MeToo Movement: पाकिस्तानी पॉप सिंगर मीशा शफी को सजा सुनाने की जल्दीबाजी क्यों?
#MeToo अभियान के दौरान पाकिस्तानी पॉप स्टार अली जफर पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली सिंगर मीशा शफी के सजा संबंधित खबरों को झूठा बताया जा रहा है. ऐसे में कोर्ट का फैसला आने से पहले 'झूठी खबर' को वायरल किसने किया? मिशा को सजा सुनाने की जल्दीबाजी आखिर किसे है?
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महिला सशक्तिकरण के चाहें कितने भी दावे कर लीजिए. ऐसी सुंदर लगने वाली बातें चाहे जितनी भी कह लीजिए कि महिलाएं किसी से कम नहीं हैं, हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर चल रही हैं, लेकिन हकीकत यही है कि समाज में महिलाओं के प्रति अधिकांश पुरुषों का नजरिया अभी बदल नहीं पाया है. एक महिला किसी पुरुष को आरोपी कह दे, किसी वजह से दोषी ठहरा दे, पितृसत्तात्मक समाज में ये बातें पचती नहीं है. उल्टे आरोप लगाने वाली महिला को ही कठघरे में खड़ा करने के लिए मौके की तलाश शुरू हो जाती है. मुल्क चाहे भारत हो या पाकिस्तान, समाज कमोवेश एक जैसा ही है.
इंसाफ बहुत मुश्किल से मिलता है. खासकर एक महिला के लिए तो बहुत ही ज्यादा मुश्किल होता है. कोई महिला गलत हो या सही, सच्ची हो झूठी, लेकिन बिना फैसला आए, उसे गलत साबित करने की जल्दीबाजी ये बताती है कि समाज की सोच क्या है. ताजा मामला पड़ोसी मुल्क पाकिस्तानी का है, लेकिन 'बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना' की तरह अपना देश भारत भी इसमें शामिल हो गया है. दरअसल हुआ ये है कि मीडिया में खबर चल रही है कि पॉप स्टार अली जफर पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली सिंगर मीशा शफी को मानहानि केस में तीन साल जेल की सजा हो गई है.
पाकिस्तानी पॉप स्टार अली जफर पर सिंगर मीशा शफी ने लगाया था यौन शोषण का आरोप.
जैसे ही ये खबर सोशल मीडिया के जरिए वायरल हुई, सिंगर मीशा शफी सहित कई बड़ी पाकिस्तानी हस्तियों ने इसका पुरजोर विरोध किया. बताया गया कि यह मामला तो अभी पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. ऐसे में फैसले की बात कहां से आ गई. मीशा के वकील असद जमाल ने तुरंत ट्वीट करके इस खबर को निराधार बता दिया. उन्होंने लिखा कि उनकी मुवक्किल मीशा शफी को 3 साल की कैद की सजा संबंधित फेक न्यूज चलाई जा रही है. अली जफर द्वारा कई महिलाओं के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले में कोर्ट ने ऐसा कोई फैसला नहीं सुनाया है. यह पूरी तरह गलत है.
This is with ref to the fake news claiming that my client Meesha Shafi has been sentenced to 3 yrs imprisonment.No such verdict has been passed by trial court in the frivolous criminal defamation case instituted by Ali Zafar against several women.Read complete statement below pic.twitter.com/49vRSXtvFe
— Asad Jamal (@LegalPolitical) March 15, 2021
कैसे और कहां से वायरल हुई खबर?
अब आप सोच रहे होंगे कि जब पाकिस्तानी कोर्ट ने ऐसा फैसला दिया ही नहीं, तो ये खबर आई कहां से? बिना आग लगे धुंआ तो उठता नहीं है. दरअसल, मशहूर ब्रिटिश न्यूज वेबसाइट Daily Mail पर यह खबर छपी कि #MeToo movement के तहत पॉप स्टार पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली सिंगर को 3 साल की सजा. Daily Mail ने भी ये खबर Wall Street Journal के रिपोर्ट के हवाले से छापी थी. इसके बाद मीडिया में ये खबर छपने के साथ ही सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने लगी. मीशा के वकील जमाल के बयान के बाद भी खबर का खंडन कहीं नहीं छपा है.
फैसले से पहले सजा की जल्दीबाजी?
किसी महिला के लिए इंसाफ की गुहार लगाना भी सजा का सबब बन सकती है, इसका ज्वलंत उदाहरण यह केस है. अभी पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. वहां अली जफर और मीशा शफी ने अपना-अपना पक्ष रख दिया है. ऐसे में कोर्ट के फैसले से पहले ही यह बता देना कि मानहानी केस में मीशा को तीन साल की सजा हो गई है, पूर्वाग्रह से ग्रसित है. मीशा को अभी तीन साल की सजा हुई नहीं है. हां, यदि वो गलत साबित होती हैं, तो पाकिस्तानी कानून के हिसाब से उनको ये सजा मिल सकती है. चूंकि अली जफर ने मीशा को झूठा करार दे दिया है, ऐसे में कुछ लोग प्रोपेगैंडा फैला रहे हैं.
