Mastram Review: लड़कपन से जवानी की दहलीज पर ले जाता है मस्तराम
Mastram Review MX Player पर मस्तराम (Mastram) का आना और सेक्स (Sex) के ताने बाने में इसकी पूरी भूमिका का रचा जाना ये बताता है कि भारतीय दर्शकों को मनोरंजन के नाम पर वही परोसा जा रहा है जिसकी उन्हें चाह है.
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कोरोना वायरस के चलते हुए लॉक डाउन के इस दौर में जब आदमी अपने घर पर हो और उसे टीवी और इंटरनेट का ही सहारा हो तो खाली पड़े इस वक़्त में वो एक के बाद एक वेब सीरीज निपटा रहा है. निर्देशक समझ चुके हैं कि भारतीय दर्शकों को क्या चाहिए और बात जब भी भारतीय दर्शकों की आएगी सेक्स हमेशा से ही उनकी लिस्ट में टॉप पर रहा है. दर्शकों की सेक्स की इस मांग को ध्यान रखते हुए MX प्लेयर पर 10 एपिसोड की सिरीज़ मस्तराम (Mastram) हमारे सामने हैं. मस्तराम में 'अंशुमान झा' मुख्य भूमिका में हैं वहीं इस वेब सीरीज में तारा अलीशा बेर, आकाश दभाड़े, रानी चटर्जी, जगत रावत, केनिशा अवस्थी, गरिमा जैन, ईशा छाबड़ा एयर आभा पॉल की भी अहम भूमिका है. मनाली की सुंदर वादियों में शूट हुई इस वेब सीरीज और उसके कंटेंट पर बात होती रहेगी मगर सबसे पहले हमारे लिए जरूरी हो जाता है कि हम इस वेब सीरीज के टाइटल को समझें और ये जानें कि इसमें ऐसा क्या खास है जिसके कारण इसने पूरे इंटरनेट पर तहलका मचा रखा है.
मस्तराम में वही सब दिखाया गया है जिसकी भारतीय दर्शकों को चाह थी
कौन है मस्तराम
प्रश्न की गुत्थियों को समझने के लिए हमें 80 के दशक में जाना होगा. ये वो समय था जब बॉलीवुड ने फिल्मों के साथ प्रयोग करने शुरू किए थे. इस दौरान कई अच्छी फिल्में भी बनी साथ ही दर्शकों के लिए सेक्स के मद्देनहर एक नई तरह की फैंटेसी भी तैयार की गयी. इस दौरान एक लेखक के रूप में मस्तराम भी उभर कर सामने आया जिसने लोगों की सेक्सुअल फैंटेसी को नए आयाम दिये.
चाहे रेलवे स्टेशन रहा हो या फिर बस स्टॉप और छोटे शहरों और कस्बों के बुक स्टोर मस्तराम का साहित्य वहां बिका और लोगों ने भी इसे हाथों हाथ लिया और बताया कि कल्पना की ये पराकाष्ठा उन्हें खूब पसंद आई.
क्या है मस्तराम वेब सीरीज में
मस्तराम या फिर इस तरह की कोई और वेब सीरीज को समझने के लिए बहुत ज्यादा दिमाग लगाने की ज़रूरत नहीं है. इसमें सिर्फ सेक्स है और सेक्स ही है.इसमें उसी 80 वाले मस्तराम को दिखाया गया है जो मनाली की वादियों में बैठकर लोगों के लिए सेक्स फैंटेसी तैयार करता है मगर दिलचस्प बात ये है कि वो अपने को सेक्स स्टोरी राइटर नहीं बल्कि एक साहित्यकार मानता है जिसने अपनी कलम से समाज की दुखती रग दबाई है.
इस वेब सीरीज की जान कहानी के लीड रोल को निभाने वाले अंशुमान झा हैं. शक्ल और सूरत से बेहद मासूम अंशुमान को अलग अलग महिलाओं संग उलझते हुए फिर उनके जरिये किस्से कहानियां गढ़ते हुए दिखाया गया है.
कहा जा सकता है कि Mx Player पर रिलीज हुई मस्तराम कहानी है कल्पना की, पैशन की और उसे अमल में लाने की. जिस मासूमियत के साथ अंशुमान ने एक्टिंग की है उसे देखकर आदमी समझेगा कि इस वेब सीरीज में दिखाया गया है कि सेक्स सिर्फ एक ज़रूरत नहीं है बल्कि स्टेटस सिंबल भी है.
सेक्स सिर्फ हिस्सा है असली कहानी उससे कहीं आगे की है.
इतनी बातों के बाद एक बड़ा वर्ग वो भी है जो इसके विरोध में सामने आ गया है और इसे संस्कृति पर एक बड़ा हमला मान रही है. लोगों का कहना है कि ऐसी चीजें हमारे समाज को पीछे ले जाएंगी और अपराध को बढ़ावा देंगी. तो बता दें कि सीरीज में सेक्स को बस एक नार्मल एलिमेंट की तरह लिया गया है जबकि इसका उद्देश्य एक लेखक के जीवन और उसकी चुनौतियों को समझाना है. सीरीज में उन गतिरोधों या ये कहें कि उन अड़चनों को दिखाया गया है जिनका सामना एक लेखक को करना पड़ता है.साथ ही इस सीरीज में दर्शकों को वो संघर्ष भी दिखेगा जिसमें तब क्या होता है जब एक लड़का लड़कपन से जवानी की दहलीज में कदम रखता है.
इस वेब सीरीज के लिए निर्देशक बधाई के पात्र हैं.
अमूनन अब तक यही देखा गया है कि जब कोई ऐसी सीरीज बनाई जाती है जिसका आधार सेक्स हो तो उसके सभी एलिमेंट सेक्स के इर्द गिर्द घूमते हैं जबकि मस्तराम के मामले में ऐसा नहीं है. अंशुमान झा के अलावा इसमें जो भी कलाकार हैं उन्होंने अपना काम बखूबी किया. यानी जिसको निर्देशक ने जो काम दिया उसने उसे पूरो ईमानदारी के साथ निभाया.
सीरीज रिलीज हो चुकी है और इसने इंटरनेट पर तहलका मचाना भी शुरू कर दिया है. सीरीज कितनी हिट होती है या फिर इसपर हमेशा की तरह अश्लीलता का टैग लगता है ? ये एक मुश्किल प्रश्न है जिसका जवाब या तो समय देगा या फिर जनता मगर जिस हिसाब से इस सीरीज की कास्टिंग की गयी है उसमें कुछ भी बनावटी नहीं है.
इस सीरीज को देखने पर यही महसूस होगा कि ये हमारे आस पास की घटनाओं से प्रेरित है और कहीं न कहीं हमारे खुद के जीवन से जुड़ा है. बात सीधी और एक दम साफ़ है. भले ही सेक्स एक हव्वा हो मगर अब वेब सीरीज के इस दौर में उसे लेकर बातों होने लगी हैं जो अपने आप में ही कई मिथकों को तोड़ रहा है. ऐसे में मस्तराम का सामने आना और जनता द्वारा भी उसे हाथों हाथ लेना ये बता देता है कि जब चीज दिख रही है तभी जाकर वो बिक रही है.
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