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Updated: 19 दिसम्बर, 2022 03:14 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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डायरेक्टर और स्क्रिप्ट राइटर बढ़िया और अनुभवी हों तो मामूली सी पिक्चर भी सुपर डुपर हिट हो सकती है. विशाल भारद्वाज ऐसी ही निर्देशक हैं. हमेशा अलग तरह की फ़िल्में बनाते हैं. चाहे वो स्टारकास्ट हो या स्टोरी दर्शकों को उनकी फिल्मों का इंतजार रहता है. बहुत दिनों से विशाल की कोई अच्छी फिल्म नहीं आई थी तो दर्शक मायूस थे. अब ये मायूसी 'कुत्ते' के फर्स्ट लुक के साथ दूर हो गयी है. फिल्म पर और उसके अलावा भी बात होगी लेकिन उससे पहले एक जानकारी आप को दे दी जाए. ऐसा नहीं है कि विशाल ने किसी रहस्य की तरह कुत्ते के फर्स्ट लुक को जारी किया है.

फिल्म को लेकर बज 2021 में उस वक़्त बना जब इस फिल्म के पोस्टर को जारी किया गया था. पोस्टर में कुछ खड़े और कुछ बैठे कलाकार तो थे लेकिन उनके सिर की जगह आवारा से लेकर 'ब्रांडेड' तक कुत्तों की अलग अलग ब्रीड्स को दिखाया गया था. पिक्चर विशाल भारद्वाज की थी पोस्टर भी भौकाली था तो पहले ही फैंस ने इस बात को मान लिया था कि जब भी फिल्म आएगी विशाल भारद्वाज फैक्टरहोगा फुल ऑन एंटरटेनमेंट मिलगा. फिल्म के फर्स्ट लुक ने बता दिया कि ये उम्मीद व्यर्थ नहीं जाने वाली. फिल्म की टैगलाइन है- '1 हड्डी और 7 कुत्ते'. अब वो एक हड्डी क्या है इसको अभी भी रहस्य बनाकर रखा गया है लेकिन फिल्म में अर्जुन कपूर, तबू, नसीरुद्दीन शाह, कोंकणा सेन शर्मा, राधिका मदान, शार्दुल भारद्वाज और कुमुद मिश्रा के होने ने साथ कुत्तों वाली मिस्ट्री से पर्दा हटा दिया है.

Kuttey, Vishal Bhardwaj, Film, Arjun Kapoor, Tabu, Naseeruddin Shah, Konkana Sen Sharma, First Lookइस बात में कोई शक नहीं है कि कुत्ते के जरिये विशाल भारद्वाज एक हिट एंटरटेनिंग फिल्म लेकर आ रहे हैं

फर्स्ट लुक में सातों एक्टर्स के हिस्से में एक एक डायलॉग आया है और फिर चाहे वो डायलॉग हो या उसे बोलने का स्टाइल इसमें कोई शक नहीं है कि गर्दा तो उड़ा है. फिल्म का नाम कुत्ते हैं ये बात हम बता चुके हैं और उसूलन हमें फिल्म के बारे में भी थोड़ी बहुत बात करनी चाहिए. फिल्म को लेकर जो जानकारी आ रही है कहा जा रहा है कि कुत्ते डकैती के प्लॉट को ध्यान में रखकर बनाई गयी एक ब्लैक कॉमेडी है जो दर्शकों को फिल्म शुरू होने से लेकर खत्म होने तक कहीं भी बोर नहीं करेगी.

विशाल के बेटे आसमान भारद्वाज ने फिल्म को डायरेक्ट किया है और क्योंकि ये विशाल भारद्वाज और आसमान का जॉइंट वेंचर है माना यही जा रहा है कि इस फिल्म में जहां विशाल का एक्स फैक्टर होगा तो वहीं विशाल की नयी सोच इस फिल्म को नेक्स्ट लेवल पर ले जाएगी. फिलहाल ये फिल्म विवादों से दूर हैं हां लेकिन नाम को लेकर शायद विवाद हो जाए और कोई डॉग लवर फिल्म का नाम कुत्ते होने को मुद्दा न बना ले.

