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Updated: 23 अप्रिल, 2023 06:26 PM
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पूर्वांचल यानी प्रयागराज, गोरखपुर और वाराणसी के आसपास का इलाका एक समय अपराधियों का गढ़ हुआ करता था. प्रयागराज को एक नर्सरी के रूप में देखा जाता था. यहां से बड़ी संख्या में प्रशासनिक अधिकारी निकलते थे, तो उसी अनुपात में अपराधी और नेता भी तैयार होते थे. यहां की यूनवर्सिटी में पढ़ाई कम राजनीति और अपराध का ककहरा ज्यादा सीखाया जाता था. आईएएस और आईपीएस का सपना लेकर प्रयागराज यानी कि तत्कालीन इलाहाबद पहुंचने वाले तमाम जीनियस लड़कों में से जो अधिकारी नहीं बन पाते उनमें ज्यादातर अपराधी या नेता बन जाते थे. इसकी मुख्य वजह यही थी कि इलाहाबद यूनिवर्सिटी राजनीति के रिसर्च एंड डवपलमेंट सेंटर की तरह काम करती थी, जहां फ्यूचर के लिए प्रोडक्ट तैयार किए जाते थे. छात्र राजनीति और अपराध पर आधारित एक फिल्म 'हासिल' 2003 में रिलीज की गई थी. इसे तिग्मांशु धूलिया ने निर्देशित किया था. उन्हीं के निर्देशन में बनी एक नई वेब सीरीज 'गर्मी' ओटीटी प्लेटफॉर्म सोनी लिव पर स्ट्रीम हो रही है, जो कि उसी विषय पर आधारित है.

'गर्मी' वेब सीरीज की कहानी के केंद्र में पूर्वांचल की छात्र राजनीति और अपराध है. इसके मुख्य किरदार का नाम अरविंद शुक्ला है, जिसे अभिनेता व्योम यादव ने निभाया है. अरविंद शुक्ला के पिता लालगंज इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य हैं. वो चाहते हैं कि उनका बेटा त्रिवेणीपुर यूनिवर्सिटी में जाकर पढ़ाई करे और सिविल सर्विसेज की तैयारी करे. उनका मानना है कि त्रिवेणीपुर यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाले बच्चे आईएएस बनते हैं. अरविंद अपने परिवार से दूर नहीं जाना चाहता, लेकिन पिता की इच्छा के दबाव में आकर त्रिवेणीपुर चला जाता है. वहां जाने के बाद उसका एक नई दुनिया से साक्षात्कार होता है. यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कम गुंडागर्दी ज्यादा है. एक छात्र कंचन यादव की मदद से यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष बिंदु सिंह के संपर्क में आता है. बिंदु उसे हॉस्टल दिला देता है. लेकिन वहां उसके साथ रैंगिंग होने लगती है. इससे परेशान होकर एक दिन अरविंद एक सीनियर की जमकर पिटाई कर देता है. इसके बाद लोग उससे डरने लगते हैं. इसके साथ ही कैंपस में एक नए 'यंग्री यंगमैन' की एंट्री हो जाती है.

650_042223061553.jpgतिग्मांशु धूलिया की नई वेब सीरीज 'गर्मी' ओटीटी प्लेटफॉर्म सोनी लिव पर स्ट्रीम हो रही है.

त्रिवेणीपुर यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के अध्यक्ष बिंदु सिंह और उपाध्यक्ष गोविंद मौर्य एक-दूसरे के दुश्मन हैं. दोनों अलग-अलग राजनीतिक दल से जुड़े हुए हैं. छात्र राजनीति से निकलने के बाद विधायक बनने का सपना देख रहे हैं. इसके लिए जो भी वाजिब या गैर वाजिब काम करना पड़े, उसे कर रहे हैं. यूनिवर्सिटी की सड़क और सीसीटीवी का टेंडर पाने के लिए उपाध्यक्ष गोविंद मौर्य एक ठेकेदार विनोद राय की बम से मारकर हत्या करवा देता है. इस मर्डर केस को अंजाम देने वाले बमबाज को पुलिस पकड़ लेती है. पुलिस इंस्पेक्टर मृत्युंजय सिंह उसे थर्ड डिग्री देता है. इसके आरोपी पूरे नेक्सस का खुलासा कर देता है. इसमें उपाध्यक्ष के तार, एक सेठ जो कि फाइनेंस करता है, एक गुरु जो विचारधारा के नाम पर दिशा देता है, से जुड़े होते हैं. गुरु के तार सत्ता के शीर्ष से जुड़े हैं. यही वजह है कि बमबाज को पुलिस को रिहा करना पड़ता है.

मृत्युंजय सिंह छात्रसंघ के अध्यक्ष बिंदु सिंह को टिप दे देता है कि विनोद राय की हत्या करने वाले लोग कौन हैं. दोनों एक ही जाति के हैं, इसलिए एक-दूसरे की मदद करते रहते हैं. मृत्युंजय सिंह भ्रष्ट अफसर होने के साथ ही जातिवादी सोच का है. उसका मानना है कि उसकी जाति के लोग लड़ाकू होते हैं. इसलिए उन्हें ज्यादा से ज्यादा पुलिस और सेना में होना चाहिए. वो अपनी जाति के छात्रों को आईएएस की बजाए आईपीएस बनने के लिए प्रेरित करता है. मृत्युंजय के अन्य कई छात्रनेता और प्रोफेसर भी जाति की राजनीति करते हैं. अपनी-अपनी जाति को संरक्षण देते हैं. इसके खिलाफ छात्रों का एक समूह कैंपेन चलाता है. उसका मानना है कि जाति के नाम पर होने वाली राजनीति बंद होनी चाहिए. सबको समान मौका मिलना चाहिए. लेकिन जाति की राजनीति की जड़ें इतनी गहरी हैं कि उन्हें हिला पाना सबके वश का नहीं है.

