Oscars 2023: 'आरआरआर' और 'द कश्मीर फाइल्स' में जंग के बीच इस गुजराती फिल्म ने मारी बाजी!
'ऑस्कर अवॉर्ड' के लिए 'आरआरआर' और 'द कश्मीर फाइल्स' के बीच जंग थी, लेकिन बाजी एक गुजराती फिल्म 'छेल्लो शो' मार ले गई है. इसका अंग्रेजी नाम 'लास्ट फिल्म शो' है. इसको ज्यूरी ने ऑस्कर के लिए ऑफिशियल नॉमिनेशन के लिए चुना है. आइए जानते हैं कि इस फिल्म के ऑस्कर जीतने के कितने चांस हैं? इस पर लोगों की क्या प्रतिक्रिया है?
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एसएस राजामौली की फिल्म 'आरआरआर', विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स', फहद फाजिल की मलयालम फिल्म 'मलयंकुंजू' और नानी की तेलुगू फिल्म 'श्याम सिंघा रॉय', ऑस्कर नॉमिनेशन की रेस में देश की ये तमाम बड़ी फिल्में थी. सोशल मीडिया पर पिछले कई दिनों से इस बात पर बहस हो रही थी कि 'आरआरआर' और 'द कश्मीर फाइल्स' में किसे ऑस्कर के लिए भेजा जाना चाहिए. दोनों फिल्मों के पक्ष में लोग अपने-अपने तर्क दे रहे थे. एक-दूसरे से भिड़ भी रहे थे. लेकिन 20 सितंबर को फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया ने इन सभी फिल्मों से अलग एक नई फिल्म का नाम ऐलान करके सबको हैरान कर दिया. जी हां, गुजराती फिल्म 'छेल्लो शो', जिसका अंग्रेजी नाम 'लास्ट फिल्म शो' है, को ऑस्कर के लिए ऑफिशियल नॉमिनेट किया गया है. इस फिल्म को पान नलिन ने लिखा और निर्देशित किया है.
भारत की तरफ से बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटेगरी के लिए नॉमिनेट की गई फिल्म 'छेल्लो शो' (लास्ट फिल्म शो) की कहानी एक गुजराती बच्चे के सपनों पर आधारित है. बेहद गरीब घर का एक बच्चा स्कूल जाने के साथ अपने पिता के साथ चाय की दुकान पर काम करता है. स्टेशन पर दुकान होने की वजह से वो ट्रेन में जाकर लोगों को चाय पिलाता है. पिता से छुपकर फिल्में देखने की कोशिश करता है. एक दिन वो कस्बे में स्थित सिनेमाघर जाता है. वहां प्रोजेक्शन रूम में मौजूद एक सिनेमा प्रोजेक्टर टेक्नीशियन को घर का खाना खिलाने का लालच देकर फिल्में दिखाने का आग्रह करता है. टेक्नीशियन मान जाता है, खाने के बदले उसे फिल्में दिखाने लगता है. लेकिन एक दिन वो बच्चे को धक्के मारकर सिनेमाघर से बाहर कर देता है. इसके बाद बच्चा तय करता है कि वो खुद प्रोजेक्टर तैयार करके सबको सिनेमा दिखाएगा.
फिल्म 'छेल्लो शो' (लास्ट फिल्म शो) पहले ही कई इंटरनेशनल फिल्म शो में दिखाई जा चुकी है.
इस तरह सिनेमा की वजह से एक बच्चे की पूरी जिंदगी कैसे बदल जाती है, इस फिल्म में दिखाया गया है. फिल्म के निर्देशक पान नलिन को 'एंग्री इंडियन गॉडेस', 'वेली ऑफ फ्लॉवर्स' और 'फेथ कनेक्शन' जैसी अवॉर्ड विनिंग फिल्मों के निर्माण के लिए जाना जाता है. फिल्म छेल्लो शो के ऑस्कर के लिए ऑफिशियल नॉमिनेट किए जाने के बाद अपनी खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है, ''यह किसी सपने की तरह है. फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया और उसके जूरी मेंबर्स को धन्यवाद. छेल्लो शो पर विश्वास करने के लिए शुक्रिया. मैं अब फिर से सांस ले सकता हूं और सिनेमा पर विश्वास कर सकता हूं, जो लोगों को एंटरटेन और इंस्पायर करता है.'' इस फिल्म का प्रीमियर 10 जून 2021 को 20वें त्रिबेका फिल्म फेस्टिवल में हुआ था. ये इस फिल्म फेस्टिवल में जाने वाली पहली गुजराती फिल्म थी. बीजिंग इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में छेल्लो शो को टियांटन अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट किया गया था. ये फिल्म वाला डोलिड फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट फिल्म का गोल्डन स्पाइक अवॉर्ड हासिल कर चुकी है.
फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया के इस निर्णय पर बहुत लोग हैरानी जता रहे हैं. इसके साथ ही इस बात के लिए अफसोस जाहिर कर रहे हैं कि 'आरआरआर' जैसी बेहतरीन फिल्म को ऑस्कर के लिए क्यों नहीं भेजा गया. इन लोगों का कहना है कि भारतीय सिनेमा के इतिहास में ये पहला मौका था, जब किसी भारतीय फिल्म के ऑस्कर अवॉर्ड जीतने के पूरे चांस थे. लेकिन फेडरेशन के सदस्यों न जाने गुजराती फिल्म में ऐसा क्या दिखा, जो कि उसे ऑस्कर के लिए भेज दिया. फिल्म क्रिटिक सुमित कडेल ने लिखा है, ''गुजराती फिल्म छेल्लो शो को ऑस्कर 2023 के लिए भेजा जा रहा है. ऑस्कर अवॉर्ड तो भूल जाइए, नॉमिनेशन के भी चांस नहीं हैं. पिछले दो दशक में रिलीज हुई फिल्मों में आरआरआर के ऑस्कर जीतने की संभावना सबसे अधिक थी. बहुत दुखद है कि फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया ने इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया. यदि ये लोग आर्ट सिनेमा को ही भेजना चाहते थे, तो द कश्मीर फाइल्स क्या बुरी थी, जिसे देश-विदेश में बड़ी संख्या में पसंद किया गया था. मैं ये नहीं कह रहा हूं कि छेल्लो शो कोई बुरी फिल्म है.''
पिंकविला के फिल्म पत्रकार हिमेश मनकद ने लिखा है, ''आरआरआर की वैश्विक लोकप्रियता को देखते हुए इसके ऑस्कर की कई श्रेणी में अवॉर्ड जीतने की चांस थे. लेकिन ये बात दिल दुखा रही है कि जिस फिल्म ने भारतीय सिनेमा को सेलिब्रेट किया, उसे ही ऑस्कर के लायक नहीं समझा गया. फेडरेशन के ज्यूरी मेंबर उसे पहचान ही नहीं पाए.'' लेखक और पत्रकार असजद नजीर लिखते हैं, ''गुजराती फिल्म छेल्लो शो को ऑस्कर 2023 के लिए भेजना हास्यास्पद निर्णय है. यह एक स्व-अनुग्रहकारी फिल्म है, जिसे सिनेमाघर में देखा भी नहीं गया होगा. जबकि आरआरआर फिल्म का उत्सव सिनेमाघरों में देखा जा चुका है. इसमें जूनियर एनटीआर ने विश्व स्तरीय अभिनय किया है. भारत ने एक बड़ा अवसर खो दिया है. ट्विटर पर एक यूजर श्रीलीला ने लिखा है, ''यह ह्रदय विदारक है कि एफएफआई के सदस्यों ने आरआरआर जैसी फिल्म को ऑस्कर नहीं भेजा है. इस फिल्म की पूरी दुनिया दीवानी है. इसका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन इसकी लोकप्रियता की गवाही देता है. लेकिन एक अनजान फिल्म को ऑस्कर के लायक समझा गया है.''
एफएफआई के इस फैसले के बाद फिल्म मेकर अनुराग कश्यप की वो बात याद आ रही है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारतीय फिल्म मेकर्स को इंटरनेशनल स्टैंटर्ड की फिल्में बनानी चाहिए. इसके साथ ही ऑस्कर के लिए फिल्मों का चुनाव करने वाली ज्यूरी में ऐसे सदस्य होने चाहिए जिन्हें इंटरनेशनल सिनेमा की समझ हो, उसके स्तर को जानते हो. ये नहीं कि फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया में बैठे परंपरागत लोग अपनी पसंद के हिसाब से फिल्मों का चुनाव करके ऑस्कर के लिए भेज दें. यदि अच्छी फिल्म का चुनाव होगा, तो उसके ऑस्कर जीतने की संभावना उतनी ज्यादा होगी. अधिकांशत: ऑस्कर के लिए भेजे जानी भारतीय फिल्में उसके स्तर की ही नहीं होती. ऐसे में अवॉर्ड जीतने की उम्मीद कैसे की जा सकती है. एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज के पूर्व अध्यक्ष जॉन बेली ने भी कहा था, ''भारतीय फिल्मों को व्यापक रूप से क्यों नहीं दिखाया जाता? न केवल हॉलीवुड या यूएस में, बल्कि दुनिया भर में. भारत की फिल्में चीन में बहुत लोकप्रिय हैं, लेकिन क्या वे कोरिया या जापान में लोकप्रिय हैं? आपको पीआर संगठनों, डिस्ट्रीब्यूटर्स, सरकार से यह पूछना चाहिए कि भारतीय फिल्मों को दुनिया भर में प्रचारित क्यों नहीं किया जा सकता है? जिन फिल्मों को नॉमिनेशन के लिए भेजा जाता है, क्या वे दूसरे देशों को संबोधित करती हैं?''
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