Master (Hindi) Review: बॉलीवुड फिल्मों की आंधी के मुकाबले 'मास्टर' सुनामी है!
आखिरकार Vijay और Vijay Setupati स्टारर Lokesh Kanakaraj की फिल्म Master रिलीज हो ही गयी. फिल्म उन फैंस के लिए परफेक्ट एंटरटेनर है जिन्हें पर्दे पर एक्शन की दरकार होती है. बाकी जैसी ये फिल्म है बॉलीवुड के निर्देशक Lokesh Kanakaraj से प्रेरणा ले सकते हैं.
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साउथ के सिनेमा में भले ही एक्शन की अति हो लेकिन इस बात में संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है कि जब बात क्वालिटी और कंटेंट दोनों की आती है तो ये बॉलीवुड को कहीं पीछे छोड़ देती हैं. साउथ के सुपरस्टार Vijay और Vijay Setupati की फ़िल्म Master को ही देख लीजिए. Lokesh Kanakaraj की इस फ़िल्म में हर वो एलिमेंट हैं जो न केवल फ़िल्म को हिट कराने वाला है बल्कि ये भी बता रहा है कि फ़िल्म का कंटेंट और क्वालिटी दोनों ऐसी हैं कि फ़िल्म दर्शकों को बांधे रहेगी. बात अगर संक्षेप में कहानी की हो तो फ़िल्म एक कॉलेज प्रोफेसर की कहानी है जो युवा अपराधियों को सुधारना चाहता है मगर जो खुद एक गुंडे के चंगुल में फंसे हैं जिसका उद्देश्य इन अपराधियों की मदद से जुर्म का अपना एम्पायर खड़ा करना है. फ़िल्म में प्रोफेसर अपराधियों को सुधारने के लिए जी जान से प्रयास करता नजर आता है लेकिन वो व्यक्ति जो इनकी बदौलत जरायम की दुनिया बनाना चाहता है वो बहुत शातिर है और जानता है कि अपनी मंशा पूरी करने के लिए उसे किन हथकंडों को अपनाना है. फ़िल्म में चाहे वो विजय हों या फिर विजय सेतुपति दोनों ही कलाकारों ने अव्वल दर्जे की एक्टिंग की है और ये दोनों ही लोग उस मैसेज को देने में कामयाब हुए है जिसे सोचकर डायरेक्टर लोकेश कनकराज ने इस फ़िल्म को निर्देशित किया था.
मास्टर फिल्म में विजय और क्रिमिनल बने विजय सेतुपति
Master पर बात हो और जिस तरह की ये फ़िल्म है निर्देशक लोकेश कनकराज को किसी भी सूरत में नकारा नहीं जा सकता है. लोकेश इस बात को बखूबी जानते हैं कि आजकल के दर्शकों विशेषकर दक्षिण के लोगों को क्या पसंद है. लोकेश ने जिस तरह फ़िल्म में एक विलेन को हीरो बनाया है और जैसे प्रयास उनके हैं बॉलीवुड और बॉलीवुड से जुड़े निर्माता निर्देशकों को उनके काम के तरीकों से प्रेरणा लेनी चाहिए.
फ़िल्म की शुरुआत होती है भवानी से. भवानी एक ऐसा टीनेजर है जिसे सुधारगृह उस व्यक्ति ने भेजा है जिसने उसके पूरे परिवार का क़त्ल किया होता है. सुधारगृह में सुधार क्या ही होता है, भवानी एक ऐसा युवक बनता है जिसे सोचने मात्र से ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं. फ़िल्म में भवानी किसी निर्मम राक्षस से कम नहीं है. क्योंकि भवानी का बचपन बहुत जटिल था इसलिए वो सिस्टम से लड़ता है और अपना साम्राज्य खड़ा करने के लिए उनकी मदद लेता जिन्होंने अपराध की दुनिया में बस अभी पैर रखा है.
It's a #Tsunami at the #BO... #MasterFilm has a FANTABULOUS START... Only goes to prove *yet again*: Give the audience what THEY want to watch and they will never disappoint you... Charm of watching a wellmade entertainer on big screen will never diminish. #Master #MasterPongal pic.twitter.com/2dwgyROAmn
— taran adarsh (@taran_adarsh) January 13, 2021
फ़िल्म में विजय का रोल भले ही पॉजिटिव हो मगर चूंकि विजय सेतुपति का रोल इस हद तक मजबूत है शायद उन्हें और निर्देशक दोनों को पॉजिटिव रोल के लिए कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा होगा. फ़िल्म में विजय जेडी के किरदार में हैं जिनकी एंट्री तो हीरो वाली ही हुई मगर बात फिर वही है विजय सेतुपति बहुत भारी हैं. फ़िल्म में दिखाया गया है कि जेडी हर संभव कोशिश करता है छुटभैये अपराधियों को सुधारने की लेकिन भवानी का खौफ़ अपराधियों को अपराध की दुनिया में लौटने के लिए विवश कर देता है.
फ़िल्म में जेडी चेन्नई के एक कॉलेज में प्रोफेसर है. भले ही उसका काम पढ़ने पढ़ाने का हो. मगर जैसा उसका अंदाज है जो व्यक्ति उससे जैसे मिलता है वो उनसे उनकी भाषा में बात करता है. जेडी शरीफों के सामने शरीफ है और वो गुंडों के लिए तो गुंडा है ही. बाकी जब प्रोफेसर दबंग हो तो स्टूडेंट्स का उसे प्यार करना लाजमी है. इस फ़िल्म में भी ऐसा ही दिखाया गया है. कुछ परिस्थितियां बनती हैं जेडी कॉलेज छोड़ देता है और उस सुधारगृह में चला जाता है जहां भवानी अपना शो चला रहा होता है.
#MASTER HINDI RELEASE DATE... The #Hindi version of #Master - titled #VijayTheMaster - to release on 14 Jan 2021 [Thursday]... Stars #Vijay and #VijaySethupathi... #MasterFilm #MasterPongal OFFICIAL POSTER... pic.twitter.com/hx162fI20l
— taran adarsh (@taran_adarsh) January 6, 2021
फ़िल्म एक्शन के अलावा सस्पेंस से भरी है यदि विजय फ़िल्म में 20 हैं तो विजय सेतुपति भी 19 नहीं हैं. फ़िल्म में जेडी जीतता है या फिर भवानी अपने मंसूबों में कामयाब होता है जवाब सारे मिलेंगे लेकिन तब जब आप फ़िल्म देखें. बात एक्टिंग गीत संगीत और निर्देशन की हो तो फ़िल्म में हर चीज परफेक्ट है. जैसा कि हम ऊपर ही बता चुके हैं निर्देशक लोकेश कनकराज इस फ़िल्म की जान हैं तो यदि आप एक बिल्कुल नए तरीके का सिनेमा देखना चाहते हैं तो ये फ़िल्म आपके लिए है.
वहीं इन बातों के बाद अगर हम बात फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी पर करें तो जिस तरह से फ़िल्म शूट हुई है कई बातें सिर्फ सीन देखकर ही समझ में आ जाएंगी. फ़िल्म में गीत संगीत और ललटके झटके वैसे ही हैं जिनके लिए साउथ का सिनेमा मशहूर है. अंत में बस इतना ही कि फ़िल्म देखिये. ज़रूर देखिये. हमारा दावा है कि आप बोर नहीं होंगे और जो मनोरंजन आपको मिलेगा आपकी कल्पना से परे होगा. फ़िल्म देखते हुए आप इस सोच में पड़ जाएंगे कि काश इस तरह का सिनेमा बॉलीवुड में भी बन पाता.
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