Sandeep Nahar suicide case: सुशांत के को-स्टार संदीप नाहर के 'सुसाइड नोट' से सीखिए जिंदगी के सबक
सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के साथ काम कर चुके एक्टर संदीप नाहर (Sandeep Nahar) की खुदकुशी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. रिश्तों के फेर में उलझी इस जिंदगी के असली मायने क्या है? रिश्तों की सच्ची परिभाषा क्या है? इस पर अब विचार करने की जरूरत है.
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फिल्म 'एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' में सुशांत सिंह राजपूत के साथ काम कर चुके एक्टर संदीप नाहर की खुदकुशी ने खलबली मचा दी है. सोशल मीडिया पर सुसाइड नोट शेयर करने के बाद संदीप ने फांसी लगा लिया. वो अपनी शादीशुदा जिंदगी से परेशान थे. पत्नी के साथ आए दिन हो रहे झगड़ों की वजह से मानसिक रुप से बीमार हो चुके थे. जिंदगी में जब अपनों की वजह से जबरदस्त तूफान आता है, तो कोई रास्ता नहीं सूझता. इंसान के जीवन की कश्ती तूफान में डूब जाती है. कुछ ऐसा ही संदीप के साथ भी हुआ. उनके दोस्त सुशांत सिंह राजपूत की मौत की गुत्थी अभी सुलझी भी नहीं थी कि उनके जीवन की डोर टूट गई. सोशल मीडिया पर सरेआम ऐलान के बाद उन्होंने अपनी जिंदगी से हमेशा के लिए मुंह मोड़ लिया. लेकिन सबसे बड़ा सवाल कोई इंसान इस तरह के हालात में पहुंचता कैसे है? पहुंच भी गया, तो वहां से निकल क्यों नहीं पाता? एक समस्या कैसे पूरे जीवन पर भारी पड़ जाती है कि कोई अपनी जान खुद ले लेता है? इन सवालों को जवाब जानने से पहले संदीप का सुसाइड नोट एक बार ध्यान से पढ़ लीजिए.
फिल्म 'एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' में सुशांत और संदीप ने साथ काम किया था.
फेसबुक (Facebook Suicide Video) पर एक वीडियो के साथ संदीप नाहर (Sandeep Nahar Commits Suicide) ने अपने मन की बात लिखी थी. इस सुसाइड नोट (Sandeep Suicide Note) को हम ज्यों का त्यों आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं...
'अब जीने की चाह नहीं हो रही है. लाइफ में काफी सुख-दुख देखे. हर बार प्रॉब्लम को फेस किया, लेकिन आज मैं जिस ट्रामा से गुजर रहा हूं, वह बर्दाश्त के बाहर है. मैं जानता हूं कि सुसाइड करना कायरता है. मुझे भी जीना था, लेकिन जीने का भी क्या फायदा, जहां सुकून और सेल्फ रिस्पेक्ट न हो. मेरी वाइफ कंचन शर्मा (Kanchan Sharma wife of Sandeep Nahar) और उसकी मां वुनू शर्मा, जिन्होंने न समझा न समझने की कोशिश की. मेरी पत्नी हाइपर नेचर की है और उसकी पर्सनालिटी और मेरी अलग है, जो बिल्कुल भी मैच नहीं होती है. रोज-रोज की सुबह शाम की कलह. मेरी अब ये सुनने की शक्ति नहीं है. इसमें कंचन की कोई गलती नहीं है. उसका नेचर ऐसा है कि उसको सब नॉर्मल लगता है, लेकिन मेरे लिए ये सब नार्मल नहीं है. मैं मुंबई में कई साल से हूं. मैंने बहुत बुरा वक्त भी देखा है, लेकिन कभी टूटा नहीं. डबिंग की, जिम ट्रेनर रहा, एक रूम के किचन में 6 लोग रहते थे. स्ट्रगल करते थे, लेकिन सुकून था. आज मैंने बहुत कुछ पाया है, लेकिन आज शादी के बाद सुकून नहीं है. 2 साल से जीवन बिल्कुल बदल गया है. ये बातें मैं कभी किसी से शेयर नहीं कर सकता. दुनिया को लगता है कि इनका कितना अच्छा चल रहा है. क्योंकि वो सब हमारे सोशल पोस्ट देखते हैं, जो कि सब झूठ है. ये सब दुनिया को अच्छी इमेज दिखाने के लिए डालता हूं, लेकिन सच बिल्कुल अलग है.'
