देश के नंबर वन सीरियल का नाम जानकर कहीं आपको करंट ना लग जाए!
देश में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला सीरियल ना तो 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' है, ना ही 'ससुराल सिमर का' या फिर 'भाबी जी घर पर हैं' भी नहीं है. बल्कि वो शो डीडी नेशनल पर प्रसारित होता है.
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समय के साथ हमारे यहां टेलीविज़न सेक्टर में भी बदलाव आया है. प्राइवेट चैनलों के आने के बाद से टीवी पर मनोरंजन चैनलों की बाढ़ आई है. बचपन में जहां डीडी के अलावा कोई विकल्प हमारे पास नहीं था. लेकिन अब एकता कपूर और उनके सीरियलों का नाम घर-घर में जाना जाता है. डीडी नेशनल देखने वालों की तादाद तो लगभग ना के बराबर है. और जो लोग देखते भी हैं वो इस बात को कभी स्वीकार नहीं करते क्योंकि जिंदगी ना मिलेगी दोबारा फिल्म में ही नहीं निजी जिंदगी में भी लोग अब डीडी देखने वालों का मजाक बना देते हैं.
लेकिन आज हम बताते हैं ऐसी असलियत जिससे खुद हमारा मजाक बन जाएगा. मिड डे के मुताबिक देश में सबसे ज्यादा देखा गया सीरियल किसी और चैनल का नहीं बल्कि डी डी नेशनल का ही है!
मैं कुछ भी कर सकती हूं
जी हां, ये मजाक नहीं बल्कि हकीकत है. देश में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला सीरियल ना तो 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' है, ना ही 'ससुराल सिमर का' या फिर 'भाबी जी घर पर हैं' भी नहीं है. बल्कि वो शो डीडी नेशनल पर प्रसारित होता है और भारत के नंबर वन शो का नाम- 'मैं कुछ भी कर सकती हूं'.
आप अगर इतने से ही हैरान हैं तो रूकिए हमारे पास आपको आश्चर्य में डालने के लिए एक आंकड़ा भी मौजूद है. इसे जानकर आपकी आंखें फटी की फटी रह जाएगी. 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' इस सीरियल का ऑडियंस बेस हजारों या लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में है. जी हां, इस सीरियल को 4 करोड़ लोग देखते हैं! अगर आप सोच रहे हैं कि एक जीरो हमने एकस्ट्रा लगा दिया तो गलत सोच रहे हैं. इस सीरियल को देखने वालों की संख्या वास्तव में 4 करोड़ है.
हैरानी की नहीं सोचने की बात है
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्या खास है इस शो में. तो हम जान लीजिए ये कोई सास-बहू मेलोड्रामा या नाग-नागिन का शो नहीं बल्कि सामाजिक बुराईओं, रिवाजों, भ्रष्टाचार, पितृसत्ता, भ्रुण-हत्या और सेक्स-एजुकेशन आदि के बारे में है. हालांकि ये सारे मुद्दे तथाकथित पढ़े-लिखे और विकसित शहरों में भी मौजूद होते हैं लेकिन ग्रामीण इलाकों में ये मुद्दे और ज्यादा क्रूर तरीके से सामने आते हैं.
वैसे जो सबसे हैरान करने वाली बात है वो ये कि इस शो को अच्छी तरह से लिखा है और साथ ही साथ इसमें कलाकारों ने बहुत अच्छा काम भी किया है. सीरियल में दिखाए जाने वाले सारे मुद्दे और डायलॉग वास्तविक हैं. सीरियल में दिखाया गया है लिंग के आधार पर भेदभाव गांवों के साथ-साथ शहरों में भी गहरे तक मौजूद है. अंतर बस इतना ही है कि दोनों ही जगह इस भेदभाव का स्वरूप अलग होता है.
महिलाओं को हर तरफ संभालना होता है
एक महिला चाहे कितनी भी सफल ना हो जाए उसे अपने पति और मायके के बीच में संतुलित करके चलना होता है. और वो इसमें पिसती रहती है. यही नहीं इन सभी के अलावा शो में किशोरों के मुद्दों जैसे हस्तमैथुन, स्वपनदोष जैसे निजी मुद्दों को भी उठाया जाता है. इस हिसाब से ये सीरियल युवाओं को एक मंच देता है जिसमें वे विशेषज्ञों की एक टीम से अपने निजी प्रश्नों का जवाब पा सकें.
सामाजिक मुद्दों पर आधारित इस शो ने अपने दर्शकों की सोच में काफी पॉजिटिव बदलाव किया है. गांवों की औरतें अपने अधिकारों के बारे में सजग हो रही हैं. इसका एक उदाहरण बुंदेलखंड की लाड़कुंवर कुशवाहा हैं. कुशवाहा अपने गांव से कॉलेज जानी वाली पहली लड़की हैं. इसके लिए प्रेरणा उन्हें इस शो से ही मिली है.
सीरियल ने जिंदगी ही बदल दी
यही नहीं बिहार के बैरइया गांव में महिलाओं ने इस सीरियल से प्रेरित होकर एक सेल्फ हेल्प ग्रुप बना लिया है. ये ग्रुप महिलाओं से मिलता है और उनकी सहायता करता है. इस ग्रुप की वजह से गांव में होने के वाली घरेलु हिंसा और घूंघट जैसी कुप्रथाओं पर लगाम भी लगा रहीं हैं.
अब इन्हें पता है कि क्या सही है और क्या गलत
इस सीरियल के ऑन-एयर होने के बाद से 30,000 घरों में एक सर्वे किया गया. सर्वे में पता चला कि पहले 66 प्रतिशत महिलाएं पतियों से मार खाने को गलत या गैर-कानूनी नहीं मानती थी. लेकिन इस सीरियल को देखने के बाद ये आंकड़ा 44 प्रतिशत तक गिर गया. वहीं 35 प्रतिशत महिलाएं आधुनिक गर्भनिरोधक उपायों के इस्तेमाल को लेकर डरी रहती थीं लेकिन इस सीरियल के देखने के बाद से ये 13 प्रतिशत पर आ गिरा.
इस शो के एपिसोड ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं. आप भी इसे देखें ताकि समझ पाएं कि हर चमकती चीज सोना नहीं होती.
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