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Updated: 31 अक्टूबर, 2022 06:12 PM
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परदे पर रामायण की महागाथा को दिखाने वाली प्रभास और कृति सेनन स्टारर 'आदिपुरुष' की रिलीज टलने की खबरें आ रही हैं. ओम राउत के निर्देशन में बनी फिल्म को अगले साल जनवरी में मकर संक्रांति पर रिलीज किया जाना प्रतावित था. तमाम रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि अब फिल्म को जनवरी की बजाए गर्मियों की छुट्टियों में रिलीज किया जाएगा. हालांकि अभी निर्माताओं की तरफ से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. आदिपुरुष को पैन इंडिया बनाया गया है. अभी कुछ हफ्ते पहले फिल्म का टीजर आया था. आदिपुरुष में कुछ चीजों को लेकर लोगों ने तीखी आपत्ति की. खासकर रावण और लंका के भूतिया चित्रण को लेकर लोगों ने नाराजगी जताई. आरोप लगाया गया कि रावण को मुगलों की तरह प्रस्तुत किया जा रहा है. जबकि वह आदि शिव के भक्त और प्रकांड विद्वान थे.

आदिपुरुष का टीजर आने के बाद भाजपा के नेताओं ने भी तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की थी. मध्य प्रदेश में भाजपा के वरिष्ठ नेता और शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री नरोत्तम मिश्र ने निर्माताओं को चिट्ठी लिखते हुए टीजर की तीखी आलोचना की. विरोध करने वाले नेताओं ने कहा कि फिल्म में रामायण के किरदारों को दूषित करके दिखाने की कोशिश हो रही है और हम ऐसा नहीं होने देंगे. भारी विरोध के बाद निर्माताओं ने भी लोगों की आपत्तियों को दर्ज किया और कहा कि वे जरूरी फेरबदल करेंगे. निर्माताओं ने जब फेरबदल की बात कही थी, यह लगभग तभी तय था कि फिल्म पूर्व निर्धारित समय पर शायद ही रिलीज हो पाए. क्योंकि जो आपत्तियां टीजर के बाद आई थीं उसके मद्देनजर VFX पर बहुत सारा काम करने की जरूरत दिख रही है. ऐसे में फिल्म को जनवरी के दूसरे हफ्ते में रिलीज करना लगभग असंभव है.

adipurushआदिपुरुष में प्रभास.

विवाद पर निर्माता सुधार की बात कह चुके हैं, फिर क्लैश की वजह से पोस्टफोन का नैरेटिव क्यों खड़ा किया जा रहा?

अब सवाल है कि क्या भारी विरोध के बाद आदिपुरुष के निर्माता VFX में फेरबदल कर रहे हैं? कह सकते हैं कि हां, अगर फिल्म की रिलीज डेट पोस्टफोन की जा रही है तो उसकी बहुत बड़ी वजह VFX और तमाम फेरबदल ही होने चाहिए. हालांकि आदिपुरुष की रिलीज डेट पोस्टफोन होने की खबर सामने आने के बाद एक नैरेटिव मजबूत किया जा रहा है कि प्रभास की फिल्म को VFX में फेरबदल नहीं बल्कि टिकट खिड़की पर क्लैश से बचने के लिए नई तारीखों पर रिलीज करने की तैयारी हो रही है. असल में संक्रांति पर चिरंजीवी की 'वाल्टेयर वीरैया' और नंदमुरी बालकृष्ण की 'वीरा सिम्हा रेड्डी' को भी सिनेमाघरों में रिलीज किया जाना है. दोनों तेलुगु फ़िल्में हैं. प्रभास भी असल में तेलुगु स्टार ही हैं. चिरंजीवी और बालकृष्ण की फिल्मों की वजह से दावा किया जा रहा कि संक्रांति पर आदिपुरुष को क्लैश की वजह से तेलुगु क्षेत्रों में पर्याप्त स्क्रीन्स नहीं मिल पाते.

मजेदार बात तो यह है कि चिरंजीवी और बालकृष्ण को लगातार असफलताओं का सामना करना पड़ा है. दोनों तेलुगु के बुजुर्ग अभिनेता हैं. उनकी फ़िल्में तेलुगु दर्शकों के लिए बनाई गई हैं. जबकि आदिपुरुष को पैनइंडिया बनाया गया है. फिल्म का क्रेज दर्शकों में किस तरह है इसका अंदाजा टीजर आने के बाद की प्रतिक्रियाओं से लगाया जा सकता है. यूट्यूब पर सिर्फ हिंदी में आदिपुरुष के टीजर पर चार हफ्ते में 98.27 मिलियन व्यूज आए हैं जो अब तक सर्वाधिक हैं. इसके बाद जिस हिन्दी टीजर को सर्वाधिक व्यूज (74.1 मिलियन) मिला है वह रजनीकांत की 2.0 है. जहां तक बात आदिपुरुष की है हिंदी के साथ यूट्यूब पर दूसरी भाषाओं के टीजर पर आए व्यूज को मिला दिया जाए तो शायद दुनिया के इतिहास की सर्वाधिक व्यूज हासिल करने वाली फिल्मों में सर्वोच्च होगी.

तो यह तर्क पचाने लायक नहीं कि क्लैश की वजह से प्रभास की आदिपुरुष को पोस्टफोन कर दिया गया. टीजर के व्यूज भर सबूत हैं कि फिल्म को लेकर दर्शकों में बेसब्री तो है. और यह भी कि आदिपुरुष के तूफ़ान को चुनौती दे पाना किसी चिरंजीवी और बालकृष्ण के वश की बात नहीं. वह भी उस स्थिति में जब आदिपुरुष को पैन इंडिया लेवल पर बनाया गया है. आदिपुरुष का टारगेट ऑडियंस सिर्फ तेलुगु टेरीटरी भर में नहीं है. और अगर वह पैन इंडिया है तो तेलुगु टेरीटरी में कुछ फिल्मों के साथ क्लैश को रिलीज डेट पोस्टफोन होने का सबसे अहम कारक कैसे माना जा सकता है?

क्लैश के नैरेटिव को क्यों मजबूत किया जा रहा है

असल में इसकी एक वजह यह हो सकती है कि कुछ लोग चाहते हैं कि आदिपुरुष को लेकर लोगों में वह विचार बना रहे जो टीजर आने के बाद पनपा था. यानी कि ओम राउत की फिल्म में रामायण के किरदारों को गलत तरीके से दिखाया गया. और इस वजह से ना तो हम फिल्म देखेंगे और ना ही देखने देंगे. साथ ही यह बात प्रमुखता से लोगों तक ना पहुंचे कि जिन चीजों का विरोध किया गया था निर्माता रिलीज से पहले उसे दुरुस्त करने का प्रयास कर रहे हैं. यह नैरेटिव बना रहा तो फिल्म के खिलाफ इसी हथियार का इस्तेमाल किया जाएगा. जबकि निर्माताओं ने खुद लोगों की आपत्तियां सुनी हैं और उनमें संभावित फेरबदल की बात भी सार्वजनिक रूप से कहा है.

समझ में नहीं आता कि आखिर वे कौन लोग हैं जिनका मकसद एक फिल्म के जरिए रामायण की कहानी को व्यापक रूप से पहुँचने से रोकना है. आदिपुरुष का बजट करीब 500 करोड़ रुपये बताया जा रहा है. याद नहीं आता कि भारतीय सिनेमा के इतिहास में कब व्यापक रूप से राम की कहानी को बड़े परदे पर लाने की कोशिश हुई थी.

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