तमिल फिल्म Koozhangal की खास बातें, जो उसने ऑस्कर की रेस में 14 दिग्गज फिल्मों को पछाड़ा
तमिल फिल्म 'कूझंगल' को 94वें ऑस्कर अवॉर्ड के लिए चयनित कर लिया गया है. इस फिल्म ने विद्या बालन स्टारर 'शेरनी', विकी कौशल स्टारर 'सरदार उधम', सिद्धार्थ मल्होत्रा स्टारर 'शेरशाह', पंकज त्रिपाठी स्टारर 'कागज' और फरहान अख्तर स्टारर 'तूफान' को पीछे छोड़कर अपनी जगह बनाई है.
-
Total Shares
बॉलीवुड की 'सरदार उधम', 'शेरनी' और 'शेरशाह' जैसी देश की 14 फिल्मों को पीछे छोड़कर तमिल फिल्म 'कूझंगल' को 94वें ऑस्कर में ऑफिसियली भेजने के लिए चयन किया गया है. पीएस विनोथराज के निर्देशन में बनी इस फिल्म का चयन 15 सदस्यीय चयन समिति के अध्यक्ष शाजी एन. करुण ने किया है. फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव सुप्राण सेन ने बताया कि 'कूझंगल' को ऑस्कर में भेजने का फैसला ज्यूरी की सहमति से हुआ है. फिल्म 'कूझंगल' के लिए टॉप 14 में अपना पहला स्थान बनाना इतना आसान नहीं था, क्योंकि इस बार इसका मुकाबला कई बड़ी और चर्चित हिंदी फिल्मों से था. लेकिन अपनी कहानी, पटकथा, एक्टिंग, निर्देशन और खासकर छायांकन की वजह से इस फिल्म ने सभी 14 फिल्मों को पीछे छोड़ दिया. अब देखना दिलचस्प होगा कि ये ऑस्कर अवॉर्ड जीत पाती है या नहीं.
फिल्म 'कूझंगल' एक शराबी पिता और उसके बेटे के बीच के रिश्ते पर आधारित है.
विग्नेश शिवन और नयनतारा के होम प्रोडक्शन राउडी पिक्चर्स के बैनर तले बनी तमिल फिल्म 'कूझंगल' से जिन 14 फिल्मों को मुकाबला था, उनमें विद्या बालन स्टारर 'शेरनी', विकी कौशल स्टारर 'सरदार उधम', सिद्धार्थ मल्होत्रा स्टारर 'शेरशाह', पंकज त्रिपाठी स्टारर 'कागज', फरहान अख्तर स्टारर 'तूफान', तमिल फिल्म 'मंडेला', मराठी फिल्म 'आटा वेल ज़ाली', 'करखानिसांची वारी' और 'गोदावरी', असमिया फिल्म 'ब्रिज', गुजराती फिल्म 'छेलो शो', मलयालम फिल्म 'नयाट्टू' और गोजरी फिल्म 'लैला और सत्गीत' शामिल थीं. इन फिल्मों की स्क्रीनिंग और सिलेक्शन की प्रक्रिया कोलकाता के बिजोली सिनेमा में हुई है. यहां चयन समिति के अध्यक्ष शाजी एन. करुण ने अपनी 15 सदस्यीय टीम के साथ सभी फिल्मों को देखने के बाद ये फैसला किया कि तमिल फिल्म 'कूझंगल' 94वें ऑस्कर अवॉर्ड में भेजा जाना चाहिए.
फिल्म 'कूझंगल' पीएस विनोथराज की पहली फिल्म है, जो उनके निर्देशन में बनी है. इसकी कहानी ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित एक परिवार का जीवंत दस्तावेज है. जैसा कि कुछ परिवारों में देखा जाता है कि एक गैर-जिम्मेदार नशेड़ी पति की वजह से उसकी पत्नी के ऊपर पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ जाती है. वो महिला रात-दिन मेहनत करके अपने परिवार को पालती है. बच्चों की देखभाल करती है, लेकिन एक दिन जब परिस्थितियां उसके वश से बाहर चली जाती हैं, तो वो सबकुछ छोड़कर या तो घर से निकल जाती है या फिर खुद को खत्म कर लेती है. ऐसे में सबसे अधिक सफर कोई करता है, तो उसके बच्चे. यह फिल्म एक शराबी पिता और उसके बेटे के बीच के रिश्ते पर आधारित है. इसमें नाराज होकर अपने मायके चली गई पत्नी को वापस लाने के लिए पिता अपने बेटे के साथ जाता है. इस यात्रा में जो कुछ भी होता है, उसे बिना किसी लाग-लपेट के फिल्म में वास्तविकता के करीब रखकर दिखाया गया है. फिल्म कहानी एक परिवार में हुई असली घटना पर आधारित है.
