मराठी फिल्म "चुम्बक" का बोलबाला
सौरभ भावे, संदीप मोदी की स्क्रिप्ट बेहद दिलचस्प और एंगेजिंग है. बिना बड़ी स्टार कास्ट के भी फिल्म बांधकर रखती है. एक्टिंग के डिपार्टमेंट में लेखक और गीतकार स्वानंद किरकिरे ने कमाल कर दिया है.
-
Total Shares
मुंबई फिल्म फ़ेस्टिवल ज़ोर-शोर से चल रहा है. इसमें सिर्फ भारतीय सिनेमा ही नहीं बल्कि ग़ज़ब की अंतरराष्ट्रीय फिल्में भी दिखाई जा रही हैं. और इसी फिल्म फ़ेस्टिवल में प्रीमियर हुआ मराठी फिल्म "चुम्बक" का. "चुम्बक" जब ऑफिशियली रिलीज़ होगी तब इसकी बात होगी ही. लेकिन फिलहाल तो फ़ेस्टिवल में इस मराठी फिल्म ने दर्शकों का दिल जीत लिया.
मराठी फिल्मों का स्तर हमेशा से बहुत अच्छा रहा है. पिछले साल "सैराट" ने ज़बरदस्त धूम मचाई थी. अब सैराट के निर्देशक नागराज मंजुले अपनी अगली फिल्म महानायक अमिताभ बच्चन के साथ कर रहे हैं. आज की तारीख में फिल्म अगर अच्छी है तो वो ज़रूर चलेगी. रीजनल सिनेमा और ख़ासतौर से मराठी सिनेमा का स्तर किसी भी भाषा के सिनेमा से कम नहीं है. और यही वजह है कि आज हम फिल्म "चुम्बक" की बात कर रहे हैं.
सपने और सच्चाई के बीच की कहानी है चुंबक
फिल्म के निर्माता हैं नरेंद्र कुमार. वो इससे पहले अक्षय कुमार की फिल्म जॉली एल एल बी 2 के एक्ज़िक्यूटिव प्रोड्यसर रह चुके हैं. फिल्म का निर्देशन किया है संदीप मोदी ने. बतौर निर्देशक संदीप की ये पहली फिल्म है.
कहानी एक ऐसे बच्चे की है जो मुंबई में छोटे से रेस्टोरेंट में वेटर की नौकरी करता है. उसका एक ही ख़्वाब है. वो अपने गांव में एक गन्ने के जूस की दुकान खोलना चाहता है. दुकान खोलने के लिये वो पैसे जमा करता है. लेकिन फिर कुछ ऐसा होता है कि ना तो पैसे रहते हैं और ना ही हौसला. ऐसे में उसकी मुलाक़ात प्रसन्ना से होती है. प्रसन्ना को बेवक़ूफ़ बनाते-बनाते न जाने कब वो उसे पिता समान समझने लगता है. आखिरकार उस बच्चे के साथ क्या होता है और वो सपने और ज़मीर में किसे चुनता है. ये है चुम्बक.
सौरभ भावे, संदीप मोदी की स्क्रिप्ट बेहद दिलचस्प और एंगेजिंग है. बिना बड़ी स्टार कास्ट के भी फिल्म बांधकर रखती है. एक्टिंग के डिपार्टमेंट में लेखक और गीतकार स्वानंद किरकिरे ने कमाल कर दिया है. स्वानंद किरकिरे ने प्रसन्ना के किरदार को बख़ूबी निभाया ही नहीं बल्कि जिया है. मुख्य किरदार में चाइल्ड एक्टर साहिल जाधव ने भी बहुत अच्छी एक्टिंग का प्रमाण दिया है. फिल्म खत्म होने के बाद भी वो आपके साथ रह जाते हैं. साहिल के दोस्त के रोल में संग्राम देसाई भी बहुत पावरफुल हैं. रंगाराजन रामाबद्रन की सिनेमेटोग्राफ़ी और प्रशांत बिडकर का आर्ट डायरेक्शन भी क़ाबिले तारीफ है. निर्देशक संदीप मोदी और निर्माता नरेंद्र कुमार ने ये साबित किया है कि फिल्में ना तो बड़ी होती हैं और ना छोटी. फिल्में सिर्फ अच्छी या बुरी होती हैं. और मराठी फिल्म चुंबक बेहद अच्छी और दिल को छूनेवाली फिल्म है. जब रिलीज़ होगी देखियेगा ज़रूर.
ये भी पढ़ें-
बाप-बेटों के बाद अब बाप-बेटी का नंबर
आपकी राय