मोदी बायोपिक में सरदार बने विवेक ओबेरॉय क्या इमर्जेंसी की याद दिला रहे हैं?
नरेंद्र मोदी पर बनने वाली विवेक ओबेरॉय द्वारा अभिनीत बायोपिक के लुक्स सामने आ गए हैं. लेकिन इसके एक लुक ने इमर्जेंसी और कांग्रेस पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बन रही बायोपिक को लेकर कुछ नई चर्चा शुरू हुई है. विवेक ओबेरॉय अभिनीत इस फिल्म के नए लुक्स सामने आए हैं. विवेक ओबेरॉय के 9 लुक दिखाए गए हैं जो नरेंद्र मोदी के जीवन को अलग-अलग समय में दिखाया गया है. जवान नरेंद्र मोदी से लेकर पीएम नरेंद्र मोदी तक. फिल्म समीक्षक तरण आदर्श ने विवेक ओबेरॉय के लुक जैसे ही सोशल मीडिया पर आए वैसे ही इन्हें लोगों ने ट्रोल करना शुरू कर दिया. वैसे तो विवेक के लुक को पहले भी समीक्षा का सामना करना पड़ा था, लेकिन अभी देखें तो विवेक का लुक बिलुकल ही अलग दिख रहा है.
ये फिल्म 12 अप्रैल को रिलीज होने वाली है यानी पहले चरण से मतदान के दूसरे दिन. पर तब भी 6 चरण के मतदान बाकी रहेंगे तो ये कहना कि इससे चुनाव पर कोई असल नहीं होगा ये गलत है. मोदी बने विवेक के लुक भी बड़े अलग लग रहे हैं. फोटो में विवेक के लुक्स देखकर लग रहा है जैसे हर राज्य को टार्गेट किया गया है.
तरण आदर्श ने अपने ट्विटर अकाउंट में नरेंद्र मोदी बने विवेक ओबेरॉय के 9 लुक शेयर किए हैं.
इस फोटो को देखिए और बताइए कि कहां विवेक ओबेरॉय नरेंद्र मोदी की तरह लग रहे हैं? नरेंद्र मोदी बने विवेक का हर लुक किसी न किसी राज्य के पहनावे से मिलता-जुलता दिखता है, लेकिन एक बात तो सही है कि ये लुक कहीं से भी नरेंद्र मोदी की तरह नहीं लगता.
इस बात पर इंटरनेट ने भी विवेक ओबेरॉय को बुरी तरह से ट्रोल करना शुरू कर दिया है.
Ek me bhi modi nahi lag raha!
— Dhwanit (@iamdhwanit) March 18, 2019
यहां तक कि विवेक ओबेरॉय के लुक्स को देखकर लोगों ने कहा कि ये सुरेश ओबेरॉय की बायोबिक जैसा लग रहा है.
Looks more like Suresh Oberoi Biopic.
— HJSSINGHAM (@HJSSINGHAM) March 18, 2019
लोगों ने विवेक ओबेरॉय को इस फिल्म के लिए नकार ही दिया है, लेकिन हो सकता है कि एक्टिंग के मामले में विवेक कोई कमाल कर जाएं. लुक्स के मामले में तो वो बिलकुल मोदी नहीं लग रहे हैं.
close enough#RahulGandhi pic.twitter.com/30DTsP8rg8
— кυทαℓ #кicк ???????? (@iKunnu_Kick1) March 18, 2019
इसी के साथ, एक सवाल जो सबके मन में आया वो ये कि नरेंद्र मोदी सरदार कब बने थे? दरअसल, ये एक बहुत पुरानी कहानी है जो विवेक ओबेरॉय का सरदार वाला लुक देखकर याद आ गई है.
नरेंद्र मोदी वाकई एक समय में सरदार बनकर रहे थे और खुद को गिरफ्तार होने से बचाया था.
इमर्जेंसी के वक्त की वो कहानी जब नरेंद्र मोदी सिख बन गए थे-
पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी किताब 'आपातकाल में गुजरात' में इस किस्से के बारे में बताया था जब उन्हें एक सिख बनकर भागना पड़ा था. दरअसल, ये इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई इमर्जेंसी के वक्त की बात है जब जनता दल और संघ के बड़े-बड़े नेताओं को गिरफ्तार किया जा जा रहा था. ये प्रधानमंत्री गांधी के कहने पर ही हुआ था. उस समय मोदी बड़े नेता नहीं थे और उनके लिए भेष बदल कर छुपना आसान था. किताब के अनुसार नरेंद्र मोदी उस समय 25 साल के थे.