'हमारी बिल्कुल भी नहीं बनती है. कंचन 2 साल में 100 से ज्यादा बार सुसाइड को लेकर बोल चुकी है. कहती है कि तुम्हें फंसा दूंगी. देखो आज नौबत ये आ गई है कि मुझे ये कदम उठाना पड़ रहा है. पास्ट को लेकर लड़ती है. वह मेरी इज्जत नहीं करती है. वह मुझे गाली देती है. मेरी परिवार को बारे में बुरा-बुरा कहती है. जो अब मेरे लिए सुनने-सहने से बाहर हो गया है. इसमें इसकी कोई गलती नहीं है, क्योंकि ये दिमाग से बीमार है. मैं चाहता हूं कि मेरे जाने के बाद इसको कोई कुछ न कहे, क्योंकि इसको कभी अपनी गलती का अहसास नहीं होगा. बस इसका इलाज करवा दो, ताकि मेरे जाने के बाद जिसकी भी लाइफ में ये जाए खुशियां दे. मेरी फैमिली को मेरे जाने के बाद कोई भी दिक्कत न दे. मैं अपने माता-पिता को थैंक्स करना चाहता हूं, क्योंकि उन्होंने मुझे वो सब कुछ दिया जो मैं चाहता था. मेरा एक्टर बनने का सपना पूरा किया. आज मैं जो हूं सब उनके कारण से हूं. मुझे पता है कि आप सब कह रहे होंगे तो उनके लिए क्यों नहीं जीता. मैं जीता अगर सिंगल होता. मुझे पता है कि जीने के लिए बाहदुरी चाहिए, लेकिन अभी तो मैं बस अपने माता-पिता से माफी मांगता हूं. मैं यहां उनको प्राउड फील करवाने के लिए आया था और उनके लिए कुछ करना चाहता था. एक गलत शादी ने लाइफ बदल दी मेरी. अब जीने की इच्छा नहीं रही है.'
'पैसों को लेकर, काम को लेकर हर एक तनाव झेला जा सकता है, लेकिन ये औरत वाला क्लेश नहीं झेला जाता. मुंबई ने मुझे काम बहुत दिया, इस मायानगरी को भी थैंक्स करना चाहता हूं. इस मायानगरी बॉलीवुड में भी बहुत राजनीति है. आपको बस उम्मीदें देकर आपका वक्त खा जाते हैं और बाद में प्रोजेक्ट से निकाल देते हैं. वो भी सब कुछ होने के बाद. यहां लोग भी बहुत प्रैक्टिकल हैं. नो इमोशन, बस दिखावे की झूठी लाइफ में जीते हैं. वो वक्त ही अच्छा था, जब कच्चे घर होते थे, लोगों में प्यार होता था. सब अपने लगते थे. आजकल तो सब अपने होकर भी पराए लगते हैं. भीड़ में अकेले जीना भी एक कला है.'
'प्लीज मेरे जाने के बाद कंचन को कोई कुछ न कहे. बस उसमें गुस्सा बहुत ज्यादा है और चीखना-चिल्लाना. नासमझ है. इमेजिनेशन वाली जिंदगी में जीती है. अगर वैसा न हो तो बवाल करती है. दिमाग से बीमार है और ये सब इसमें से निकल जाए तो इसकी लाइफ में सब कुछ अच्छा हो जाए. लेकिन मेरे साथ इसकी अंडरस्टैंडिंग बिल्कुल नहीं है. कान की कच्ची है. कोई भी इसको बहका देता है. अपनी इसमें समझ नहीं कि कौनसी बात सुननी चाहिए, कौनसी नहीं. मेरी सास तो बस हर बात पर पुलिस केस डालने के पीछे रहती. मैं अलग भी हुआ फरवरी में, ताकि थोड़ा स्पेस मिल जाए. ताकि माइंड रिलैक्स हो. कंचन अपने साथ टाइम बिताए. उसे अपनी गलतियों का अहसास हो. मैं भी काम पर फोकस करूं. लेकिन नहीं तब भी सासू मां ने अपनी कानूनी किताब खोल ली और मुझे अंदर करवाने की बात कहने लगी कि मेरी बेटी से शादी करके भाग गया. यार हद होती है. कोई इंसान समझना ही नहीं चाहता. 10 साल से कंचन मुंबई में है. मैं थोड़ी उसे पंजाब से लाया था. वह अपनी बातों से पलट जाती हैं. अब झूठे इंसान को भला कौन सच साबित कर सकता.'
