'मेरे डैड की दुल्हन' जैसे सीरियल समाज को आईना दिखा रहे हैं
आज कुछ बच्चे अपनी उम्र से ज्यादा परिवक्वता साबित कर देते हैं जब वो ये कहते हैं कि वो अपने माता या पिता की शादी करवाना चाहते हैं, जिससे वो खुश रह सकें. सारियल Mere dad ki dulhan इन्हीं भावनाओं की एक कोशिश है.
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माता-पिता अपने बच्चों के लिए जीवन साथी ढूंढते हैं. सही उम्र में उनकी शादी करवाते हैं. लेकिन जमाना बदल रहा है. आजकल बच्चे अपने सिंगल माता और पिता के लिए जीवन साथी ढूंढ रहे हैं. और चाहते हैं कि वो फिर से शादी करें. ये सब देखकर आश्चर्य होता है क्योंकि ये समाज के नियमों से अलग है. क्योंकि अब तक बच्चों की खुशी के लिए पेरेंट शादी के बारे में सोचते भी नहीं थे.
मेरी चाची के गुजर जाने के बाद परिवारवाले चाहते थे कि चाचा की दोबारा शादी करवा दी जाए, क्योंकि बच्चे छोटे थे. 15 और 12 की उम्र थी बच्चों की. लेकिन दूसरी शादी का नाम सुनते ही बच्चे नाराज हो जाते, वो नहीं चाहते थे कि उनकी मां की जगह कोई और आए. और बच्चों की खुशी के लिए चाचा अकेले ही रहे. आज उनकी बेटी की शादी हो चुकी है और बेटा शहर के बाहर नौकरी कर रहा है. जिन बच्चों की खुशी के लिए चाचा अकेले रहे, आज खुशी बांटने के लिए वो बच्चे भी उनके साथ नहीं हैं. ऐसे में पिता या माता का अकेलापन भुगतना कितना जायज है?
असल में हमारे समाज में सौतली मां और सौतेले पिता को लेकर बहुत अच्छी कहानियां नहीं हैं. जिसने भी कहा सौतेली मां के क्रूर रूप को ही दिखाया. और बच्चे तो बच्चे होते हैं, उनमें पिता का अकेलापन और लंबे जीवन संघर्ष को समझ पाने जितनी परिपक्वता भी नहीं होती. लेकिन आज कुछ बच्चे अपनी उम्र से ज्यादा परिवक्वता साबित कर देते हैं जब वो ये कहते हैं कि वो अपने माता या पिता की शादी करवाना चाहते हैं, जिससे वो खुश रह सकें.
मेरे डैड की दुल्हन समाज की एक नाइंसाफी को सामने वला रहा है
सीरियल के जरिए बदलता समाज दिखाने की कोशिश
टीवी पर पिछले कई दिनों से एक नए सीरियल का प्रोमो चल रहा है, नाम है- 'मेरे डैड की दुल्हन'. जिसमें वरुण बडोला एक सिंगल पेरेंट के रूप में दिख रहे हैं, बेटी के साथ रहते हैं और दोनों बहुत खुश हैं. सीरियल में श्वेता तिवारी भी हैं जो स्वाभाविक रूप से वरुण बडोला के ऑपोज़िट हैं. और जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि ये कहानी भी ऐसे ही रिलेशनशिप की तरफ इशारा करती है.
इस सीरियल के विज्ञापन के देखकर शायद बहुतों ने मुंह बनाए होंगे कि सीरियल में तो कुछ भी दिखाते हैं. लेकिन वास्तविकता तो ये है कि ये सिर्फ सीरियल में नहीं हो रहा बल्कि असल जीवन में भी हो रहा है. एक नहीं कई उदाहरण दिए जा सकते हैं-
बेटा जो अपनी मां के लिए पिता का फर्ज निभाना चाहता है
कोलकता के हुगली में रहने वाले गौरव अधिकारी अपनी मां के लिए जीवनसाथी की तलाश कर रहे हैं. फेसबुक के माध्यम से गौरव ने अपने जन्मदिन के अवसर पर अपने दिल की बात लोगों के सामने रखी, और मां की तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा कि वो अपनी मां का बेटा भी है और मां उसकी बेटी भी. वो एक अच्छे गार्जियन का फर्ज निभाना चाहता है. मां की उम्र 45 साल है और 2014 में पिता चल बसे थे. गौरव का कहना है कि उन्हें जमीन या संपत्ति का कोई लालच नहीं है. दुल्हा कमाने वाला हो, अच्छा व्यवहार हो और मां को खुश रख सके.
