Khuda Haafiz 2: इन चार वजहों से विद्युत जामवाल की फिल्म मस्ट वॉच है!
विद्युत जामवाल की फिल्म 'खुदा हाफिज चैप्टर 2 अग्निपरीक्षा' माउथ पब्लिसिटी की वजह से लोकप्रिय हो रही है. इसकी गवाही फिल्म का बढ़ता हुआ कलेक्शन और IMDb रेटिंग दे रहा है. फिल्म ने पहले दिन के मुकाबले तीसरे दिन तीन गुनी कमाई की है. वहीं इसकी रेटिंग 8.9/10 है. वैसे इस फिल्म को देखने के लिए ये चार वजहें काफी हैं.
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फारुक कबीर के निर्देशन में बनी विद्युत जामवाल और शिवालिका ओबेरॉय की फिल्म 'खुदा हाफिज चैप्टर 2 अग्निपरीक्षा' को दर्शकों से जबरदस्त सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है. माउथ पब्लिसिटी की वजह से फिल्म धीरे-धीरे लोकप्रिय होती जा रही है. पहले दिन के मुकाबले फिल्म के तीसरे दिन का कलेक्शन तीन गुना बढ़ चुका है. फिल्म ने पहले दिन 1.30 करोड़ रुपए बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया था, जो कि तीसरे दिन 3.13 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है.
अनुमान ये लगाया जा रहा है कि विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' की तरह विद्युत जामवाल की इस फिल्म को भी माउथ पब्लिसिटी का फायदा मिलेगा. इतना ही नहीं फिल्म रेटिंग देने वाली वेब साइट आईएमडीबी पर इसे 8.9/10 रेट किया गया है. विद्युत की बेहतरीन एक्टिंग के साथ धांसू एक्शन और स्टंट हर किसी को पसंद आ रहा है. एक बेहद संवेदनशील और गंभीर विषय पर बनी इस फिल्म में एक्शन के साथ इमोशन का जबरदस्त तड़का है.
आइए उन चार वजहों के बारे में जानते हैं, जो इस फिल्म को मस्ट वॉच बनाती हैं...
1. वर्ल्डक्लास एक्शन
बॉलीवुड में एक्शन कैटेगरी की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सबसे ज्यादा सफल रही हैं. लेकिन जबसे हॉलीवुड और साउथ सिनेमा की फिल्मों का चलन हिंदी पट्टी में बढ़ा है, दर्शकों की डिमांड ज्यादा हो गई है. फिल्मों में एक्शन का स्तर बहुत ऊपर जा चुका है. पहले स्टंटमैन के सहारे हीरो अपने एक्शन सीन करके काम चला लिया करते थे, लेकिन रियलिटी शो के इस युग में दर्शक ज्यादा स्मार्ट हो गए हैं. उनके सामने फेक एक्शन या स्टंट नहीं चल पाता है.
यही वजह है कि उन एक्टर्स की डिमांड ज्यादा बढ़ गई है, जो एक्शन में माहिर हैं. इन एक्शन स्टार्स की फेहरिस्त में विद्युत जामवाल का नाम बड़े आदर से लिया जाता है. इसकी वजह ये कि वो वर्ल्ड क्लास का एक्शन और स्टंट करने में माहिर हैं. उनका नाम 'दुनिया के टॉप मार्शल आर्टिस्ट' में शुमार है. कलरिपयट्टु मार्शल आर्ट के एक्सपर्ट हैं. उनका टैलेंट उनकी फिल्मों दिख जाता है. 'खुदा हाफिज' के दूसरे चैप्टर में भी उन्होंने जबरस्त एक्शन किया है. कई सीन रोंगटे खड़े करने वाले हैं. यदि आप किसी बॉलीवुड फिल्म में वर्ल्डक्लास का एक्शन देखना चाहते हैं, तो इसे जरूर देखना चाहिए. यकीन कीजिए आप निराश नहीं होंगे.
2. हृदयस्पर्शी प्रेम कहानी
किसी फिल्म की सफलता में उसकी कहानी का बहुत बड़ा रोल होता है. ओटीटी के जमाने में कंटेंट को ही किंग माना जाता है. यदि फिल्म की कहानी में ताजगी और रोचकता है, तो दर्शक खुद ब खुद खींचे चले आते हैं. फिल्म 'खुदा हाफिज' के पहले पार्ट में समीर और नरगिस की हृदयस्पर्शी प्रेम कहानी देखने को मिली है. रहस्यमयी परिस्थितियों में नरगिस के गायब हो जाने के बाद समीर उसे पूरी दुनिया में जिस तरह से तलाश करता है, उसका अपने पत्नी के प्रति प्यार को दर्शाता है. फिल्म के सीक्वल में नरगिस के आने के बाद वो उसका बहुत अच्छे से देखभाल करता है. नरगिस अपने साथ हुई घटना के बाद डिप्रेशन में जी रही है.
