Ghost stories netflix review: फिल्म से ज्यादा तो ट्रेलर ही डरावना था!
Ghost stories Netflix review: डरावनी फिल्म से डर की उम्मीद की जाती है, लेकिन इन चारों कहानियों को देखकर जरा भी डर नहीं लगा. बल्कि कुछ हिस्सों को देखकर सिर्फ घिन आई. फिल्म को देखकर अफसोस होता है कि बेकार में समय खराब किया. यानी सिर्फ उम्मीदों तोड़ती है Ghost Stories.
-
Total Shares
Netflix पर Ghost Stories का ट्रेलर देखने के बाद मैंने ही कहा था कि Ghost Stories trailer तो डर बर्दाश्त करने की हिम्मत का टेस्ट है. लेकिन इसे देखने के बाद बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि Ghost Stories मुझे डरा नहीं सकी. यूं लगा कि सारी क्रिएटिविटी सिर्फ इसके ट्रेलर में लगा दी गई. इतनी मेहनत अगर फिल्म पर की गई होती तो शायद चार निर्देशकों के नाम खराब नहीं होते. Ghost Stories एक Anthology film है यानी चार अलग-अलग कहानियों से मिलकर बनी हुई एक फिल्म. और हर कहानी को अलग अलग डायरेक्टर ने डायरेक्ट किया है. ये डायरेक्टर हैं अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap), जोया अख्तर (Zoya Akhtar), दिबाकर बनर्जी (Dibakar Banerjee) और करण जौहर (Karan Johar).
Ghost Stories: जो फिल्म डरा ही न सके, वो कैसी horror film.
ये चारों इससे पहले Lust Stories लेकर आए थे, जिसमें दर्शकों को लस्ट की अच्छी खासी डोज़ दी गई थी. यानी फोकस्ड थे कि फिल्म में वासना दिखानी है, तो दिख रही थी. लेकिन Ghost stories में जहां horror की डोज देनी थी, वहां ये सभी चूक गए. डरावनी फिल्म से डर की उम्मीद की जाती है, लेकिन इन चारों कहानियों को देखकर जरा भी डर नहीं लगा. बल्कि कुछ हिस्सों को देखकर सिर्फ घिन आई. फिल्म को देखकर अफसोस होता है कि बेकार में समय खराब किया. यानी सिर्फ उम्मीदों तोड़ती है Ghost Stories.
Ghost stories की चारों कहानियां निराश करती हैं
- शुरुआत होती है जोया अख्तर की कहानी से इसमें जाह्नवी कपूर (Janhvi Kapoor) और सुरेखा सीखरी (Surekha Sikri) मुख्य भूमिकाओं में हैं. जाह्नवी एक नर्स हैं जो एक बूढी महिला (सुरेखा सीखरी) का ध्यान रखती है. कहानी छोटी सी है, लेकिन डराती बिलकुल भी नहीं. बल्कि इस कहानी में जाह्नवी कपूर को जिस अंदाज में दिखाया गया है वो शायद बहुत से लोगों को पसंद नहीं आए. सुरेखा सीखरी का काम हमेशा की तरह तारीफ के काबिल है, वहीं जाह्नवी कपूर ने भी खुद को एक बेहतरीन एक्ट्रेस साबित करने में कोई कमी नहीं छोड़ी है.
ज्हान्वी कपूर और सुरेखा सीखरी ने अच्छा काम किया है
- दूसरी कहानी अनुराग कश्यप की है जो एक गर्भवती महिला की कहानी है. इसमें सोभिता धुलिपला मुख्य किरदार निभा रही हैं. उनसे अनुराग ने जैसा भी काम लिया है वो उन्होंने बिना किसी हिचक के किया है. इसके लिए सोभिता को hats off ! अनुराग कश्यप ने अपनी जिन कल्पनाओं को चित्रित करने की कोशिश की है उसे भले ही वो खौफनाक कहें, लेकिन वो घिनौनी ज्यादा लगती हैं. वो अपनी फिल्मों में वो खून-खराबे से ही ज्यादा डराते आए हैं, लेकिन इसमें तो हद ही कर दी गई. अनुराग कश्यप ने इस फिल्म के लिए सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा गालियां खाई हैं. इस फिल्म के लिए सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है कि कोई गर्भवती महिला इस हिस्से को न देखे. क्योंकि ये न सिर्फ उन्हें डराएगी बल्कि कई रातें सोने नहीं देगी.
