Hello Charlie Movie Review: कॉमेडी के नाम पर 'कलंक' है फिल्म 'हैलो चार्ली'
साल 2019 में करण जौहर की एक फिल्म आई थी 'कलंक', जिसमें वरुण धवन, आलिया भट्ट, संजय दत्त, माधुरी दीक्षित और सोनाक्षी सिन्हा मुख्य भूमिकाओं में थे. इतने बड़े बैनर और स्टारकास्ट के बावजूद इस फिल्म का जो हाल हुआ, वैसा ही आदर जैन और जैकी श्रॉफ की फिल्म 'हैलो चार्ली' का होने वाला है.
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फरहान अख्तर और रितेश सिधवानी द्वारा निर्मित फिल्म 'हैलो चार्ली' (Hello Charlie) अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गई है. इसके निर्देशक पंकज सारस्वत हैं. वहीं, आदर जैन (Aadar Jain), जैकी श्रॉफ (Jackie Shroff), एलनाज नौरोजी (Elnaaz Norouzi), श्लोका पंडित (Shlokka Pandit) और राजपाल यादव (Rajpal Yadav) मुख्य भूमिकाओं में हैं. कॉमेडी जॉनर की इस फिल्म के जरिए रणबीर कपूर और करीना कपूर की बुआ के बेटे आदर जैन चार साल बाद बॉलीवुड में वापसी कर रहे हैं. इससे पहले साल 2017 में फिल्म 'कैदी बैंड' से उन्होंने बॉलीवुड में डेब्यू किया था, लेकिन फिल्म इस कदर फ्लॉप हुई कि उनको दोबारा किसी ने मौका ही नहीं दिया. अब फिल्म 'हैलो चार्ली' को देखने के बाद ऐसा लग रहा है कि उनका करियर दांव पर न लग जाए.
फिल्म 'हैलो चार्ली' में बेहद ही खराब अभिनय, कमजोर कहानी और लचर निर्देशन के बीच थोड़ी बहुत इज्जत म्यूजिक और डायलॉग की वजह से बच पाई है. इस फिल्म के निर्देशक ने कॉमेडी का पुराना फॉर्मूला अपनाने की कोशिश की है, जिसमें बहुतेरे किरदार और कंफ्यूजन भरे माहौल के बीच भागमभाग मचती है. दर्शक बिना दिमाग लगाए फिल्म को देखकर हंस-हंस कर लोटपोट हो जाते हैं, जैसा कि फिल्म गोलमाल और हेराफेरी में हुआ है. लेकिन कॉमेडी के साथ एडवेंचर का तड़का लगाने के चक्कर में निर्देशक ने फिल्म को कहीं का नहीं छोड़ा है. फिल्म न घर की रही है, न घाट की. माइंडलेस कॉमेडी के साथ यह एक हल्की-फुल्की फिल्म है, जिसे आप अपने बच्चों के साथ देख सकते हैं, लेकिन एक वॉर्निंग पहले ही है, फिल्म में दिमाग बिल्कुल भी इस्तेमाल ना करें.
फिल्म 'हैलो चार्ली' के साथ एक्टर आदर जैन चार साल बाद बॉलीवुड में वापसी कर रहे हैं.
फिल्म की कहानी
फिल्म 'हैलो चार्ली' तीन किरदारों के इर्द गिर्द घूमती है. इनमें मुंबई का एक बिजनेसमैन एमडी मकवाना (जैकी श्रॉफ), चिराग रस्तोगी उर्फ चार्ली (आदर जैन) और गोरिल्ला शामिल हैं. एमडी मकवाना करोड़ों रुपए का घोटाला करके मुंबई छोड़कर भागने के फिराक में है. उसकी गर्लफ्रैंड मोना (एलनाज नौरोजी) गोरिल्ला के कॉस्ट्यूम में दीव जाने की सलाह देती है, ताकि वहां से समुद्र के रास्ते दुबई भाग सकें. इसी बीच इंदौर का रहने वाला चिराग उर्फ चार्ली अपने बड़े सपने लिए मुंबई आता है. पैसा कमाकर अपने पिता का कर्ज भरना चाहता है, लेकिन उसे कोई अच्छा काम नहीं मिल पाता. तभी उसकी मुलाकात मोना से होती है. उसे गोरिल्ला के वेश में मकवाना को ट्रक से दीव ले जाने का ऑफर देती है. चार्ली राजी हो जाता है, लेकिन उसे यह नहीं पता कि टोटो एक असली गोरिल्ला नहीं, बल्कि जानवर के वेश में एक बिजनेसमैन है.