'मेरे पास्ट के लिए लड़ती है, लेकिन अपने एक्स के साथ आज तक संपर्क में है. बस वही बात है न खुद की कमियां नहीं दिखाई देतीं. अगर बात भी करती है तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है. क्योंकि लाइफ है, आपको जिसके साथ अच्छा फील होता है, जाहिर तौर पर आप बात करोगे. लेकिन मुझे रोज मेरे पास्ट के लिए ताना मत मारो, कलेश मत करो. जो चैप्टर ही क्लोज है, जिसका कोई वजूद नहीं है, उसके लिए लड़ाई भला कहां की समझदारी है. दरअसल, कंचन की स्टोरी टेलिंग में मैं विलेन हूं. ये मेरे बारे में बहुत बुरा सोचती है और अपनी फ्रेंड्स को मेरे बारे में ऐसे बताती है, जैसे मैं इंसान नहीं कोई राक्षस हूं या भूत हूं. चलो किसी तरह सासू मां की धमकियों से मैं फिर कंचन के पास आ गया. वही नरक लाइफ, वही कलेश. वही ताना मारा, जिस बात पर 1000 बार लड़ चुकी है. वही रिपीट टेलीकास्ट रोज चालू. ये बात भी सच है कि स्वर्ग, नरक होता है. लेकिन शादी के बाद शुरू होता और ये शादी 2019 में इसने अपनी जिद और मरने की धमकियां देकर की. फांसी पर लटक रही थी. मुझे भी तरस आया कि बेचारी का कोई नहीं है. तब मुझे ये नहीं पता था कि मेरा तरस किया हुआ मुझे इतना भारी पड़ेगा. ये रोज मुझे ट्रामा देगी. मेरी कहीं कोई वैल्यू रखती नहीं. न महत्व देती है. मेरा किया कभी काउंट नहीं करती.'
'2 साल से नरक ही भोग रहा हूं और अब नहीं और सहन होता. जाने-अनजाने में अगर किसी का दिल दुखाया हो तो हाथ जोड़कर माफी. खुश रहिए और दूसरों को भी रखिए. जैसी लाइफ खुद जीना चाहते हो, दूसरों को भी दो. किसी को कैद में रखकर जिद से प्यार हासिल नहीं किया जा सकता. प्यार से प्यार हासिल किया जा सकता है. लेट शादी होने से या न होने से अकेले रहने से लोग नहीं मरते. ऐसा नहीं सुना. लेकिन मैंने गलत शादी होने से काफी लोगों को मरते देखा है. ये मैं बहुत पहले कर लेता सुसाइड. लेकिन मैंने अपने आपको टाइम दिया कि चीजें ठीक होंगी. हर वक्त मोटीवेट किया. लेकिन रोज वही कलेश होते हैं. इस चक्रव्यूह में फंस चुका हूं. निकलने का कोई रास्ता नहीं इसके अलावा. अब मुझे ये कदम खुशी-खुशी लेना होगा. यहां इस लाइफ में बहुत नरक मिल रहा है. शायद यहां से जाने के बाद की लाइफ कैसी होगी मुझे पता नहीं. लेकिन मुझे इतना पता है कि मैं वो फेस कर लूंगा. एक रिक्वेस्ट है मेरे जाने के बाद कंचन को कुछ मत बोलना. बस उसका दिमाग का इलाज जरूर करवा देना.'
