अगर तुम बॉलीवुड में आईं तो मुझे बहुत दुख होगा मानुषी !!
ऐसा नहीं है कि बॉलीवुड बुरी जगह है, मानुषी से पहले भी कितनी ही मिस वर्ल्ड, मिस यूनिवर्स आईं हैं जिन्होंने अपना करियर मॉडलिंग और फिल्मों में ही बनाया है. लेकिन जिस लक्ष्य और जिस सपने को लेकर मानुषी ने ये खिताब जीता है, उसका बरकरार रहना जरूरी है.
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8 नवंबर 2017 को भारत की मानुषी छिल्लर को मिस वर्ल्ड के खिताब से नवाजा गया. और तभी से इस नाम के चर्चे आए दिन होते ही रहते हैं. इस एक साल में मानुषी छिल्लर देश-विदेश घूम रही हैं, काफी बदली चुकी हैं. उनकी हर बेहतर तस्वीर लोगों को इस बात का आभास करा रही है कि वो अब बॉलीवुड से ज्यादा दूर नहीं हैं. मीडिया उनकी तस्वीरें दिखाकर कह रहा है कि मानुषी छिल्लार बॉलीवुड के लिए तैयार हैं.
मानुषी छिल्लर (मिस वर्ल्ड 2017)
लेकिन मैं कहना चाहुंगी कि 'प्लीज़ मानुषी, तुम बॉलीवुड में मत जाना.' ऐसा नहीं है कि बॉलीवुड बुरी जगह है, मानुषी से पहले भी कितनी ही मिस वर्ल्ड, मिस यूनिवर्स आईं हैं जिन्होंने अपना करियर मॉडलिंग और फिल्मों में ही बनाया है. लेकिन जिस लक्ष्य और जिस सपने को लेकर मानुषी ने ये खिताब जीता है, उसका बरकरार रहना जरूरी है.
देखिए मानुषी ने अपने बारे में क्या बताया था-
मानुषी के बारे में लोग कहते हैं कि वो बहुतों के लिए प्रेरणा हैं, क्योंकि एमबीबीएस की स्टूडेंट होने के वाबजूद वो मिस वर्ल्ड पीजेंट तक न सिर्फ पहुंचीं बल्कि उसे जीतकर भी लाईं. लेकिन मानुषी नहीं जानतीं कि इस ताज के अलावा उनके सिर पर उम्मीदों का भार भी लाद दिया गया है. वो उम्मीदें जो हमारे देश के करोड़ों डॉक्टर्स और विद्यार्थी उनसे लगा रहे हैं, वो उम्मीदें नहीं जो बॉलीवुड उनसे लगा रहा है. यानी मानुषी अब अगर डॉक्टर बनने का सपना पीछे छोड़कर फिल्मों में काम करने लगेंगी, तो वो बहुत से लोगों के दिल तोड़ेंगी. वो एक धोखा होगा जिसमें न सिर्फ वो जीती आईं बल्कि सबको भी दिया. और सबसे बड़ा अन्याय तो उस एमबीबीएस सीट के साथ होगा जिसे पाने का सपना सैकड़ों लोगों ने देखा होगा और जिस सीट को मानुषी बीच में ही छोड़कर चली जाएंगी.
कई विज्ञापन और मैगज़ीन्स के लिए मॉडलिंग कर रही हैं मानुषी
मेडिकल की पढ़ाई की गंभीरता को समझना जरूरी है-
मैंने ऐसे बहुत से विद्यार्थियों को देखा हैं जो एमबीबीएस की एक सीट पाने के लिए दिन रात एक किए रहते हैं. मेडिकल में एडमीशन पाने के सपने को पूरा करने के लिए कितनी रातों की नीदें गंवानी पढ़ती हैं, वो मैडिकल की तैयारी कर रहा है विद्यार्थी ही जानता है. सिर्फ एक नंबर भी उसे उसके सपने से दूर कर सकता है. ऐसे में मानुषी बहुत खुशकिस्मत हैं कि उनकी मेहनत रंग लाई और वो आज एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं. लेकिन पीजेंट की वजह से मानुषी कॉलेज के सपलीमेंट्री एग्जाम नहीं दे सकीं जो अप्रेल और मई में होने थे. मानुषी ने इसी पीजेंट के चलते कॉलेज से एक साल की छुट्टी ले ली थी. कॉलेज के डायरेक्टर का कहना है कि किसी भी परीक्षा को देने के लिए किसी भी विद्यार्थी को कॉलेज में 75% अटेंडेंस होनी चाहिए, फिलहाल तो मानुषी सेमेस्टर एग्जाम दे सकती हैं क्योंकि उन्होंने एक साल की लीव एप्लाई कर दी थी. लेकिन अगर मानुषी बॉलीवुड का रुख करती हैं तो शायद कॉलेज से हमेशा के लिए छुट्टी ले लें.
