क्या इसी तरीके बॉलीवुड की नकेल अपने हाथ में रखते हैं बड़े घराने, भला कोई आउट साइडर कैसे घुसेगा?
बॉलीवुड में तमाम सितारे जो आपको सुपरस्टार की तरह नजर आते हैं हो सकता है उसमें कई 'बंधुआ' मजदूर हों. जिनकी लगाम कुछ फ़िल्मी सामंतों के हाथ में होती है. फिलहाल रणवीर सिंह-यशराज के तलाक से उसे बेहतर समझ सकते हैं.
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रणवीर सिंह हाल के दिनों में खूब चर्चा में रहे. इसकी वजह थी कि रणवीर ने यशराज फिल्म्स के साथ 12 साल पुराना प्रोफेशनल रिश्ता पूरी तरह से ख़त्म कर लिया. रणवीर और यशराज फिल्म्स टैलेंट मैनेजमेंट एजेंसी के रास्ते अलग हो चुके हैं. कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि असल में इसकी वजह यशराज के साथ रणवीर की पिछली फिल्मों (83 और जयेशभाई जोरदार) का बुरी तरह फ्लॉप होना रहा. कुछ ने यह भी कहा कि रणवीर के संभावित प्रोजेक्ट्स (ब्रह्मास्त्र 2) में दूसरे सितारों (केजीएफ़ फेम यश और रितिक रोशन) की कास्टिंग की अफवाह उड़ाना भी यशराज से रणवीर के नाराज होने की वजह रहा. क्योंकि एक्टर की ब्रांड वैल्यू को नुकसान पहुंचाने की कोशिशें हो रही थीं. हालांकि ना तो रणवीर और ना ही यशराज फिल्म्स ने अभी तक इस बारे में कोई बयान दिया है.
बावजूद बॉलीवुड हंगामा ने मामले में अपने सूत्रों के हवाले से वजह बताने की कोप्शिश की है. बॉलीवुड हंगामा के मुताबिक़ यशराज के साथ रणवीर का कॉन्ट्रेक्ट रीन्यू होना था. रीन्यू से पहले रणवीर ने अपनी ब्रांड इंडोर्समेंट फीस से यशराज को मिलने वाले कमीशन को कम करने का अनुरोध किया था. लेकिन यशराज की टैलेंट एजेंसी इसके लिए तैयार नहीं थी और रणवीर ने रिश्तों को ख़त्म करने का फैसला लिया. रणवीर को 12 साल पहले यशराज फिल्म्स ने ही 'बैंड बाजा बारात' से लॉन्च किया था. रणवीर एक कारोबारी परिवार से हैं और कहा यह भी जाता है कि उनके पिता ने बेटे के करियर के लिए उनकी पहली फिल्म में 10 करोड़ रुपये का निवेश भी किया था. शुरुआती नाकामियों के बाद रणवीर बड़े सितारे बने. हालांकि यशराज के साथ पहली ही फिल्म करने की वजह से वह इंडस्ट्री का चर्चित चेहरा हो गए थे.
रणवीर सिंह.
यशराज और रणवीर के प्रोफेशनल रिश्ते ख़त्म होने में आईचौक की कोई दिलचस्पी नहीं है. दोनों अपनी-अपनी जगह सही हो सकते हैं. आज की तारीख में रणवीर एक बड़ा नाम हैं और फिल्मों के साथ तीन दर्जन से ज्यादा ब्रांड एंडोर्समेंट उनके हाथ में है.
कैसे फ़िल्मी सितारों से बंधुआ मजदूरी कराते हैं बॉलीवुड के महान घराने, लेकिन यह शोषण नहीं है
आगे की कहानी का यशराज और रणवीर के मामले से भी कोई लेना-देना नहीं है. सिवाय इसके कि हम जो कहानी बताएंगे उससे एक मिलता जुलता मामला सुशांत सिंह राजपूत और यशराज फिल्म्स का देखने को मिला था. सुशांत को भी यशराज ने ही लॉन्च किया था. और उन्होंने आत्महत्या कर ली थी. कहा गया कि कुछ लोगों ने उनके करियर को तबाह करने की कोशिश की. उन्हें कुछ फिल्मों से निकाला गया. उनकी एक फिल्म पानी, को प्रभावित किया गया. जिसे शेखर कपूर बनाना चाहते थे. शेखर कपूर ने भी तमाम तरह के आरोप लगाए थे. सुशांत के कुछ मामले कोर्ट में हैं और उसमें एजेंसियां जांच कर रही हैं. बावजूद हम सुशांत, यशराज फिल्म्स या रणवीर सिंह को ही लेकर किसी निषकर्ष की स्थापना नहीं करते हैं. आगे जो कहानी बताने जा रहे हैं उसमें यशराज, या रणवीर या किसी और का कोई लेना देना नहीं है.
