मिशन मजनू से मुंह चुराने वालों को कहां से पता चला कि पठान पहले ही दिन 40 करोड़ कमा लेगी?
जमूरा बॉलीवुड और उसे कवर करने वाले जमूरे विद्वान पत्रकार कुछ भी कर सकते हैं. कैसे पठान और मिशन मजनू के बहाने समझना मुश्किल नहीं.
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देशभक्ति और जासूसी पर एक ही इंडस्ट्री से एक ही भाषा की दो फ़िल्में आ रही हैं. लेकिन एक फिल्म के प्रति जहां मीडिया की क्रूर चुप्पी साफ़ दिखाई देती है, वहीं एक दूसरी फिल्म की निंदा करने लायक वाजिब चीजों पर भी तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैं. क्यों भाई? क्या सिर्फ इसलिए कि एक फिल्म पर चर्चा 'सेकुलर' होने की परिभाषाओं पर सौ आने खरी है. सिद्धार्थ मल्होत्रा की मिशन मजनू और शाहरुख खान की पठान दोनों बॉलीवुड से आ रही जासूसी फ़िल्में हैं. लेकिन पठान पर जो बात होनी चाहिए, वह भी नहीं हो रही और मिशन मजनू डिजर्व करने के बावजूद महान सेकुलर पत्रकारों/विश्लेषकों का ध्यान खींचने में सफल ही नहीं हो पाई.
बावजूद कि जितने दिनों में साधन संपन्न यशराज फिल्म्स और शाहरुख खान की पठान के ट्रेलर पर व्यूज (50 मिलियन) आए हैं लगभग उतने ही दिन में मिशन मजनू ने बिना किसी शोर शराबे के 35 मिलियन से ज्यादा व्यूज हासिल किए हैं. मिशन मजनू का स्केल, पठान का पसंग भर नहीं है. यानी सिर्फ यह सैम्पल साफ़ सबूत है कि फिलहाल मिशन मजनू का कॉन्टेंट पठान की तुलना में दर्शकों से ज्यादा कनेक्ट हो रहा है. बॉलीवुड, उसके राजनीतिक मकसद और उसके विचार को कहीं और जाकर समझने की जरूरत नहीं. बल्कि इन दोनों फिल्मों की केस स्टडी से भी समझ सकते हैं. पठान के लिए हवा हवाई बेतहाशा खबरें बिना आधार के और हवा हवाई तथ्यों पर चलाई जा रही हैं. उसे रिलीज होने से पहले ही महान घोषित किया जा रहा. इसी महानता की कड़ी में पठान की रिलीज से छह दिन पहले उसका बॉक्स ऑफिस इस्टीमेट भी आ गया है.
मिशन मजनू और पठान की कहानी एक जैसी है मगर उसमें जमीन आसमान का फर्क है.
पहले दिन की कमाई के आंकड़े आ गए लेकिन किस आधार पर, यह नहीं बताया गया
बताया जा रहा कि पठान पहले दिन 40 करोड़ प्लस से ज्यादा की ओपनिंग हासिल कर लेगी. यह भी बताया जा रहा कि शाहरुख के करियर में दोबारा ऐसा होने जा रहा है. बताया जा रहा कि इससे पहले उनकी हैप्पी न्यू ईयर ने 44.97 करोड़ कमाए थे. लागत के हिसाब से मल्टीस्टारर ड्रामा को बॉक्स ऑफिस पर औसत बताया जाता है. चेन्नई एक्सप्रेस ने 10 साल पहले 33.12 करोड़ और दिलवाले ने पहले दिन 21 करोड़ की ओपनिंग की थी. रईस ने भी 20.42 करोड़ की ओपनिंग पाई थी. रोहित शेट्टी के निर्देशन में चेन्नई एक्सप्रेस शाहरुख के करियर की आख़िरी ब्लॉकबस्टर है. दिलवाले शाहरुख के असहिष्णुता बयान की वजह से बुरी तरह फ्लॉप हुई थी और गुजरात के एक अल्पसंख्यक अपराधी की बायोपिक रईस भी औसत ही थी.