MBBS की पढाई कर रही हैं मानुषी
प्रतियोगिता में और कहती हैं, बाद में कुछ और बन जाती हैं सुंदरियां-
पीजेंट के दौरान जब प्रतियोगियों से सवाल किए जाते हैं तो उन सवालों से उनकी बुद्धिमानी और सोच और व्यक्तित्व का पता चलता है. उस वक्त हर प्रतियोगी ज्यूरी को प्रभावित करने के लिए बहुत ही समझदारी भरे जवाब देती है. रंग-रूप, कद-काठी तो अलग बात है लेकिन ये जवाब ही सबसे महत्वपूर्ण होते हैं जो ताज को उनके करीब या उनसे दूर करते हैं. हम हमेशा देखते हैं कि प्रतियोगी उस वक्त बहुत ही गंभीरता से कहती हैं कि वो लोगों के हित में काम करना चाहती हैं, वो बड़ी-बड़ी बातें करती हैं, समाज सेवा के बारे में मानवता के बारे में. लेकिन ताज सिर पर सजने के बाद वो एक साल पूरी दुनिया घूमती है और साल के खत्म होते तक उसके पास फिल्मों के ढेरों ऑफर्स आ चुके होते हैं, जिनके लिए वो मना नहीं करतीं और बस बॉलीवुड को एक नामी मिस वर्ल्ड हिरोइन के रूप में मिल जाती है. जो सक्सेस की गारंटी भी होती है.
यकीन नहीं होता तो अभी तक की मिस वर्ल्ड देख लीजिए-
2000 में प्रियंका चोपड़ा मिस वर्ल्ड बनी थीं और जीतने के बाद ही बॉलीवुड में एंट्री मार ली. आज वो हॉलीवुड पर भी राज कर रही हैं. 1999 में युक्ता मुखी रहीं जिन्होंने भी फिल्मों में ही हाथ आजमाया था, हालांकि वो सफल नहीं हो सकी थीं. 1997 में डायना हेडेन के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था. 1994 में एश्वर्या राय भी एक सफल अदाकारा के रूप में जानी जाती हैं. मिस युनिवर्स लारा दत्ता(2000) और सुष्मिता सेन(1994) भी बॉलीवुड और मॉडलिंग के लिए ही समर्पित रहीं. इन सभी ने खुद को बहुत ही गंभीर और समझदार महिला के रूप में प्रस्तुत किया था, लेकिन किसी ने भी प्रोफेशन के तौर पर अपने 'सपने' को नहीं अपनाया.
सिवाय एक के-
ये हैं 1966 में भारत की पहली मिस वर्ल्ड रीता फारिया. रीता फारिया एक डॉक्टर थीं. पीजेंट जीतने के बाद उन्हें भी फिल्मों और मॉडलिंग के ऑफर आए लेकिन उन्होंने सभी को मना कर दिया क्योंकि उनका लक्ष्य वास्तव में मानव सेवा करने का था और वो जानती थीं कि हिरोइन बनकर वो ऐसा कुछ भी नहीं कर सकती थीं. उन्होंने डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की और बाद में लंदन जाकर मेडिकल की उच्च शिक्षा प्राप्त की और डॉक्टर के रूप में ही समाज सेवा की.
रीता फारिया आज भी एक मिसाल हैं
मानुषी सहित भविष्य की तमाम सुंदरियों के लिए संभावनाओं की कमी नहीं होगी, लेकिन ग्लैमर की चकाचौंध के आगे सब कुछ फीका पड़ जाता है. कभी कभी तो लगता है कि ये पीजेंट ही उनके बॉलीवुड के लिए टिकट का काम करते हैं. वो बॉलीवुड में करियर बनाने के लिए ही पीजेंट में हिस्सा लेती हैं. अब मानुषी बॉलीवुड की चकाचौंध से कितना बच पाती हैं ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन अगर वो ऐसा करती हैं तो वो सिर्फ एक मिसवर्ल्ड या फिर एक हिरोइन बनकर ही रह जाएंगी, रीता फारिया की तरह मिसाल तो कम से कम नहीं ही बन पाएंगी.
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