नीतीश दरबार में भोजपुरी सितारों की लड़ाई सिनेमाई से ज्यादा सियासी हो गई!
Khesari Lal Yadav vs Pawan Singh: भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री बॉलीवुड की तरह रसातल में जा रही है. यहां के बड़े कलाकार फिल्म इंडस्ट्री को बचाने की बजाए अपने अहम की तुष्टि में लगे हुए हैं. पवन सिंह और खेसारी लाल यादव के बीच आजकल जो कुछ हो रहा है, ये इस बात की गवाही दे रहा है. इस मामले में अब सरकार को आगे आकर इंसाफ करना चाहिए.
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पवन सिंह और खेसारी लाल यादव की लड़ाई दिलचस्प रंग लेती जा रही है. पत्नी और बेटी के साथ रेप की धमकी देने वाले शख्स के खिलाफ केस दर्ज करवाने की कोशिश कर रहे खेसारी नीतीश सरकार से इंसाफ की गुहार लगा रहे हैं. उनका कहना है कि सुशांत सिंह राजपूत की तरह उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है. उनकी शिकायत पर एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही है. उधर, पवन ने भी खेसारी का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधा है. सोशल मीडिया पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार को टैग करके भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में जातिवाद की जहर फैलाने वाले के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. स्पष्ट रूप से उनका इशारा खेसारी की ओर है, जिन पर जाति विशेष के लिए काम करने का आरोप लगता रहा है. इस तरह दोनों कलाकारों की अहम की लड़ाई अब सियासी रंग में भी रंगती हुई नजर आ रही है. क्योंकि सर्वविदित है कि पवन बीजेपी के कार्यकर्ता हैं, खेसारी लालू प्रसाद यादव के समर्थक और पप्पू यादव के करीबी हैं. चूंकि बिहार में बीजेपी समर्थित सरकार है, ऐसे में पवन या उनके किसी समर्थक के खिलाफ कार्रवाई न होना हैरान नहीं करता.
पवन सिंह और खेसारी लाल यादव के बीच की लड़ाई अब सियासी रंग लेती जा रही है.
खेसारी लाल यादव सोशल मीडिया के जरिए बिहार सरकार और बिहार पुलिस से लगातार गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अभी तक उनके परिवार को धमकी देने वाले यूट्यूबर गौतम सिंह के खिलाफ न तो केस दर्ज किया गया है, न ही किसी तरह की कोई कार्रवाई की गई है. फेसबुक और ट्विटर पर खेसारी ने लिखा है, ''पिछले कुछ दिनों से मन अशांत है और मैं परेशान हूं ये देखकर के कि कोई इंसान कैसे किसी के बीवी-बच्चों को ऐसे खुलेआम धमकी दे सकता है. इस पूरी लड़ाई में आपका भरपूर साथ मिला जिससे मुझे आगे बढ़ने की हिम्मत मिली. उम्मीद है कि वो घिनौना इंसान जल्द सलाख़ों के पीछे होगा. भगवान उसके परिवार को ख़ुश रखें.'' इससे पहले उन्होंने लिखा था, ''आज बिहार पुलिस मेरे साथ भी वही कर रही है जो कुछ वक्त पहले भाई सुशांत सिंह राजपूत के साथ हुआ था. ये वही समूह है जिन्होंने अपने मन से एफआईआर कर के पूरा नाटक किया जिनसे इनको राजनैतिक लाभ मिला या मिलेगा. आज मुझे हर तरह से दौड़ाया जा रहा है, एफआईआर दर्ज भी नहीं हो रहा है.'' खेसारी की इन बातों में उनकी बेचैनी और निराशा दोनों दिख रही है.
दिवंगत फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत का नाम लेकर खेसारी लाल यादव अपने मामले की गंभीरता से लोगों को अवगत कराना चाह रहे हैं. सुशांत सिंह राजपूत प्रकरण ने भी सियासी रंग ले लिया था. इस मामले के साथ महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना और विपक्ष में बैठी बीजेपी एक-दूसरे के आमने-सामने आ गई थी. ऐसे लग रहा था कि पूरे में का संचालन यही दोनों पार्टियां कर रही हैं. इन दोनों की लड़ाई अंतत: महाराष्ट्र से बिहार चली आई और इसकी वजह से विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू को सियासी फायदा भी हुआ. भोजपुरी सिनेमा के दोनों ही कलाकारों की ये लड़ाई भी सियासी रंग में रंग चुकी है. सियासत के जाति और धर्म का ज्ञान तो मुफ्त में मिलता है. जाति की राजनीति वैसे भी अपने देश में जमकर की जाती है. पवन सिंह जाति से राजपूत हैं, बीजेपी के कार्यकर्ता हैं, उनकी पार्टी की बिहार में सरकार है, तो जाहिर सी बात है कि सत्त का समर्थन उनके साथ ही होगा. दूसरी तरफ खेसारी जाति से अहिर है, उनका झुकाव हमेशा से लालू और पप्पू यादव की ओर रहा है. दोनों के ही राजनीतिक दल बिहार में सत्ता से बाहर सरकार के खिलाफ हैं.