गौरव चाहते हैं कि मां खुश रहे
गौरव की पोस्ट को यहां पढ़ा जा सकता है.
गौरव का कहना है कि वो काम के सिलसिले में अक्सर बाहर रहता है और मां का ख्याल नहीं रख पाता, और मां अकेली रह जाती हैं. इसलिए वो चाहता है कि मां को एक जीवन साथी मिल जाए. गौरव कहते हैं - मैं एक बेटे का फर्ज निभा रहा हूं और एक जिम्मेदार अभिभावक का फर्ज भी निभाना चाहता हूं. गौरव ये भी कहते हैं कि उन्हें ट्रोल करने वालों और मजाक बनाने वालों की कोई परवाह नहीं है.
बेटी मां के लिए दुल्हा ढूंढ रही है
कुछ ही समय पहले ट्विटर पर अपनी मां की तस्वीर शेयर करते हुए एक बेटी ने मां के लिए जीवन साथी ढूंढने की बात कही थी. हालांकि ट्विटर पर उन्हें बहुत सराहना भी मिली और बहुतों ने दोनों का मजाक भी बनाया. लेकिन पब्लिक प्लेटफॉर्म पर इसतरह की बात ओक मजबूत इंसान ही लिख पाता है. अपनी मां का अकेलापन समझते हुए आस्था ने सोशल मीडिया के सहारे दुल्हा ढूंढना शुरू कर दिया.
Looking for a handsome 50 year old man for my mother! :) Vegetarian, Non Drinker, Well Established. #Groomhunting pic.twitter.com/xNj0w8r8uq
— Aastha Varma (@AasthaVarma) October 31, 2019
मां का अकेलापन देखा न गया और मां की शादी करवा दी
इस साल के शुरुआत में ही एक बेटी ने अपनी मां के लिए दुल्हा ढूंढा और उनकी शादी भी करवाई. पिता की मौत के बाद मां डिप्रेशन में आ गई थीं और मां की हालत देखते हुए बेटी ने मां की शादी करवाने का फैसला किया. अपनी विधवा मां की दोबारा शादी करवाने के लिए बेटी ने समाज से भी खूब लड़ाई लड़ी, लेकिन उसका ध्येय केवल मां की खुशी थी. जो उन्हें मिल गई.
2016 में कैंसर से हुई थी पिता की मृत्यु , बेटी ने 3 साल बाद मां की दोबारा शादी करवाई
ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं जहां बच्चों ने अकेलेपन से जूझ रहे माता-पिता का जीवन सुधारने के लिए उन्हें जीवनसाथी दिलाया. बस ये कहें कि ये सब बातें जो सामाजिक ताने-बाने से बाहर बुनी होती हैं वो समाज के सामने नहीं आ पातीं. कई किस्से तो ऐसे भी हैं जहां शादी करने वाले जोड़ों की उम्र 60 के भी ऊपर थी. अक्सर लोग इस उम्र में लोगों को शादी करते नहीं देखना चाहते, लेकिन खुशी है कि आज लोगों को अकेलेपन का अहसास है और वो खुश रहने की अहमियत समझते हैं.
इस तरह के किस्से अगर सीरियल के माध्यम से लोगों के सामने आएं तो बदलाव की गति थोड़ी बढ़ सकती है. सीरियल में सिंगल पेरेंटिंग, और एक जीवन साथी न होने और होने की अहमियत को करीब से दिखाया जाएगा, जिसपर अक्सर लोग गंभीरता से नहीं सोचते. सीरियल के बहाने से ही सही कम से कम लोग कम उम्र में विधवा हो चुकी महिलाओं को इंसान की तरह समझना तो शुरू करेंगे. हालांकि इसी समाज के समझदार और प्रोग्रेसिव युवाओं ने शुरुआत कर दी है, सीरियल 'मेरे डेड की दुल्हन' तो बस आईना है.
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