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Updated: 15 जनवरी, 2022 04:51 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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क्लीनिकल रिसर्च के तहत जब कोई रिसर्च किया जाता है तो उसे क्लीनिकल या ड्रग ट्रायल कहते हैं. जब किसी बीमारी के रोकथाम के लिए कोई टीका या दवा तैयार किया जाता है, तो उसका क्लीनिकल ट्रायल से परीक्षण किया जाता है. ह्यूमन ड्रग ट्रायल की शर्ते बहुत कठिन होती हैं, जिसकी वजह से ज्यादातर फार्मा कंपनियां कुछ डॉक्टरों के साथ मिलीभगत करके चुपके से लोगों पर क्लीनिकल ट्रायल करती हैं. इस तरह से अपने करोड़ों के फायदे की खातिर ये कंपनियां लोगों की जान को खतरे पर डाल देती हैं. इसकी वजह से हर साल हजारों लोगों की मौत हो जाती है. फार्मा कंपनियों और डॉक्टरों की इन्हीं काली करतूतों को वेब सीरीज 'ह्यूमन' में उजागर किया गया है. विपुल अमृतलाल शाह और मोजेज सिंह द्वारा निर्देशित यह वेब सीरीज ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रही है.

human-review-out-001_011422091558.jpgमेडिकल थ्रिलर ड्रामा वेब सीरीज 'ह्यूमन' में शेफाली शाह और कीर्ति कुल्हारी लीड रोल में हैं.

इस मेडिकल थ्रिलर ड्रामा वेब सीरीज 'ह्यूमन' की कहानी मोजेज सिंह और इशानी बनर्जी ने लिखी है. इसमें अभिनेत्री शेफाली शाह और कीर्ति कुल्हारी के साथ विशाल जेठवा, राम कपूर, सीमा बिस्वास, आदित्य श्रीवास्तव और मोहन अगाशे अहम किरदारों में हैं. नेटफ्लिक्स की बहुचर्चित वेब सीरीज 'दिल्ली क्राइम' के बाद पहली बार शेफाली शाह एक सशक्त केंद्रीय भूमिका में दिखाई दी हैं. अपने किरदार के लिए की गई उनकी मेहनत तो इसमें दिखाई देती है, लेकिन थोड़ा बनावटीपन भी दिखता है. ऐसा लगता है कि अपने पिछले परफॉर्मेंस की लोकप्रियता के दबाव में आकर शेफाली अपने इस किरदार में सहज नहीं रह पाती हैं. हालांकि, वेब सीरीज की कहानी और पटकथा इतनी दुरुस्त लिखी गई है कि आप एक पल के लिए नजर नहीं हटा सकते हैं. वेब सीरीज की रोचक कहानी इसे बिंज-वॉचिंग बनाती है.

Human Web series की कहानी

वेब सीरीज 'ह्यूमन' की कहानी भोपाल के मंथन अस्पताल की मालकिन डॉ. गौरी नाथ (शेफाली शाह) और उनकी सहयोगी डॉ. सायरा सभरवाल (कीर्ति कुल्हारी) के इर्द-गिर्द घूमती है. वेब सीरीज की शुरूआत भोपाल के वायु फार्मा लैब से होती है. वहां दिखाया जाता है कि दवाइयों का क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है, जिसके लिए चूहों और खरगोश का इस्तेमाल किया जा रहा है. उन सफल परीक्षण के बाद इन दवाओं को ह्यूमन ट्रायल के लिए भेजा जाता है. दूसरी तरफ डॉ. सायरा सभरवाल मंथन अस्पताल ज्वाइन करती है. डॉ. गौरी नाथ अपने पार्टनर की इच्छा के खिलाफ जाकर डॉ. सायरा का चयन करती हैं, क्योंकि उनको पता है कि वो अपने काम में माहिर हैं. इसके साथ ही डॉ. गौरी को अपने एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए भी डॉ. सायरा मुफीद नजर आती है. डॉ. सायरा के दिल में डॉ. गौरी के लिए अथाह सम्‍मान है.

वायु फार्मा का मालिक एक सरकारी डॉक्टर की मदद से दिल के मरीजों की नई दवा एस93आर ह्यूमन ट्रायल शुरु कर देता है. इसके लिए शुरू में आठ लोगों को दवा दी जाती है. इसमें एक शख्स की मौत हो जाती है. इस मामले को किसी तरह दबाने की कोशिश होती है, लेकिन ट्रायल किसी भी कीमत पर जारी रखने की कोशिश की जाती है. इसी के तहत गरीबों और मजबूरों को निशाना बनाया जाता है. उनको पैसों का लालच दिया जाता है. इसी लालच में एक झुग्गी-बस्ती में रहने वाला एक लड़का मंगू (विशाल जेठवा) भी आ जाता है. वो अपनी मां को भी क्लिनिकल ट्रायल के लिए ले जाता है. लेकिन दवा रिएक्शन कर जाती है. वह तड़प-तड़प कर मर जाती है. मंगू जैसे और भी लोग हैं, जिनके परिवारवाले ट्रायल के खराब नतीजे भुगतते हैं. क्या इन पीड़ितों को न्याय मिलता है? इसे जानने के लिए वेब सीरीज देखनी होगी.