 
 
 
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बॉलीवुड में बेचारे कुत्ते

बाकी बात अगर कुत्तों की हो तो बॉलीवुड और कुत्तों का नाता है बड़ा अजीब. कितना अजीब है इसे हम उन फिल्मों से समझ सकते हैं जिनमें कुत्ते थे. चाहे वो तेरी मेहरबानियां, बोल राधा बोल और मर्द फिल्म के मोती हों या हम आपके हैं कौन का टफी और एंटरटेनमेंट का एंटरटेनमेंट बॉलीवुड फिल्मों में हमेशा ही कुत्तों ने ऐतिहासिक काम किया है. ऊपर हमने जिन भी फिल्मों के नाम बताए हैं उठाइये उन्हें और देखिये साथ ही उस पहलू पर भी गौर करियेगा जब पर्दे पर कुत्ते की एंट्री होगी.

महसूस यही होगा कि अगर आज इतने सालों के बाद ऊपर बताई गयी फ़िल्में अगर हमें याद हैं तो कारण वो एक्सप्रेशन से भरे बेजुबान कुत्ते ही थे. जैसा कि हम बता चुके हैं कुत्तों ने बॉलीवुड के लिए बहुत किया. मोटा बॉक्स ऑफिस कलेक्शन दिया. फिल्म को हिट और स्टार को स्टार बनाया लेकिन बतौर इंसान हमने क्या किया? हमने कुत्तों को हमेशा 'कुत्ता' ही समझा और वो किया जो न केवल डॉग लवर्स की बल्कि खुद कुत्तों की भी भावना हो आहात करता है.

 
 
 
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कह सकते हैं कि कुत्तों के अगर मुंह होता या फिर वो बेचारे बोल पाते तो अवश्य ही हमारे पास आते और हमसे हमारे किये का हिसाब मांगते. ये बातें अतिश्योक्ति नहीं हैं. चाहे वो धर्मेंद्र और शत्रुघ्न सिन्हा हों या फिर मिथुन और बॉलीवुड की विलेन लॉबी हमेशा ही कुत्तों को स्वार्थ और दुष्टा का पर्याय माना गया.

याद तो शायद आपको भी हों वो मशहूर डायलॉग - कुत्ते कमीने मैं तेरा खून पी जाऊंगा! 'इन कुत्तों के सामने मत नाचना बसंती... कुत्ते, कमीने हरमजयादे, कुत्ते के बच्चों... वाक़ई कितना विरोधाभास है. एक तरह जब हम कुत्तों को लेकर फ़िल्में बना रहे हैं तो उनसे अच्छा, वफादार, एहसानमंद कोई है ही नहीं लेकिन वही कुत्ते जब हमारे स्क्रिप्ट राइटर की स्क्रिप्ट में आते हैं तो इन्हें वो ट्रीटमेंट दिया जाता है जो आहत कर दे कुत्ते और किसी डॉग लवर दोनों को.

बहरहाल जिक्र विशाल भारद्वाज और उनकी अपकमिंग फिल्म कुत्ते का हुआ है तो जिस तरह विशाल ने भी अपनी फिल्म की टैगलाइन में एक हड्डी और साथ कुत्ते वाली बात कही उन्होंने भी कुत्तों को लालची और स्वार्थी ही दिखाया. लेकिन हां जिस तरह अन्य लोगों के विपरीत विशाल ने अपना नजरिया रखा उन्होंने कुत्तों और उनकी लालच और स्वार्थ को नेक्स्ट लेवल पर पहुंचा दिया है और एक निर्देशक के रूप में इसके लिए उनकी तारीफ हर हाल में होनी ही चाहिए.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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