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Updated: 20 अप्रिल, 2022 05:58 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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साल 2017 में फिल्म 'मॉम' रिलीज हुई थी. इसे बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा श्रीदेवी की आखिरी फिल्म कहा जाता है. इसमें एक मां अपनी बेटी के साथ हुई दरिंदगी (रेप और हत्या के प्रयास) का बदलना के लिए किसी भी हद तक गुजर जाती है. वो अपराधियों को खुद सजा देती है. उनको मौत की नींद सुला देती है. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान एक मां का अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर गुजरने का जज्बा देखने को मिलता है. इसी तर्ज पर रवीना टंडन की फिल्म 'मातृ' भी बनी थी. उसकी कहानी भी कुछ ऐसी ही थी. अब इन दोनों ही फिल्मों की कहानी के कॉन्सेप्ट पर आधारित एक वेब सीरीज 'माई' ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है. इसमें साक्षी तंवर, प्रशांत नारायणन, विवेक मुश्रान, राइमा सेन, वामिका गब्बी, अंकुर रतन जैसे कलाकार अहम किरदारों में हैं. इस वेब सीरीज में तमाम खामियां-कमियां हैं, लेकिन साक्षी तंवर की बेहतरीन अदाकारी सब पर भारी पड़ी है.

क्लीन स्लेट्ज फिल्म्ज के बैनर बनी इस वेब सीरीज का निर्देशन अतुल मोंगिया और अन्‍शाई लाल ने किया है. दोनों ने फिल्‍म 'फिल्‍लौरी' से बतौर डायरेक्‍टर डेब्‍यू किया था, जिसमें दिलजीत दोसांझ और अनुष्‍का शर्मा लीड रोल में थे. क्लीन स्लेट्ज फिल्म्ज को प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हुई वेब सीरीज पाताललोक के निर्माण के लिए जाना जाता है. मेकर्स की इतनी अच्छी टीम और स्टारकास्ट होने के बावजूद वेब सीरीज 'माई' में तमाम कमियां रह गई हैं. कुछ कमियां तो ऐसी हैं, जो गले से नीचे भी नहीं उतरती. लेकिन मेकर्स को अभिनेत्री साक्षी तंवर की शानदार अदाकारी का शुक्रिया कहना चाहिए, जिन्होंने अकेले अपने दम पर वेब सीरीज को देखने लायक बना दिया है. वो भी ऐसा कि जब एक बार देखना शुरू करेंगे, तो आखिरी एपिसोड तक देखते ही चले जाएंगे. देखने में एक सीधी सादी महिला जब रौद्र रूप धारण करती है, तो कयामत आ जाता है. इसे साक्षी ने कर दिखाया है.

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Mai Webseries की कहानी

वेब सीरीज 'माई' की कहानी के केंद्र में साक्षी तंवर की किरदार शील चौधरी है. एक मध्यमवर्गीय परिवार में रहने वाली शील की आंखों की सामने उसकी बेटी सुप्रिया चौधरी (वामिका गब्बी) को एक ट्रक से कुचलकर मार दिया जाता है. पहले तो ये दुर्घटना लगता है, लेकिन धीरे-धीरे शील को पता चलता है कि इसके पीछे गहरी साजिश है. क्योंकि कोर्ट में सुनवाई के बाद ट्रक ड्राइवर शील के पास आकर कहता है कि उसे इस घटना के लिए बहुत खेद है, वो लड़की को मारना नहीं चाहता था. शील हैरान रह जाती है. उसे पता चल जाता है कि ये हादसा नहीं हत्या है. वो इसका पता लगाने के लिए अपने घर से निकल जाती है. इस वजह से उसका पति यश (विवेक मुश्रान) और घर के अन्य सदस्य नाराज हो जाते हैं. लेकिन शील की पड़ताल जारी रहती है. तभी उसे हैरान करने वाली बात पता चलती है कि ट्रक ड्राइवर के बच्चे का एडमिशन एक बड़े स्कूल में होता है.

शील को ये भी पता चलता है कि ये एडमिशन स्कूल के डायरेक्टर जवाहर (प्रशांत नारायण) के कहने पर हुआ है, जिसकी मां की वो देखभाल करती है. जवाहर की मां एक ओल्ड एज होम गीता भवन में रहती है, जहां शील नर्स का काम करती है. एक रात शील जवाहर को कॉल करके गीता भवन बुलाती है. वहां चुपके से उसे इंजेक्शन दे देती है, जिसकी वजह से जवाहर की मौत हो जाती है. उसके लाश को ठिकाने लगाने ले जाती है. तभी जवाहर के दो गुर्गों प्रशांत (अनंत विधात) और शंकर (वैभव राज गुप्ता) को सीसीटीवी के जरिए शील की सच्चाई का पता चल जाता है. लेकिन दोनों उसका नाम बताने की बजाए, जवाहर की मौत को पुलिस की करतूत साबित कर देते हैं. इधर जवाहर की गैंग में काम करने लोग पागल हो जाते हैं. खासकर जवाहर की पार्टनर नीलम (राइमा सेन) उसकी मौत का बदला लेना चाहती है. इसके साथ ही उसके साम्राज्य पर कब्जा भी करना चाहती है.