फिल्म में एक सूखाग्रस्त इलाके को दिखाया गया है, जिसमें दूर-दूर तक लोग नजर नहीं आते. इक्का-दुक्का झाड़ियां दिखती हैं. इसमें एक पगडंडी पर पिता गणपति (करुथथदैयां) अपने बेटे वेलु (चेल्लापंडी) के साथ चल रहा है. पिता आगे-आगे है, पीछे किसी कुत्ते की तरह उसका बेटा उसको फॉलो करता है. उनके साथ कैमरा पीछे पीछे चलता है. शरीर से बलिष्ठ पिता गुस्से में है. उसके साथ सहमा हुआ बच्चा चलने की कोशिश करता है. रास्ते में पिता से मार भी खाता है, लेकिन फिर भी पिता के साथ चलता जाता है. गणपति अपनी पत्नी शांति को वापस पाने के लिए उसके मायके जा रहा होता है. रास्ते में अपने बेटे से पूछता है, 'तुमको तुमारी मां पसंद है या मैं?'' वेलु कोई जवाब नहीं देता. रास्ते में पड़ने वाले पत्थरों पर अपनी मां शांति और बहन लक्ष्मी का नाम लिखकर खुश होता है. भूख लगती है तो रास्ते से कंकड़ उठाकर अपने मुंह में रख लेता है. शराबी पिता अपने पास बचे खुचे पैसों से शराब खरीद कर पी जाता है. इस वजह से उनके बस से जाने का किराया तक नहीं होता.
फिल्म 'कूझंगल' (कंकड़) 75 मिनट की सम्मोहक सिनेमाई कोरियोग्राफी है. इसका सबसे मजबूत पक्ष इसका छायांकन है. फिल्म में निर्देशक पीएस विनोथराज ने कैमरे को किसी हथियार की तरह इस्तेमाल किया है. भारतीय सिनेमा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि किरदार कम बोलते हैं, जबकि कैमरे के जरिए हर बात कह दी जाती है. दिलचस्प बात ये कि दर्शकों को हर बात आसानी से समझ में भी आती है. फिल्म में कैमरा गणपति और वेलु के पीछे-पीछे चलता रहता है. उनकी हर गतिविधि को बहुत ही बारीकी से कैद करता जाता है. फिल्म में न तो कोई दमदार एक्शन है, न ही शानदार डायलॉग, न ही कोई नामचीन कलाकार, लेकिन फिल्म का सम्मोहन आपको आखिरी सीन तक बांधे रखता है. हमें उस जीवन से परिचित कराता है, जो हमारे आसपास होते हुए भी हम उसे महसूस नहीं कर पाते. इसे हम रोज देखते हैं, लेकिन कभी उसे समझ नहीं पाते. भूख, गरीबी, लाचारी, बेबसी, घरेलू हिंसा जैसे शब्द रोज सुनते हैं, लेकिन उसकी तपिस को कभी महसूस नहीं कर पाते हैं.
फिल्म इस साल के शुरुआत में नीदरलैंड में आयोजित 50वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल रॉटरडैम में टाइगर अवॉर्ड जीत चुकी है. फिल्म के प्रोड्यूसर नयनतारा और विग्नेश शिवन हैं. इसका म्यूजिक युवान शंकर राजा ने कंपोज किया है. 94वें ऑस्कर अवॉर्ड 27 मार्च, 2022 को लॉस एंजिल्स में होने वाले हैं. इसके नॉमिनेशन की घोषणा 8 फरवरी, 2022 को की जाएगी. अभी तक किसी भी भारतीय फिल्म ने कभी ऑस्कर नहीं जीता है. आखिरी भारतीय फिल्म जिसने सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय फीचर श्रेणी में अंतिम पांच में जगह बनाई, वह 2001 में आशुतोष गोवारिकर की आमिर खान स्टारर 'लगान' थी. इसके अलावा शीर्ष पांच में जगह बनाने वाली अन्य दो भारतीय फिल्में 'मदर इंडिया' (1958) और 'सलाम बॉम्बे' हैं. पिछले साल ऑस्कर के लिए भारत की तरफ से मलयालम फिल्म जल्लीकट्टू को भेजा गया था, जिसका निर्देशन लिजो जोस पेलिसरी ने किया था. इस साल फिल्म 'कूझंगल' को भेजा जा रहा है. उम्मीद है कि ये फिल्म ऑस्कर अवॉर्ड जीतकर देश का नाम रौशन करेगी.
आपकी राय