बॉक्स ऑफिस पर फिल्मों का बुरा हाल देख OTT की शरण में बॉलीवुड
फिल्म 'धाकड़', 'जर्सी', 'जयेशभाई जोरदार', 'रनवे 34' और 'हीरोपंती 2' जैसी फिल्मों के बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप होने के बाद बॉलीवुड के फिल्म मेकर्स डर गए हैं. यही वजह है कि अब वो ओटीटी की शरण में जा रहे हैं. कंगना रनौत भी अपनी फिल्म 'धाकड़' के डिजास्टर साबित होने के बाद आने वाली फिल्म 'तेजस' को ओटीटी पर रिलीज करेंगी.
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कोरोना काल में सिनेमाघरों के बंद होने की वजह से बड़ी संख्या में फिल्म मेकर्स ने अपनी फिल्मों को ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज करना शुरू किया था. लेकिन बाद में सिनेमाघरों के खुल जाने के बाद बॉक्स ऑफिस से कमाई का मोह बढ़ा, जिसकी वजह से फिल्में पहले वहां रिलीज होने लगीं. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के बाद का समय बॉलीवुड के खिलाफ हो गया. एक तरफ साउथ की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कमाई के रिकॉर्ड बनाने लगीं, तो दूसरी तरफ बॉलीवुड की ज्यादातर फिल्में सुपर फ्लॉप होने लगीं. 'धाकड़', 'जर्सी', 'जयेशभाई जोरदार', 'रनवे-34' और 'हीरोपंती 2' जैसी फिल्में इसका ज्वलंत उदाहरण हैं. आलम हुआ कि बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरफ फ्लॉप होने की वजह से कई फिल्मों को ओटीटी पर भी कोई खरीददार नहीं मिला. इस वजह से बॉलीवुड के कई फिल्म मेकर्स अब अपनी फिल्मों को सीधे ओटीटी पर ही रिलीज करने की योजना पर काम कर रहे हैं. इस कड़ी में सबसे पहला नाम कंगना रनौत का सामने आ रहा है, जो कि अपनी फिल्म 'धाकड़' का बुरा हश्र देखने के बाद बुरी तरह डर गई हैं.
बताया जा रहा है कि फिल्म 'धाकड़' के फ्लॉप होने के बाद कंगना रनौत और 'तेजस' के निर्माता आरएसवीपी फिल्म को सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज करने की योजना पर काम कर रहे हैं. इतना ही नहीं 'धाकड़' में हुई गलतियों से बचने के लिए फिल्म के कई हिस्सों को फिर से शूट करने का फैसला किया गया है. मेकर्स मानना है कि इस वक्त साउथ सिनेमा की वजह से बॉक्स ऑफिस पर बॉलीवुड फिल्मों की जो स्थिति है, उसे देखते हुए फिल्म को ओटीटी पर रिलीज करके बेहतर प्रदर्शन किया जा सकता है. इससे फिल्म की लागत के साथ मुनाफा भी हासिल हो जाएगा और फ्लॉप होने का खतरा भी नहीं रहेगा. हालांकि, कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर बेहतरन प्रदर्शन नहीं कर पाने के बावजूद ओटीटी पर अच्छा परफॉर्म कर गई हैं. लेकिन एक बार फ्लॉप का ठप्पा लगने और निगेटिव पब्लिसिटी होने के बाद फिल्म को ओटीटी भी खरीदने से बचता है. फिल्म धाकड़ को ही देख लीजिए. बॉक्स ऑफिस पर इसके डिजास्टर साबित होने के बाद इसके सैटेलाइट और डिजिटल राइट्स खरीदने वाला कोई नहीं मिल रहा है.
'धाकड़' को ओटीटी पर रिलीज करना फायदे का सौदा होता
कंगना रनौत की फिल्म 'धाकड़' को पूरे देश में 2200 स्क्रीन पर रिलीज किया गया था. लेकिन रिलीज के एक हफ्ते बाद केवल 25 स्क्रीन पर ही फिल्म टिक पाई. पहले हफ्ते के मुकाबले दूसरे हफ्ते में 99 फीसदी सिनेमाघरों से फिल्म को हटा दिया गया. मुंबई के किसी भी सिनेमाघर में फिल्म का नामलेवा भी नहीं था. जबकि किसी भी फिल्म की कमाई का सबसे बड़ा हिस्सा मुंबई सर्किट से ही आता है. यहां से फिल्म की कुल कमाई का 40 फीसदी हिस्सा हासिल होता है. लेकिन पहले हफ्ते के खराब परफॉर्मेंस के बाद ही मुंबई के सिनेमाघरों से फिल्म को हटा दिया गया था. फिल्म ने पहले हफ्ते के पहले दिन 1.2 करोड़ रुपए, दूसरे दिन 1.05 करोड़ रुपए, तीसरे दिन 98 लाख रुपए, चौथे दिन 30 लाख रुपए और पांचवें दिन 25 लाख रुपए की कमाई की थी. आठवें दिन 5 हजार रुपए कमाने के भी लाले पड़ गए. उस दिन फिल्म के केवल 20 टिकट ही बिके थे. फिल्म की ऐसी हालत देखकर किसी भी ओटीटी प्लेटफॉर्म ने इसे खरीदने की हिम्मत नहीं दिखाई. वरना इस फिल्म को 80 से 100 करोड़ में आसानी से बेचा जा सकता था.