ट्रेड की सभी प्रतिष्ठित अंग्रेजी वेबसाइट्स पर यह खबर चल रही है. तमाम नए-पुराने आंकड़े दिए जा रहे हैं लेकिन यह नहीं बताया जा रहा कि पहले दिन को लेकर अनुमान किस आधार पर लगाए जा रहे हैं? इस्टीमेट लेकिन कैसे 40 करोड़ से ज्यादा कमाएगी यह कोई नहीं बता रहा. 40 करोड़ से ज्यादा कमाई का पैमाना क्या है- यह भी खबर में नहीं बताया गया. आखिर खबर लिखने वाले ज्ञानियों को यह ज्ञान कैसे और कहां से मिला, वह भी नहीं बताया जा रहा. अगर आप कोई वाजिब आधार दिए बिना एक निष्कर्ष दे रहे है तो इसे क्यों ना माना जाए कि यह ना सिर्फ बिकी हुई पत्रकारिता है बल्कि मनमाने तरीके से जनमानस को बदलने का प्रयास हो रहा है. पढ़े-लिखे अंग्रेजों की गुंडई के खिलाफ कोई एक शख्स नहीं दिखता जो आवाज उठा सके.
मजेदार यह भी है कि पठान पर यह विश्लेषण लिखे जाने तक उसकी एडवांस बुकिंग को चेक किया. जर्मनी में बुकिंग शुरू होते ही पहले दिन की टिकटें बिक गई लेकिन शायद दुर्भाग्य से पठान के साथ भारत में ऐसा कुछ नहीं दिखा. पूरा-आधा छोडिए, सिनेमाघरों का एक चौथाई हिस्सा भी फुल नजर नहीं आ रहा. एक चौथाई से भी कम के लिए चमकदार शब्द फिलहाल नहीं मिल रहा वर्ना उसे ही यहां लिखा जाता. हो सकता है कि पठान की एडवांस बुकिंग का सर्वर खराब हो. लोग टिकट बुक कर रहे हों और बुक ना हो पा रहा हो. तो स्वाभाविक है कि विश्लेषण जब तक आपके पास पहुंचे सिनेमाघर जर्मनी की तरह फुल भी हो सकते हैं. इसलिए पढ़ते वक्त एक बाद आप तमाम बड़े शहरों में खुद एडवांस बुकिंग की स्थिति चेक कर लीजिएगा.
तो पठान से ज्यादा बड़ी फिल्म मिशन मजनू है और शाहरुख से ज्यादा बड़ा सितारा कार्तिक आर्यन
तो क्या यह अनुमान पठान की हाइप को लेकर ही लगाया जा रहा है. और असल में पठान के लिए एक हाइप खड़ी की जाती है और जैसे ही एक हाइप कमजोर दिखने लगती हैं उसी के आधार पर दूसरी हाइप खड़ी कर दी जाती है. अंग्रेज पत्रकार एक तरह से कह रहे हैं कि पठान की हाइप कुछ ऐसी है कि कमाई 40 करोड़ प्लस रहेगी. इससे पहले जो अनुमान सामने आते थे- वह फिल्मों की एडवांस बुकिंग आदि को लेकर लगाए जाते थे. एडवांस बुकिंग के आंकड़ों के आधार पर मोटी मोटा अनुमान लगाया जाता था. और ट्रेड एक्सपर्ट्स की राय भी ली जाती थी. मगर पहले दिन पठान की कमाई को लेकर जो आंकड़े आए उसमें यह तथ्य नहीं दिए जा रहे हैं. ऐसा लग रहा कि जैसे निर्माताओं ने एक कॉपी लिखकर भेज दी और अंग्रेज पत्रकारों ने उसे अपने अपने संस्थानों की पोर्टल पेस्ट कर दिया. इस मीडिया को क्या नाम दिया जाए समझ में नहीं आता. हो सकता है कि पत्रकारों को निजी तौर पर मैनेज कर लिया गया है.
अगर हाइप के आधार पर ही या निष्कर्ष निकाला जा रहा है फिर तो सिद्धार्थ मल्होत्रा की मिशन मजनू या फिर कार्तिक आर्यन की शहजादा ज्यादा बड़ी फिल्म है. मिशन मजनू के ट्रेलर पर बिना प्रचार प्रसार और कंट्रोवर्सी के 35 मिलियन व्यू आए हैं. और शहजादा के व्यू तो पठान से बहुत ज्यादा हैं. तो क्यों ना इसी आधार पर मान लिया जाए कि नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम होने जा रही मिशन मजनू, पठान से ज्यादा बड़ी फिल्म है. और शहजादा तो बॉलीवुड से निकालने वाली ब्लॉकबस्टर. इस लिहाज से तो यूट्यूब पर बिना कंट्रोवर्सी के पठान से ज्यादा व्यूज निकालने वाली शहजादा को पहले दिन 50 करोड़ प्लस ओपनिंग मिलनी चाहिए. क्यों? क्या ऐसा अनुमान लगाना गलत माना जा सकता है.
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