Gumraah Movie Public Review: जानिए आदित्य रॉय कपूर की 'गुमराह' कैसी है?
Gumraah Movie Public Review in Hindi: ब्लॉकबस्टर तमिल फिल्म 'थडम' की हिंदी रीमेक 'गुमराह' सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. वर्धन केतकर के निर्देशन में बनी इस सस्पेंस थ्रिलर में आदित्य रॉय कपूर, मृणाल ठाकुर, रोनित रॉय, वेदिका पिंटो, दीपक कालरा अहम भूमिका में हैं. आइए जानते हैं कि फिल्म दर्शकों और समीक्षकों कैसी लगी है.
-
Total Shares
बॉक्स ऑफिस पर लगातार असफलता मिलने के बावजूद बॉलीवुड का रीमेक फिल्मों से मोहभंग नहीं हो पा रहा है. केवल इसी साल की बात करें तो अभी तक तीन महीने में तीन फिल्में रिलीज होकर फ्लॉप हो चुकी हैं. इनमें अक्षय कुमार की फिल्म 'सेल्फी', कार्तिक आर्यन की फिल्म 'शहजादा' और अजय देवगन की फिल्म 'भोला' का नाम शामिल है. इसी कड़ी में एक नई फिल्म 'गुमराह' सिनेमाघरों में रिलीज हुई है, जो कि साल 2019 में रिलीज हुई ब्लॉकबस्टर तमिल फिल्म 'थडम' की हिंदी रीमेक है. वर्धन केतकर के निर्देशन में बनी इस सस्पेंस थ्रिलर में आदित्य रॉय कपूर, मृणाल ठाकुर, रोनित रॉय, वेदिका पिंटो, दीपक कालरा अहम भूमिका में हैं. इस फिल्म को लेकर दर्शकों और समीक्षकों की मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है. ज्यादातर लोगों का मानना है कि 'गुमराह' अपनी मूल फिल्म 'थडम' के आसपास भी नहीं ठहरती हैं. कमजोर निर्देशन और कलाकारों के औसत अभिनय प्रदर्शन ने मजा किरकिरा कर दिया है. हालांकि, कुछ लोग रोमांचक थ्रिलर फिल्म बता रहे हैं.
सोशल मीडिया पर दर्शक अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया दर्ज करा रहे हैं. ट्विटर पर एक यूजर रजत ने लिखा है, ''गुमराह एक इंगेजिंग थ्रिलर फिल्म है. इसमें कई बेहतरी ट्विस्ट हैं, जो हैरान होने पर मजबूर करते हैं. इसे एक बार जरूर देखा जाना चाहिए. आदित्य रॉय कपूर अभी तक अंडररेटेड एक्टर रहे हैं, जो कि इस फिल्म में अपने सशक्त अभिनय प्रदर्शन की वजह से चमकते हैं. मृणाल ठाकुर ने तो कमाल कर दिया है. वो बहुमुखी प्रतिभा की धनी कलाकार हैं, इस फिल्म में उन्होंने साबित कर दिया है. वर्दी का रंग उनके उपर खिल रहा है.'' निशित शॉ ने फिल्म को 5 में से 3 स्टार देते हुए लिखा है, ''गुमराह फिल्म में इमोशन और ड्रामे के साथ फनी मोमेंट भी है. आदित्य रॉय कपूर सराहनीय काम किया हैं. रोनित रॉय प्रभावशाली लगे हैं. मृणाल ठाकुर के सशक्त अभिनय ने समां बांध दिया है. हालांकि, फिल्म का दूसरा भाग पहले के मुकाबले अच्छा बन पड़ा है. शुरू में खींची हुई लगती है. कुल मिलाकर, खाली समय में फिल्म देखी जा सकती है. समग्रता में निराश नहीं करती है.''
तमिल फिल्म 'थडम' की हिंदी रीमेक 'गुमराह' सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है.
गूगल मूवी रिव्यू में महेश सूर्यवंशी ने लिखा है, ''मैं निश्चित रूप से कहूंगा कि गुमराह ने मेरी सभी अपेक्षाओं को पार कर लिया. इस फिल्म ने मुझे शुरू से अंत तक अपनी सीट से बांधे रखा. एक बार भी मैंने खुद को ऊबते हुए नहीं पाया. कहानी अपने आप में पेचीदा थी और पूरी फिल्म में मुझे बांधे रखने के लिए पर्याप्त थी. आदित्य रॉय कपूर और मृणाल ठाकुर ने बेहतरीन परफॉर्मेंस दिया है. उनकी केमिस्ट्री शानदार है, जिसे स्क्रीन पर देखना एक सुखद अनुभव रहा है. मैं उस हर व्यक्ति को गुमराह देखने की सलाह दूंगा जिसे अच्छा थ्रिलर पसंद है. नकारात्मक समीक्षाओं के बहकावे में न आएं, क्योंकि यह फिल्म निश्चित रूप से एक बार देखी जाने वाली फिल्म है. इसे देखने के बाद आपको पछतावा नहीं होगा.'' संचारी बोस लिखती हैं, ''यह एक जबरदस्त सस्पेंस थ्रिलर फिल्म है. फिल्म खत्म होने तक आप अपनी सीट नहीं छोड़ सकते. आप समय-समय पर हैरान होते रहेंगे. इस फिल्म में बहुत सारे ट्विस्ट और टर्न हैं. आदित्य रॉय कपूर ने बहुत अच्छा काम किया है. रोनित रॉय अपने रोल में परफेक्ट लगे हैं. मृणाल ठाकुर का तो कोई जवाब ही नहीं है. आपको सस्पेंस, मिस्ट्री, थ्रिलर, एक्शन और कॉमेडी के साथ रोमांस भी पसंद है, तो गुमराह मिस न करें.''
