Metoo पर हंसना बंद करो प्रीति, हैरेसमेंट की शिकार तुम भी हुई हो... - How can Preity Zinta forget her Me too moment and keep laughing
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Updated: 20 नवम्बर, 2018 05:18 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
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बॉलीवुड में शोषण होता है या नहीं होता है, इसपर अब हमारी या आपकी बहस कोई मायने नहीं रखती, क्योंकि #MeToo आंदोलन ने सभी ढकी-छुपी बातों से पर्दा हटा दिया है. हमने विक्टिम्स को भी देखा, उनका सपोर्ट करते फिल्मी सितारों को भी देखा और उनके भी चेहरे देखे जो अब तक शराफत का चोला ओढे हुए थे. पर ऐसे में जब एक एक्ट्रेस ये कहती है कि 'फिल्म इंडस्ट्री सबसे सुरक्षित जगहों में से एक है' तो बड़ा अजीब लगता है.

ये हैं प्रीति जिंटा, जिन्हें तब बहुत बुरा लगता है जब कोई फिल्म इंडस्ट्री को बुरा कहता है. क्योंकि उनके हिसाब से 'फिल्म इंडस्ट्री सबसे सुरक्षित जगहों में से एक है और ये वो जगह है जहां उन्होंने सबसे ज्यादा शिष्ट और सभ्य लोगों के साथ काम किया है.' एक इंटरव्यू के दौरान प्रीति ने मीटू मामले पर अपने विचार रखे थे. खैर, ये उनका निजी अनुभव है, और सबके अनुभव एक जैसे नहीं होते.

preity zintaप्रीति जिंटा ने मीटू का मजाक उड़ाया है

लेकिन जिस बात को लेकर प्रीति की आलोचना की जा रही है, वो उनके अनुभवों की सच्चाई और बातों की गंभीरता की अलग ही कहानी कहता है. जब प्रीति से सवाल किया गया कि क्या उन्होंने कभी यौन उत्पीड़न का अनुभाव किया है, तो उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया- ''काश मैं भी इस तरह के हैरेसमेंट का शिकार हुई होती..ताकि मैं आपके इस सवाल का जवाब दे पाती''. और अपनी बातचीत के बाद उन्होंने मीटू की गंभीरता को एक बार फिर हंसी में उड़ाते हुए एक बेहद सस्ता सा डायलॉग सुनाया- ''मेरे पास इस मामले के लिए एक लाइन जरूर है- आज की स्‍वीटू कल की मीटू हो सकती है..' इंटरव्यू को देखकर आप समझ सकते हैं कि किस तरह एक गंभीर मुद्दे पर प्रीति ने ठहाके लगाए. और शायद वो इंटरव्यू लेने वाले के भाव देखकर ये समझ भी गई थीं इसीलिए कई बार उन्होंने सॉरी भी बोला. लेकिन तीर कमान से निकल चुका था.

प्रीति के गालों के डिंपल से उनकी हंसी बहुत प्यारी लगती हैं. लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं कि प्रीति किसी भी गंभीर मामले पर एक जोक मारकर हंसने लग जाएं. इस बार उनकी हंसी उनके फैन्स को भी जरूर चुभी होगी.

सोशल मीडिया पर सब उनके इस इंटरव्यू की आलोचना कर रहे हैं

इस मामले पर प्रीति का कहना था कि 'ये इंटरव्यू एडिटेट था, जिसे गलत तरीके से पेश किया गया है जो बहुत ही दुखद है.'

लेकिन जब ये मामला हाथ से निकल गया तो प्रीति ने अपनी सफाई एक पत्र लिखकर कुछ इस तरह दी.

लेकिन मामला सिर्फ इतनी भी नहीं था. प्रीति ने एक झूठ भी बोला था कि उनके साथ कभी शोषण नहीं हुआ. जबकि हकीकत तो ये है कि उनके साथ हुए शोषण की कहानी तो बॉलीवुड के इतिहास में दर्ज है. उनकी और नेस वाडिया के प्यार और टकरार की कहानी तो मीटू पर ही आधारित थी.

क्या ये प्रीति का शोषण नहीं था?

2005 में प्रीति का करियर अच्छा चल रहा था नेस के साथ रिलेशनशिप में थीं औप बिज़नेस में भी हाथ डाला हुआ था IPL टीम की मालकिन थीं. लेकिन 2009 में दोनों अलग हो गए. खबर थी कि ब्रेकअप के कुछ ही महीनों पहले एक पार्टी में नेस ने प्रीति जिंटा पर हाथ उठा दिया था. ब्रेकअप के बाद प्रीति ने कहा था कि वो दोनों दोस्त और बिज़नेस पार्टनर्स बने रहेंगे. लेकिन 2014 में प्रीति ने जो किया उसने पूरे देश को हिला दिया था. तब मीटू हैशटैग के तहत कोई खुद पर हुए शोषण को बयां नहीं करता था. तब प्रीति ने नेस वाडिया के खिलाफ बदतमीजी करने और धमकाने की शिकायत की थी.

preity - nessप्रीति और नेस वाडिया के संबंध जो छेड़छाड़ की शिकायत पर खत्म हुए

प्रीति ने नेस पर आरोप लगाया था कि 2014 के एक आईपीएल मैच के दौरान नेस ने उन्हें प्रताड़ित किया था. वाडिया टिकट बांटने को लेकर टीम के स्टाफ को अपशब्द कह रहे थे. उस समय उनकी टीम जीत रही थी और जिंटा ने वाडिया से शांत होने को कहा. इस पर उन्होंने प्रीति के साथ गाली-गलौज की और उनका हाथ पकड़ा और बदसलूकी की. नेस ने इतनी जोर से हाथ पकड़ा था कि उससे प्रीति के हाथ पर निशान पड़ गया था. जिसके 4 फोटो भी उन्‍होंने पुलिस को सौंपे थे. प्रीति ने अपनी शिकायत में यह भी कहा था कि नेस ने अपनी ऊंची पहुंच का हवाला देते हुए उन्हें गायब करवा देने की धमकी भी दी थी. फिलहाल इसी साल अक्टूबर में अदालत ने इस केस को खारिज कर दिया क्योंकि नेस वाडिया के माफी मांगे जाने के बाद प्रीत‍ि जिंटा ने ये केस वापस लिया.

प्रीति के मीटू की पूरी रिपोर्ट आप यहां देख सकते हैं-

इतना सब हो जाने के बाद प्रीति का ये कहना कि उन्होंने तो कभी शोषण का अनुभव ही नहीं किया, साफ बताता है कि प्रीति सिर्फ बातें बना रही हैं. अगर इंटरव्यू पर कही उनकी इस बात को सही माना जाए तो उनके केस का आधार ही झूठा साबित हो जाता है. हो सकता है प्रीति ने मीटू को सिर्फ बॉलीवुड से जोड़कर ही समझा हो, इसीलिए वो अपने शोषण के केस को मेंशन करना भूल गई हों. या फिर ये भी हो सकता है कि मोलेस्टेशन का केस खारिज होने के बाद प्रीति ने इस मुद्दे को भी खारिज कर दिया. लेकिन जो भी प्रीति जिंटा से ये उम्मीद तो की ही जा सकती थी कि वो मीटू जैसे मामले को गंभीरता से लेतीं. कम से कम वो घटिया जोक तो न कहतीं. बॉलीवुड का पक्ष लेने के चक्कर में उन्होंने लोगों की नजरों में अपना कद बहुत छोटा कर लिया. और अगर ये एक पब्लिसिटी स्टंट था तो सच में बेहद घटिया था. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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