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Updated: 26 फरवरी, 2022 06:09 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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अपने देश में झूठी शान के नाम पर बच्चों की हत्या का सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है. ऑनर किलिंग की घटनाएं सबसे ज्यादा हरियाणा और वेस्ट यूपी में होती हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरों के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस तरह केस पूरे देश में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में सामने आए हैं. पिछले साल यहां 170 बेटियों की बलि झूठी शान के नाम पर ली गई है. इस तरह के मामले में बिहार, गुजरात और मध्य प्रदेश में भी कम नहीं हैं. यहां भी ऑनर किलिंग की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं. ऑनर किलिंग पर बॉलीवुड में कई फिल्में बन चुकी हैं. 'धड़क', 'एनएच 10' और 'इश्कजादे ' जैसी फिल्में इसका प्रमुख उदाहरण हैं. इसी मुद्दे पर एक नई फिल्म रिलीज हुई है, जिसका नाम 'लव हॉस्टल' है. ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर रिलीज हुई इस फिल्म का निर्देशन शंकर रमन ने किया है, जो फिल्म 'गुड़गांव' के लिए जाने जाते हैं.

शाहरुख खान की पत्नी गौरी खान की प्रोडक्शन कंपनी रेड चिलीज एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी इस फिल्म में बॉबी देओल, विक्रांत मैसी, सान्या मल्होत्रा, राज अर्जुन, स्वरूपा घोष जैसे कलाकार अहम रोल में हैं. एमएक्स प्लेयर की वेब सीरीज 'आश्रम' के बाद बॉबी देओल पहली बार ओटीटी की किसी फिल्म में निगेटिव किरदार में नजर आ रहे हैं. एक निर्दयी और भाव शून्य हत्यारे के किरदार को बॉबी के चेहरे पर मेकअप की गाढ़ी परत और खिचड़ी दाढ़ी, बालों और पहनावे ने एक रहस्मयी गहराई दी है. इस तरह के किरदार में बॉबी देओल को दर्शकों ने बहुत कम देखा है. अपनी दमदार अदाकारी से उन्होंने डागर जैसे निगेटिव किरदार को भी फिल्म में अहम बना दिया है. विक्रांत मैसी और सान्या मल्होत्रा को अक्सर इस तरह की फिल्मों देखा गया है. किरदार जैसा भी हो विक्रांत उसमें इस कदर डूब जाते हैं, जैसे कि उसे जी रहे हों.

650_022622044840.jpgफिल्म 'लव हॉस्टल' में बॉबी देओल, विक्रांत मैसी, सान्या मल्होत्रा ने कमाल का अभिनय किया है.

Love Hostel Movie की कहानी

फिल्म 'लव हॉस्टल' की कहानी ज्योति दिलावर (सान्या मल्होत्रा) और अहमद शौकीन उर्फ आशु (विक्रांत मैसी) के इर्द-गिर्द घूमती है. हरियाणा के एक गांव की रहने वाली ज्योति पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट है. वो एक बहुत बड़ी पॉलिटिकल फैमिली से संबंध रखती है. उसकी दादी इलाके की बहुत बड़ी नेता हैं. परिवार के पूरे समाज में उनकी तूती बोलती है. ज्योति को अहमद से प्यार हो जाता है. अहमद के पिता कसाईखाना चलाते हैं.

वो भी उनके काम में हाथ बंटाने के साथ ही अवैध हथियार और ड्रग्स डिलरों के सामान पहुंचाने का काम करता है. इसके साथ ही पुलिस के लिए मुखबिर का काम भी करता है. इसी बीच अवैध हथियार के झूठे केस में फंसाकर उसके पिता को पुलिस पकड़ ले जाती है. इस सदमे में उसकी मां की मानसिक हालत खराब हो जाती है. इधर ज्योति के परिवार वाले उसकी शादी किसी और से तय कर देते हैं.

