Shamshera के अंजाम से लाल सिंह चड्ढा को लेकर जरूर डर रहे होंगे आमिर खान, डरना ही चाहिए!
लाल सिंह चड्ढा अगले महीने 11 अगस्त को रिलीज हो रही है. आमिर खान की फिल्म के लिए एक तरफ खाई और दूसरी तरफ कुआं वाली स्थिति है. एक तो धार्मिक वजहों से एक्टर का लगातार विरोध दिख रहा है, दूसरा लाल सिंह चड्ढा अक्षय कुमार रक्षा बंधन के साथ क्लैश में है. शमशेरा के बुरी तरह फ्लॉप हो जाने के बाद लाल सिंह चड्ढा को लेकर आमिर खान बुरी तरह डर रहे होंगे.
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रणबीर कपूर स्टारर शमशेरा 4300 से ज्यादा स्क्रीन्स पर रिलीज हुई थी. मगर फिल्म तीन दिनों के वीकेंड में किसी तरह 32 करोड़ ही कमा पाई. जबकि शमशेरा से पहले आई यश की केजीएफ़ 2 को हिंदी बेल्ट में 4000 स्क्रीन्स पर रिलीज किया गया था. यश की फिल्म के हिंदी वर्जन का ओपनिंग कलेक्शन ही 53.95 करोड़ रुपये था. कुछेक फिल्मों को अपवाद के रूप में छोड़ दिया जाए तो सिर्फ शमशेरा ही नहीं, बॉलीवुड की पिछली कई फ़िल्में ठीकठाक स्क्रीन्स पर आने के बावजूद दर्शकों को सिनेमाघर तक खींचने में नाकाम रहीं. बॉक्स ऑफिस पर जो ट्रेंड दिख रहा है- निश्चित ही लाल सिंह चड्ढा के लिए आमिर खान जरूर परेशान होंगे. पिछले ढाई दशक में पहली बार आमिर के सामने बॉक्स ऑफिस पर आफत खाड़ी है.
आमिर की आख़िरी फिल्म साल 2018 में ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान थी. पीरियड ड्रामा को भारीभरकम बजट में यशराज फिल्म्स ने बनाया था. हालांकि ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान बेहतरीन ओपनिंग हासिल करने के बावजूद बुरी तरह फ्लॉप हो गई थी. आमिर को बॉलीवुड का परफेकशनिस्ट कहा जाता है. उनकी फ़िल्में लीक से हटकर मनोरंजन की गारंटी मानी जाती हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों में आमिर के बयानों और दूसरी राजनीतिक-सामजिक घटनाओं ने एक्टर की साख पर बट्टा लगाया है. अब हिंदू-मुस्लिम डिबेट और बॉलीवुड के भाई भातीजवाद की खिलाफत के बहाने आमिर हमेशा निशाने पर रहते हैं. उनका लगातार विरोध देखा जा सकता है. उनकी फिल्मों के खिलाफ मजबूत बायकाट का कैम्पेन नजर आता है. लाल सिंह चड्ढा के लिए भी है.
शमशेरा फ्लॉप होने के बाद निगाहें आमिर खान की लाल सिंह चड्ढा पर हैं.
जिन वजहों से शमशेरा फ्लॉप हुई, क्या मेकर्स ने लाल सिंह चड्ढा को उससे बचाया है?
शमशेरा के फ्लॉप होने की वजहें राजनीतिक और सामजिक ही हैं. असल में यशराज ने स्वतंत्रता संग्राम की एक फिक्शनल कहानी में जबरदस्ती दो चीजों को घुसाने की कोशिश की. अंग्रेजों के खिलाफ भारतीयों के औपनिवेशिक संघर्ष और भारतीय समाज व्यवस्था में जाति की लड़ाई को एक करके दिखा दिया. बहुसंख्यकों के धार्मिक प्रतीकों को भी विकृत मानसिकता के साथ दिखाया है जो बहुसंख्यक भारतीय दर्शकों को बिल्कुल पसंद नहीं आया. ना तो जातिक्रम में ऊंचे पायदान पर रहने वाली जातियों को और ना ही जातिक्रम में हाशिए पर रहने वाले समाज को. सोशल मीडिया पर आ रही प्रतिक्रियाओं से इसे समझना मुश्किल नहीं है. शमशेरा का बॉक्स ऑफिस तो सामने है ही.