इस मामले को नई दिशा में नया मोड़ देने के लिए पवन सिंह ने एक नया बयान दे दिया है. खुद जाति की राजनीति करने का आरोप झेल रहे पवन अब बिहार सरकार से भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में जातिवाद जहर बोने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की बात कर रहे हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है, ''बिहार की सभ्यता संस्कृति में भोजपुरी का बहुत ही बड़ा महत्व है. अब गीत-संगीत के माध्यम से जिस तरह जातिवाद का ज़हर बोया जा रहा है, उस पर अंकुश लगना चाहिए, नहीं तो बिहार की प्रतिष्ठा न धार्मिक स्तर पर, न सामाजिक स्तर पर, और न ही राजनैतिक स्तर पर बचाया जा सकता है. भोजपुरी के कुछ कलाकारों की वजह से बिहार में जातिगत उन्माद न फैले इसके लिए आप, चुकीं हमारे बिहार की आत्मा कि तरह हैं, इसलिए आपसे आदर सहित अनुरोध है कि कैबिनेट के माध्यम से शिघ्र कोई ऐसा क़ानून बिहार में लाने की कृपा करें, जिससे भोजपुरी भाषा की गरिमा और बिहार के अस्तित्व को बचाया जा सके.'' अपनी पोस्ट के साथ पवन ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को टैग भी किया है, हालांकि जवाब दोनों को ही नहीं मिला है.
देखा जाए तो नीतीश के दरबार में भोजपुरी के दोनों कलाकार पहुंच चुके हैं. लेकिन बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि क्या नीतीश कुमार इस मामले में खुद कोई पहल करेंगे या बिहार पुलिस के हवाले इस मामले को कर देंगे? या फिर अन्य मामलों की तरह इस पर चुप्पी साध लेंगे? या फिर दोनों कलाकारों को बुलाकर समझाएंगे और इस विवाद को हमेशा के लिए खत्म कर देंगे? देखिए इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं होने का मतलब साफ है कि बिहार सरकार या पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करना चाहती है. वो इसे पवन और खेसारी पर ही छोड़ चुकी है. वरना सोशल मीडिया पर खुलेआम किसी को भद्दी गालियां देने और रेप की धमकी देने जैसे मामले पर पुलिस को तुरंत कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी. जैसे कि यूपी, दिल्ली और पंजाब में देखने को मिलता है. यहां का सोशल मीडिया सेल किस तरह से एक्टिव है, इसकी बानगी आज दिल्ली में देखने को मिल गई है. दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ ट्विटर पर धमकी देने के आरोप में बीजेपी नेता तजिंदर बग्गा को पंजाब पुलिस गिरफ्तार कर ले गई, हालांकि बाद में उनको रिहा कर दिया गया.
तजिंदर बग्गा की गिरफ्तारी इतना बताने के लिए काफी है कि सड़क हो या सोशल मीडिया यदि आप किसी को खुलेआम धमकी देते हैं, तो आपके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है, लेकिन एक हफ्ते बीत जाने के बाद भी खेसारी लाल यादव की पत्नी और बेटी के साथ रेप की धमकी देने वाले शख्स की खिलाफ कोई कार्रवाई न होना हैरान करता है. क्या यही धमकी बिहार सरकार के किसी मंत्री या नेता के परिवार के खिलाफ दी गई होती, तो पुलिस इसी तरह शांत होती? मुझे तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता. इस मामले में बिहार पुलिस को सख्त कार्रवाई करके एक कड़ा संदेश देना चाहिए कि रेप की धमकी देना रेप करने जैसा ही घिनौना अपराध है. इस मामले में सजा भी रेप की धाराओं में ही होनी चाहिए. बताते चलें कि इस मामले में कुछ दिन पहले ही खेसारी ने लिखा था, ''मेरी नीतीश कुमार जी और बिहार पुलिस से निवेदन है कि इस मानसिक विक्षिप्त और जहरीले इंसान पर एक्शन लें. गाली ही नहीं बल्कि मेरी पत्नी और बेटी को रेप की धमकी दे रहा है. मुझे उम्मीद है की न्याय मिलेगा और ऐसे जहरीले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. आपका खेसारी''.
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