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Updated: 13 जुलाई, 2017 10:52 PM
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गांगुली निवास. खंडवा शहर के बॉम्बे बाजार में बना यह घर दुनिया भर में मशहूर है. वजह, यहीं हिन्दी सिनेमा के सबसे लोकप्रिय गायक किशोर कुमार का जन्म हुआ था. यहीं किशोर दा खेल-कूदे. यहीं शरारतें कीं. यहीं जाने अंजाने गाने गुनगुनाते हुए वो उस फन के माहिर बने- जिसकी वजह से दुनिया ने उन्हें जाना. लेकिन 100 बरस पुराना यह घर अब एक-दो दिन में ढह जाएगा. वजह- खंडवा म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन ने 24 घंटे के भीतर घर खाली करने का नोटिस जारी कर दिया है, जिसके बाद इसे गिरा दिया जाएगा.

Kishore Kumar, Khandwa houseखंडवा स्थित किशोर कुमार का घर, जिसे गिरा दिए जाने का फरमान जारी हुआ है.

किशोर कुमार के पिता कुंजीलाल गांगुली ने इसे बनवाया था. किशोर कुमार के निधन के बाद हर बरस उनके फैंस यहां एक कार्यक्रम भी करते हैं लेकिन अजीब विंडबना है कि लाखों फैंस वाले किशोर दा के घर की इतनी मरम्मत नहीं हो पाई कि यह जीर्ण शीर्ण न कहलाए. म्यूनिसिपल कॉरपोशन को डर है कि यह मकान कभी भी गिर सकता है-लिहाजा इसे गिरा दिया जाएगा. किशोर कुमार के परिवार का यहां आना जाना नहीं है अलबत्ता मकान परिसर में बनी दुकानों का किराया अनूप कुमार के बेटों को जाता है.

किशोर कुमार बरसों बरस मुंबई में रहे लेकिन उनका दिल खंडवा के इसी घर में लगा रहता था. 1985 में इलेस्ट्रेट वीकली को दिए अपने इंटरव्यू में उनसे पहला सवाल ही यही किया गया था. 'सुना है आप बंबई छोड़ कर खंडवा जा रहे हैं?'. तो किशोर ने जवाब दिया- 'इस अहमक, मित्रविहीन शहर में कौन रह सकता है, जहां हर आदमी हर वक्त आपका शोषण करना चाहता है? क्या तुम यहां किसी का भरोसा कर सकते हो? क्या कोई भरोसेमंद है यहां? क्या ऐसा कोई दोस्त है यहां जिस पर तुम भरोसा कर सकते हो? मैंने तय कर लिया है कि मैं इस तुच्छ चूहादौड़ से बाहर निकलूंगा और वैसे ही जीऊंगा जैसे मैं जीना चाहता था. अपने पैतृक निवास खंडवा में. अपने पुरखों की जमीन पर. इस बदसूरत शहर में कौन मरना चाहता है!!'

Kishore Kumar smarak.खंडवा शहर के बाहर एक किशोर कुमार स्‍मारक बनवाया गया है.

अफसोस किशोर दा अपने आखिरी दिन यहां नहीं बिता पाए और अब उनकी यादों का संसार भी ढहने वाला है. लेकिन, बड़ा सवाल सिर्फ खंडवा शहर की नगर पालिका ही नहीं, बल्कि राज्‍य शासन से भी है. किशोर कुमार के करोड़ों चाहने वाले हैं. उनमें से कोई यदि खंडवा आता है तो उसकी एक हसरत किशोर कुमार के घर के सामने खड़े होकर फोटो खिंचवाने की भी होती है. उस प्रशंसक का ख्‍याल भले सरकारें न करें, लेकिन उस महान हस्‍ती की रूह के लिए क्‍या जवाब है, जिसके आशियाने को उसके जाने के बाद लावारिस छोड़ दिया गया ? उसे अधिग्रहित कर सहेज न सके?

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