मुझे कपिल शर्मा की फिल्म से नफरत है, क्योंकि...
कई महिलाओं के साथ सेक्स करने का ख्वाब देखना बहुत से पुरुषों के लिए बहुत ही रोमांचित करने वाला ख्याल होता है. वे इसे 'कूल' समझते हैं, जबकि है ये शर्मनाक है.
-
Total Shares
'अपने दिनों में मेरे बहुत से अफेयर थे', एक बहुत ही इज्जतदार इंसान को बड़े गर्व के साथ ये बोलते हुए मैंने सुना था. उनके लिए ये कहना शायद इस बात का सुबूत देना था कि वो कितने 'हॉट' थे, और उनके कितने चाहने वाले थे. शायद वो ये सोचते होंगे कि आपके जितने ज्यादा अफेयर होंगे आप उतने ही 'कूल' नज़र आएंगे. दो असफल शादियों के बाद अपने संबंधों की शेखी बघारना शायद उनके लिए शान की बात हो. शायद वो ये समझ पाते कि उन्हें अपने जीवन में एक सही महिला की जरूरत थी जिसके लिए उन्हें खुद भी एक सही पुरुष होना होता. लेकिन अफसोस! एक औरत का होके रहने से, व्यभिचारी होना भला.
जयपुर हवा महल के गाइड ने उसे बनवाने वाले राजा की प्रशंसा करते हुए कहा कि 'राजा बहुत रईस थे, इसलिए उनकी बहुत सी पत्नियां और रखैल थीं. इसलिए उन्होंने सबके लिए एक एक खिड़की बनवाई थी.'
गाइड की आंखें खुशी से चमक रही थीं, शायद वो ये सोच रहा था कि काश कोई जिन्न आए और सिर्फ एक दिन के लिए ही सही उसे उस राजा वाला जीवन दे जाए. कई महिलाओं के साथ सेक्स करने का ख्वाब देखना बहुत से पुरुषों के लिए बहुत ही रोमांचित करने वाला ख्याल होता है. और इनमें से कुछ हमारे इतिहास और हमारी फिल्मों से प्रेरित हुए हैं.
कॉमेडी के नाम पर हम 'घरवाली' और 'बाहरवाली' के विचार से खुद का मन बहलाते हैं, जहां एक अच्छा आदमी कम से कम दो महिलाओं को प्यार करता है और दोनों को संतुष्ट रखने के लिए दोनों के बीच में झूलता रहता है. नो एंट्री, बीवी नं.1 जैसी फिल्मों का आधार था कि हमारे हीरो शादी के बाद भी खूबसूरत लड़की मिलने पर खुद को कितने खुशकितमत समझते थे. लड़की के साथ घुलने मिलने के अपने लालच की बदौलत एक मजेदार और बिकने वाली स्क्रिप्ट तैयारी हो गई, जिसने हर वर्ग के लोगों का मनोरंजन किया. क्यों? क्योंकि भारतीयों को इस तरह की दिल्लगी बहुत मज़ेदार लगती है.
और ये लिस्ट बढ़ती ही जाती है, और इसमें सबसे नया नाम है कपिल शर्मा की आने वाली फिल्म 'किस किस को प्यार करूं'. जिसमें कपिला शर्मा हवा महल के राजा के आधुनिक अवतार के रूप में नज़र आ रहे हैं जो एक ही 'किस' तीन-तीन लड़कियों पर उड़ा रहे हैं. कोई इतना भ्रष्ट कैसे हो सकता है? क्या तीन औरतों के साथ सोना मजाक है? क्या हमें मनोरंजन के नाम पर यही सब चाहिए? ये फिल्म बड़ी सफाई से अंडरवियर से लेकर क्लिवेज तक सभी हिस्सों को टार्गेट करती है. और ये हीरो की उस ट्रैजेडी को भुनाने की कोशिश करती है कि 'थोड़ा थोड़ा करके बहुत ज्यादा हो जाता है'
हमारे सिनेमा में कल्पनाओं को आकार देने में क्या परेशानी है? क्या किसी महिला के ऊपर हाथ रखने के अलावा एक पुरुष की कोई और इच्छा नहीं हो सकती? क्या अय्याश होना ही एकमात्र इच्छा है? क्या सिनेमा में महिलाओं को वस्तु की तरह दिखाना बहुत ज़्यादा नहीं हो गया? या फिर हमें हंसाने के लिए बहुविवाह वाली और भी फिल्में चाहिए? क्या एक आदमी, एक औरत और एक अच्छी स्क्रिप्ट के साथ लोगों को हंसाया नहीं जा सकता? क्या अश्लीलता के बिना मजाक नहीं हो सकता?
खैर, मेरा मानना है कि ये मांग और आपूर्ति का मामला है. दर्शक के नाते शर्मनाक सिनेमा का बहिष्कार करना हमारी जिम्मेदारी है. हमारी गाढ़ी कमाई का पैसा उन फिल्मों और किताबों पर खर्च होना चाहिए जो उसके लायक हों.
माफ करना, मुझे हंसाने के लिए बहुविवाह वाले आइडिये ने काम नहीं किया. ये बहुत घिसा पिटा विषय है. मैं इस शर्मनाक फिल्म को बिलकुल नहीं देखने वाली, और इसके दो मिनिट के ट्रेलर को झेलना भी मुश्किल है. मैं कपिल शर्मा के स्टार बनने तक के सफर और जिस तरह उन्होंने बिना गॉडाफादर के खुद को स्थापित किया है उसकी प्रशंसा करती हूं. मेरे ये विचार उनकी फिल्म के विषय को लेकर हैं, व्यक्तिगत तौर पर मुझे कोई शिकायत नहीं.
मैं इसके बदले पिकू फिर से देखना पसंद करूंगी. एक युवा बेटी, एक बूढ़ा पिता और 'शिट' भी एक अच्छी कॉमेडी फिल्म बना सकती हैं. इसके बारे में सोचिए कपिल शर्मा.
आपकी राय