Jamtara 2 Review: पहले के मुकाबले 'जामताड़ा' का दूसरा सीजन कमजोर है!
Jamtara Season 2 Web series Review in Hindi: ऑनलाइन फ्रॉड और फिशिंग जैसी घटनाओं से लोग से सीधे जुड़े हैं. अधिकांश लोग या उनके परिजन इस ठगी के शिकार हुए हैं. ऐसे में वेब सीरीज 'जामताड़ा: सबका नंबर आएगा' हर किसी को पसंद आई. इसका दूसरा सीजन नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रहा है.
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'जामताड़ा: सबका नंबर आएगा' वेब सीरीज का पहला सीजन साल 2020 में रिलीज किया गया था. झारखंड के जामताड़ा की सच्ची घटनाओं पर आधारित इस सीरीज को लोगों ने बहुत पसंद किया. चूंकि ऑनलाइन फ्रॉड और फिशिंग स्कैम की घटनाएं लोगों से सीधे तौर पर जुड़ी हुई हैं. इनका कनेक्शन जामताड़ा से है, ये जानना लोगों के लिए कौतूहल का विषय बन गया. क्योंकि उससे पहले यदा-कदा अखबारों के जरिए ही इसकी सूचना मिल सकी थी. इन बिखरी सूचनाओं को जब सीरीज के रूप में पेश किया गया तो जुर्म की इस सच्ची दास्तान से लोग सीधे कनेक्ट हो गए. दूसरे सीजन की मांग होने लगी. दो साल बाद दूसरा सीजन नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम किया गया है.
'जामताड़ा' के दूसरे सीजन में पहले के मुकाबले कहानी को विस्तार दिया गया है. इस सीजन में दिखाया गया है कि अपराध और राजनीति की जुगलबंदी कैसे होती है, कैसे राजनेताओं के संरक्षण में अपराध फलता-फूलता है, अपराध को राजनीतिक संरक्षण कैसे मिलता है? इसमें ये भी दिखाया गया है कि कैसे जामताड़ा के लड़के-लड़कियां नए-नए तरकीबों के जरिए फिशिंग की घटनाओं को अंजाम देते हैं, कैसे देश के हजारों लोगों को करोड़ों का चूना लगाते हैं. नए सीजन में जरायम की दुनिया में स्कूली छात्रों को भी शामिल किया गया है. उनके साथ इस संगठित अपराध को अंजाम दिया जा रहा है. ये सीजन न केवल रोमांचित करेगा बल्कि हर किसी को सोचने पर मजबूर भी करेगा.
Jamtara Season 2 की कहानी
'जामताड़ा सीजन 2' की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां पहले सीजन की खत्म हुई थी. गुड़िया मंडल (मोनिका पंवार) से रेप की कोशिश के आरोप में पुलिस स्थानीय विधायक ब्रजेश भान (अमित सियाल) को थाने ले जाती है. लेकिन अपने रसूख के दम पर ब्रजेश उल्टा गुड़िया को फंसाकर जेल भिजवा देता है. जेल में गुड़िया की मुलाकात सूबे की पूर्व सीएम गंगा देवी (सीमा पाहवा) से होती है. गंगा गुड़िया को ब्रजेश के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित करती है. गंगा ब्रजेश की बुआ और उसकी कट्टर दुश्मन है. गुड़िया चुनाव मैदान में उतर जाती है. इधर जमताड़ा में फिशिंग का काम बड़ा आकार ले लेता है. 3-4 लोगों की जगह सैकड़ों की संख्या में लोग इस काम में लग जाते हैं. गुड़िया का पति सनी (स्पर्श श्रीवास्तव) पैर में चोट लगने की वजह से अस्पताल में भर्ती है. जेल से बाहर आने के बाद गुड़िया उसे अस्पताल से घर लाती है. उसे चुनाव की बात बताती है.
सनी पहले तो गुड़िया को मना करता है. लेकिन बाद में समझाने के बाद गंगा से मिलता है. गंगा उससे पैसों की व्यवस्था करने के लिए कहती है. सनी स्कूल के बच्चों के साथ फिशिंग के काम को नए अंदाज में अंजाम देना शुरू कर देता है. इस तरह 20 लाख से अधिक रकम जुटाकर चुनाव के लिए दे देता है. इसी बीच गुड़िया पर हमला हो जाता है. उसके बाद उसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ती है, जिससे ब्रजेश परेशान हो जाता है. उधर पुलिस उसके लड़के को पकड़कर जेल में डाल देती है. उसका फिशिंग का काम ठप्प हो जाता है. इधर नोटबंदी की वजह से फिशिंग का काम करने वाले लोग परेशान हो जाते हैं. इसी बीच ब्रजेश के पास एक नया लड़का रिंकू आता है, जिसका टैलेंट देख उसको नई उम्मीद जगती है. रॉकी (अंशुमान पुष्कर) अपनी प्रेम कहानी में ही उलझा रहता है. लेकिन उसकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा कम नहीं हुई है. अब यहां सवाल ये उठता है कि क्या चुनाव में गुड़िया ब्रजेश भान को हरा पाएगी? गंगा गुड़िया की मदद क्यों करती है? सनी और रॉकी का क्या होता है? फिशिंग खत्म होती है या नहीं? जानने के लिए वेब सीरीज देखना होगा.