एनबीटी के लिए अपनी समीक्षा में रेखा खान ने लिखा है, ''फिल्म में किरदारों के मैनरिज्म को उनकी बैकस्टोरी से जोड़ा गया है, लेकिन इमोशनल पक्ष के कमजोर होने के कारण चरित्र कनेक्ट नहीं बना पाते. ये फिल्म किसी सच्ची घटना से प्रेरित है, लेकिन कई सवालों के जवाब नहीं मिल पाते हैं. फर्स्ट हाफ में एडिटिंग चुस्त की जा सकती थी, लेकिन एक्शन के मामले में फिल्म दमदार है. स्क्रीनप्ले कमजोर है. गीत-संगीत की बात करें, तो कई संगीतकारों की मौजूदगी के बावजूद गाने फिल्म को मजबूती नहीं दे पाते हैं. हेमंत चतुर्वेदी की सिनेमैटोग्राफी में फिल्माए गए रात के सीन देखने लायक बन पड़े हैं. बैकग्राउंड म्यूजिक औसत है. 'गुमराह' में आदित्य रॉय कपूर को अपने करियर का सबसे ज्यादा स्क्रीन स्पेस मिला है. जाहिर-सी बात है कि वे डबल रोल में हैं. उन्होंने अपने एक रोल को दूसरे से अलग करने की पूरी कोशिश की है, वे पर्दे पर काफी हैंडसम लगे हैं और एक्शन दृश्यों में भी बीस साबित होते हैं, मगर जब बात आती है डेप्थ वाले इमोशनल दृश्यों की, तो लगता है, उन्हें और मेहनत करनी चाहिए थी. मृणाल ठाकुर ने पुलिस वाली की भूमिका के साथ न्याय किया है. पुलिस के किरदार में रोनित रॉय चिरपरिचित अंदाज में नजर आए हैं.''
अमर उजाला के लिए वरिष्ठ फिल्म पत्रकार पंकज शुक्ला ने लिखा है, ''अभी चार साल पहले रिलीज हुई तमिल फिल्म ‘थडम’ के रीमेक के रूप में बनी फिल्म ‘गुमराह’ (2023) हिंदी सिनेमा के गुमराह होने का एक और नमूना है. फिल्म ‘थडम’ अगर आपने देखी है तो उसके सामने फिल्म ‘गुमराह’ (2023) कहीं नहीं ठहरती और इसके लिए पूरी तरह से जिस एक शख्स की जिम्मेदारी बनती है, वह हैं फिल्म के निर्देशक वर्धन केतकर. एक्शन दृश्यों में ही अपनी पूरी ऊर्जा लगा देने वाले वर्धन ने अगर फिल्म के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर थोड़ा बेहतर काम किया होता तो ये फिल्म एक अच्छी मनोरंजक फिल्म साबित हो सकती है. अभी ये एक बहुत ही औसत मसाला फिल्म बनकर रह गई है. टी सीरीज की फिल्म में संगीत का स्तर गिरकर कहां आ पहुंचा है, उस पर अब कोई ज्यादा ध्यान देता भी नहीं हैं. उनके म्यूजिक वीडियोज व्यूज ला रहे हैं. फिल्मों की लागत ओटीटी राइट्स से निकल आ रही है. कारोबार अच्छा चल रहा है. सिनेमा की खास किसी की पड़ी भी नहीं है.''
दैनिक जागरण में मनोज वशिष्ठ ने लिखा है, ''पिछली कई साउथ फिल्मों की रीमेक मसलन कबीर सिंह, जर्सी के साथ ऐसा हुआ है कि मूल फिल्म के निर्देशकों ने ही हिंदी रीमेक का भी निर्देशन किया था. हालांकि, गुमराह के साथ ऐसा नहीं है. मूल फिल्म का लेखन मगीज थिरुमेनी ने किया था, जबकि गुमराह को वर्धन केतकर ने निर्देशित किया है. क्राइम सीन को फिल्म की शुरुआत में रखने का वर्धन का आइडिया अच्छा है, लेकिन आगे फिर कमजोर स्क्रीनप्ले उसे कोई दिशा नहीं देती है. एक हत्या, दो हमशक्ल संदिग्ध, यह सुनने में भी दिलचस्प है, लेकिन पर्दे तक वह रोमांच नहीं पहुंचता है. मूल फिल्म की शुरुआत क्राइम सीन से नहीं होती है, लेकिन हर एक सीन के साथ फिल्म में रोमांच का स्तर बढ़ता है. इस फिल्म में पहला हाफ खत्म होते-होते अंदाजा लग जाता है कि खून किसने किया होगा. पहले हाफ में अर्जुन और जाह्नवी (वेदिका पिंटो) के बीच के प्रेम-प्रसंग वाले सीन को एडिट किया जा सकता था. जब दोनों हमशक्ल सामने आते हैं, तो एक रोमांच पैदा होता है, लेकिन वह परवान नहीं चढ़ता. रीमेक की वजह से कुछ सीन हूबहू मूल फिल्म जैसे ही हैं. ऐसे में सिनेमैटोग्राफर विनीत मल्होत्रा कैमरा एंगल से नयापन ला सकते थे.''
आपकी राय