हम यह बताना चाहते हैं कि बॉलीवुड के 'महान' घराने किस तरह चीजों को डील करते हैं. एक कानूनी दायरे में "बंधुआ" प्रथा को ही चलाते हैं. और अपना एकाधिकार बनाए रखते हैं. किस सितारे को कितना बड़ा होना है कौन सी फिल्म करनी है तय करते हैं. और उसकी प्रतिभा और मेहनत से हुई कमाई में बिना नून फिटकरी लगाए महज एक कॉन्ट्रेक्ट की वजह से जिंदगी भर लगान वसूलते रहते हैं. मोटा मुनाफा कमाते हैं.
बॉलीवुड के महान और बड़े बैनर जब किसी नए सितारे को अपनी फिल्मों के जरिए लॉन्च करते हैं तो उनकी टैलेंट एजेंसियां लॉन्च होने वाले सितारों के साथ कॉन्ट्रेक्ट करती हैं. भले ही बैनर की फिल्म में सितारे ने खुद पैसा इन्वेस्ट किया हो. पर बैनर अपने ब्रांड की कीमत वसूलता है. बैनर इसलिए ब्रांड की कीमत वसूलता है क्योंकि उसकी अनुमति के बिना उसके रिंग में आप ना तो उतर सकते हैं ना फाइट कर सकते. आप ताकतवर (प्रतिभाशाली) हैं या नहीं, यह बॉलीवुड के लिए मायने नहीं रखता. आप मरियल हैं तो भी वह आपको विजेता (स्टार) बना सकता है. उसके पास नाना प्रकार के रास्ते हैं. हथकंडा है. क्योंकि बैनर की वजह से आपकी फिल्मों को स्क्रीन मिलते हैं. डिस्ट्रीब्यूटर बैनर की वजह से फिल्म में रूचि लेता है. मीडिया भी बैनर की वजह से किसी फिल्म की औकात तय करता है. व्यापक दर्शक भी बैनर की वजह से ही फिल्मों को देखने जाते हैं. बावजूद बैनर हिट होने की गारंटी नहीं देता. मगर स्टार बनाने के रास्ते तो बना ही देता है.
कॉन्ट्रेक्ट में आपका भविष्य भी तय हो जाता है. आप दूसरे निर्माताओं के साथ काम नहीं कर सकते. अगर दूसरे निर्माता आपको लेना चाहते हैं तो अंतिम फैसला कॉन्ट्रेक्ट रखने वाली कंपनी का होगा. दूसरे निर्माताओं से आपको जो फीस मिलेगी, उसमें भी एक बड़ा हिस्सा कॉन्ट्रेक्ट रखने वाले को देना होगा. आप किसी बहुत प्रतिभाशाली निर्देशक या बैनर के साथ काम करना चाहते हैं, और आपको लगता है कि वह आपका करियर स्वन्वार देगा, वह प्रोजेक्ट शर्तिया हिट होने की क्षमता रखता हो - बावजूद कॉन्ट्रेक्ट रखने वाला बैनर ही तय करेगा कि आप वह फिल्म करेंगे या नहीं. वह आपकी इच्छा के बावजूद मना कर सकता है. कॉन्ट्रेक्ट रखने वाले की इच्छा है कि आप कितने बड़े सितारे बनेंगे. आपकी प्रतिभा और मेहनत चूल्हे भाड़ में जाए. कॉन्ट्रेक्ट रखने वाला चाहेगा तो आपको फिल्मों के ऑफर मिलेंगे बावजूद मुंबई के किसी फ़्लैट में बैठकर मक्खियां मारते नजर आएंगे और आप कहीं भी उसकी शिकायत नहीं कर सकते. कॉन्ट्रेक्ट में तमाम तरह की शर्तें होती हैं. आप बड़े सितारे बन जाते हैं और आपको ढेरों ब्रांड मिलते हैं तो उसमें भी एक्टर की कमाई से 'लगान' वसूला जाता है.
हीरोइनों की प्रेग्नेंसी तक तय होती है कॉन्ट्रेक्ट से
हीरोइनों के कॉन्ट्रेक्ट में अफेयर, रिलेशनशिप, शादी और उनकी प्रेग्नेंसी तक तय हो सकती है. हालांकि ऐसे मामले सुनने को नहीं मिले हैं. बावजूद कुछ फिल्मों को लेकर प्रेग्नेंसी की शर्तें तो सामने आ चुकी हैं. कुल मिलाकर बंधुआ मजदूरी का एक सभ्य, कानूनी तरीका है. लोगों को करना पड़ता है. क्योंकि बॉलीवुड में महान घरानों का एकाधिकार ही ऐसा है. आप कुढ़ते रहते हैं कुछ बोल नहीं पाते. हो सकता है कि हम जिन बड़े-बड़े सितारों को देखते हैं उनमें ऐसे ही तमाम 'बंधुआ' मजदूर ही निकले.
चूंकि बॉलीवुड में चीजें महान घराने मिलकर तय करते हैं तो भला कौन उन्हें चुनौती देगा. जबकि यह आपकी ही सहमति से कानूनी दायरे में पेशेवर तरीके से किया जा रहा है. कल्पना की जा सकती है कि बॉलीवुड की बड़ी फिल्मों में किसी सामान्य आउटसाइडर का अभिनेता के तौर पर करियर बनाना कितना मुश्किल काम है.
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