शादी वाले दिल ज्योति अपने घर से भाग जाती है. अपनी एक वकील दोस्त की मदद से अहमद के साथ कोर्ट मैरिज कर लेती है. जज उनकी जान को खतरा देखते हुए सेफ हाऊस में भेज देते हैं. एक हफ्ते में उनके परिजनों को पेशी के लिए बुलाने का निर्देश देते हैं. इधर ज्योति की दादी एक पेशेवर अपराधी डागर (बॉबी देओल) को अहमद की सुपारी दे देती हैं. डागर लव मैरिज के खिलाफ रहता है. अंतर धार्मिक शादी करने वाले जोड़ों को मौत के घाट उतार देता है. उसका अपना एक इतिहास होता है. डागर अहमद और ज्योति को खोजने लगता है.

इस दौरान वो कई लोगों को मौत के घाट उतारता चला जाता है. डागर सेफ हाउस पहुंच जाता. वहां अहमद को मारने की कोशिश करता है, लेकिन दोनों वहां से भाग जाते हैं. इधर अहमद आईपीएस राठी की मदद से जरायम की दुनिया से बाहर निकलना चाहता है. उधर, डागर उसके पीछे मौत के साए की तरह पड़ा रहता है. क्या डागर ज्योति और अहमद को मार पाएगा? क्या आईपीएस राठी उनकी मदद कर पाएगा? जानने के लिए फिल्म देखनी होगी.

Love Hostel Movie की समीक्षा

फिल्म 'लव हॉस्टल' के निर्देशक शंकर रमन एक अच्छे सिनेमैटोग्राफर रह चुके हैं. इसलिए कैमरे के पीछे रहकर किन बारीकियों को ध्यान में रखना है, वो इसे बहुत अच्छे से जानते हैं. यही वजह है कि हर सीन को अच्छे से एक्सप्लोर किया गया है. फिल्म की कहानी को डायलॉग की तुलना में ज्यादा विजुअली इफेक्टिव बनाया गया है. एक बात जाननी जरूरी है कि साल 2017 में आलोचकों की तारीफ बटोर चुकी थ्रिलर फिल्म 'गुड़गांव' से अपने डायरेक्शन की पारी शुरु करने वाले शंकर रमन राष्ट्रीय अवॉर्ड विजेता सिनेमैटोग्राफर हैं.

उन्होंने महक जमाल और योगी सिंघा के साथ मिलकर फिल्म की पटकथा भी लिखी है. कहानी हरियाणा में स्थापित है, इसलिए किरदारों के डायलॉग हरियाणवी में रखे गए हैं. ऐसा करके स्थानीय टच देने की कोशिश की गई है. एक मुस्लिम लड़का जो मीट की दुकान चलाता है, एक 'प्रतिष्ठित' परिवार की हिंदू लड़की से शादी करना चाहता है. शुरू में ही यह बताकर स्पष्ट कर दिया जाता है कि फिल्म ऑनर किलिंग के बारे में हैं. इससे कहानी का रोमांच खत्म हो जाता है.

इस फिल्म का सबसे मजबूत पहलू इसके कलाकार और उनका बेहतरीन अभिनय है. विक्रांत मैसी, सान्या मल्होत्रा और बॉबी देओल ने अपने किरदारों को भरपूर जिया है. सभी ने अपने किरदारों में जान डाल दी है. हर कलाकार को पता है कि उनके किरदार की डिमांड क्या है. सान्या मल्होत्रा और विक्रांत मैसी की केमेस्ट्री शानदार लगती है. दोनों की जोड़ी बहुत ही सुंदर लगती है. एक मुस्लिम लड़के की भूमिका में विक्रांत का अभिनय काबिले तारीफ है. सान्या अपनी पिछली फिल्म 'पगलैट' की छवि से निकलर ज्योति किरदार में पूरी तरह उतर जाती हैं.

डागर के किरदार में बॉबी देओल विलेन होते हुए भी बेहतरीन लगे हैं. उनके किरदार को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि उसे देखकर डर लगता है. हर वक्त हाथों में पिस्तौल लिए, लाशों का ढ़ेर लगाने के लिए आतुर डागर के जरिए डर को पर्दे पर जीवंत करने में कामयाब होते हैं. कुल मिलाकर, 'लव हॉस्टल' एक औसत फिल्म है. इसे विक्रांत मैसी, सान्या मल्होत्रा और बॉबी देओल की बेहतरीन अदाकारी के लिए एक बार देखा जा सकता है.

iChowk रेटिंग: 5 में से 2.5 स्टार

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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