'जय भीम' ने सर्वकालिक लोकप्रिय फिल्म 'द शौशैंक रिडेम्प्शन' को पीछे छोड़ यह खिताब अपने नाम किया
सूर्या की फिल्म 'जय भीम' (Jai Bhim) लगातार लोगों का दिल जीत रही है. बहुत दिनों बाद ऐसी कोई फिल्म आई है जिसकी इतनी ज्यादा और इतने दिनों तक चर्चा हो रही है. लोग लगातार इस फिल्म की तारीफ कर रहे हैं. अब इस सफलता में एक और रिकॉर्ड का नाम जुड़ चुका है.
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सूर्या की फिल्म 'जय भीम' (Jai Bhim) लगातार लोगों का दिल जीत रही है. बहुत दिनों बाद ऐसी कोई फिल्म आई है जिसकी इतनी ज्यादा और इतने दिनों तक चर्चा हो रही है. लोग लगातार इस फिल्म की तारीफ कर रहे हैं. अब इस सफलता में एक और रिकॉर्ड का नाम जुड़ चुका है.
दरअसल, 'जय भीम' ने हॉलीवुड की जानी-मानी हॉलीवुड फिल्म 'द शौशैंक रिडेम्प्शन' को पीछे छोड़कर IMDb पर सबसे अधिक रेटिंग वाली फिल्म बन गई है. जी हां 'जय भीम' को 10 में से 9.6 रेटिंग मिली है. इस तरह जय भीम फिल्म ने एक और खिताब अपने नाम कर लिया है.
दलित से घृणा लेकिन उनके बिना काम नहीं चलता
हालांकि प्रकाश राज के थप्पड़ वाले सीन को लेकर विवाद जरूर हुआ, लेकिन फिल्म की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई. असल में प्रकाश राज एक पुलिस अधिकारी की भूमिका में हैं जो एक व्यक्ति से पूछताछ करने के दौरान उसे सिर्फ इसलिए थप्पड़ मारते हैं क्योंकि वह हिंदी बोलता है. लोगों को यह बात बुरी लगी और वे प्रकाश राज को ट्रोल करने लगे.
सूर्या की फिल्म 'जय भीम' लगातार नए मुकाम हांसिल कर रही है
इस पर प्रकाश राज ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब कोई आरोपी पूछताछ से बचने के लिए हिंदी बोलता है तो लोगों में उसमें एजेंडा दिखाई देता है. यह फिल्म 1990 के समय के हिसाब से बनी है. अगर एक लोकल इंसान हिंदी बोलता तो यह फिल्म में कैसे फिट बैठता? प्रकाश का यह भी कहना था कि अजाब एजेंडा है, लोगों को आदिवासियों की तकलीफ नहीं दिखी लेकिन एक थप्पड़ दिख गया.
जाति भेदभाव उत्पीड़न और संघर्ष की कहानी
'जय भीम' की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसतरह लगा सकते हैं कि रिलीज होने होने के मात्र 10 दिनों के अंदर ही फिल्म IMDb की लिस्ट में पहले नंबर पर आ गई. इतना ही नहीं यह साउथ की ऐसी टॉप फिल्म बन गई है जिसे IMDb पर इतनी अधिक रेटिंग दी गई है. इस फिल्म को 2 नवंबर को अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज किया है तभी से यह लोगों की पहली पसंद बनी हुई है.
जय भीम में आलोचकों ने भी काफी रुचि दिखाई है
टीजे गणनवेल के निर्देशन में बनी यह फिल्म जय भीम में आलोचकों ने भी काफी रुचि दिखाई है. काफी लंबे समय बाद तमिल सिनेमा से ऐसी कोई फिल्म आई है जिसे पूरे देश में देखा जा रहा है. इस फिल्म का विषय ही कुछ ऐसा है कि बहस होना लाजिमी है.
आदिवासी, जाति भेदभाव की संवेदना को समझना है तो 'जय भीम' जरूर देखिए. इसके कई मार्मिक दृश्य बिना होई हल्ला मचाए चुपचाप आपका दिमाग सुन्न कर सकते हैं. इस फिल्म की कहानी जस्टिस चंद्रू द्वारा दाखिल एक चर्चित केस पर आधारित है जिसमें उन्होंने इरुलर समुदाय के एक दंपति राजकन्नू और सेंगनी द्वारा झेले गए जातीय उत्पीड़न और उसके संघर्ष की आवाज बुलंद की थी. इसके अलावा फिल्म में सुपरस्टार सूर्या के साथ ही अन्य कलाकापरों की जितनी तारीफ की जाए कम है. इन किरदारों को देखकर लगता ही नहीं है कि ये अभिनय कर रहे हैं.
द शौशैंक रिडेम्प्शन' को पीछे छोड़कर IMDb पर सबसे अधिक रेटिंग वाली फिल्म
सच्ची घटना पर आधारित इस फिल्म की कहानी को टी जे ज्ञानवेलजान ने थोड़ा फिल्मी टच भी दिया है. इस फिल्म में पुलिसिया उत्पीड़न का इतना डरावना रूप देखने को मिलेगा कि 'टॉर्चर' के अभी तक के सभी सिनेमाई दृश्य फीके पड़ जाएंगे. आपको खुद ही उस पीड़ा को महसूस कर पाएंगे.
इस फिल्म को देखकर लगता है कि क्यों गांव से सीधे-सादे अनपढ़ गरीब लोग पुलिस की गाड़ी की आवाज सुनकर डर जाते हैं. आखिर में इतना ही कहेंगे कि अगर आपने सूर्यवंशी फिल्म को देखकर खूब ताली और सीटी बजाई है तो आपको जयभीम जरूर देखनी चाहिए...हम ऐसा क्यों कह रहे हैं यह फिल्म देखने के बाद आप समझ जाएंगे...
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