Madhuri Dixit: ये नाम सुनते ही आपके दिलो-दिमाग में सबसे पहले क्या आता है?
माधुरी दीक्षित (Madhuri Dixit) का शुमार बॉलीवुड (Bollywood)के उन एक्टर्स में है जिन्होंने एक नए युग की शुरुआत की और बॉलीवुड को ऐसा बहुत कुछ दिया जिसकी बराबरी आज शायद ही कोई दूसरा कलाकार कर पाए. कह सकते हैं कि माधुरी का अपना एक अलग ऑरा था और जिसकी एहसानमंद फिल्म इंडस्ट्री हमेशा रहेगी.
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मेरा विश्वास है कि भगवान ने सारे दिल के रिश्ते पहले से ही जोड़ दिए हैं बस उनका मिलना हम पर छोड़ दिया है. उसने हम सबको जोड़ियों में बनाया है और हर एक के लिए एक जीवनसाथी है. मुझे तो पूरा भरोसा है कहीं न कहीं, कोई न कोई मेरे लिए बनाया गया है और कभी-न-कभी मैं उससे ज़रूर मिलूंगी.
कुछ फ़िल्में सिर्फ़ फ़िल्में नहीं आपका यक़ीन होती हैं और उनके किरदार सिर्फ़ किरदार नहीं रह जाते. वो हिस्सा हो जाते हैं आपका, आपकी ज़िंदगी का. उनके कहे डॉयलॉग का जादू ऐसा होता है कि आप उसे सच मानने लग जाते हैं.मेरे लिए दिल तो पागल है कि माया यानि माधुरी दीक्षित (Madhuri Dixit) का किरदार कुछ ऐसा ही है. उससे पहले की माधुरी दीक्षित मुझे याद नहीं और न उनका किरदार. ‘हम आपके है कौन’ (Hum Aapke Hain Koun उसके पहले आयी थी और उसे देखा भी था अम्मा-डैडी जी के साथ लेकिन उस वक़्त इतनी छोटी थी कि फ़िल्म से जुड़ी कोई याद ज़हन में नहीं है.
माधुरी दीक्षित का शुमार उन सेलेब्रिटियों में है जिनका ऑरा ही अलग था
हां बाद में जब थोड़ी बड़ी हुई और दुबारा उस फ़िल्म को तब देखा जब कॉलेज में थी. उस वक़्त पीले लहंगे में लिपटी और घूंघट में नज़रें झुकाई माधुरी मन में बस गयी. जिस अदा से वो गा रही होती.
मैं हूं तेरी सजनी, साजन है तू मेरा
तू बांध के आया मेरे प्यार का सेहरा!
उस दिन के बाद से लेकर आज भी जब कभी महबूब और शादी का ख़्याल आता है, तो दुल्हन बनीं माधुरी का अक्स आंखों में उभर जाता है. उस गाने में जिस हया से माधुरी अपने महबूब के आने की ख़ुशी ज़ाहिर करती हैं वो बस कमाल है. उसे शब्दों में मैं लिख ही नहीं पाऊंगी और फिर मैं मक़बूल फ़िदा हुसैन भी नहीं कि अपनी पसंदीदा अभिनेत्री की ख़ूबसूरत पेंटिंग बना कर दुनिया को दिखा पाऊं कि मेरे मन में क्या चल रहा.
माधुरी दीक्षित, सिर्फ़ एक अभिनेत्री नहीं हैं. वो पहचान हैं हिंदी सिनेमा की. वो हिंदी सिनेमा का सबसे ख़ूबसूरत युग हैं. हम बॉलीवुड को माधुरी के पहले और माधुरी के बाद दो हिस्सों में बांट सकते हैं. प्री माधुरी और पोस्ट माधुरी.
माधुरी के युग को बॉलीवुड का सबसे बेहतरीन युग माना जका सकता है
प्री माधुरी एरा में भारतीय अभिनेत्रियां पूरी तरह से या तो देसी किरदार निभाती या फिर वेस्टर्न ही. एक ही अभिनेत्री दोनों तरह के रोल में इतनी ओर्गेनक़्ली नहीं फ़िट होती. लेकिन जब माधुरी दीक्षित आयीं उन्होंने इस बात को ही बदल डाला. स्टेप कट में कटे बाल, बोलती बड़ी-बड़ी आंखें और डांस ऐसा कि हर एक अंग अलग-अलग कहानियां सुना रहा हो.
