मदर्स डे पर एक नजर सिनेमा वाली मम्मियों पर
कुछ हिरोईनों ने तो मां के किरदार को इस कदर जीवंत कर दिया है कि पर्दे पर मां शब्द सुनते ही इनकी छवि सामने आ जाती है. आइए देखते हैं 10 सिनेमाई मां को पर्दे पर जिंदा करने वाली अभिनेत्रियों की लिस्ट.
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मदर्स डे यानि मां का दिन. यानि मां को समर्पित किया गया एक दिन. हालांकि माता-पिता को प्यार करना, सम्मान देना किसी दिन की मोहताज नहीं है लेकिन फिर भी साल का एक दिन अगर मां और पिता के नाम किया गया तो इसे भी पूरे उत्साह से मनाना चाहिए. इस दिन हर कोई कोशिश करता है कि अपनी मां को अपने मन की बात बताएं या फिर उन्हें हम कितना प्यार करते हैं इसका इजहार करें.
मां का जितना अहम् किरदार हमारे जीवन को संवारने में रहता है उतना ही अहम् किरदार हमारी फिल्मों में भी है. हमारी फिल्में मां के बगैर पूरी ही नहीं होती. और कुछ हिरोईनों ने तो मां के किरदार को इस कदर जीवंत कर दिया है कि पर्दे पर मां शब्द सुनते ही इनकी छवि सामने आ जाती है. इनमें सबसे पहला नाम आता है निरूपा रॉय का. तो आइए देखते हैं 10 सिनेमाई मां को पर्दे पर जिंदा करने वाली अभिनेत्रियों की लिस्ट.
1- निरूपा रॉय-
अमिताभ की स्क्रीन मॉम
70 और 80 के दशक के लगभग हर हीरो के मां की भूमिका में ये नजर आती थी. प्यार और वात्सल्य का रूप निरूपा रॉय उस समय की सबसे फेवरेट मां थीं. अमिताभ बच्चन की मां का रोल तो इन्होंने इतनी फिल्मों में निभाया कि ये इन्हें अमिताभ की फिल्मी मां के नाम से जाना जाने लगा. दीवार फिल्म में अमिताभ बच्चन और शशि कपूर की मां के रोल ने तो इन्हें अमर ही कर दिया.
2- अचला सचदेव-
हिन्दी फिल्मों की सबसे नामी मां के रूप में इनको हम जानते हैं. इन्होंने मां के इमेज को एक नया ही चेहरा दिया जिसमें मां एक दृढ़ निश्चयी और सशक्त महिला है. आज की युवा पीढ़ी उन्हें फिल्म कभी खुशी कभी गम में शाहरूख और हृतिक की दादी के रूप में जानते हैं.
3- दुर्गा खोटे-
हिंदी सिनेमा की ठेठ मां की पदवी इन्हें ही मिली हुई है. प्यार और दुलार से भरपूर मां की भूमिका को कई बड़े एक्टरों के लिए इन्होंने बड़े पर्दे पर जीवंत कर दिया था. ऋषि कपूर की फिल्म कर्ज में मां की भूमिका को इन्होंने यादगार बना दिया था.
4- रीमा लागु-
80 के दशक की फेवरेट मम्मी
राजश्री प्रोडक्शन की लगभग हर फिल्म में मां को रोल रीमा लागु ही निभाती हैं. फिर चाहे मैंने प्यार किया में सलमान खान की मां बनना हो या फिर कल हो ना हो में शाहरूख खान की प्यार, त्याग और धैर्य की मूर्ति वाली मां. गोविंदा की मां बनना हो या फिर अजय देवगन की. रीमा लागु ने अपने को हर एक्टर की मां के रूप स्थापित कर लिया.
5- फरीदा जलाल-
फरीदा जलाल का नाम सुनते ही दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में काजोल की सशक्त लेकिन प्यारी मां की तस्वीर सामने आ जाती है. उन्होंने फिल्मों में मां के स्वरूप को जिंदा कर दिया जो सिर्फ और सिर्फ अपने बच्चे की खुशी के लिए चिंता में रहती है.
6- जोहरा सहगल-
60 साल के हीरो की मां
साठ साल के हीरो की मां की भूमिका सिर्फ ये ही निभा सकती हैं. चाहे हम दिल दे चुके सनम में ऐश्वर्या की दादी बनना हो या फिर चीनी कम में अमिताभ की मां बनना.
7- रत्ना पाठक शाह-
कूल मॉम
भारतीय सिनेमा और टीवी जगत की सबसे सशक्त महिला अभिनेत्रियों में से एक रत्ना पाठक शाह ने युवा पीढ़ी की स्ट्रॉन्ग मॉम की भूमिका को पर्दे पर उतार दिया. इमरान खान की पहली फिल्म जाने तू या जाने ना में उनकी मॉर्डन और मैनिपूलेटिव मां की भूमिका को सटीक तरीके से निभाया था.
8- जया बच्चन-
एक्टिंग की स्कूल मानी जाने वाली जया बच्चन के लिए मां को रोल पर्दे पर उतारना कोई बड़ी बात नहीं है. उन्होंने कभी खुशी कभी गम में एक ऐसी मां का रोल प्ले किया जिसने पति की इज्जत और अहंकार के आगे अपने घुटने तो टेके लेकिन पानी सर से ऊपर जाने के बाद पति को गलत बताने में परहेज भी नहीं किया.
9- किरन खेर-
किरन खेर ने बॉलीवुड में मां के इमेज को चेंज करने में अहम रोल अदा किया है. चाहे वो दोस्तान की कूल मदर हो या फिर देवदास की एक कठोर, स्वाभिमानी मां. हर किरदार में उन्होंने जान डाल दी. हम-तुम में उन्होंने एक दोस्त वाली मम्मी का किरदार निभाकर अब के जमाने में मां- बच्चे के रिश्ते को नया एंगल दिया.
10- डिंपल कपाड़िया-
बॉलीवुड में अपनी एक्टिंग से ज्यादा सुंदर, घने बालों और सुंदरता के लिए जानी जाती हैं. प्यार में ट्विस्ट मूवी हो या फिर कॉकटेल मूवी में सैफ अली खान की मां का रोल करना हो, अपनी वर्सिटैलिटी से डिंपल ने हर फिल्म में जान डाल दी.
हालांकि स्क्रिन मॉम की ये लिस्ट यहीं खत्म नहीं होती. गोलमाल की बिंदिया गोस्वामी, ऋषि कपूर की फिल्मी मां के नाम से पहचानी जाने वाली सुषमा सेठ, कठोर सास के रूप में ललिता पवार, अरूणा ईरानी या फिर 26 साल की उम्र में सिंगल मॉम के कॉन्सेप्ट को सशक्त तरीके से पर्दे पर निभाने वाली नरगीस को कौन भूल सकता है. मां सिर्फ एक शब्द नहीं एहसास है. वो एहसास जिसकी आवाज, जिसकी याद ही हमारी आंखें तर कर देने के लिए काफी होती है. दुनिया की सभी मांओं को नमन.
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