इधर, यूनिवर्सिटी में अरविंद के कई दोस्त बन जाते हैं. इनमें अजय और सुरभि खास हैं. इनकी वजह से अरविंद थिएटर भी करने लगता है. सुरभि और अरविंद एक-दूसरे के नजदीक आते हैं. इसी बीच एक लड़ाई में अरविंद बुरी तरह घायल हो जाता है. उसे मिलने के लिए सुरभि ब्वायज हॉस्टल पहुंच जाती है. ये बाद बिंदु सिंह को पता चलती है, तो वो भी वहां पहुंच जाता है. उससे बचने के लिए सुरक्षि हॉस्टल की छत से कूद जाती है. इस हादसे में गंभीर रूप से घायल हो जाती है. इलाज के दौरान उसकी मौत हो जाती है. इससे नाराज अरविंद शुक्ला बिंदु सिंह पर हमला कर देता है. इस हमले में बिंदु बुरी तरह घायल हो जाता है. इसके बाद अरविंद एक डॉन की तरह लोगों के सामने आता है. लोगों को उसमें नया नेता नजर आने लगता है. सेठ से लेकर बाबा बैरागी तक उसके पक्ष में आ जाते हैं. लेकिन अरविंद का भविष्य क्या होगा? क्या वो बिंदू की जगह ले पाएगा? क्या बाबा बैरागी के सहयोग से वो छात्रसंघ अध्यक्ष बनेगा या फिर पिता के सपने पूरा करेगा? जानने के लिए वेब सीरीज देखनी होगी.

वेब सीरीज 'गर्मी' के निर्देशक तिग्मांशु धूलिया हैं, जिन्होंने बतौर डायरेक्टर फिल्म 'हासिल' से अपने करियर की शुरूआत की थी. जाहिर सी बात है कि 'गर्मी' और 'हासिल' का विषय जब एक है, तो वेब सीरीज पर फिल्म की छाप जरूर दिखेगी. लेकिन 20 साल के अंतराल के बाद आई ये वेब सीरीज पुराने विषय पर आधारित होने के बावजूद ट्रीटमेंट की वजह से रोचक और दिलचस्प बन पड़ी है. छात्रा राजनीति पर आधारित ऐसी कहानियां रूपहले पर्दे पर कई बार दिखाई गई हैं, लेकिन बहुत कम ने अपना प्रभाव छोड़ा है. इस मामले में 'गर्मी' सफल साबित होती है. इसकी कहानी, पटकथा और संवाद तिग्मांशु धूलिया और कमल पांडे ने लिखा है. कई संवादों में तिग्मांशु की झलक नजर आती है. जैसे कि ''रोटी और रोजगार के मामले में सब जाति समझो एकदम बराबर'', ''राजनीति का रिसर्च एंड डवपलमेंट सेंटर है. यहां प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं, प्यूचर के लिए''. वेब सीरीज में ठेठपन और देसीपन भरपूर नजर आता है. तिग्मांशु के परिपेक्ष्य में 'गर्मी' को फिल्म 'हासिल' का सीक्वल भी कहा जा सकता है.

इस वेब सीरीज में अभिनेता व्योम यादव ने अरविंद शुक्ला, पुनीत सिंह ने बिंदु सिंह, दिशा ठाकुर ने सुरभि, पंकज सारस्वत ने अजय जायसवाल, मुकेश तिवारी ने दिलबाग, अनुराग ठाकुर ने गोविंद मौर्य, विनीत कुमार ने बैरागी बाबा, जतिन गोस्वामी ने मृत्युंजय सिंह और आशीष वीरेंद्र ने चौधरी विश्वास का किरदार निभाया है. सभी कलाकारों ने अपने-अपने किरदारों को दमदारी से निभाया है. अरविंद शुक्ला के किरदार में व्योम यादव इस वेब सीरीज की सबसे बड़ी खोज कहे जा सकते हैं. ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि उनके रूप में ओटीटी का नया 'यंग्री यंगमैन' मिल गया है. उन्होंने अपनी बॉडी लैंग्वेज के जरिए एक शांत और गुस्सैल लड़के रूप बखूबी पेश किया है. बिंदू सिंह के किरदार में पुनीत सिंह ने भी शानदार काम किया है. उनके बोलने का लहजा उनके किरदार को स्थानीय टच देता है. बैरागी बाबा के किरदार में विनीत कुमार ने दमदार अभिनय किया है. जतिन गोस्वामी भी भ्रष्ट पुलिसवाले का किरदार बेहतरीन तरीके से निभाया है. कुल मिलाकर, 'गर्मी' एक देखने योग्य बेहतरीन वेब सीरीज है.

Ichowk रेटिंग: 5 में से 3.5 स्टार

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