The news circulating about @itsmeeshashafi facing jail for speaking up about harassment by Ali Zafar is absolutely false disinformation. Please verify news before reposting it.No such thing has happened; read this#metoo #timesup https://t.co/axQmJydFZS
— Usama Khilji (@UsamaKhilji) March 15, 2021
क्या है सिंगर मीशा शफी का आरोप?
#Metoo अभियान के दौरान पाकिस्तानी सिंगर मीशा शफी ने आरोप लगाया था कि पॉप स्टार अली जफर ने अपने घर के रिकॉर्डिंग स्टूडियो में उनका यौन शोषण किया था. इतना ही नहीं अली जफर ने कई बार उनका यौन शोषण किया. उनके साथ यह सब तब नहीं हुआ, जब वे इंडस्ट्री में नई थीं या फिर कम उम्र की थीं. बल्कि यह सब तो उनके साथ इंडस्ट्री में स्थापित होने और शादी करने के बाद हुआ. अली ने उनके साथ जब यह सब किया, तब वे दो बच्चों की मां बन चुकी थीं. उनके और उनके परिवार के लिए वह दौर किसी सदमें से कम नहीं था. मीशा के इस आरोप के बाद सनसनी फैल गई थी.
आरोप पर अली जफर की प्रतिक्रिया
अली जहर ने अपने खिलाफ लगे इन आरोपों को गलत बताते हुए मीशा शफी के खिलाफ मानहानि का केस किया था. इसके बाद पाकिस्तानी लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी ने भी मीशा पर अली को बदनाम करने के लिए अभियान चलाने के आरोप में केस दर्ज किया. इसके बाद अली ने सोशल मीडिया पर लिखा था, 'मिस शफी ने मुझपर जो आरोप लगाए हैं, मैं उनसे इनकार करता हूं. इस मामले को मैं प्रोफेशनली डील करूंगा. मैं उन्हें (मीशा को) कोर्ट में लेकर जाऊंगा. ऐसे सोशल मीडिया पर आरोप लगाकर मैं अपनी फैमिली, इंडस्ट्री और अपने फैन्स का निरादर नहीं करूंगा. सच की हमेशा जीत होती है.'
सोशल मीडिया मुहिम से घबराए अली
उधर मीशा शफी ने अली जफर के खिलाफ सोशल मीडिया पर मुहिम छेड़ दिया. इस पर एक प्रोग्राम में रोते हुए जफर ने कहा था, 'इतने लंबे समय से हम बर्दास्त कर रहे हैं. सिर्फ मैं ही नहीं, मेरा परिवार, पत्नी और बच्चे भी. अभी तक मैंने एक भी शब्द नहीं कहा, क्योंकि मैंने कोर्ट के जरिए कानूनी कार्रवाई करने का फैसला लिया था. लेकिन ये लोग सोशल मीडिया कैंपने के जरिए मेरे करियर को बर्बाद करने की कोशिश कर रहे हैं. मैं ऐसा आदमी हूं, जो मुश्किल दौर में हजारों बार खुद के, अपनी फैमिली, अपने कलीग्स और दोस्तों के लिए खड़ा रहा. आज भी मैं यही करूंगा. कुछ छुपा नहीं है.'
मीशा और अली का बॉलीवुड कनेक्शन
पाकिस्तान की मशहूर सिंगर, एक्ट्रेस और मॉडल मीशा शफी बॉलीवुड फिल्म में नजर आ चुकी हैं. फरहान अख्तर की फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' में एक छोटा लेकिन दमदार किरदार निभाया था. पाकिस्तानी फॉल्क सिंगर आरिफ लोहार के साथ 'जुगनी' और 'इश्क आप भी अवल्ला' जैसे गाने गाकर छाने वाली मीशा शफी को साल 2012 में आई मीरा नायर की फिल्म 'द रिलक्टंट फंडामेंडेलिस्ट' के जरिए हॉलीवुड में बड़ा ब्रेक मिला था. वहीं, अली जफर पाकिस्तानी संगीतकार, गीतकार, गायक, अभिनेता और मॉडल हैं. साल 2010 में आई फिल्म 'तेरे बिन लादेन' के जरिए उन्होंने बॉलीवुड में डेब्यू किया था.
आखिर क्या है #MeToo अभियान?
मीटू अभियान महिलाओं पर होने वाले अत्याचार और शोषण के खिलाफ सोशल मीडिया पर चलाया जाने वाले एक आंदोलन है. सोशल मीडिया पर #MeToo के साथ महिलाएं और लड़कियां अपने साथ हुए जुल्म की कहानी को बयां करती हैं. #MeToo की शुरुआत तो साल 2006 में हुई थी. अमेरिका की सोशल ऐक्टिविस्ट और कम्युनिटी ऑर्गनाइज़र तराना बर्क ने सबसे पहले 2006 में 'माइस्पेस' नाम के सोशल नेटवर्क पर #MeToo का इस्तेमाल किया था. भारत में #MeToo का 25 सितंबर 2018 को शुरू हुआ था. बॉलीवुड एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता ने एक्टर नाना पाटेकर के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था.
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