज़िंदाबाद' के नारे लगाते हुए हंगामा भी किया है. उन लोगों का कहना था कि गांधी का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. संतोषी का कहना है कि उनसे कहा गया है कि यदि फिल्म की रिलीज नहीं रोकी गई, तो उनको जान से हाथ धोना पड़ जाएगा. इस बाबत संतोषी ने मुंबई पुलिस को खत लिखकर अतिरिक्त सुरक्षा मुहैया कराए जाने की मांग की है.
फिल्म 'गांधी गोडसे एक युद्ध' 26 जनवरी को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है.
राजकुमार संतोषी ने मुंबई पुलिस के स्पेशल कमिश्नर को लिखे खत में कहा है कि उनको और उनके परिवार के सदस्यों को जान से मारने की धमकी दी जा रही है. धमकी देने वालों का कहना है कि यदि उन्होंने अपनी फिल्म 'गांधी गोडसे एक युद्ध' की रिलीज नहीं रोकी तो सभी को जान से हाथ धोना पड़ेगा. संतोषी ने अपने खत में लिखा है, ''मुझे कई माध्यमों से जान से मारने की धमकी मिल रही है. धमकी देने वाले मेरी फिल्म की रिलीज को रोकना चाहते हैं. उनका कहना है कि यदि मैंने अपनी फिल्म की रिलीज नहीं रोकी तो मेरे साथ बहुत बुरा हो जाएगा. इस धमकी के मद्देनजर मैं चाहता हूं कि इस मामले में गंभीरता से विचार किया जाए. इसके लिए कानून के तहत उचित कदम उठाया जाए. इसके साथ ही मेरी जान के खतरे को देखते हुए मुझे और मेरे परिवार को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की जाए.'' अभी कुछ दिन पहले ही मुंबई में हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ लोगों ने हंगामा किया था.
दरअसल, मुबंई के अंधेरी में स्थित एक थिएटर में फिल्म 'गांधी गोडसे एक युद्ध' के कुछ अनदेखे फुटेज और डायलॉग्स की स्क्रीनिंग रखी गई थी. इसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी रखा गया था. इस दौरान फिल्म के निर्देशक राजकुमार संतोषी के साथ एक्टर दीपक अंतानी और फिल्म एसोसिएट प्रोड्यूसर ललित श्याम टेकचंदानी मौजूद थे. अचानक मीडिया के बीच बैठे कुछ लोग स्टेज पर आ गए. वहां आकर हाथों में एक झंडा लेकर हंगामा करने लगे. काले झंडे दिखाकर फिल्म का विरोध करने लगे. इतना ही नहीं जोर-जोर से 'गांधी ज़िंदाबाद' के नारे भी लगा रहे थे. इस दौरान राजकुमार संतोषी के साथ धक्का-मुक्की करने की कोशिश भी की गई. ये मामला इतना गंभीर हो गया कि तुरंत पुलिस को सूचित करना पड़ा. इसके बाद वहां पहुंची पुलिस की टीम ने स्थिति को अपने नियंत्रण में लिया. इस पूरे घटनाक्रम के बाद से संतोषी और उनकी टीम डरी हुई है. मुंबई पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगा रही है.
इस वीडियो में लोगों को हंगाम करते हुए देखा जा सकता है...