मोदी ने उस समय एक सिख की तरह पगड़ी पहन कर छुपना शुरू कर दिया था. इतना ही नहीं, मोदी के अनुसार वो सन्यासी भी बने थे और जॉर्ज फर्नांडिस जैसे कई नेताओं को गिरफ्तारी से बचाकर सुरक्षित जगहों पर ले गए थे.
पीएम मोदी ने ये भी बताया कि कैसे वो 1975-1977 तक इमर्जेंसी के दो साल बिना जेल गए बच सके. साथ ही, मोदी ने ये भी बताया कि इमर्जेंसी के दौरान वो विवादित और बैन किताबों को दिल्ली लेकर गए थे और जन संघ के नेताओं से जेल में मिले भी थे. नरेंद्र मोदी ने उस दौरान अपना नाम प्रकाश भी रख लिया था.
नरेंद्र मोदी सिख बन आरएसएस के नेताओं तक बातें पहुंचाते थे.
यही वो समय था जब मोदी ने छुपकर काम किया था और दो साल के बाद जब इमर्जेंसी की स्थिति हटी तब तक वो सिर्फ एक प्रचारक नहीं रह गए थे वो आरएसएस के सबसे विश्वसनीय नामों में शामिल हो चुके थे.
नरेंद्र मोदी जब गुजरात के सीएम थे तब एक स्कूल के बच्चे ने उनसे पूछा था कि सिख बनी उनकी फोटो फेक है या फिर किसी नाटक के समय की है तब नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वो तस्वीर बिलकुल सही है और ये इमर्जेंसी के समय की है.
ये वीडिया 2013 में सामने आया था.
पंजाब में वोट मांगने के समय भी बने सिख-
23 फरवरी 2014 (इलेक्शन से पहले) पंजाब में हुई जागरण रैली में नरेंद्र मोदी वोट मांगने गए थे तब तक वो भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे. उस समय नरेंद्र मोदी ने भाषण पगड़ी पहन कर दिया था और इस बात पर पंजाब में काफी राजनीति हुई थी. उस समय नरेंद्र मोदी ने अप्रवासियों को लेकर कुछ विवादित टिप्पणियां भी की थीं.
नरेंद्र मोदी पंजाब में हुई जागरण रैली के दौरान
नरेंद्र मोदी की बायोपिक को भले ही कहा जाए कि ये किसी भी तरह से इलेक्शन से जुड़ी हुई नहीं है, लेकिन विवेक ओबेरॉय के सरदार वाले लुक को देखकर लगता है कि ये सच नहीं है. जिस तरह नरेंद्र मोदी कई बार इमर्जेंसी की याद दिलाते रहते हैं उसी तरह उनकी बायोपिक भी अब इमर्जेंसी की याद दिलाने वाली है! कम से कम सन्यासी और सरदार जैसा परिधान तो यही दिखा रहा है. और अगर ये कहानी नहीं है तो ये देखना दिलचस्प होगा कि नरेंद्र मोदी अपने जीवनकाल में और किस वक्त सरदार के भेष में रहे थे.
फिलहाल तो बस इतना ही कहा जा सकता है कि अगर वाकई नरेंद्र मोदी, इमर्जेंसी और कांग्रेस का जिक्र इस फिल्म में है तो फिर तो इसे चुनाव आयोग की नजर में आना चाहिए क्योंकि ये किसी चुनाव प्रचार से कम नहीं होगी जो ठीक मतदानों के शुरू होने के वक्त ही रिलीज होगी. 12 अप्रैल को रिलीज होने वाली इस फिल्म का असर उन सभी राज्यों में पड़ सकता है जिनमें अगले 6 चरणों में चुनाव होने हैं. यह फिल्म मोदी की छवि को और भी चमकाने की कोशिश है, और यकीनन ये फिल्म सिर्फ एक चुनावी कैंपेन के तौर पर ही देखी जानी चाहिए.
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