कबीर सिंह के मुकाबले बॉक्स ऑफिस पर आखिर कहां खड़ी है शाहिद कपूर की जर्सी?
शाहिद कपूर (Shahid Kapoor) ने कबीर सिंह के तीन साल बाद जर्सी (Jersey) के रूप में एक और रीमेक फिल्म लेकर सामने आए. पर दर्शकों ने उन्हें बुरी तरह खारिज कर दिया. आइए जर्सी और कबीर सिंह के बॉक्स ऑफिस में अंतर को जानने के साथ ही यह पता करते हैं कि जर्सी किन वजहों से फ्लॉप हुई.
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कबीर सिंह के तीन साल बाद जर्सी के रूप में पुछले शुक्रवार को शाहिद कपूर की कोई नई ताजा फिल्म रिलीज हुई थी. एक्टर ने सोचा होगा कि यह भी उनके करियर में एक बेहतरीन फिल्म साबित हो सकती है. आखिर ऐसा सोचे भी क्यों ना. जर्सी भी कबीर सिंह की तरह ही तेलुगु की बॉलीवुड रीमेक जो ठहरी. मगर जर्सी का हासिल शाहिद कपूर के करियर में आपदा से ज्यादा कुछ नजर नहीं आता. इसे संभवत: शाहिद कपूर के करियर के सबसे बड़ी डिजास्टर्स में शुमार किया जा सकता है.
22 अप्रैल को रिलीज जर्सी ने 3.75 करोड़ का कलेक्शन निकाला था. देश में फिल्म का कुल ओपनिंग वीकएंड कलेक्शन मात्र 14.75 करोड़ रुपये है. जर्सी मध्यम बजट में बनी फिल्म थी और लागत के हिसाब से उसका कलेक्शन इतना बताने के लिए पर्याप्त है कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर डूब चुकी है. रीमेक से स्टार बने रहने के शाहिद के मंसूबों पर भी पानी फिरता नजर आ रहा है. इसके ठीक उलट जब विजय देवरकोंडा की रीमेक फिल्म के रूप में शाहिद कबीर सिंह लेकर आए थे दर्शकों ने उसे हाथोंहाथ लिया था.
जर्सी के मेकर्स को हिट का भरोसा था, लेकिन...
कबीर सिंह ने देसी बॉक्स ऑफिस पर 278.24 करोड़ का कलेक्शन निकाला था. कबीर सिंह ने ओपनिंग वीकएंड में ही 70.83 करोड़ कमा लिए थे. शायद कबीर सिंह की जादुई सफलता की वजह से शाहिद ने नानी की जर्सी को आंख बंद कर साइन कर लिया हो. लेकिन शाहिद का फ़ॉर्मूला फिलहाल जर्सी के साथ ध्वस्त हो चुका है. दोनों फिल्मों की कमाई में जमीन आसमान का अंतर दर्शकों पर प्रभाव को बताने के लिए पर्याप्त है. यह रीमेक के पीछे भागने वाले बॉलीवुड के लिए बड़ा सबक भी है. पहले अक्षय कुमार की बच्चन पांडे और अब जर्सी पर लगा दर्शकों का ब्रेक उनके मन मिजाज और जरूरत को बताने भर के लिए पर्याप्त है.
जर्सी में शाहिद कपूर.
इसे उस बदलाव के रूप में भी देख सकते हैं जिसमें दर्शकों का समूह दक्षिण की बॉलीवुड रीमेक के बजाय सीधे दक्षिण की फिल्मों को देखने के लिए तैयार नजर आ रहा है. महामारी के बाद पुष्पा से केजीएफ 2 तक उदाहरण सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है. जर्सी का असफल होना तो केस स्टडी है. मेकर्स ने ऐसे हश्र की कल्पना तक नहीं की थी. निर्माता हर हाल में फिल्म को सिनेमाघर में ही दिखाना चाहते थे. यही वजह है कि पहले 31 दिसंबर की तारीख लॉक की गई थी. लेकिन अचानक से तीसरी लहर की आशंका के बाद रिलीज पोस्टफोन कर दी गई.
इस बीच खबरें आईं कि कुछ ओटीटी प्लेयर्स ने जर्सी में दिलचस्पी दिखाई और उसे एक्सक्लूसिव स्ट्रीमिंग के लिए लिए निर्माताओं से संपर्क भी किया. लेकिन मेकर्स के साथ खुद शाहिद कपूर जर्सी की बुनावट को लेकर इस कदर आशान्वित थे कि ऑफर को खारिज कर दिया. बाद में निर्माताओं ने 14 अप्रैल की तारीख लॉक की. इसी तारीख पर केजीएफ 2 की भी घोषणा हुई. लेकिन जर्सी के निर्माताओं को अपने प्रोडक्ट पर भरोसा था और उन्होंने क्लैश में जाने का मन का बनाया.
जर्सी के निर्मातों की जमीन तब खिसकने लगी जब रिलीज से पांच दिन पहले ही केजीएफ 2 की सुनामी दिखने लगी. रिलीज से पहले जोरदार एडवांस बुकिंग होने लगी. जर्सी की सम्मानजनक शोकेसिंग तक मुश्किल नजर आने लगी. आखिरकार निर्माताओं ने बिल्कुल आख़िरी क्षण में फिल्म को पोस्टफोन करने का फैसला लिया और 22 अप्रैल के रूप में एक सेफ विंडो तलाश की. हालांकि सेफ विंडो भी जर्सी के मेकर्स को मनहूसियत देने वाली साबित हुई.
जर्सी के नाकामी की वजह पहचानना मुश्किल नहीं
जर्सी की नाकामी की कई वजहें हैं. सबसे बड़ी वजह तो यही थी कि दर्शक आखिर क्यों एक देखी दिखाई फिल्म के लिए सिनेमाघर जाए. नानी स्टारर जर्सी के हिंदी वर्जन को दर्शकों ने पहले ही टीवी पर कई मर्तबा देख लिया था. दूसरी बड़ी वजह केजीएफ 2 का दमदारी से बॉक्स ऑफिस पर मौजूद होना है. यश की फिल्म ने गुंजाइश ही नहीं छोड़ी की उसके सामने कोई दूसरी फिल्म का टिकट खरीदे.
तीसरी बड़ी वजह द कश्मीर फाइल्स के बाद से पिछले कुछ हफ़्तों में बॉलीवुड के खिलाफ दर्शकों की सामूहिक घृणा भी निर्णायक नजर आई. मौजूदा राजनीति में हिंदी का बहुसंख्यक दर्शक बॉलीवुड के खिलाफ घृणा और गुस्से से भरा हुआ है. कश्मीर फाइल्स के बाद सेफ विंडो में होने के बावजूद अक्षय कुमार की बच्चन पांडे, जॉन अब्राहम की अटैक पार्ट 1 और अब जर्सी का फ्लॉप होना एक तरह से दर्शकों का बदला ही नजर आ रहा है.
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