Jamtara Season 2 की समीक्षा
एक लाइन में कहा जाए तो 'जामताड़ा: सबका नंबर आएगा' वेब सीरीज का दूसरा सीजन पहले के मुकाबले कमजोर है. पहले सीजन में कहानी के जरिए जो ग्रिप बनाई गई है, दूसरे में छूटती हुई नजर आ रही है. कहानी का विस्तार उसका असर कम कर देता है. सीरीज के सबसे मजबूत किरदार ब्रदेश भान के रूपल में अमित सियाल उतने प्रभावी नहीं लगे हैं. दूसरे किरदार सनी के पैर खराब होने की वजह से उसकी निष्क्रियता भी कहानी की दिलचस्पी को कम कर देती है. सीरीज में कई नए कलाकारों की एंट्री हुई है, लेकिन अंतिम समय तक एक ही किरदार याद रह जाता है. वो है रिंकू का, जिसके कलाकार का नाम तो नहीं पता, लेकिन उसकी अलहदा अदाकारी सीरीज में सबसे अधिक प्रभावी है. नए किरदारों में गंगा देवी के रूप में सीमा पाहवा वैसा प्रभाव नहीं छोड़ पाई हैं, जिसके लिए वो जानी जाती हैं. सनी के किरदार में स्पर्श श्रीवास्तव के पास करने के लिए बहुत कुछ नहीं है.
रॉकी के किरदार में अंशुमान पुष्कर हमेशा की तरह अच्छे लगे हैं, लेकिन उनके किरदार को सीरीज में साइड लाइन ही रखा गया है. एसपी डॉली साहू के किरदार में अक्ष परदासनी पहले सीजन से ही सही चुनाव नहीं लगती. उनकी जगह किसी दबंग छवि वाली अभिनेत्री का चुनाव किया जाना चाहिए था. रिंकू के बाद सबसे अधिक किसी किरदार ने प्रभावी किया है, तो वो गुड़िया मंडल का है. पहले से दूसरे सीजन तक उनके अभिनय का जादू दिखता है. मोनिका पंवार ने अपने किरदार के साथ भरपूर न्याय किया है. इसके अलावा इंस्पेक्टर बिस्वा के किरदार में दिब्येंदु भट्टाचार्य पहले सीजन की तरह दूसरे में भी प्रभावित करते हैं. उनके सहज और सरल अभिनय का तो हर कोई कायल है. जहां तक कहानी की बात है, तो इस सीजन में ज्यादा विस्तार दिया गया है. नए किरदारों के साथ मुख्य कहानी के समानांतर कई छोटी-छोटी कहानियां भी चलती हैं. इसकी वजह से कई बार उलझन सी होती है.
वेब सीरीज के संवाद असरदार है. इसके लिए कनिष्क और अश्विन वर्मन बधाई के पात्र हैं. ''एक समय रहा जब डाकू होते थे, अब डाकुओ का समय गया, अभी हम जहां जा रहे हैं ना वो हैं आजकल के डकैत''...'जामताड़ा: सबका नंबर आएगा', ''देश नेता से नहीं पैसा से चलता है'' और ''तब चंबल था, अब जामताड़ा है'' जैसे संवाद कहानी में जो कुछ कमी रह गई है, उसे छुपा जाते हैं. निर्देशक सौमेंद्र पाधी दूसरे सीजन को पहले की तरह इंगेजिंग नहीं बना पाए हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि सीरीज खराब है. एक स्वतंत्र सीरीज के रूप में देखा जाए तो बहुत आनंद आएगा. यदि दोनों सीजन की तुलना की जाए तो थोड़ी निराशा होती है. सायक भट्टाचार्य की सिनेमैटोग्राफी उत्तम हैं. इस पॉलिटिकल क्राइम ड्रामा में उन्होंने अपने कैमरे के जरिए झारखंड की नैसर्गिक सुंदरता भी दिखाने की कोशिश की है. कुल मिलाकर, 'जामताड़ा' का दूसरा सीजन भले ही पहले जैसा नहीं है, लेकिन देखने लायक जरूर है.
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