शील की बेटी सुप्रिया गंगू होती है, लेकिन स्वभाव से क्रांतिकारी होती है. वो जिस पैथलैब में काम करती हैं, वहां होने वाले मेडिकल स्कैम को उजागर करना चाहती है. इसमें स्पेशल पुलिस फोर्स ऑफिसर फारुख सिद्दीकी (अंकुर रतन) का उसे साथ मिलता है. दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगते हैं, जबकि फारुख पहले से शादीशुदा है. ये बात जानने के बाद सुप्रिया बहुत निराश होती है. इसी दौरान उसकी हत्या हो जाती है. पूरी वेब सीरीज में कहानी कई ट्रैक पर चलती है. एक तरफ शील की पड़ताल, दूसरी तरफ फारुख की पुलिसिया जांच और निजी जिंदगी, तीसरी तरफ जवाहर की जरायम की दुनिया, जिसमें मेडिकल स्कैम और मनी लॉन्ड्रिंग जोरों पर होता है. इस सभी कहानियों को लेकर एक साथ लेकर चलने के चक्कर में निर्देशक कई जगह लड़खड़ाते हुए नजर आते हैं. लेकिन शील की अपनी बेटी के लिए इंसाफ की जो तड़प दिखती है, उसे पर्दे पर भावनाओं के साथ उतारने में कामयाब रहे हैं.

Mai Webseries की समीक्षा

अतुल मोंगिया और अन्‍शाई लाल की जोड़ी इस वेब सीरीज में काम कर रहे कलाकारों से उनका बेहतरीन परफॉर्मेंस निकलवाने में कामयाब रही है. शील के किरदार को साक्षी तंवर ने जिस तरह से जिया है, उसे देखकर यही लगता है कि उनकी जगह कोई होता तो इस तरह न्याय नहीं कर पाता. वो एक ही समय पर भावुक और रौद्र, दोनों ही रूपों में नजर आती हैं. शील की बेटी सुप्रिया के किरदार में अभिनेत्री वामिका गब्बी के वेब सीरीज ग्रहण के बाद एक बार फिर सबको प्रभावित किया है. एक गूंगी लड़की, जो बिना बोले सबकुछ व्यक्त कर लेती है, जो समाज के बारे में सोचती है, जो अन्याय के खिलाफ लड़ते हुए अपनी जान दे देती है, ये सारे क्रांतिकारी भाव उनके चेहरे पर साफ नजर आते हैं. वहीं दूसरे पल एक प्रेमिका के रूप में जब वो अपने प्यार का इजहार करती है, तो मानो दिल जीत लेती है. ब्रेकअप होने के बाद जब रोती हुई परेशान होती है, तो देखने वालों का दिल टूट जाता है.

'माई' के डायरेक्‍टर ने वेब सीरीज में क्‍लोजप शॉट्स के जरिए स्क्रीन पर टेंशन बढ़ाने की खूब कोश‍िश की है. अतुल मोंग‍िया इस वेब सीरीज के क्रिएटर और प्रोड्यूसर होने के साथ ही कहानी के लेखक भी हैं. उनके साथ तमाल सेन और अमिता व्‍यास ने पूरी कहानी लिखी है. इसमें एक मां-बेटी के बीच अनकहे प्‍यार के साथ मानवीय दुखों, मानवीय रिश्‍तों, अपनों के लिए बलिदान, सियासी घपले और घोटालों की ऐसी कहानी बुनी गई है, जिसे आधार बनाकर निर्देशक द्वव ने एक अलग दुनिया रची है. हालांकि, कई बातें ऐसी भी हैं, जो समझ से परे लगती हैं. जैसे कि मशहूर अदाकारा सीमा पाहवा का किरदार, जो कि वेब सीरीज में क्यों हैं, ये समझ नहीं आता है. उनकी जैसी बेहतरीन अभिनेत्री को इतना बेकार किरदार नहीं दिया जाना चाहिए था. यदि दिया भी गया तो उसके साथ न्याय करना चाहिए. इसी तरह शील कई जगह सुपरवुमेन लगती है, जो कि कभी भी कुछ भी कर सकती है. जब चाहे दो मंजिला मकान चढ़ सकती है, एक हट्टे-कट्टे इंसान का शव अकेले उठाकर ठिकाने लगा सकती है, जरूरत पड़ने पर स्कूटी से लेकर एंबुलेंस चला सकती है, खूंखार अपराधियों से भी नहीं डरती. अकेले आधी रात कहीं भी जा सकती है. मतलब एक किरदार में इतने सारे गुण कई बार काल्पनिक लगते हैं. सबके बाद साक्षी की अदाकारी पर सवाल नहीं खड़े कर सकते.

कुल मिलाकार, ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर 6 एपिसोड में स्ट्रीम हो रही वेब सीरीज 'माई' देखने लायक है. इसकी कहानी आपको भले ही देखी हुई लगे, लेकिन केंद्रीय किरदार में साक्षी की मौजूदगी इसे देखने की वजह बनती है. साक्षी ने अपने बेहतरीन अदाकारी से साबित कर दिया है कि अभी उनके अंदर बहुत सारा अभिनय बचा हुआ है.

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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