#GandhiGodseEkYudh: Protests erupt at #Mumbai event; mob raises slogans, disrupts press conference#GandhiGodseEkYudhTrailer #GandhiGodse #RajkumarSantoshi pic.twitter.com/qDSwaDnpp5
— Free Press Journal (@fpjindia) January 21, 2023
यहां एक बात सोचने वाली है कि महात्मा गांधी के समर्थन और सम्मान में हिंसा करने वाले ये लोग कौन हैं? राजकुमार संतोषी और उनके परिवार को जान से मारने की धमकी देने वाले ये लोग कौन हैं? क्या जीवन भर अहिंसा की बात करने वाले गांधी के समर्थन में हिंसा की बात की जा सकती है? मेरा तो यही मानना है कि बिल्कुल भी नहीं. क्योंकि जो गांधी एक गाल पर थप्पड़ खाने के बाद दूसरा गाल आगे बढ़ाने की बात करते थे, जिनके लिए अहिंसा से बड़ा कोई धर्म नहीं था. उनको मानने वाले, उनके उपासक तो ऐसी हरकत बिल्कुल भी नहीं कर सकते हैं. इस तरह की हिंसा करने वाले को गांधीवादी तो कत्तई नहीं कहा जा सकता है. यदि विरोध ही करना है तो उन्हें गांधीवादी तरीके से विरोध करना चाहिए था. वहां हंगाम और बवाल करने की बजाए धरना-प्रदर्शन करना चाहिए था. भूख हड़ताल करनी चाहिए थी. लेकिन यहां तो पुतला दहन करने के बाद खुद को गांधीवादी बताया जा रहा है.
राजकुमार संतोषी कोई साधारण फिल्म मेकर नहीं है. 'पुकार', 'बरसात', 'दामिनी', 'घायल', 'अंदाज अपना अपना', 'लज्जा', 'खाकी', 'चाइना गेट' और 'अजब प्रेम की गजब कहानी' जैसी फिल्में उनके प्रतिभा की कहानी बयां करती हैं. वो 6 नेशनल फिल्म अवॉर्ड पा चुके हैं. भारतीय सिनेमा में राजकुमार संतोषी को लीक से हटकर फिल्में बनाने के लिए जाना जाता है. उनकी लिखी हुई कहानियां अपने दौर का आईना हुआ करती हैं. 1990 में रिलीज हुई फिल्म 'घायल' की कहानी लिखने के साथ ही उन्होंने निर्देशन भी किया था. इसके लिए उन्हें पहला नेशनल अवॉर्ड मिला था. ये फिल्म उस वक्त के संगठित अपराध और उसके सामने लाचार कानून व्यवस्था को दिखाती है. अब लंबे समय बाद वापसी कर रहे राजकुमार संतोषी ऐसी फिल्म लेकर आए हैं, जो इस वक्त देश के मिजाज के हिसाब से बिल्कुल फिट बैठती है. अपने देश में महात्मा गांधी को चाहने वालों की संख्या भले ही बहुत बड़ी हो, उनको राष्ट्रपिता कहा जाता हो, लेकिन नाथूराम गोडसे के विचारों को मानने वालों की संख्या भी कम नहीं है. यही वजह है कि उनका विरोध भी हो रहा है, लेकिन लोग समर्थन भी कर रहे हैं.
राजकुमार संतोषी द्वारा मुंबई पुलिस कमिश्नर को लिखा खत...
बताते चलें फिल्म 'गांधी गोडसे एक युद्ध' 26 जनवरी को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है. इस फिल्म की कहानी राजकुमार संतोषी ने असगर वजाहत के साथ मिलकर लिखी है. दिल्ली स्थित जामिला मिलिया इस्लामिया के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रह चुके असगर वजाहत तीन कहानी संग्रह, चार उपन्यास और छह नाटक लिख चुके हैं. इतना ही नहीं राजकुमार संतोषी के साथ उन्होंने कई फिल्मों के लिए लेखन का काम भी किया है. इस फिल्म का निर्देशन खुद राजकुमार संतोषी कर रहे हैं. संतोषी प्रोडक्शंस और पीवीआर पिक्चर्स के बैनर तले बन रही इस फिल्म का सीधा मुकाबला शाहरुख खान की बहु प्रचारित और बहु प्रतीक्षित फिल्म 'पठान' से होगा, जो कि एक दिन पहले 25 जनवरी को रिलीज हो रही है. बॉलीवुड बायकॉट मुहिम के बीच जिस तरह से फिल्म 'पठान' के खिलाफ माहौल बन रहा है, उसमें फिल्म 'गांधी गोडसे एक युद्ध' को फायदा होता दिख रहा है.
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