संदीप नाहर के इस सुसाइड नोट को पढ़ने के बाद दिल जार-जार हो रहा है. वो जीना चाहता था. अपने माता-पिता से बेइंतहा प्यार करता था. उनके लिए कुछ करना चाहता था. वो जानता था कि सुसाइड करना कायरता है, लेकिन भी फिर उसने ऐसा कदम उठाया. उसकी शादीशुदा जिंदगी में चल रहा क्लेश उसके सपनों और जज्बातों पर भारी पड़ गया. संदीप के सुसाइड नोट से कुछ समस्याएं तो बिल्कुल साफ नजर आ रही हैं. पहली, गलत शादी, गलत लाइफ पार्टनर, आपका जीवन बर्बाद कर देता है. दूसरी, शादी के बाद एक हद से ज्यादा परिवार का दखल पति-पत्नी के रिश्ते पर गहरा प्रभाव डालता है. तीसरी, शादी के बाद रिश्तों में होने वाले तनाव को नजरअंदाज किया, तो इसकी कीमत जान देकर चुकानी पड़ती है. चौथी, शादी के बाद यदि पार्टनर के साथ लगातार समस्या बनी रहती है, काउंसलिंग के बाद भी सही नहीं हो पाती है, तो रिश्तों को घसीटने की बजाए, उससे अलग हो जाना ज्यादा बेहतर है. पांचवीं, मैरिड लाइफ में लगातार समस्या बने रहने पर उसे खुद सुलझाने या उसे अपनी आदत बनाने की जगह तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. शादी-विवाह एक ऐसा रिश्ता है जिसे हर पल सींचने की जरूरत होती है. यह सर्वाधिक अपेक्षाओं वाला रिश्ता है, इसलिए इसमें तनाव की भी सबसे ज्यादा संभावना होती है. ये भूल जाइए कि बढ़ते उम्र के साथ आपकी शादीशुदा जिंदगी शानदार हो जाएगी, कभी भी तनाव के हालात बन सकते हैं. किसी भी उम्र में रिश्तों में दरार पड़ सकती है. ऐसे में मैरिज काउंसलर की तत्काल मदद लेनी चाहिए. अपने देश में यह नया है. बहुत कम लोग इसका उपयोग कर रहे हैं. जिस तरह आपसी गलतफहमियों के चलते मन-मुटाव किसी भी उम्र में हो सकता है, उसी तरह मैरिज काउंसलिंग की जरूरत भी आपको किसी भी उम्र में पड़ सकती है. मैरिज काउंसलिंग अक्सर लाइसेंस होल्डर डॉक्टरों द्वारा ही किया जाता है. इसके अलावा फैमिली फिजीशियन इसका बेहतर विकल्प हो सकता है. क्योंकि वह आपकी फैमिली को तब से जानता है, जब से कोई समस्या नहीं थी. इसलिए आपको नए व्यक्ति की बजाए उस पर ज्यादा भरोसा हो सकता है. इसके अलावा घर के बड़े-बुजुर्गों की मदद भी ली जा सकती है, बशर्ते कि वो पक्षपाती न हो.
बताते चलें कि संदीप नाहर का जन्म हरियाणा के कालका जिले में 25 दिसंबर, 1987 को हुआ था. उनके पिता का नाम विजय कुमार है और मां का नाम सुषमा रानी है. परिवार चंडीगढ़ में रहता है. बचपन से ही उनका कला के प्रति रूझान था. वह स्कूल में अक्सर नाटक में हिस्सा लिया करते थे. कॉलेज के समय संदीप का म्यूजिक वीडियो हिट हो गया, जिसके बाद उन्होंने मुंबई आकर फिल्मों में काम करने का फैसला किया. एक्टिंग के सपने को पूरा करने के लिए साल 2009 में मुंबई आ गए थे. लेकिन उन्होंने अपने करियर की शुरुआत क्लब में एक बाउंसर के तौर पर की थी. उन्होंने अपने एक्टिंग के सपने को पूरा करने के लिए एड़ी-चोटी तक का जोर लगा दिया था. धीरे-धीरे संदीप नाहर को टीवी सीरियल में रोल मिलना शुरू हो गए. उन्होंने सीआईडी, क्राइम पेट्रोल, सावधान इंडिया और दीया और बाती हम जैसे करीब 15 टीवी सीरियल्स में काम किया. साल 2014 में पंजाबी फिल्म हैप्पी गो लक्की में एक नेगेटिव किरदार के बाद साल 2016 में सुशांत सिंह राजपूत की फिल्म एम.एस धोनी में अहम भूमिका निभाई थी.
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