क्या तिरंगा डीपी न लगाना शाहरुख-रितिक का गुनाह है, दक्षिण के सितारों से की जा रही ऐसी तुलना
अब प्रोफाइल पिक में तिरंगा नहीं लगाने को लेकर दक्षिण के सितारों संग बॉलीवुड स्टार्स की तुलना हो रही है. भला शाहरुख या कोई भी सितारा तिरंगा डीपी नहीं लगाने की वजह से गलत कैसे हो सकता है.
-
Total Shares
आजादी के स्वर्णजयंती वर्ष के उपलक्ष्य में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने "हर घर तिरंगा" कैम्पेन चलाया. भाजपा के अलावा कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और तमाम दूसरे दलों ने भी अपने स्तर से ऐसे ही कैम्पेन चलाए. खुद प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर प्रोफाइल फोटो में तिरंगे की डीपी लगाई. किसी ने झंडे के साथ अपनी फोटो को लगाया. आजादी के जश्न के दौरान उत्तर से दक्षिण तक और पूरब से पश्चिम तक भारतीय सिनेमा के कई स्टार्स, खिलाड़ी और अलग-अलग क्षेत्रों के दूसरे सेलिब्रिटीज ने भी सोशल मीडिया पर अपने ढंग से आजादी का जश्न मनाया और अपनी प्रतिक्रिया दी.
बॉलीवुड बीते कुछ महीनों में जबरदस्त निगेटिव कैम्पेन से जूझ रहा है. स्वतंत्रता दिवस बीत चुका है. बावजूद सोशल मीडिया पर 'तिरंगा डीपी' को लेकर बॉलीवुड सितारों को निशाना बनाया जा रहा है. खासकर दक्षिण से बॉलीवुड की तुलना में. निशाने पर हैं- शाहरुख खान, रितिक रोशन, सैफ अली खान और फरहान अख्तर. कार्तिकेय 2 हिंदी, बॉलीवुड बायकॉट और अर्जुन कपूर से जुड़े एक बेहद ही भद्दे हैशटैग के साथ वायरल फोटो कोलाज नजर आ रहा है. दक्षिण के कुछ टॉप के सितारों और ऊपर बॉलीवुड के जिन सितारों का नाम बताया गया, उनके ट्विटर हैंडल की प्रोफाइल पिक का कोलाज बनाकर बॉलीवुड डीपी को लेकर आलोचना की जा रही है.
रईस में शाहरुख खान.
क्या बॉलीवुड सितारों को जबरदस्ती निशाना नहीं बनाया जा रहा?
असल में कोलाज के जरिए बॉलीवुड और दक्षिण के सितारों में क्या अंतर है- यह स्थापित करने की कोशिश देखी जा सकती है. डीपी में दक्षिण के सितारों- महेश बाबू, अनुष्का शेट्टी, प्रणिता सुभाष और यश ने अपनी प्रोफाइल पिक की जगह तिरंगे का इस्तेमाल किया है. जबकि प्रभास ने तिरंगा लेकर उत्साह से भागते एक बच्चे का फोटो लगाया है. बॉलीवुड के सितारों की प्रोफाइल में तिरंगा नहीं है. कोलाज पर आने वाली बहुतायत प्रतिक्रियाओं में यह साबित किया जा रहा कि कैसे बॉलीवुड के सितारों के लिए देश कोई मायने नहीं रखता. वे बता रहे कि बॉलीवुड फिल्मों के फ्लॉप होने की असली वजह यही है. बॉलीवुड के इसी रवैये की वजह से लोगों ने साउथ को सिर आंखों पर बिठा लिया है. अब सवाल है कि क्या तिरंगा डीपी नहीं लगाने से शाहरुख का देशप्रेम कसौटी पर होगा?