समीर अपनी पत्नी को एक पल के लिए अकेला नहीं छोड़ता. डॉक्टर की सलाह पर वो एक अनाथ बच्ची को अपने घर लाता है. उसके आने के बाद नरगिस धीरे-धीरे ठीक होने लगती है. मासूम बच्ची दोनों के प्यार की केंद्र बिन्दू बन जाती है. दोनों उसे बेइंतहा प्यार करने लगते हैं. लेकिन इसी बीच बच्ची नरगिस की तरह रहस्यमयी हालत में गायब हो जाती है. एक आम आदमी की तरह रह रहे समीर की जिंदगी में भूचाल आ जाता है. अब वो अपने बच्ची की तलाश में निकलता है. उसे किसी भी हाल में पाने की पूरी कोशिश करता है. इस फिल्म में परिवार के प्रति पवित्र प्यार को दर्शाया गया है, जिसमें एक आम व्यक्ति भी कुछ कर गुजरता है.
3. कलाकारों का अभिनय प्रदर्शन
फिल्म 'खुदा हाफिज चैप्टर 2 अग्निपरीक्षा' में अभिनेता विद्युत जामवाल ने कमाल का काम किया है. उनका एक्शन तो लाजवाब है कि उनकी एक्टिंग भी अलहदा है. पहले एक पति और बाद में एक पिता के इमोशन को उन्होंने जिस तरह से दिखाया है, उससे हर दर्शक जुड़ा हुआ महसूस करता है. उनकी आंखों में पीड़ा और गुस्सा जिस तरह से दिखता है, सीधे प्रभावित करता है. फिल्म के पहले हाफ में वो इमोशनल करते हैं, तो दूसरे में जबरदस्त एक्शन करते हुए दिखाई देते हैं.
अभिनेत्री शिवालिका ओबेरॉय ने नरगिस के किरदार के साथ पूरा इंसाफ किया है. उन्होंने पूरी क्षमता के साथ वो किया, जो उनको दिया गया है. फिल्म के पहले पार्ट के मुकाबले सीक्वल में उनके पास बहुत ज्यादा करने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन जितना वक्त भी स्क्रीन पर दिखती हैं, प्रभावित करती हैं. दिब्येंदु भट्टाचार्य, शीबा चड्ढा, राजेश तैलंग, अन्नू कपूर, नवाब शाह और ऋद्धि शर्मा का अभिनय भी सराहनीय है. इनमें शीबा चड्ढा ने खलनायक की भूमिक में अधिक प्रभावित किया है.
4. मनमोह लेने वाले गाने
फिल्म 'खुदा हाफिज' के दूसरे चैप्टर का संगीत मिथुन, विशाल मिश्रा और शब्बीर अहमद ने दिया है. गाने के बोल मनोज मुंतशिर ने लिखे हैं. मनोज की कलम से निकले गाने हमेशा कमाल करते हैं. उनके हर शब्द में एक संसार होता है. इस फिल्म के लिए लिखा गया उनका लिखा गाना, ''लोहबान के धुएं सा फैला है चारसु, तू लापता है फिर भी हर ओर तू ही तू, मैं हूं फकीर तेरा रख मेरी आबरू, हामी ये बेकासा है इतनी सी आरजू, तू मेरे रूबरू हो मैं तेरे रूबरू'', दर्शकों का मनमोह लेता है.
मनोज मुंतशिर के अलावा मिथुन, विशाल मिश्रा, कौशल किशोर, फारुक कबीर, शब्बीर अहमद और अयाज कोहित के लिखे गाने भी कर्णप्रिय हैं. ''अहसास की जो जुबान बन गए, दिल में मेरे मेहमान बन गए, आपकी तारीफ में क्या कहें, आप हमारी जान बन गए'' जैसे गाने प्यार की उस पराकाष्ठा को प्रदर्शित करते हैं, जिसे फिल्म में दिखाया गया है. फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी शानदार है, जो परिस्थिति के अनुकूल लगता है. इसके लिए अमर मोहिल बधाई के पात्र हैं.
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