मुंबई से दीव के रास्ते में चार्ली और टोटो की अच्छी दोस्ती हो जाती है. दोनों साथ नाचते और गाते हैं. एक साथ कई मुसीबतों का सामना करते हैं, लेकिन चार्ली टोटो का साथ नहीं छोड़ता. इधर, एक जंगली गोरिल्ला युगाण्डा से जूनागढ़ के जू में लाया जा रहा होता है. उसी समय उसका प्लेन क्रैश हो जाता है. गोरिल्ला वहां से भागकर जंगल में चला जाता है. गोरिल्ले की खोज में वन विभाग के अधिकारी राम सिंह (राजपाल यादव) अपने एक सहयोगी के साथ निकलता है. रास्ते में जाते समय असली और नकली गोरिल्ले का सामना एक ढाबे पर हो जाता है. यह देखकर चार्ली हैरान रह जाता है. क्या एमडी मकवाना देश छोड़कर भाग पाएगा? इस हेराफेरी के बीच क्या चार्ली अपने पिता के कर्ज के पैसे जमा कर पाएगा? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी, लेकिन इस फिल्म को देखने का हम सुझाव नहीं देंगे.
फिल्म समीक्षकों की राय
रिशिता रॉय चौधरी: माइंडलेस कॉमेडी है फिल्म
इंडिया टुडे में फिल्म समीक्षक रिशिता रॉय चौधरी लिखती हैं, 'जब भी कोई फैमली फ्रेंडली फिल्म बनती है, तो दर्शक वर्ग के रूप में बच्चों और वयस्कों को ध्यान में रखा जाता है. फिल्म 'हैलो चार्ली' एक माइंडलेस कॉमेडी है, जो बच्चों को थोड़ी पसंद आ सकती है, लेकिन बड़ी उम्र के दर्शकों को नहीं. यदि आप अपने दिमाग की बत्ती बुझाकर केवल स्क्रीन के सामने बैठे रहना चाहते हैं, तो इस वीकेंड आप इस फिल्म को देख सकते हैं, लेकिन हमारा सुझाव तो यह है कि यदि आपको गोरिल्ला की ही फिल्म देखनी है, तो हैलो चार्ली से बेहतर हॉलीवुड की फिल्म 'गॉडजिला वर्सेज कांग' है. ये कहावत कही जाती है, 'शायद किसी ने ठीक ही कहा है, जो कुछ नहीं करते वो कमाल करते हैं', ऐसा लगता है कि इस फिल्म के मेकर्स ने इस कहावत को आत्मसात कर लिया है. लेकिन अफसोस बेचारे बिना कुछ किए भी कमाल नहीं कर पाए हैं.'
पंकज शुक्ल: परदे पर नहीं जमी कॉमेडी महफिल
अमर उजाला में वरिष्ठ फिल्म पत्रकार पंकज शुक्ल लिखते हैं, 'हैलो चार्ली फिल्म बहुत नकली है. हीरो आदर जैन से फिल्म में वो सब करवाया गया है जो जीवन में उन्होंने शायद ही कभी किया हो. वह अपनी पिछली 'कैदी बैंड' से रत्ती भर भी आगे नहीं बढ़े हैं. उनसे ज्यादा इस फिल्म को लोगों ने जिस नाम की वजह से ज्यादा देखा, वह है इसके राइटर डायरेक्टर पंकज सारस्वत. छोटे परदे पर कमाल के कॉमेडी धारावाहिक बनाते रहे पंकज बड़े परदे पर अपनी पहली ही कॉमेडी कोशिश में रायता फैला देंगे, उनके किसी प्रशंसक ने नहीं सोचा होगा. उनकी फिल्म ‘हैलो चार्ली’ की कल्पना ही गड़बड़ है. भारतीय दर्शकों की पसंद जानवरों पर आधारित फिल्मों के मामलों में 'राया-द लास्ट ड्रैगन', 'द लॉयन किंग', 'जंगल बुक' और 'मोगली' के स्तर तक पहुंच चुकी है. इनके सामने 'हैलो चार्ली' कहीं ठहरने की सोच भी नहीं सकती.
नीरज वर्मा: दर्शकों को निराशा ही हाथ लगेगी
नवभारत टाइम्स में फिल्म पत्रकार नीरज वर्मा लिखते हैं, 'धमाल, गोलमाल, नो एंट्री जैसी फिल्मों की कहानी भी कुछ खास नहीं थीं, लेकिन चुस्त स्क्रिप्ट और कॉमिडी टाइमिंग के कारण इन्हें पसंद किया गया था. ऐसी केमिस्ट्री फिल्म में आदर जैन और जैकी श्रॉफ के बीच नहीं दिखाई देती है. ऐक्टिंग पर काम किए जाने की जरूरत है. अच्छे लुक्स के बावजूद वह हर बार केवल रणबीर कपूर की ही याद दिलाते रहते हैं. उनकी आवाज, एक्सप्रेशन रणबीर से काफी मिलते-जुलते हैं, लेकिन वह ऐक्टिंग उनके जैसी नहीं कर पाते हैं. एलनाज नौरोजी अपने छोटे से किरदार में अच्छी लगी हैं. राजपाल यादव, दर्शन जरीवाला, सिद्धांत कपूर और श्लोका पंडित के पास करने के लिए कुछ खास नहीं था. इसलिए एक बार फिर आदर जैन को ऑडियंस की ओर से निराशा ही हाथ लगेगी. वीकेंड पर कुछ भी देखने के लिए न हो, तो इस फिल्म को देखें.
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