Human Web series की समीक्षा

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का नाम सामने आते ही साल 1984 में हुई गैस त्रासदी की भयावह तस्वीरें सामने दिखने लगती हैं. इस गैस कांड में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के प्लांट से मिथाइलआइसो सायनाइट गैस के रिसाव होने के बाद सरकारी आंकड़ों में तो 5000, लेकिन हकीकत में 16000 से ज्यादा लोग मारे गए थे. करीब 6 लाख लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए थे. हर तरफ चीख-पुकार थी. कोहराम मचा हुआ था. इस खौफनाक मंजर की निशानी आज तक भोपाल में मौजूद है. शायद भोपाल की इसी छवि भुनाने के लिए वेब सीरीज को उसी पृष्ठभूमि में बनाया गया है. इस वेब सीरीज के लेखकों मोजेज सिंह और इशानी बनर्जी तारीख के काबिल हैं, जिन्होंने एक संवेदनशील विषय पर आधारित इतनी रोचक और दिलचस्प कहानी लिखी है. जो पहले से लेकर आखिरी एपिसोड तक अपनी पकड़ बनाए रखती है.

इसकी मुख्‍य कहानी के साथ ही कई और प्‍लॉट भी हैं. यह सब एकसाथ चलते रहते हैं. मेन प्‍लॉट और सब प्‍लॉट दर्शकों को बांधे रखते हैं. इसमें हर प्रमुख किरदार की अपनी कहानी है, जो समवेत रूप में वेब सीरीज को मजबूत बनाती है. इसका श्रेय निर्देशकों विपुल अमृतलाल शाह और मोजेज सिंह को जरूर दिया जाना चाहिए. वैसे भी विपुल ने इस सीरीज के लिए पांच साल तक कठिन परिश्रम किया है, जिसमें दो साल तो कहानी को मुकम्मल रूप देने में ही लग गया था. विपुल पहले इसे फिल्म बनाना चाहते थे, लेकिन विस्तृत कंटेंट की वजह से वेब सीरीज बनाने का फैसला किया. इसमें पूरी टीम की मेहनत साफ नजर आती हैं. श्रीराम कन्ना अयंगर और सुजीत सुभाष सावंत का प्रोडक्शन डिजाइन रीयलिस्‍ट‍िक लगता है. सिनेमेटोग्राफर सिरशा रे ने भोपाल की आंतरिक और बाह्य सुंदरता को अपने कैमरे में बखूबी कैद किया है.

वेब सीरीज की कास्टिंग भी बेहतरीन की गई है. हर किरदार के लिए उपयुक्त कलाकारों का चयन किया गया है. डॉ. गौरी नाथ के किरदार में शेफाली शाह जान डाल दी है. वो कई जगह बिना बोले आंखों से संवाद करती नजर आती हैं. उनका किरदार ग्रे शेड में है, लेकिन वो विलेन नजर नहीं आती. एक मां, पत्नी, डॉक्टर और दोस्त के रूप में उनके अभिनय के अलग-अलग आयाम देखने को मिलते हैं. 'दिल्ली क्राइम' वेब सीरीज के बाद एक बार फिर उन्होंने साबित किया है कि अभी उनमें बहुत हुनर बाकी है. उनके पति के किरदार में राम कपूर, डॉ. सायरा सभरवाल के किरदार में कीर्ति कुल्हारी, फार्मा कंपनी के हेड अशोक वैद्य के किरदार में आदित्‍य श्रीवास्‍तव, मंगू के किरदार में विशाल जेठवा ने बेहतरीन अभिनय किया है. सीमा बिस्वास के किरदार को बहुत कम स्पेस दिया गया है, लेकिन जितना भी है वो दमदार नजर आती हैं. कुल मिलाकर, 'ह्यूमन' एक बेहतरीन वेब सीरीज है, जो आपको मेडिकल फर्टिनिटी के स्याह पक्ष से परिचय कराती है. इसकी कहानी जितनी रोचक है, उतना ही दमदार कलाकारों का अभिनय है. इसे इस वीकेंड जरूर देख डालिए.

iChowk.in रेटिंग: 5 में से 3.5 स्टार

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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