अनुराग कश्यप ने इस फिल्म के लिए सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा गालियां खाई हैं
- अगली कहानी दिबाकर बनर्जी की है जिसमें एक शख्स ऐसे गांव में पहुंच जाता है जहां आदमी आदमी को ही खा जाते हैं. मुख्य भीमिका में सुकांत गोयल हैं जिन्होंने अच्छा काम किया है. इस फिल्म में भी खौफ सिर्फ खून और शरीर के टुकड़ों को देखकर लगता है. वरना फिल्म में Zombie और भूत डराने की कोशिश करते हुए ही नजर आते हैं. कहानी बे-सिर पैर की है, समझ नहीं आती.
कहानी अगर दर्शकों को समझ में नहीं आए तो डर कैसे लगेगा
- आखिरी कहानी है करण जौहर की जो फिल्म देखकर ही कोई भी बता सकता है. क्योंकि करण की हॉरर फिल्म में भी lavish wedding का स्कोप हो सकता है. इस छोटी सी फिल्म से ये भी साबित होता है कि करण निर्देशक के साथ-साथ एक अच्छे wedding planner भी बन सकते हैं. फिल्म में मुख्य भूमिका में मृणाल ठाकुर (Mrunal Thakur) और अविनाश तिवारी हैं लेकिन उनका काम प्रभावित नहीं करता. ये कह सकते हैं कि निर्देशक कलाकारों से बेहतर काम नहीं करवा पाए. कई सालों बाद किटू गिडवानी को देखकर अच्छा लगा. इस फिल्म में सस्पेंस तो है लेकिन डराती ये भी नहीं है.
और ये साबित हुआ कि करण जौहर अच्छे वेडिंग प्लानर भी बन सकते हैं
Ghost stories review
इस फिल्म को देखकर यही लगा कि चारों ने दोबारा सोचा कि चलो इस बार डराया जाए, लेकिन डराने का मतलब असल में डराना नहीं था. Netflix पर जो रिसपॉन्स इनकी पिछली फिल्म Lust Stories को मिला उसकी सफलता को ध्यान में रखकर एक बार फिर से फिल्म बना दी गई. लेकिन ये कहने में जरा भी संकोच नहीं होता कि ये चारों ही इस बार फेल नजर आए. डरावना प्रभाव दिखाने के लिए फिल्मों को बहुत ही dull तरीके से शूट किया गया, बेरंग दिखाया गया, लेकिन इससे डर पैदा नहीं किया जा सकता. डरावनी फिल्मों का ध्येय खौफनाक कल्पनाओं को पर्दे पर उतारना नहीं बल्कि लोगों को डराना होना चाहिए. कहानी ऐसी तो हो जो लोगों को समझ आए. कई बार आप स्टोरी को रिवाइंड करके देखेंगे ये पक्की बात है. क्योंकि एक बार में आप समझ ही नहीं पाएंगे कि- हुआ क्या?
बाकी इस फिल्म के लिए इतना ही कहेंगे कि नहीं देखी हो, तो मत देखें. बेकार में time waste ही करेंगे. Horror films के शौकीनों को तो ये फिल्म निराश ही करती है. और एक बात जो ये फिल्म साबित करती है, वो ये कि- लोग सही कहते हैं- बॉलीवुड के निर्देशक रुला सकते हैं, लेकिन डरा नहीं सकते.
ये भी पढ़ें-
Deepika Padukone Tattoo ज्ञान: रिश्ते टूटते हैं तो यादें और टैटू बोझ बन जाते हैं
Bollywood movies के शौकीनों को 2020 list रोमांचित ही करेगी
Good Newwz Box Office collection: गुड न्यूज ने दबा दी सारी दबंगई!
आपकी राय