बहुत से लोगों ने स्वतंत्रता दिवस पर डीपी नहीं बदली. बावजूद उन्होंने अपनी तरह से आजादी के जश्न को सेलिब्रेट किया. इसमें सिनेमा के ही तमाम स्टार्स शामिल हैं. हिंदू और मुसलमान दोनों. नॉन सेलिब्रिटी भी. तिरंगे के आधार पर किसी को जज करना निहायत ही बेहूदा हरकत है. सितारों पर निशाना साध रहे लोगों को नहीं भूलना चाहिए कि शाहरुख ने अपने घर पर परिवार के साथ तिरंगे को फहराया था. उन्होंने स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले शुभकामना संदेश देते हुए वीडियो भी साझा किया था. रितिक रोशन ने भी तमाम क्षेत्रों में देश की उन्नति दिखाने वाली एक बहुत बेहतरीन फोटो के जरिए भावनाएं व्यक्त कीं. फरहान अख्तर ने भी तो दुर्लभ वीडियो के जरिए प्रशंसकों को शुभकामनाएं दी थीं.
Teaching the young ones at home the essence and sacrifice of our Freedom Fighters for our country India, will still take a few more sittings. But getting the flag hoisted by the little one made us all FEEL the pride, love and happiness instantly. pic.twitter.com/3tNCjkLAgt
— Shah Rukh Khan (@iamsrk) August 14, 2022
शाहरुख गलत तो तिरंगा डीपी नहीं लगाने वाले रामचरण और जूनियर एनटीआर सही कैसे?
अजय देवगन, सलमान खान, अक्षय कुमार जैसे तमाम सितारों ने जरूर डीपी बदली. अगर इस आधार पर बॉलीवुड के सितारे ट्रोल्स की नजर में गुनहगार हैं तब तो दक्षिण के तमाम सितारे भी अपराधी साबित होते हैं. डीपी में तिरंगा नहीं बदलने वालों में आरआरआर फेम सुपरस्टार रामचरण और जूनियर एनटीआर तक शामिल हैं. दोनों सितारों ने ट्विटर की सोशल प्रोफाइल पिक और बैनर में तिरंगे को नहीं लगाया है. लेकिन उन्होंने अपने अंदाज में स्वतंत्रता दिवस की बधाइयां दीं. अब सवाल है कि इस आधार पर अगर शाहरुख कटघरे में हैं तो रामचरण और जूनियर एनटीआर क्यों नहीं? कुछ यूजर्स ने दक्षिण के सितारों के इन्हीं कोलाज के जरिए पलटवार कर पूछा भी कि साउथ और बॉलीवुड की बेमतलब तुलना में इन तस्वीरों को लेकर क्या स्थापित करना चाहेंगे?
सीधी सी बात यह है कि डीपी तिरंगा में बदल लेने और नहीं बदल लेने से किसी का देशप्रेम कसौटी पर नहीं कसा जा सकता. इसके आधार पर किसी भाषा, क्षेत्र, जाति, धर्म या फिर लिंग को लेकर निशाना साधना अनुचित है. यह निरर्थक बहस है और इससे लोगों को बचना चाहिए. अगर लोगों को बॉलीवुड के कंटेंट से शिकायत है तो कंटेंट की आलोचना की जाए. बॉलीवुड के कल्चर से शिकायत है तो उसकी भी आलोचना की ही जा सकती है. मगर इस बहाने निजी हमले करना किसी भी रूप में जायज नहीं है. दक्षिण और बॉलीवुड की तुलना कंटेंट के आधार पर ही तो बेहतर है. जबरदस्ती और बेसिरपैर की चीजों को घुसाने का कोई मतलब नहीं है.
नीचे ट्वीट में संबंधित कोलाज फोटो देख सकते हैं और उसपर आई प्रतिक्रियाओं को भी पढ़ सकते हैं. हो सकता है कि आपने इस तरह के कुछ ट्वीट अलग-अलग हैशटैग के साथ देखा हो.
#AnuragKashyapThey earned crores & thts possible only because v watch their movies
It's our hard earned money tht NARCSSISTS thrive on
C D DIFFERENCE and avoid them and their movies.#अर्जुनकपूर_रंडवा_है#BoycottbollywoodForever #BoycottPathanMovie #Karthikeya2Hindi pic.twitter.com/vGcwWGvIrK
— Satenderrawat (@satenderrawatuk) August 17, 2022
आपकी राय