अद्वैत चंदन के निर्देशन में बनी लाल सिंह चड्ढा असल में टॉम हैंक्स की फारेस्ट गंप का आधिकारिक रीमेक है. भारतीय दर्शकों के लिहाज से फिल्म की मूल कहानी का भारतीयकरण किया गया है. इसमें तमाम भारतीय घटनाओं का संदर्भ उठाया गया होगा. मसलन वियतनाम युद्ध के संदर्भ की जगह संभवत: कारगिल युद्ध का इस्तेमाल किया गया है. फिल्म के ट्रेलर में केवल यही एक रेफरेंस दिखता है. बाकी के संदर्भों को मेकर्स ने ट्रेलर का हिस्सा नहीं बनाया है. लाल सिंह चड्ढा की कहानी में संभवत: 1975 या 1980 आदि के संदर्भ दिखाया जाए. चूंकि संदर्भ राजनीतिक-सामजिक या आर्थिक ही होंगे, तो हो सकता है कि मेकर्स ने उसे ट्रेलर में दिखाने का प्रयास ना किया हो. फिल्म की रिलीज से पहले किसी विवाद के खड़ा होने का मतलब है सीधे-सीधे कारोबारी नुकसान.
लाल सिंह चड्ढा का ट्रेलर नीचे देखें:-
यानी 1980 से लेकर अब तक की राजनीतिक सामजिक घटनाओं को दिखाया जाए. बहुत संभावना है कि फिल्म में आपातकाल, इंदिरा-राजीव की हत्या, देश में उदारवाद का आगमन, बाबरी विध्वंस, कारगिल युद्ध जैसी तमाम बड़ी घटनाओं के संदर्भ समेटे गए हों. बिल्कुल वैसे ही जैसे सैक्रेड गेम्स में मुख्य कहानी के साथ राजनीतिक घटनाओं का संदर्भ लिया गया था. वहां अनुराग कश्यप एंड टीम फारेस्ट गंप से ही प्रेरित थी. अब लाल सिंह चड्ढा में राजनीतिक संदर्भों की स्थापना किस रूप में और किस व्याख्या के साथ होगी? यह देखने वाली बात है. मगर इतना तो तय है कि इसमें थोड़ी सी भी चूक फिल्म को विवादों में घसीट ले जाएगी. ट्रेलर में संदर्भों का खुलासा ना करके मेकर्स ने चतुराई ही दिखाई. वैसे एक चीज जो ट्रेलर में दिख रही है उस पर लोगों की नाराजगी सामने आ सकती है.
सरदार को बिना केश के दिखा रहे आमिर खान ने जानबूझकर खतरा तो नहीं मोल ले लिया है
लाल सिंह चड्ढा का नायक सरदार है. मगर ट्रेलर से पता चलता है कि कॉलेज और सेना में नौकरी के दौरान वह बिना "केश और दाढ़ी" के है. जबकि कॉलेज या सेना में सिखों के लिए ऐसी कोई नियमबद्ध मजबूरी नहीं है. गुरु गोविंद सिंह महाराज ने सिखों के लिए पांच चीजें अनिवार्य की थीं जिसमें- कड़ा, कृपाण, कंघा और कछैरा के साथ केश सबसे अहम हैं. फिल्म में युवा आमिर के किरदार का बिना केस के दिखना सिखों को नाराज कर सकता है. बॉलीवुड की कुछ फिल्मों में केस और कड़ा को लेकर सिखों की तरफ से अब तक कई फिल्मों के विरोध का इतिहास है.
इस बार लाल सिंह चढ्ढा के साथ बॉक्स ऑफिस आमिर के लिए तलवार की धार पर चलने जैसा है. एक तरफ फिल्म के कंटेंट को विवादों से बचाके रखना है और दूअरी तरफ टिकट खिड़की पर साल के सबसे बड़े क्लैश में होने नुकसान से बचने की जुगत लगाना है. असल में 11 अगस्त को लाल सिंह चड्ढा के साथ अक्षय कुमार की फैमिली ड्रामा रक्षाबंधन भी रिलीज हो रही है. अक्षय की पिछली दो फिल्मों को छोड़ दिया जाए तो नए राजनीतिक माहौल में उनका बॉक्स ऑफिस ट्रैक रिकॉर्ड बहुत बेहतर रहा है. रक्षाबंधन के सामने क्लैश में थोड़ी सी भी चूक आमिर की लाल सिंह चड्ढा को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है. क्योंकि लाला सिंह चड्ढा के विरोध में बॉक्स ऑफिस पर लोगों के पास विकल्प के रूप में आनंद एल रॉय और अक्षय की रक्षाबंधन का तगड़ा विकल्प मौजूद रहेगा.
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