फ़िल्म में चाहे माधुरी का रोल छोटा हो या बड़ा पर्दे पर जब वो आती थी तब सिर्फ़ और सिर्फ़ वही होती थी. किसी हीरो में वो करिज़मा नहीं था कि जो इस स्टार को चमक को धुंधला कर पाए. स्क्रीन पर जब माधुरी मुस्कुराती तो लगता एक साथ कितने सूरज चमकने लगे हैं. जब वो पलकें झुका कर उन्हें उठाती तो लगता कि सुबह की धूप की लाली बिखर रही है थिएटर में. और फिर आते है उनके डांस के स्टेप्स.
अब 100 से ज़्यादा बार हुसैन जैसे चित्रकार ने यूं ही तो ‘दीदी तेरा देवर दीवाना’ गाना नहीं देखा होगा न. कोई तो बात रही होगी उस गुलेल से निकले गेंदे के फूल का उनकी क़मर से टकराने और माधुरी दीक्षित के ठुमके में न. उन सी नृत्यांगना न कोई उनसे पहले हुई है भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री में और शायद ही होगी. बात चाहे आप कत्थक नृत्य की कर लो या वेस्टर्न माधुरी का मैजिक दोनों में दिखता है. वो जितने नमक के साथ ‘हमरी अटरिया पर आओ सांवरिया करती हैं, उतने ही स्वैग के साथ ‘तम्मा-तम्मा लोगे तम्मा’ पर थिरकतीं हैं.
माधुरी वो एक्टर हैं जिनकी आंखें तक एक्टिंग करती थीं
है कोई और जो डांस के सभी अन्दाज़ में यूं उतर जाए शरबतों में रंग घुलता है. आज फ़िल्मों में स्त्री के किरदार को दिखाने के लिए उसके समूचे बदन की नुमाइश करनी पड़ती है, फिर भी हम उस किरदार से ख़ुद को जोड़ नहीं पाते. लेकिन माधुरी दीक्षित की आधी मुस्कान एक चंचल शोख़ लड़की को दिखा देती है.
उनकी आंखों में जब आंसू आता है तो दर्शक समझ लेता है कि किरदार किस दर्द से गुज़र रहा होगा. जब वो कुछ नहीं बोलती और ख़ामोश होंठ उनके पर्दे पर दिखते हैं तो हम समझ लेते हैं कि दिखाई जा रही स्त्री किस क़दर घुटन में जी रही. माधुरी सिर्फ़ आर्टिस्ट नहीं वो ख़ुद में एक ऑर्ट हैं. वो स्कूल हैं ऐक्टिंग का वो डांस की पाठशाला हैं.
भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री की कल्पना माधुरी दीक्षित के बिना की ही नहीं जा सकती. आज हमारी और आपकी माधुरी अपना 53 वां जन्मदिन मना रहीं. 53वां जन्मदिन, लेकिन क्या कोई देख कर कह सकता कि ये हसीन लड़की इतने बरस की हो गयी है. उम्र जैसे उनके ऊपर जा कर ठहर सी गयी है. वो अब भी मेरे लिए मेरी माया हैं, ‘दिल तो पागल है’ की माया. जो मुझे हर गुजरते दिन के साथ यक़ीन दिलाती है कि जब तक तुम्हें तुम्हारा सोलमेट नहीं मिलता तब तक तुम्हारी कहानी पूरी नहीं होगी.
कोई है जो तुम्हारे लिए ही बना है और वो तुम्हें एक न एक दिन ज़रूर मिलेगा. जिसके आने के बाद तुम्हारी दुनिया बिलकुल बदल जाएगी. जब वो तुम्हें देखेगा तो तुम्हें यक़ीन होगा कि तुम दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत लड़की हो. जब वो तुम्हें तुम्हारे नाम पुकारेगा तो तुम्हें अपना पुराना नाम एकदम अलग और सबसे नया लगने लगेगा.
शुक्रिया माधुरी मैम माया के उस किरदार के लिए. मुहब्बत में ऐसा यक़ीन दिलवाने के लिए. आपका होना और इस क़दर होना इस बेरंग दुनिया में रंग भर रहा हैं. आप जीएं और भरपूर जीएं. आप से मुहब्बत है. आप ही मुहब्बत हैं. आपकी फ़ैनगर्ल.
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