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर इस तरह होती है फिल्मों की कमाई
कुछ लोगों के जेहन में ये सवाल आ रहा होगा कि आखिर ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर फिल्मों की कमाई कैसे होती है? ऐसे में बता दें कि अमेजन प्राइम वीडियो, नेटफ्लिक्स, एमएक्स प्लेयर, अल्ट बालाजी, वूट और जी5 जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म किसी भी प्रोड्यूसर से डिस्ट्रीब्यूटर की तरह उसकी फिल्म या उसका डिजिटल राइट्स खरीदते हैं. प्रोड्यूसर जिस तरह अपनी फिल्में डिस्ट्रीब्यूटर को बेचते हैं, उसी तरह बजट में अपना मुनाफा जोड़कर ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को बेच देते हैं. यहां डिस्ट्रीब्यूटर की भूमिका में ओटीटी प्लेटफॉर्म होते हैं. यह डील एक ही फिल्म की अलग भाषाओं के वर्जनों के लिए अलग होती है. यदि फिल्म सीधे ओटीटी पर स्ट्रीम की जाती है, तो उसकी कीमत ज्यादा होती है. ऐसी ही परिस्थिति में बजट और मुनाफे के अनुमान को जोड़कर कीमत निकाली जाती है. लेकिन यदि फिल्म पहले थियेटर में रिलीज हो रही है तो उसकी कीमत केवल डिजिटल राइट्स से तय होती है. थियेटर में फिल्म के रिलीज होने के तीन सप्ताह बाद ही किसी फिल्म को ओटीटी पर स्ट्रीम किया जा सकता है. कई बार फिल्में हाइब्रिड मॉडल में भी रिलीज होती हैं.
हाइब्रिड मॉडल में एक साथ दो विंडो पर रिलीज होती है फिल्म
हाइब्रिड मॉडल का मतलब ये कि फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म और थियेटर दोनों में एक ही दिन एक साथ रिलीज की जाती है. दर्शक जिस तरह से टिकट खरीदकर सिनेमाघरों में फिल्म देखने जाते हैं. उसी तरह फिल्म को 'पे पर व्यू' मोड में ओटीटी पर देख सकते हैं. सलमान खान की 'राधे: योर मोस्ट वॉन्टेड भाई' हाइब्रिड मॉडल में रिलीज होने वाली पहली हिंदी फिल्म है. इसे ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 और सिनेमाघरों में एक साथ रिलीज किया गया था. जी-प्लेक्स पर फिल्म को एक बार देखने के लिए 249 रुपए में बुकिंग फीस रखी गई थी. ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के सब्सक्राईर्ब्स को भी इस मोड के तहत पैसे देकर ही फिल्म देखना होता है. हालांकि, ये मॉडल बहुत ज्यादा सफल नहीं रहा है. उससे पहले ओटीटी पर सीधे रिलीज होने वाली फिल्मों को अपनी लागत के मुकाबले अच्छा मुनाफा मिल गया था. उदाहरण के लिए अमिताभ बच्चन की फिल्म 'गुलाबो सिताबो', अक्षय कुमार की 'लक्ष्मी', संजय दत्त की 'सड़क 2', अजय देवगन की 'भुज', अभिषेक बच्चन की 'द बिग बुल' और विद्युत जमवाल की 'खुदा हाफिज' ओटीटी पर ही रिलीज हुई हैं. इसमें 'गुलाबो सिताबो' को 65 करोड़ रुपए (लागत 35 करोड़), 'लक्ष्मी' को 125 करोड़ रुपए (लागत 60 करोड़), 'भुज' को 110 करोड़ (100 करोड़), 'द बिग बुल' को 40 करोड़ (35 करोड़) में ओटीटी ने खरीदा था.
OTT से लागत से दोगुना पैसे भी लेते हैं फिल्म के मेकर्स
इस तरह से देखा जाए तो ओटीटी पर सीधे रिलीज करने की वजह से फिल्मों को घाटा तो बिल्कुल भी नहीं उठाना पड़ता. यदि फिल्म की स्टारकास्ट और मार्केटिंग अच्छी है तो कई बार ओटीटी पर लागत से दोगुना दाम भी मिल जाता है. जैसे कि अक्षय कुमार की फिल्म लक्ष्मी को ही देख लीजिए. इस फिल्म की लागत 60 करोड़ रुपए है, जबकि इसे डिज्नी प्लस हॉटस्टार ने 125 करोड़ रुपए में खरीदा था. इतने महंगे दाम में फिल्मों में खरीदने के बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म्स इससे अपना मुनाफा वसूलते हैं. इस मुनाफे को तीन कैटेगरी में बांटा जाता है. पहला TVOD यानि हर यूजर किसी भी कंटेंट को जब डाउनलोड करता है, तो उसके लिए एक फीस देता है. दूसरा SVOD, यानि यूजर किसी ओटीटी प्लेटफॉर्म का कंटेंट देखने के लिए हर महीने या साल भर में एक बार पैसे चुकाता है. मंथली या ईयरली सब्सक्रिप्शन लेता है. तीसरा है AVOD, यानि जिस प्लेटफॉर्म पर कंटेंट देखने के लिए यूजर को कोई पैसा नहीं देना होता है. उस ओटीटी प्लेटफॉर्म का सब्सक्रिप्शन फ्री होता है. लेकिन यहां यूज़र को विज्ञापन देखने होते हैं. जैसे एमएक्स प्लेयर का सब्सक्रिप्शन फ्री है, लेकिन इस पर दिखाई जाने वाली वेब सीरीज या फिल्मों में ऐड बहुत आते हैं. जिस तरह यूट्यूब पर हम सभी वीडियो फ्री में देखते हैं, लेकिन ऐड भी देखने पड़ते हैं.
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